इस साल चीन के विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यू.टी.ओ. में भाग लेने का दसवीं वर्षगांठ है।चीन के सुधार व खुलेद्वार की प्रक्रिया के लिये डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य बनना एक बहुत महत्वपूर्ण मील-पत्थर माना जाता है।इन दस सालों में चीन की अर्थव्यवस्था का तेज़ गति से विकास हो रहा है।इसके साथ-साथ दुनिया को चीन के विकास से हुए मौके का लाभ भी मिला है।
दिसंबर 2001 में 15 वर्षों तक कठिन वार्ताओं के बाद चीन ने आखिरकार डब्ल्यू.टी.ओ. में हिस्सा लिया।वार्ता में चीन के प्रथम प्रतिनिधि, पूर्व उप विदेशी व्यापार व आर्थिक सहयोग मंत्री और बोओ एशिया मंच की काउंसलिंग समिति के सदस्य लोंग योंग टू ने हमारे सी.आर.आई. के संवाददाता को बताया कि
चीन के लिये डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य बनने का मतलब केवल एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन में शामिल होना ही नहीं है।चीन की उम्मीद है कि डब्ल्यू.टी.ओ. में भाग लेने के माध्यम से अपने देश में सुधार व खुलेद्वार को प्रोत्साहित किया जा सके।क्योंकि डब्लूय.टी.ओ. में शामिल होने के लिये वार्ताओं के दौरान चीन में सुधार व खुलेद्वार के मुद्दों पर लोगों के विचारों में एकीकरण हासिल हुआ।इसके अलावा हमारे उद्योगों और नागरिकों को संबंधित शिक्षा भी दी गयी।खुलेद्वार की शिक्षा हमारे लिये लाभदायक है।भूमंडलीकरण अनिवार्य है।
चीन के लिये डब्ल्यू.टी.ओ. में हिस्सा लेने की कोशिश करना एक मुश्किल विकल्प था।इसका मतलब चीन को बहुपक्षीय व्यापार का नियम स्वीकार कर उद्योग,कृषि उद्योग, सेवा उद्योग और बौद्धिक संपदा अधिकार आदि क्षेत्रों में वचन देने और कारगर रूप से उनका पालन करना चाहिये।डब्ल्यू.टी.ओ. में शामिल होने के लिये आयोजित कठोर वार्ताओं के दौरान चीन के भीतर भी अलग-अलग आवाज़ सुनाई दी थी।सुधार के बाद संभावित मुश्किलों से कुछ कमज़ोर उद्योगों को बहुत परेशान भी हुई।डब्ल्यू.टी.ओ. में शामिल होने के लिये वार्ताओं में चीन के प्रथम प्रतिनिधि लोगं योंग टू के अनुसार विदेशी उद्योग,संसाधन तथा तकनीशियनों को आकर्षित करने से कुछ स्वदेशी व्यक्तियों तथा उद्योग पर दबाव पड़ता।इसलिये डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य बनने पर विवाद होना स्वाभाविक था।अगर वार्ताओं के बाद कोई भी बाधा नहीं आई,वह तो सचमुच अजीब है।
डब्ल्यू.टी.ओ. के महानिदेशक पास्कल लामी ने यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि के रूप में चीन के साथ डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य बनने से संबंधित वार्ता की,जब उन्होंने यूरोपीय संघ की व्यापार समिति के आयुक्त का पद संभाला।वे चीन से काफ़ी परिचित हैं।इस साल के आरंभ में स्विट्ज़रैंड में आयोजित दावस मंच पर लामी ने कहा कि डब्ल्यू.टी.ओ. में भाग लेने से चीन के कानून,अर्थव्यवस्था और समाज आदि पक्षों को मज़बूत धक्का लगा है।इसके अलावा डब्ल्यू.टी.ओ. ने चीन के लिये बड़े सख्त मापदंड स्थापित किए हैं। डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य बनने के लिये चीन ने अधिक कीमत चुकायी।यह भुगतान कितना बड़ा है? निम्न आंकड़ों से देखा जा सकता है।विकासशील देशों के रूप में डब्ल्यू.टी.ओ. में हिस्सा लेते समय विदेशी औद्योगिक उत्पादों के प्रति चीन के सीमा शुल्क का स्तर ब्राज़ील और भारत के एक चौथाई के बराबर था।आयातित कृषि उत्पादों पर सीमा शुल्क यूरोपीय संघ से भी कम था।वर्तमान में चीन का सीमा शुल्क स्तर विकासशील देशों के औसत स्तर 46.6 प्रतिशत से कहीं अधिक कम है।
चीन के वाणिज्य मंत्री छेन डे मिंग के अनुसार डब्ल्यू.टी.ओ. में प्रवेश करने के लिये चीन ने एक महंगा टिकट लिया।इसके साथ चीन कठोर दौर से भी गुज़र रहा है।अब चीन डब्ल्यू.टी.ओ. का एक परिपक्व व समानता वाला साथी बन रहा है। छेन डे मिंग के शब्द
पिछले दस वर्षों में चीन के सीमा शुल्क का औसत स्तर 15.3 प्रतिशत से घटकर 9.8 प्रतिशत हो गया है।सेवा व्यापार से जुड़े 100 विभाग खुले हैं।साथ ही रद्द किये गये कानून,ठीक किये गये कानून तथा नये बने कानूनों की कुल संख्या 3000 से अधिक पहुंच गई है।
डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य बनने के आरंभिक समय में चीन में विवाद ही विवाद उभरा ।कुछ देशों ने डब्ल्यू.टी.ओ. में भाग लने के बाद चीन के विकास पर भी सवाल उठाये।लेकिन चीन ने अपने प्रदर्शन से इन सभी सवालों के जवाब दिये।डब्ल्यू.टी.ओ. में हिस्सा लेने के बाद पहला दशक चीन के विकास के इतिहास में सबसे अच्छे दौर में से एक माना जाता है।इन दस सालों में चीन का निर्यात 4.7गुना बढ़ा।सकल घरेलू उत्पादन मूल्य में 2 से अधिक गुना की वृद्धि हुई।प्रति व्यक्ति का औसत जी.डी.पी. पहले के 800 यूएस डॉलर से वर्ष 2010 में 4000 से ज़्यादा बढ़ गया।
इस महंगे टिकट को लेने के बाद चीन को और एक अहम उपलब्धि हासिल हुई है।चीनी उद्यमों ने बाज़ार के नियमों का प्रयोग कर व्यापार की स्थिर तथा प्रत्याशी व्यवस्था बनाना सीख लिया।चीन में व्यापार वातावरण कहीं ज़्यादा खुला है।बाज़ार की चेतना एवं कानून की भावना लोगों के दिल में घर कर रही है।
चीनी वाणिज्य मंत्री छेन डे मिंग ने कहा कि चीन के दुनिया में शामिल होने के दौरान दूसरे देशों को भी लाभ मिला है।चीन में निवेश कर अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को सीधे तौर पर फ़ायदा मिला है।उन्होंने बताया कि
पिछले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पूंजी के द्वारा चीन में एक खरब से अधिक डॉलर का निवेश किया गया।गत दशक में कुल 7 खरब से ज़्यादा डॉलर का निवेश किया गया।अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के चीन में किये गये निवेश से बड़ी संख्या में उपक्रमों को लाभ मिला है।1400 अनुसंधान व प्रयोग संस्थाओं के चीन में हासिल लाभांश से मुख्यालयों ने अपने देशों में वित्तीय संकट को दूर किया।
इसके साथ-साथ डब्ल्यू.टू.ओ. में शामिल होने के बाद चीनी उद्यम तेज़ गति से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में प्रवेश करने लगे हैं। डब्ल्यू.टी.ओ. में शामिल होने के लिये वार्ताओं में चीन के प्रथम प्रतिनिधि लोगं योंग टू के मुताबिक चीनी उद्यमों के लिये डब्ल्यू.टी.ओ का मेंबर बनने से आयीं कमियों की तुलना में अधिक खूबियां दिखती हैं।चीनी उपक्रम जोखिम भरे लेकिन ज़्यादा विशाल अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार का सामना करने लगे हैं।लोंग योंग टू ने हमें बताया कि
सबसे बड़ी खूबी यह है खुलेद्वार के ज़रिये चीनी उद्योगों ने ज़्यादा अनुभव पाया।दूसरे शब्दों में कहा जाए तो चीनी कंपनियों की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा शक्ति बहुत बढ़ गयी है।अंतर्राष्ट्रीय उद्यमों के साथ चीनी उपक्रमों ने ज़्यादा अनुभव प्राप्त किये हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धाओं में भाग लेते समय सामने आयी दिक्कतों को दूर करने से चीनी उद्यमों की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा शक्ति भी बढ़ी है ।दूसरी तरफ़, चीनी उपक्रमों ने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में खुद की भागेदारी बढ़ाई है।इसलिये अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों तथा बाज़ार के प्रयोग पर चीनी उपक्रमों के लिये गुंजाइश भी बनी है।
दस साल पहले चीन के वैदेशिक निवेश की राशि 1 अरब से कम डॉलर थी।लेकिन वर्ष 2010 में चीन का वैदेशिक निवेश करीबन 60 अरब डॉलर तक बढ़ा।पिछले वर्ष चीन की तरफ़ से 43 अति अविकसित देशों के लिये अपना सीमा शुल्क रद्द किया गया।95 प्रतिशत आयातित उत्पादों के लिये शुन्य सीमा शुल्क की नीति लागू की गयी।वर्तमान में चीन इन देशों का सबसे बड़ा निर्यातित गंतव्य बन गया है।
डब्ल्यू.टी.ओ. में भाग लेने के दसवें साल में चीनी अर्थव्यवस्था के विकास का दूसरा दौर शुरू हो रहा है।चीन के द्वारा जारी बारहवीं पंचवर्षीय योजना में भविष्य में विकास की दिशा दिखायी गयी है——घरेलू बाज़ार का ज़्यादा विस्तार होगा और देश में जनता की उपभोग क्षमता और बढ़ेगी।
चीनी वाणिज्य मंत्री छेन डे मिंग के अनुसार चीन विश्व में दूसरा बड़ा निर्यातक देश बन गया है।भविष्य में चीन अधिक खुला बनकर वैश्विक बहुपक्षीय नियम बनाये रखेगा।चीन समान विकास पर ज़्यादा ध्यान देगा ताकि चीन के खुलेद्वार से अन्य देशों का ज़्यादा विकास हो सके।छेन डे मिंग ने कहा कि
चीन आयात को प्रोत्साहन देने वाली नीतियां बना रहा है।उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में आयात दोगुना हो सकेगा।चीन घरेलू बाज़ार भी स्थापित कर रहा है और उपभोग विस्तृत कर रहा है।पहले घरेलू उपभोग की सालाना वृद्धि दर 15 प्रतिशत के करीब थी।वर्तमान में एक वर्ष में घरेलू उपभोग की राशि 24 खरब डॉलर दर्ज हुई,जो निर्यात से करीब 10 खरब डॉलर अधिक दिखी।अगले 5 से 10 साल में घरेलू उपभोग में मज़बूत वृद्धि होगी।चीन उद्यमों को दुनिया के विभिन्न स्थलों में जाकर व्यवसाय विस्तृत करने के लिए प्रोत्साहित करता है।ताकि दूसरे देश चीन के सुधार व खुलेद्वार से हासिल उपलब्धियों का उपभोग भी कर सकें।चीन और खुलेगा और पूरी दुनिया के साथ समृद्धि का साझा उपभोग करेगा।
इस साल डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य बनने की दसवीं वर्षगांठ है।इस मुकाम पर हम पीछे मुड़कर चीन का रास्ता देखें कि हालांकि चीन में सुधार व खुलेद्वार के दौरान भिन्न-भिन्न मुश्किलें आईं और कुछ समस्याएं भी पैदा हुई , लेकिन आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प नहीं बदलेगा। डब्ल्यू.टी.ओ. के नियमों का पालन कर अपने तथा विश्व का विकास बढ़ाने के लिये चीन की कोशिश भी नहीं बदलेगी।इससे चीन और विश्व दोनों पक्षों को मौके मिलेंगे।
(लिली)