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म्युजिकल ज़ोरो; चीन पहुंचा
2012-01-21 18:45:10

गत अक्तूबर में 13वां शांगहाई अंतर्राष्ट्रीय कला उत्सव बड़े धूम-धाम से आयोजित हुआ जिस दौरान कंसर्ट, स्टेज प्लेज़ और चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन हुआ।अक्तूबर की 26 तारीख को न्यूयार्क के प्रॉडव से आये अभिनेताओं ने शांगहाई पूर्व कला केंद्र में दर्शकों के लिये शानदार म्युजिकल ज़ोरो प्रस्तुत किया जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया।

म्यूज़िकल के नायक कुपर ग्रोडिन ने खुद दोनों पात्रों का अभिनय किया।एक उस पात्र का जिस का किसी काम में मन नहीं लगता और वह दिन रात इधर-उधर भटकता है।उसका नाम है डिएको।दूसरा हर तरह की बुराई से नफ़रत करने वाला स्वर्जॉमन है, जो पल पल मुखौटा पहनता है।उसका नाम है ज़ोरो।इस म्युज़िकल की तैयारी के लिये कुपर ने दूसरे विश्वविख्यात म्युज़िकल <लेस मिज़र्ब्लस की 25वीं वर्षगांठ वाले संस्करण में अभिनय करने का मौका हाथ से निकलने दिया।<लेस मिज़र्ब्लस> की अपेक्षा वर्ष 2008 में पेश किया गया <ज़ोरो> इतना मशहूर नहीं है।इसलिये बहुत लोगों ने कुपर के संकल्प के प्रति अफ़सोस जताया।लेकिन कुपर खुद ऐसा नहीं सोचता।उन्होंने कहा

(आवाज़-1)

एक कलाकार के लिये सबसे महत्वपूर्ण बात है चुनौती की खोज करना।पहले मैंने <लेस मिज़र्ब्लस> में भाग लिया था।अभी तक मैं ने 250 प्रस्तुतियां पेश की हैं।मैं कुछ नया चाहता हूं।अगर मैं केवल जाना-माना बनना चाहता हूं, मैं म्युजिकल के बजाय दूसरा काम कर सकता हूं।

म्युजिकल इस तरह की कला है, जिसमें संगीत, गीत, नृत्य और संवाद आदि कई तत्व शामिल हैं।कभी कभी वह ओपेरा जैसा लगता है।कुपर पहले ओपेरा प्रदर्शन पढ़ते थे।ओपेरा और म्युजिकल के बीच के फर्क के संबंध में उन्होंने हमें बताया

(आवाज़-2)

ओपेरा की प्रस्तुति के लिये गाने के करतब, फ़्रांसीसी और इतालवी आदि विदेशी भाषाओं के साथ-साथ हमें इतिहास तथा संगीत सिद्धांत पढ़ना चाहिये।लेकिन म्युजिकल को तैयार करने के लिये गाने के करतबों के अलावा हमें नृत्य और प्रदर्शन भी सीखना चाहिये।कभी कभी हमें और ज़्यादा पढ़ना पड़ता है।इसलिये मेरी नज़र में बहुत से म्युजिकल अभिनेता हर तरह का प्रदर्शन कर सकते हैं।<ज़ोरो> इस म्युज़िकल में मुझे तलवारबाज़ी करना पड़ेगा।ये सब कुछ मुझे सीखने की ज़रूरत पड़ती है।

ज़ोरो से जुड़ी पौराणिक कथा में वह मुखौटा पहनने वाले के रूप में दूसरे लोगों के लिये मुश्किल दूर करते हुए दिखाई पड़ता है।फ़ुर्ती के साथ साथ रहस्य का मिज़ाज़ उनका दूसरा प्रतीक है।पूरे प्रदर्शन में आतशबाज़ी और जादू के उचित प्रयोग से रहस्यमयपूर्ण ज़ोरो दिखाने में बड़ी मदद की गयी है।इसके साथ निशाने पर गोलियां चलाने तथा तलवारबाजी करने में उनका कौशल भी अच्छी तरह दिखाई पड़ता है।जिप्सी शैली से संपन्न संगीत, जोशीला फ़्लेमिंको नृत्य और अभिनेताओं के अनोखे प्रदर्शन से पूरे होल में वाहवाही की धूम मच गयी और तालियां गूंजती रहीं ।वहां के एक दर्शक श्यौ ली ने हमें बताया

(आवाज़-3)

इस नये म्युजिकल में कुछ हास्यमय तत्व शामिल किये गये हैं।इसलिये वह उबाऊ नहीं लगता है।इसके अलावा इस म्युजिकल में जोश भरे नृत्य में मेरी बड़ी रुचि है।

इस म्युजिकल की सहायक अभिनेत्री इनेज़ का स्पष्ट मिज़ाज दिखाई पड़ता है।उसने अपने प्यार को खुले रूप में बताया और नफ़रत जताने में भी हिचक नहीं की।वह प्यार और स्वतंत्रता की सतत खोज करती रही।इस किस्म की जिप्सी लड़की बहुत से दर्शकों की पसंद बन गयी।विशेष रूप से यह म्युजिकल देखने वाले एक कॉलेज विद्यार्थी ने हमें बताया

(आवाज़-4)

इनेज़ की अपनी खास शख्सियत है।वह आज़ाद और निर्भीक है।इस तरह की पात्र आम जीवन में कम मिलता है।मुझे वह बहुत अच्छी लगती है।उससे यह म्युजिकल और ज़्यादा नाटकीय हो गया है।

<ज़ोरो> इस प्रकार का चमकदार म्युजिकल है।लेकिन उसके चीन आने का रास्ता उतना निर्बाध नहीं था।लाइव प्रदर्शन का प्रभाव सुनिश्चित करने के लिये शांगहाई पूर्व कला केंद्र ने यहां तक की रंगशाला का पुनर्निर्माण करने का वचन दिया।उन्होंने बॉक्स ऑफ़िस को गारंटी देने वाला शास्त्रीय म्युजिकल क्यों नहीं चुना बल्कि एक नया आयात करने के लिये इतनी मुश्किलों का सामना करने का फ़ैसला क्यों किया? इस म्युजिकल की जनरल प्रोडयुसर रिकी नूर के शब्दों में

(आवाज़-5)

वाकई हमारे द्वारा नहीं बल्कि चीनी दर्शकों के द्वारा ज़ोरो चुना गया है।पहले हमने डेढ़ साल तक शोध किया था।हमने कई प्रोडक्शन कंपनियों से संपर्क करके उन्हें हमारे द्वारा बनाये गये म्युजिकल की नाम-सूची दिखायी।उन्हें <ज़ोरो> में अधिक रुचि दिखाई पड़ी।संभव है कि पहले चीन में अलेन डेलोन की फ़िल्म <ज़ोरो> पेश की गयी थी,इसलिये चीनी दर्शकों को मुखौटा पहनने वाले रवि की कथा ज़्यादा अच्छी लगती है।फिर भी इस फ़िल्म की वजह से चीनी दर्शकों के लिये पूरी कहानी और ज़ोरो यह पात्र अधिक परिचित है।इसके अलावा हमने यह पाया कि चीनी दर्शक लातिन संगीत, फ़्लेमिंको नृत्य और प्रेम की कहानी बहुत पसंद करते हैं।ये सब जानकर हमने चीनी दर्शकों की पसंद के मुताबिक <ज़ोरो> की तैयारी करना शुरू किया।

<कैट्स> और <द फ़ैनटम ऑफ़ द ओपेरा>< इत्यादि विश्वविख्यात म्युजिकल के प्रभाव के तहत चीन में म्युजिकल दर्शकों का समुदाय बन गया है।विदेशी शास्त्रीय म्युजिकल और <ज़ोरो> जैसे नये म्युज़िकल के चीन में पहुंचने के साथ-साथ स्थानीय चीनी म्युजिकल की यात्रा भी आरंभ हुई है।शांगहाई संगीत कंसर्वेटरी और शांगहाई थिएटर अकादमी में म्युजिकल विभाग खुला है,जो चीनी म्युजिकल के सुयोग्य व्यक्तियों की शिक्षा में जुटा हुआ है।इधर के सालों में ओरिजनल चीनी म्युजिकल भी दर्शकों के सामने आये हैं।<ज़ोरो> के प्रधान पात्र कुपर ने चीनी म्युजिकल वालों को अपनी शुभकामनाएं दीं।उन्होंने कहा

(आवाज़-6)

म्युजिकल एक महान कला है।आप इसे कीजियेतुम्हें ज़रूर मज़ा आयेगा।मुझे विश्वास है कि जैसे वर्तमान में ओपेरा का प्रदर्शन विश्व में किया जाता है,एक दिन म्युजिकल का विकास भी होगा।अब तुम लोगों ने इस क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाना शुरू किया है।यह बड़ी अच्छी बात है।

(लिली)

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