यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है , श्रोता दोस्तो , आज के इस कार्यक्रम में हम आप को सपना पूरा करने के बारे में कहानी सुनाने जा रहे हैं । यदि भगवान आप को एक सपना पूरा करने देता है , तो आप कौन सा सपना पूरा करना चाहते हैं । एक 12 वर्षिय लड़की छ्वी यो य्वान ने अपने तमंना कार्ड पर लिखा है कि एक साइकिल लेने की आशा करती हूं , ताकि मैं जल्दी से जल्दी स्कूल पहुंच सकूं , फिर स्कूल के बाद जल्दी से जल्दी घर वापस जाकर दादी की देखभाल में ममी का हाथ बटा सकूं ।
इस छोटी लड़की छ्वी यो य्वान का घर उत्तर पूर्वी चीन के ल्याओ निंग प्रांत की फाखू कांऊटी में अवस्थित है , अब वह फाखू कांऊटी के ईन्यूपूची स्कूल की पांचवीं क्लास की तीसरी कक्षा में पढ़ती है । टीचरों की नजरों में वह एक सीधी सादी , होशियार और चंचल छात्रा है । उस के परिवार में मां बाप , दादी
और वह कुल चार सदस्य हैं , पर उस की बूढी दादी की तबीयत काफी कमजोर है और मां गम्भीर अवसाद रोग से पीड़ित है , उस का बाप किसी नौकरी के लिये बाहर गया है , घर की अर्थिक हालत अपनी कक्षा में सब से बदतर है । लेकिन वह स्कूल में दूसरे बच्चों से कहीं अधिक आशाप्रद , अडिग और आत्म विश्वसनीय दीखती है । छ्वी यो य्वान का सपना मात्र यही है कि उसे एक साइकिल मिले , जिस से वह जल्द ही स्कूल पहुंचने और घर वापस जाने में समर्थ होगी । खैर , यह तमंना अधिकांश लोगों के लिये कोई बड़ी बात नहीं है , पर इस 12 वर्षिय लड़की छ्वी यो य्वान के लिये साकार बनाना तो बहुत कठिन है ।
छ्वी यो य्वान द्वारा लिखित तमंना कार्ड, सपना पूरा करने वाली वेबसाइट को प्राप्त अंगिनत तमंना कार्डों में से एक है , हरेक छोटे कार्ड पर किसान मजदूर के बच्चे की सब से सीधी सी अभिलाषा अंकित हुई है । यह सपना पूरा करने वाली वेबसाइट ल्याओ निंग प्रांतीय कम्युनिस्ट लीग ने स्थापित की है , यह वेबसाइट सहस्र वाक्य सहस्र खोज नामक सपना पूरा करने वाले अभियान के तौर तरीकों में से है । इस अभियान के जरिये किसान मजदूरों के एक हजार बच्चों ने एक वाक्य का अपना सपना प्रकट किया है , फिर इन सहस्र बाल बच्चों का सपना साकार बनाने वालों की खोज की जाती है । सहस्र वाक्य का अर्थ है कि किसान मजदूरों के एक हजार बच्चों ने अपनी तीव्र अभिलाषा एक वाक्य में व्यक्त की है , जबकि सहस्र खोज का अर्थ है कि पूरे समाज में उन उपक्रमों , समाचार माध्यमों , सामाजिक संगठनों या व्यक्तियों की खोज की जाती है , जो उक्त किसान मजदूरों के बाल बच्चों के सहस्र सपनों को साकार बनाने को तैयार हैं ।
ल्याओ निंग प्रांत के स्वयंसेवक संघ के स्थाई उप महा सचिव ई छंग ल्यो सपना पूरा करने वाले अभियान के संस्थापकों में से एक हैं । उन्होंने कहा कि इस अभियान के जरिये किसान मजदूरों के परिवारों को समाज से जा मिलने में मदद देना है , यह इस अभियान रचने का उन का इरादा ही है ।
सहस्र वाक्य सहस्र खोज नामक सपना पूरा करने वाले अभियान के जरिये किसान मजदूरों के परिवारों को मदद दी जाती है । हम मुख्यतः किसान मजदूरों के बाल बच्चों के सपनों को लेकर उन की हर छोटी अभिलाषा को पूरा कर लेने के प्रयासशील हैं ।
सहस्र वाक्य सहस्र खोज नामी सपना पूरा करने वाले अभियान में तुंग फांग य्वान मुख्यतः स्वयंसेवकों के कामों को संभालते हैं , वे स्वयं एक स्वयंसेवक भी हैं । उन्होंने कहा कि इस अभियान की शुरुआत से ही समाज के विभिन्न जगतों की ओर से जबरदस्त समर्थन मिला है , लोगों ने स्वयंसेवकों की नामजगी में होड़ सी लगायी ।
शुरु में हम ने नहीं सोचा था कि इतने ज्यादा स्वयंसेवकों ने इस अभियान में दिलचस्पी दिखाय़ी है । इतना ही नहीं , बहुत सारे जगतों व व्यवसाइयों में कार्यरतों ने फोन पर इस अभियान में भाग लेने और स्वयंसेवक बनने की इच्छा भी जताई । मसलन एक वोक्सवैगन टीम ने हमें विविधतापूर्ण सेवाएं उपलब्ध करायी हैं । कुछ किसान मजदूरों ने अपनी इच्छा से इस अभियान के लिये यथासंभावित काम भी किये हैं , साथ ही कुछ अध्यापकों ने किसान मजदूरों के स्कूली छात्रों का विशेष ख्याल भी रखा है , बेशक बुजुर्गों ने भी अपने पोतों पोतियों को लेकर इसी अभियान के लिये हरचंद प्रयास किया है ।
इस अभियान के दौरान हमारे संवाददाता कुछ स्वयंसेवकों के साथ सम्पर्क भी बनाये रखे हुए हैं । शी मिंग उन में से एक है , गत गर्मियों में उन्होंने अपने पति यू श्याओ खाई के साथ किसान मजदूरों की संतानों की केयर गतिविधियों में भाग लिया है । उन्होंने कहा कि पहले उन के विचार में केवल धनी लोग या ताकतवर लोग सार्वजनिक सेवा गतिविधियां करने का हकदार हैं । लेकिन बहुत ज्यादा स्वयंसेवकों की क्रियाशील कार्यवाहियों से जाहिर है कि वे सब साधारण व्यक्ति हैं , उन में से कुछ लोग खुद स्कूली छात्र या किसान मजदूर ही हैं । उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि किसान मजदूरों के बच्चों की तमंना वास्तव में बहुत सीधी सादी है , आम लोगों के लिये उसे पूरा करना कोई कठिन ही नहीं है ,लेकिन किसी न किसी कारण से हर छोटा सा सपना पूरा करना उन के लिये असंभव रहा है । इसलिये जब किसी बच्चे की तमंना पूरी हुई है , तो स्वयंसेवकों के लिये बड़ी सुखी व गोरवमय बात ही है ।
असल में ऐसे बाल बच्चों की हर छोटी सी तमंना की चर्चा करते ही मन बड़ा दुखी होता है , क्योंकि वे सिर्फ एक बस्ता , एक कलम , एक बाल कथा
पुस्तक प्राप्त करना या एक बार भूमिगत रेल गाड़ी पर सवार होना व क्रिड़ा स्थल घूमना चाहते हैं , ये सब कुछ शहरी बाल बच्चों के लिये कोई बड़ी बात नहीं है , पर यह किसान मजदूरों के बाल बच्चों के लिये दिन का सपना ही है । कुछ दिन पहले मैं कुछ बाल बच्चों को लेकर बाल व्यवसायिक अनुभव शहर के दौरे पर गयी । दौरे के दौरान इन बाल बच्चों ने अपनी मेहनत से कुछ व्यवसायिक काम में भाग लिया और अपनी आंखों से देख लिया है कि आम दिनों में अपने मां बाप को नौकरी करने में कितना परिश्रम करना पड़ता है , जिस से प्रभावित होकर मेहनत से सीखने का अपना लक्ष्य खड़ा करने के लिये उन्हें प्रेरणा मिल गयी है और अपने मां बाप के पास न रहने पर भी तरह तरह की शिकायतें भी दूर हो गयी हैं , अब इस अभियान के जरिये उन्हें बड़ा सामाजिक प्यार व देखरेख बराबर उपलब्ध हो रहा है । सपना पूरा करने वाली गतिविधियों को मूर्त रुप देना हमारे लिये कोई मुश्किल काम ही नहीं बल्कि इस का बाल बच्चों पर बड़ा प्रभाव भी पड़ गया है । इस से न सिर्फ उन्हें अपना सपना साकार बनाने में मदद मिली है , बल्कि उन्हें विभिन्न सामाजिक जगतों का प्यार भी महसूस हुआ है , साथ ही उन्हें दूसरे लोगों की मदद करने और समाज को अपना प्यार देने के लिये प्रोत्साहन भी मिल गया है । मैं थुंग याओ नामक एक लड़की से बहुत प्रभावित हुई हूं । शुरु में पारिवारिक हालत के मद्देनजर पढाई के लिये उसे सामाजिक सहायता उपलब्ध है , पर जब उस के घर की आर्थिक हालत में थोड़ा बहुत बदलाव आया , तो उस ने प्राप्त सामाजिक सहायता को मुश्किलों में फंसे दूसरे बच्चों को देने का फैसला कर लिया और जिंदगी भर में दूसरे लोगों को मदद देने का संकल्प भी किया , ताकि इसी प्रकार वाला सामाजिक प्यार बरकरार रह सके । स्वयंसेवक शी मिंग ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि मुझे सहस्र वाक्य सहस्र सपनों की खोज नामी अभियान में भाग लेने का मौका मिला है , यह मेरे लिये यह एक सौभाग्य की बात है , जब मैं ने किसी बाल बच्चे के चेहरे पर मुस्कान देखी , तो मन बड़ा खुश होता है ।
जी हां , बहुत ज्यादा स्वयंसेवकों का कहना है कि सहस्र वाक्य सहस्र सपनों की खोज नामी अभियान में भाग लेने से उन्हें बड़ी प्रेरणा व शिक्षा मिली ही नहीं , मन में बड़ी प्रेमभावना जगाने के लिये लाभदायक भी है ।
आलसी नामक सवार स्वयंसेवक ने ल्याओनिंग प्रांत के यातायात रेडियो स्टेशन के कार्यक्रम के जरिये सहस्र वाक्य सहस्र खोज अभियान में भाग लिया है । उस ने कहा कि मुझे इस अभियान का स्वयंसेवक बनने पर बड़ा गर्व है । इस अभियान का बड़ा महत्व है , बाल बच्चों का सपना कितना सीधा सादा है , मुझे जो सपना कार्ड मिला है , उस पर यह वाक्य लिखा हुआ है कि मैं एक रंगीन कलम पाना चाहता हूं । इस सपने को देखकर मुझे अपने अनुभव बताने में कोई शब्द नहीं मिलता , हो सकता है कि इन बाल बच्चों का छोटा सा सपना पूरा करना हमारे लिये कोई बड़ी सी बात नहीं है , पर मुझे महसूस हुआ है कि हम इस बात पर इन बच्चों के आभार हैं कि उन्होंने हमें अपना प्रेमभाव जगाने का मौका दिया है ।
मार्च 2011 से सहस्र वाक्य सहस्र सपना खोज नामक अभियान शुरु होने से लेकर अब तक ल्याओ निंग प्रात के विभिन्न क्षेत्रों ने कोई 70 हजार जोड़ों व 700 से अधिक स्कूलों के साथ सम्पर्क बना लिया है , करीब 35 हजार पांच सौ से ज्यादा व्यक्तियों ने किसान मजदूरों की संतानों के सपनों को पूरा करने में चार लाख 20 हजार घंटों की सेवाएँ उपलब्ध करायी हैं और 20 लाख 20 हजार य्वान का साज सामान भी प्रदान किये हैं ।