भगवान बुद्ध की शानदार थांगखा चित्र प्रदर्शनी
वर्ष 2013 ल्हासा श्वेतुन उत्सव की श्रृंखलाबद्ध गतिविधि 6 से 12 अगस्त तक चलेगी। इस दौरान परम्परागत धार्मिक आयोजनों, तिब्बती ओपेरा की प्रदर्शनियों के साथ-साथ, खेलकूद, पर्यटन और अकादमिक कार्यक्रमों का भी संचालन किया जाएगा। सिलसिलेवार तरीके से चलने वाली गतिविधियां पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र होंगी।
इसके अलावा श्वेतुन उत्सव के दौरान प्रथम"स्वर्ग और घास के मैदान कप"साइकिलों की कम दूरी की तेज दौड़, चीनी तिब्बती क्षेत्रीय संगीत शिखर मंच, परंपरागत स्वादिष्ट तिब्बती भोजन की प्रदर्शनी के साथ रंगारंग गतिविधियां भी चलाई जाएंगी।
तिब्बती भाषा में "श्वे" का मतलब है "दही" और "तुन" का मतलब है "खाना"। इस तरह "श्वेतुन" का अर्थ होता है "दही खाना", इसलिए श्वेतुन त्योहार को दही का त्योहार भी कहा जाता है। यह त्योहार 11वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। गर्मियों के दिनों में तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी दान के रूप में विभिन्न मठों के भिक्षुओं को दही देते हैं और तिब्बती ओपेरा में अपनी अभियन कला का प्रदर्शन करते हैं, जिसने धीरे-धीरे त्योहार का रूप ले लिया है। 17वीं सदी के अंत में श्वेतुन त्योहार स्थाई तौर पर मनाया जाने लगा, और तिब्बती ओपेरा प्रदर्शन, सांस्कृतिक मनोरंजन, भगवान बुद्ध की शानदार थांगखा चित्र प्रदर्शनी और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होने लगे।
(रमेश)