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सुखमय `4 बजे स्कूल `
2011-11-09 13:15:27

शहरों में काम करने वाले किसान-कामगरों के बच्चे इस समय चीन में सामाजिक आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।ये बच्चे या तो मां-बाप से अलग गावों में बिना पारिवारिक प्यार के जीवन बिता रहे हैं,या मां-बाप के साथ शहर आकर रह रहे हैं,लेकिन मां-बाप के काम में व्यस्त होने के कारण उन्हें अक्सर घरों में अकेले रहना पडता है।इन बच्चों का ख्याल रखना व उन्हें प्यार देना और उन का स्वस्थ रूप से विकास हो,यह पूरे समाज की एक अभिलाषा बन गई है।पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत के चनच्यांग शहर की कम्युनिस्ट युवा लीग की समिति ने यौवन सिंहपर्णी नाम की स्वंयसेवा का अभियान चलाना शुरू किया है।यह अभियान गांवों से मां-बाप के साथ शहर जाकर रहने और मां-बाप से अलग होकर गांवों में रहने वाले 2200 से अधिक बच्चों के लिए है।इस अभियान का उद्देशय विविध गतिविधियों के आयोजन के जरिए इन बच्चों को भी प्यार का एहसास कराना है।

हर साल सितम्बर में जैसे ही स्कूलों में नया सत्र शुरू होता है,शहरों में काम करने वाले किसान-कारगरों को परेशानी सताना शुरू कर देती है।ऐसा इसलिए क्योंकि हर रोज शाम 4 बजे स्कूलों में छुट्टी होने के बाद उन के बच्चे बिना देखभाल के हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में उन के साथ अनहोनी होना असंभव नहीं है।अप्रिय घटना की रोकथाम के लिए स्वयंसेवा-अभियान के तहत एक ` 4 बजे स्कूल ` कायम हुआ है,जो विशेष रूप से इन बच्चों की देखरेख करता है।सामुदायिक क्षेत्रों की समितियां,स्वयंसेवक,उच्च शिक्षालयों के विद्यार्थी, मीडिल व प्राइमरी स्कूलों के अध्यापक रोजाना शाम को 4 बजे के बाद इन बच्चों की देखरेख में हाथ बंटाने `4 बजे स्कूल ` आते हैं।उल्लेखनीय है कि अब चनच्यांग शहर में `4 बजे स्कूल ` एक से बढकर अनेक हो गए हैं।उन सभी का नाम `4 बजे स्कूल ` बरकरार है।

हमारे संवाददाता ने कुछ समय पूर्व एक सामुदायिक क्षेत्र के `4 बजे स्कूल ` का दौरा किया और स्कूल में बच्चों के सुखमय जीवन का एहसास किया।

शाम को 4 बजे लाल टोपी पहने एक स्वयंसेवक चुंगह्वा सड़क पर स्थित एक स्कूल के गेट पर खड़े देखे गए।एक अध्यापिका एक छात्रा के साथ गेट के अन्दर से बाहर निकलीं।स्वयंसेवक से थोड़ी देर तक बात करने के बाद अध्यापिका ने उन्हें छात्रा सौंप दी।हमारे संवाददाता ने उन के पास जाकर छात्रा से बातचीत की।

संवाददाताः तुम्हारा क्या नाम है?

छात्राः मेरा नाम चांग यैन है।

संवाददाताः कहां जा रही हो?

छात्राः सामुदायिक क्षेत्र के `4 बजे स्कूल `

संवाददाताः वहां जाकर क्या करोगी?

छात्राः लिपि कला की कक्षा में बैठूंगी।

संवाददाताः मां-बाप तुम्हें लेने क्यों नहीं आए ?

छात्राः उन के पास समय नहीं है।

चांग यैन का सामुदायिक क्षेत्र का `4 बजे स्कूल ` यहां से सिर्फ 10 मिनट की पैदल दूरी पर है।जब हमारे संवाददाता उस छात्रा के साथ इस स्कूल पहुंचे,तो देखा कि एक कक्षा में अनेक बच्चे आ चुके हैं।कक्षा बड़ी नहीं है,तो भी वह नियमित स्कूलों से छुट्टी होने के बाद बच्चों का सुखद घर मानी गई है।यहां बच्चे स्वयंसेवकों के स्नेहपूर्ण निर्देशन में या तो होमवर्क कर रहे है.या किताबें पढ रहे है या फिर खेल रहे हैं।

एक छात्र ने संवाददाता से कहा, ` यहां तरह-तरह के आयोजन होते हैं और कंप्यूटर,पुस्तकें व शतरंज भी उपलब्ध है।हमें यहां बहुत अच्छा लगता है।`

इस `4 बजे स्कूल ` की आउटडोर-कक्षा बच्चों की पहली पसंद है।कक्षा में स्वयंसेवकों के साथ बच्चे खेलते हैं और पहेलियों को सुलझाते हैं।स्वयंसेवक बच्चों के घनिष्ठ मित्र बन गए हैं।

इस स्कूल के एक स्वयंसेवक त्साओ य्वी-छी ने संवाददाता से कहा, ` इतनी छोटी सी उम्र में बच्चे बेहद काल्पनिक हैं।उन के विचार किसी भी तरह बाधित नहीं हो सकते ,मतलब यह कि वे किसी भी सीमा में बंधे नहीं हैं।यहां खुले माहौल में वे जो बात करते हैं,वे सब दिल से निकलती हैं। `

अप्रैल 2008 से अब तक चनच्यांग शहर में 14 `4 बजे स्कूल ` स्थापित किए गए हैं।इन स्कूलों के लिए सामुदायिक क्षेत्रों की समितियों ने जगह का प्रबंध किया है,स्थानीय उच्च शिक्षालयों के विद्यार्थी,मीडिल व प्राइमरी स्कूलों के युवा शिक्षक एवं सेवा निवृत्त कार्यकर्ता बतौर स्वयंसेवक सेवा प्रदान करते हैं।ये लोग इन बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल करने के लिए अक्सर अपनी नियमित छु्ट्टियां व अवकाश छोड़ देते हैं।उन का जिम्मेदाराना रवैया देखकर बच्चों के मां-बाप चिन्ता से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं।

शाम को 6 बजे बच्चों के मां-बाप अपना काम खत्म करके उन्हें वापस घर लेने आए।एक अभिभावक ने कहा कि `4 बजे स्कूल ` बच्चों के लिए उपहार जैसा है।यहां चलाई जाने वाली गतिविधियां बच्चों की रूचि के अनुकूल हैं।बच्चे यहां अपनी-अपनी रूचि के अनुसार गतिविधियों में भाग ले सकते हैं।

अन्य एक अभिभावक ने कहा कि `4 बजे स्कूल ` सचमुच अच्छा है।यहां एक भी पैसा न देने पर भी हमारे बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल होती है।हमारा काम शाम को 6 बजे तक पूरा होता है,लेकिन बच्चे शाम को 4 बजे स्कूल से मुक्त हो जाते हैं।इन दो अतिरिक्त घटों में यह स्कूल हमारी बड़ी मदद करता है।

चनच्यांग शहर के सभी `4 बजे स्कूल `छात्रों की भर्ती संबंधी अभिलेखागार बनाने की व्यवस्था लागू करते हैं,ताकि स्कूल मानकीकृत हो सके।इसके अलावा इस प्रथा का भी प्रयोग किया जाता है कि बच्चों को घर वापस ले जाने के वक्त अभिभावक हस्ताक्षर करें,ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चत हो सके।

चनच्यांग शहर के युवा लीग-समिति के उपमहासचिव वांग वे-ह्वा का कहना है,`हमारे यहां हर `4 बजे स्कूल ` में उपस्थिति दर्ज कराने की व्यवस्था लागू हो रही है और हर बच्चे को यहां आकर अपनी मौजूदगी दर्ज करानी है और इसे घर वापस ले जाने वाले किसी भी व्यक्ति को हस्ताक्षर करना है।इस तरह यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि कोई बच्चा कब आता है,कब जाता है,और उसे घर वापिस ले जाने वाला कौन है `

2 घंटे का समय जल्द ही बीत गया।`4 बजे स्कूल `में बच्चों की निश्चिंत हंसी व मधुर आवाज गूंज रही है।जब स्वयंसेवकों ने बच्चे उन्हें घर वापस ले जाने आए व्यक्तियों को सौंप दिए,तो उन सब के चेहरों पर सुखद मुस्कान खिल गई।

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