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चीन में योग की लोकप्रियता
2011-09-01 14:17:34
यह चाईना रेडियो इंटरनेशनल है। अब आप चीन में भारतीय योग के बारे में हमारे संवाददाता द्वारा भेजी गयी एक रिपोर्ट सुनिए।

पेइचिंग शहर के पेइचिंग ब्रॉडकास्टिंग होटल में 26 तारीख को वर्ष 2011 चाईना इंटरनेशनल योग सम्मेलन का उद्घाटन समारोह आयोजित हुआ। यह समारोह चीन स्थित भारतीय दूतावास के सहयोग से आयोजित किया गया। इस समारोह के मुख्य आयोजनकर्ता चीन-भारत मैत्री संघ के निर्देशन में द छान योग कंपनी के द्वारा आयोजित किया गया। समारोह में चीन, भारत, ताइवान, हांगकांग सहित 200 से ज्यादा देशी विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस समारोह के अंतर्गत 5वां इजी योगासन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया है। यह प्रतियोगिता 26 और 27 तारीख को पेइचिंग में आयोजित होगा। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चीन के विभिन्न प्रांतों से लगभग 100 प्रतिनिधि आए हैं। इस प्रतिस्पर्धा का पहला चरण चीन के पाँच प्रांतों व शहरों पेइचिंग, च्यांग सु, शनयांग, सछ्वान और सिनच्यांग में आयोजित किया गया था। इस प्रतियोगिता का फाइनल अब पेइचिंग में आयोजित किया जा रहा है। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वालों को द छान योग कंपनी की तरफ से भारत भ्रमण का मौका मिलेगा।

वर्ष 2010 के दिसंबर में चीनी प्रधानमंत्री वन च्यापाओ ने अपने भारत दौरे के समय भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलकर वर्ष 2011 को चीन-भारत आदान-प्रदान वर्ष के रूप में घोषित किया था। चाइना इंटरनेशनल योग सम्मेलन इसी कार्यक्रम के तहत आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम के बारे में चीन के प्रसिद्ध प्रोफेसर वांग शु यिंग ने कहा कि बौद्ध धर्म के प्रसार से चीन ने भारत को जाना है। वर्तमान में दोनों देशों के बीच संबंध मधुर हो रहे हैं और चीन एक बार फिर से योग के द्वारा भारत के नये रूप को जानना चाहता है। उन्होंने आगे चर्चा करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच भौतिक और गैर-भौतिक सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग की बहुत संभावनाएं हैं। भारतीय योग दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने का एक नयी संभावना है।

चाइना इंटरनेशनल योग सम्मेलन में भारतीय दूतावास के सांस्कृतिक विभाग के सेक्रेटरी अरूण साहू, चीन-भारत मैत्री संघ के उपनिदेशक वांग युन त्से और कुछ गणमान्य व्यक्तियों द्वारा फीता काटकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। अरूण साहू ने सभा को संबोधित करते हुए कहाः

योग का मूल रूप भारत में हड़प्पा सभ्यता में देखा जा सकता है। वेदों में भी इसका उल्लेख किया गया है, जिसका लगभग 3000 वर्षों का इतिहास है।

श्री अरूण साहू ने कहा कि योग का मुख्य उदेश्य जीवन में शांति को प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1893 में स्वामी विवेकानंद के द्वारा अमरिकी विश्वविद्यालय में योग पर विचार प्रकट करने के बाद, पश्चिमी देशों में योग का अभ्यास बहुत लोकप्रिय हो गया। हाल में एशिया के विभिन्न देशों में खासकर चीन में भी योग का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि चीनी जनता को योग से शारिरिक और मानसिक शांति प्राप्त हो तथा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भी ज्यादा मजबूत हो।

वहीं इस सभा में उपस्थित चीन-भारत मैत्री संघ के उपनिदेशक वांग युन त्स ने सभा को संबोधित करते हुए कहाः

चीन-भारत आदान-प्रदान वर्ष के तहत आयोजित इस कार्यक्रम का बहुत ही सांस्कृतिक महत्व है। यह दोनों देशों के बीच आदान-प्रदान को और मजबूत करने का महत्वपूर्ण आधार है।

कुछ दिन पहले, पेइचिंग में योग शिक्षा में लगे भारतीय योगाचार्य बी के एस अयंगर ने चीनी जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि, आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में योग से मानसिक शांति प्राप्त किया जा सकता है। तथा चीन में योग के प्रति लोगों में आकर्षण को देखते हुए उन्होंने भारत और चीन के बीच इस क्षेत्र में सहयोग की बड़ी संभावना जतायी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि चीन में योग सीखने वाले लोगों की तादाद बड़ी संख्या में है और संभव है कि भविष्य में चीन इस क्षेत्र में भारत को भी पीछे छोड़ देगा।

चीन के लगभग 57 शहरों और 17 राज्यों में विभिन्न संस्थानों के द्वारा योग सिखाया जाता है। इसी संदर्भ में द छान योग कंपनी के निदेशक लिन शियाओ हाय ने कहा कि, चीनी लोगों में योग फैशन के रूप में प्रचलित हो गया है। यह लोगों के दिनचर्या का एक भाग बन चुका है। उन्होंने परिचय देते हुए कहा कि योग का जन्मस्थल भारत है और बहुत सारे चीनी लोग योग सीखने के लिए भारत जाना चाहते हैं। योग चीन में एक नये व्यवसाय के रूप में विकसित हो रहा है। लिन शियाओ हाय इस व्यवसाय में 12 सालों से कार्यरत हैं और उनका कहना है कि यहाँ पर ज्यादातर योगाभ्यास योग ट्रेनिंग सेंटरों में भारतीय योग गुरू के द्वारा कराया जाता है। कुछ संस्थानों में चीनी योग गुरू के निर्देशन में भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

योग सम्मेलन में एक भारतीय पर्यटन कंपनी के निदेशक ने कहा कि, वे वर्ष 2006 से चीन में आते रहते हैं। समय के साथ-साथ यहाँ पर योग सीखने वाले लोगों की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। उन्होंने चीनी लोगों के योग की तरफ आकर्षित होने के दो मुख्य कारण बताया--- पहला कारण काम के दबाव के कारण मानसिक अशांति और दूसरा कारण लड़कियों में सेहत के प्रति सजगता। उन्होंने कहा कि चीनी युवाओं में योग के प्रति बहुत ज्यादा जलवां है।

सम्मेलन में हांगकांग से आए एक प्रतिनिधि डिक्सन के द्वारा योग के कई आसनों का प्रदर्शन भी किया गया। जिसे देखकर सभी लोग स्तब्ध रह गये। डिक्सन ने परिचय देते हुए कहा कि उन्हें योग करते हुए लगभग 25 साल हो चुके हैं। शुरू में तो उन्होंने इसे एक रोचक विषय की तरह ही लिया था लेकिन धीरे-धीरे वे योग से बहुत ही प्रभावित हुए और इस भागदौड़ की जिंदगी में योग के द्वारा मानसिक और शारिरिक शांति पाना उनकी दिनचर्या बन चुका है।

योग चीनी लोगों के जीवन का मुख्य भाग बन चुका है। चीनी लोगों में योग के झुकाव को देखते हुए, चीन के कई विश्वविद्यालयों में भी योग ट्रेनिंग प्रतिष्ठान खुलने की संभावना है।

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