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जर्मनी में बहती है तिब्बत की हवा
2013-10-28 17:19:38

बर्फीली सुन्दरता वाले थांगखा चित्र की प्रदर्शनी

थांगखा चित्र देखने वाले लोग

प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्र

थांगखा चित्र का मज़ा लेते हुए

प्रदर्शनी में प्रदर्शित थांगखा चित्र

प्रदर्शनी में थांगखा चित्र देखने आए जर्मनी लोग

य्वु चङशङ ने अपने बधाई संदेश में कहा कि इतिहास में तिब्बत का विकास लम्बे समय तक रूका रहा। तिब्बत में सच्चे मायने में परिवर्तन वर्ष 1949 चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद से शुरु हुआ। पिछले 60 से ज्यादा वर्षों में तिब्बत का विकास आधुनिक चीन के विकास और वर्तमान विश्व के विकास के अनुकूल हो रहा है। मौजूदा चीनी-तिब्बती सांस्कृतिक सप्ताह में रंगबिरंगी सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन से तिब्बत का प्राकृतिक दृश्य, परम्परागत संस्कृति, सामाजिक परिवर्तन और लोगों के खुशहाल जीवन जैसे क्षेत्रों की जानकारी जर्मनी के नागरिक प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि इस सांस्कृतिक सप्ताह से चीन और जर्मनी का सांस्कृतिक आदान प्रदान मज़बूत होगा और दोनों देशों की जनता के बीच मैत्री का नया अध्याय जोड़ा जाएगा।

मौजूदा तिब्बती सांस्कृतिक सप्ताह के सहायक आयोजक पक्ष बर्लिन के डॉक्टर गाब्रिले मिन्ज़ कंपनी की वरिष्ठ व्यक्ति सुश्री मिन्ज़ ने कहा:

"तिब्बत एक पवित्र स्थल है, जहां जर्मन लोग जाना चाहते हैं। उनका प्यार तिब्बत की राजनीति, संस्कृति और इतिहास से कहीं ज्यादा है। मौजूदा तिब्बती सांस्कृतिक सप्ताह का ज्ञान-प्रसारण का बड़ा अर्थ और महत्व है, जिससे जर्मन नागरिकों को सांस्कृतिक उत्साह मिलेगा। भविष्य में तिब्बत फिर भी चीन-जर्मनी संबंधों का महत्वपूर्ण मुद्दा होगा और दोनों पक्षों के बीच सांस्कृतिक विकास की बड़ी गुंजाइश मौजूद है। मुझे बड़ी प्रस्न्नता हुई है कि पिछले दशक में हमने चीन और जर्मनी के बीच तिब्बती संस्कृति के आदान-प्रदान, आपसी समझ और पारस्परिक विश्वास को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिक निभाई है। इससे दोनों देशों के बीच एक दूसरे की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति समझने का द्वार खुला है।"

गौरतलब है कि मौजूदा चीनी तिब्बती सांस्कृतिक सप्ताह थांगखा चित्र प्रदर्शनी, तिब्बती नृत्य-नाटिका, तिब्बती विद्वान और जीवित बुद्धों के स्थानीय नागरिकों के बीच आदान-प्रदान, तिब्बती रीति रिवाज़, प्रदर्शनी और तिब्बत से संबंधित पुस्तक प्रदर्शनी जैसे माध्यमों से जर्मन लोगों को तिब्बत की पठारीय संस्कृति, विकास और प्रगति दिखाई जा रही है। बर्फीली सुन्दरता शीर्षक वाले थांगखा चित्र प्रदर्शनी में 300 से अधिक फोटो और 50 से ज्यादा थांगखा लोगों को दिखाए जा रहे हैं, जो विभिन्न पहलुओं में वर्तमान तिब्बत में आर्थिक, सामाजिक विकास स्थिति और विशेष तिब्बती लोककला को दर्शाया जा रहा है। जर्मनी के विभिन्न शहरों से आए 3 सौ से अधिक व्यक्तियों ने थांगखा चित्र प्रदर्शनी को देखा। उद्घाटन समारोह के बाद तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका प्रिफेक्चर की स्थानीय कला मंडली ने जर्मन दर्शकों को तिब्बती नृत्य-नाटिका दिखाई, जिसका हार्दिक स्वागत हुआ। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के अध्यक्ष पाईमा लांगच्ये ने कहा:

"कला की कोई सीमा नहीं होती। क्योंकि कला से प्यार करने वालों के मन में कोई दूरी नहीं होती। मुझे आशा है कि तिब्बती कलाकारों की प्रस्तुतियों से लोगों के बीच आपस में एक संपर्क सेतु स्थापित होगा। एक दूसरे के बीच दूरी को कम होगी, पारस्परिक समझ बढ़ेगी और चीन-जर्मनी मैत्री और प्रगाढ़ होगी। जाशी दले।"


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