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"काओ खाओ"यानि चीनी विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा
2012-06-08 17:07:54

जून का महीना आते ही जिस तरह मौसम गर्म हो जाता है, उसी तरह भारत में अभिभावकों और छात्रों की सरगर्मी भी तेज हो जाती है। माध्यमिक परीक्षा का परिणाम घोषित होते ही, किसी घर में खुशी का माहौल छा जाता है तो किसी घर में गम का साया भी होता है। जून माह न केवल भारत में विद्यार्थियों का भविष्य तय करता है बल्कि चीन में भी इस महीने छात्र अपनी जिंदगी के अहम परीक्षा में भाग लेते हैं।

चीन में विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा को "काओ खाओ"कहते हैं। वर्ष 1949 से पहले चीन में काओ खाओ की परंपरा नहीं थी। सभी विश्वविद्यालय अपनी आवश्यकता के आधार पर छात्रों को दाखिला देते थे। वर्ष 1966 में महान सांस्कृतिक क्रांति होने के कारण इस परीक्षा को बंद कर दिया गया। लेकिन वर्ष 1976 में इस क्रांति की समाप्ती के साथ ही 1977 से यह परीक्षा फिर से शुरू की गयी। वर्ष 2003 में चीनी शिक्षा विभाग ने प्रत्येक साल के जून में सात, आठ और नौ तारीख को यह परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया। तब से लेकर यह परीक्षा हरेक साल उसी नियत समय पर पूरे देश में आयोजित की जाती है।

चीन में विद्यालय का ढ़ांचा कुछ मायनों में भारत से अलग है। यहां पर प्राईमरी स्कूल में छात्रों को छह साल, मिडिल स्कूल में तीन साल और हाई स्कूल में भी तीन साल पढ़ाई पूरा करना होता है। हाई स्कूल के तीसरे साल में विद्यार्थी विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए जोर-शोर से तैयारी शुरू कर देते हैं। भारत में केंद्रीय माध्यमिक बोर्ड, और विभिन्न राज्यों के इंटरमिडिएट बोर्ड अलग-अलग तौर पर परीक्षा आयोजित करते हैं। लेकिन चीन में हरेक साल के जून माह में पूरे देश में एकीकृत परीक्षा आयोजित की जाती है। इसी परीक्षा के आधार पर छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश दी जाती है। यहां पर विश्वविद्यालयों में दाखिले से पहले हाई स्कूल के दूसरे साल में छात्रों को विषय का चुनाव करना होता है। जिस छात्र की इच्छा विज्ञान पढ़ने की होती है वे विज्ञान विषय जीव विज्ञान, भौतिकी विज्ञान और रसायन विज्ञान चुनते हैं। जिन छात्रों को कला में रूची होती है वे मुख्य तौर पर राजनीति विज्ञान, इतिहास और भूगोल विषय चुनते हैं। इन विषयों के अलावा तीन अनिवार्य विषय भी होते हैं जिन्हें प्रत्येक छात्र को चुनना होता है। इन विषयों में चीनी साहित्य, गणित और एक विदेशी भाषा सम्मिलित होता है।

चीन में कहा जाता है कि काओ खाओ छात्रों का भविष्य तय करता है। हरेक साल के जून माह में सात, आठ और नौ तारीख को इस परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इस परीक्षा के आयोजन के 20 दिनों बाद परिणाम घोषित किया जाता है। यहां पर विश्वविद्यालय में आवेदन करने का दो तरीका है। पहला तरीका—छात्र काओ खाओ से पहले 6 विश्वविद्यालयों का चुनाव करते हैं, तथा उक्त विश्वविद्यालय में आवेदन करते हैं। दूसरा तरीका काओ खाओ का परिणाम घोषित होने के बाद विद्यार्थी अपने अंक के आधार पर 6 विश्वविद्यालयों का चुनाव करते हैं, तथा उक्त विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए आवेदन करते हैं। परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद प्रत्येक विश्वविद्यालय अपना कटऑफ लिस्ट निकालता है और उसी के आधार पर छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। आमतौर पर विश्वविद्यालय छात्रों के पहला चुनाव को ही महत्व देते हैं। पहला चुनाव असफल होने पर दूसरे और तीसरे चुनाव के लिए कठिनाई का सामना भी करना पड़ सकता है। कभी-कभी हालात इस तरह के होते हैं कि विद्यार्थी को अपना मनपसंद विश्वविद्यालय नहीं मिल पाता है। चीन में विश्वविद्यालय की संख्या बहुत ज्यादा है। चीनी शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर पूरे देश के विश्वविद्यालय को तीन दर्जे में बांट दिया है। पहला दर्जा का विश्वविद्यालय पेइचिंग, शांगहाय आदी बड़े शहरों के अलावा प्रांत की राजधानी में स्थित है। ऐसे विश्वविद्यालयों की कुल संख्या 100 से ज्यादा नहीं है। दूसरे दर्जे के विश्वविद्यालयों की संख्या 300 के आसपास है और तीसरे दर्जे के विश्वविद्यालयों में सरकारी विश्वविद्यालय के अलावा निजी विश्वविद्यालय भी आते हैं जिनकी महत्ता ज्यादा नहीं है। जब किसी विद्यार्थी को अपना मनपसंद पहला दर्जा के विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं मिल पाता है तो उसे दूसरा या तीसरा दर्जा के विश्वविद्यालय में दाखिला लेना पड़ता है।

भारत में छात्रों को मेडिकल या इंजिनियरिंग कॉलेज में प्रवेश के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा में शामिल होना पड़ता है। लेकिन चीन में इस तरह की व्यवस्था नहीं है। यहां पर इंजिनियरिंग या मेडिकल में प्रवेश के लिए भी काओ खाओ के परिणाम को ही आधार मानकर प्रवेश दिया जाता है। इस तरह यहां के छात्र बार-बार परीक्षा की तैयारी से बच जाते हैं और अपनी योग्यता के आधार पर एक बार में ही मनपसंद विश्वविद्यालय में दाखिला ले लेते हैं।

इस साल चीन में काओ खाओ में सम्मिलित होने वाले छात्रों की संख्या 91 लाख 50 हजार है। सरकार ने इस साल गरीब इलाकों के छात्रों के लिए प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए 12100 सीट आरक्षित कर दिया है। जून माह के अंत तक इन सभी छात्रों का भविष्य तय हो जाएगा। हालांकि इस पद्धति की परीक्षा में कई खूबियां है तो कई खामियां भी। सरकार इन खामियों को दूर करने का निरंतर प्रयास कर रही है।(विकास कुमार सिंह)

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