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11-09-13
2011-11-08 10:47:32

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। दोस्तों, कल यानि 14 सितम्बर हिन्दी दिवस राज भाषा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन 1949 में संविधान सभा में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया। भारत के संविधान के तहत 1950 में संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी की देवनागरी लिपि को अपनाया।

राष्ट्रभाषा राष्ट्र का दर्पण होती है। वास्तव में व्यक्ति की पहचान उसके राष्ट्र से होती है।

विश्व में अपनी पहचान बनाने के लिए हिन्दी भाषा ने बहुत लम्बी दूरी तय की है। यह भारत के अलावा मारिशयस, सुरीनाम, त्रिनिदाद,फीजी, न्यूजीलैंड, गुयाना, रूस, सिंगापुर,अमेरीका, दक्षिण अफ्रिका, आस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमिरात आदि सहित कई दूसरे देशों में बोली व समझी जाती है। World's Languages & Speech Communities′के शोध के अनुसार आज भारत के अलावा विश्व के 100 करोड़ लोग हिन्दी बोलते हैं। हिन्दी भाषा बहुत लोकप्रिय भाषा बनती जा रही है और सांख्यिकी उपलब्ध हैं जो बताता है कि हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। विदेशों में प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उसकी भाषा द्वारा होती है। तभी तो उन्नीसवी सदी में जब भारतीयों ने विदेश में जाकर रोजगार ढ़ूँढ़कर वहाँ बसने का चलन शुरू हुआ तो ये प्रवासी भारतीय अपने साथ हिन्दी भाषा और संस्कृति भी साथ लेकर गए। यही कारण था कि विदेशों की भूमि पर भारतीयों की पहचान हिन्दी भाषा से होने लगी क्योंकि चाहे उनकी अपनी मातृभाषा भिन्न रही हो लेकिन विदेश में हिन्दी भाषा ने उन्हें अपनों के करीब रखा। अब अगर हम विदेशों में हिन्दी शिक्षण की तरफ दृष्टि डाले तो आज लगभग 93 देशों हिन्दी व्यस्थित रूपों में

पढ़ाई जा रही है। अनेक विदेशी विश्विविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। जैसे की रूस,चीन बलगेरिया, सिंगापुर, फीजी आदि देशों में हिन्दी का क्षेत्र विस्तार पा रहा है। विदेशों में जहाँ सरकार की मदद नहीं मिलती है, उन देशों में भी गैर सरकारी संस्थाएँ हिन्दी के पठन-पाठन कार्य में अनवरत जुटे हुए हैं। चीन में हिन्दी को जो सम्मान और स्थान मिला है और मिल रहा है उसके बारे में आपको हमारे कार्यक्रमों द्वारा जानकारी प्राप्त होती रहती है। लेकिन इस सप्ताह हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य पर हम अपने कार्यक्रम के जरिए आपको विश्व के अलग-अलग देशों में रह रहे कुछ खास व्यक्तियों से आपकी पहचान करवाना चाहते हैं जो विदेश में रहते हुए भी हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। अपने अथक प्रयासों से विदेशों की भूमि पर हिन्दी भाषा व संस्कृति को सहेज कर उसका ज्ञान आने वाली पीढ़ी को देने में संलग्न हैं। तो कार्यक्रम की शुरूआत करते हैं फीजी के हिन्दी समाचार पत्र शांति दूत की संपादिका नीलम कुमार जी से।

बातचीत....................................................................................................

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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