आज का दिन बाकी और दिन से कम व्यस्त वाला दिन रहा. आज हम सुबह के 10:00 बजे करीब पेई हाए शहर घूमने के लिए निकले. वैसे हमें आज समुद्री तट पर जाना था, किन्तु आज हवा ज्यादा तेज चलने के वजह से अपना यह कार्येक्रम बदलना पड़ा. पर यह शहर बहुत ही सुन्दर और अच्छा हैं. सबसे पहले हम एक पार्क में गए जोकि बहुत ही सुन्दर था. यह एक गोलनुमा और चोराहा के पास स्थित था. वहाँ काफी रंग-बिरंगे फूल और पेड़ पोधे थे. उधर एक जगह पर बहुत सारे कबूतरों का झुण्ड लगा हुआ देखा, जो देखने में काफी बढिया लग रहा था. वहाँ लोग उनको दाना डाल रहे थे. यह कबूतर इतने प्यारे थे की वे किसी के पास भी दाना खाने के लिए चले जाते थे. मुझे उनको देख कर प्यार आ रहा था.
फिर हमें इसके बाद पेई हाए शहर की कुछ पुरानी गलियाँ देखने के लिए निकले. वहाँ से कुछ दूरी पर ही वो स्थान था. वहाँ शुरू में एक छोटा सा गेट बना हुआ था, जोकि रंग-बिरंगे फूलो से सजा हुआ था. हम उस गली में गए और देखा की आज भी कुछ पुराने घर बने हुए हैं, और गलियाँ भी वही पुराने ढंग से हैं, पर इनका रख रखाव अच्छा कर रखा था. उस पुरानी गलियों में कई तरह के दुकाने खुली हुई हैं. वहाँ पर बहुत प्यारे प्यारे व सुन्दर चीज़े बेची जा रही थी. उसे देखने के बाद हम दोपहर का भोजन करने के लिए निकल पड़े. वहाँ हमने काफी स्वादिस्ट खाना खाया.
इसके बाद हम एक बहुत बड़ी दूकान में गए जहाँ पर असली मोतियाँ खरीदी जाती हैं. उन्होंने मोतियों के बारे में कुछ जानकारी दी कि मोतियाँ कौन कौन से प्रकार की होती हैं, मोतियों का प्रराम्बिक स्वरुप कैसा होता हैं, उसको उसके शीप से कैसे निकाला जाता हैं आदि. यह देख कर मुझे काफी जानकारी हुई और पसंद आया. इसके बाद हमने कुछ अलग अलग तरह की मोतियाँ देखी, जो बेचने के लिए थी. हमारे समूह में से कुछ लोगो ने उसकी खरीदारी भी की.
इसके बाद हममें से कुछ लोग आराम करने के लिए होटल वापिस चले गए और कुछ अन्य चीजों की खरीदारी करने के लिए गए. मैं थोड़ा कुछ थका हुआ था, इसलिए मैं होटल वापिस चला गया था. फिर हम 6:30 बजे होटल के हॉल में इकट्टे हुए और रात का भोजन करने के लिए निकले. रात का भोजन खत्म करके मैं पेई हाए शहर की जगमग देखने के लिए निकल पड़ा. इसके बाद में अपने होटल वापिस आ गया.
अखिल पाराशर
09/12/2011