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वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।
अनिल:दोस्तो, सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का भी नमस्कार। आज के प्रोग्राम में सबसे पहले हमेशा की तरह श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। उसके बाद श्रोताओं की च्वाइस क्रम में एक श्रोता के साथ हुई बातचीत पेश की जाएगी।
इसी के साथ बारी है, आज के प्रोग्राम के पहले ई-मेल की। जो हमें भेजा है, रतन कुमार पाल ने पश्चिम बंगाल से। लिखते है कि हम सभी दोस्त आपका प्रोग्राम सुनते हैं, पहली जनवरी का आपका पत्र मिला अच्छा लगा। प्रोग्राम के दौरान पेश सांग भी अच्छे लगे। अंत में सीआरआई मॉनिटर सुरेश अग्रवाल के साथ अनिल जी की बातचीत दिलचस्प लगी।
इसके साथ ही रतन कुमार ने एक सवाल भी पूछा है, कि चीन के सबसे प्रसिद्ध खेल का क्या नाम है।
वनिता:यहां बता दें कि वर्ष 2008 के पेइचिंग ओलंपिक के बाद चीन में कई खेल लोकप्रिय हुए हैं। फुर्सत के समय लोग स्टेडियमों में तमाम तरह के खेल खेलते हैं। लेकिन चीनी लोगों का सबसे पसंदीदा खेल हमेशा से टेबल टेनिस रहा है, जिसे चीनी में फिंग फांग भी कहते हैं। कहते हैं कि टेबल टेनिस की शुरुआत 19वीं सदी के अंत में बिटेन में हुई थी। वर्ष 1926 अंतराष्ट्रीय टेबल टेनिस संघ स्थापित होने के बाद अब तक यह एक अन्तर्राष्ट्रीय खेल बन चुका है। नए चीन की स्थापना के बाद यह खेल चीन में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। हर वर्ष विभिन्न प्रकार की टेबल टेनिस प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। कई बर्षों में चीन के टेबल टेनिस के विकास की स्थिति विश्व में आगे है। विभिन्न प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय टेबल टेनिस प्रतियोगिताओं में चीनी टीम को अकसर सभी गोल्ड मेडल हासिल होते हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि टेबल टेनिस चीन का सबसे प्रसिद्घ खेल है।
अनिल:टेबिल टेनिस की चर्चा के बाद वक्त हो गया है, आगे बढ़ने का। अगला पत्र भेजा है, बिलासपुर छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त ने। लिखते हैं कि सी.आर.आई. और सी.आई.बी.एन. के सभी कर्मचारियों को ग्रीन पीस डी-एक्स क्लब के सदस्यों की ओर से सादर अभिवादन और नव वर्ष-2014 की हार्दिक शुभकामनायें! आशा है,आप सब सकुशल होंगे।
नव वर्ष के शुभारम्भ के मौके पर सी.आर.आई. के महानिदेशक वांग कंगन्येन जी का बधाई संदेश सुना,जो सार्थक और उत्साहवर्धक लगा। आज के दिन मुझे हर साल सी.आर.आई. के विकास लक्ष्य की जानकारी की प्रतीक्षा रहती है। पिछले साल साल सीआरआई ने मल्टीमीडिया के विकास और नये आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ग्रुप की स्थापना की और प्रसारण के माध्यमों का विस्तार करके 65 भाषाओं से विदेशों में प्रसारण कर रहा है। प्रसारण, वेबसाइट, सोशिल मीडिया, मोबाइल, पत्रिकाओं व अखबारों के जरिए विदेशी लोगों को समय पर और सुविधाजनक तरीके से चीन के बारे में जानकारी देने का प्रयास वाकई प्रशंसनीय है!चीन और विश्व की जनता के बीच आपसी समझ व मैत्री को प्रगाढ़ बनाने का काम सांस्कृतिक दूत की तरह है।आशा है ,नये साल में भी सी.आर.आई. के साथ हम श्रोताओं का संबंध प्रगाढ़ और मैत्रीपूर्ण रहेगा।वांग कंगन्येन जी को भी हम श्रोताओं की ओर से नये साल की बधाई एवं शुभकामनायें !
वनिता:दोस्तो, मेरे हाथ में एक और पत्र, जिसे भेजा है आलमी रेडियो लिस्नर्स क्लब के श्रोता मोहम्मद असलम ने उत्तर प्रदेश से। लिखते हैं कि आज एक जनवरी 2014 दिन बुधवार, नया साल का पहला दिन और खास बात यह है कि साल के पहले ही दिन श्रोताओं के पत्रों के साथ आरम्भ हुआ बहुत अच्छा लगा। ऐसा अहसास हुआ कि यह साल श्रोताओं का साल होगा आपने श्रताओं को उत्साह दिया है आज बहुत से श्रोताओं के पत्र ईमेल और टेलीफ़ोन वार्ता सुनाई गई। जिसमें एक हैं सुरेश अग्रवाल, उन्होंने बताया कि वे उडीसा मे सी.आर.आई. हिन्दी का प्रचार प्रसार करते हैं जब्कि उडीसा मे उडिया बोली जाती है। आशा है कार्यक्रम में और ज्यादा श्रोताओं के साथ बातचीत शामिल होंगी। धन्यवाद असलम जी, आगे भी यूं ही हमें ई-मेल भेजते रहिएगा।
अनिल: असलम जी, हम आपके सुझावों पर अमल करने की कोशिश करेंगे। क्योंकि आपका पत्र मिला प्रोग्राम आप सभी श्रोताओं के लिए होता है। अब मेरे पास जो पत्र है, उसे भेजा है सुरेश अग्रवाल ने ओड़िशा से। लिखते हैं कि साप्ताहिक "आपकी फ़रमाइश आपकी पसन्द" के तहत छह फड़कते फ़िल्मी गानों के साथ एण्टी-ग्रेविटी योग पर दी गई रोचक जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण लगीय़। रस्सी पर उल्टे लटक कर किये जाने वाले इस अनूठे योग का जादू अमरीका और कनाडा के बाद अब बॉलीवुड में भी छाने लगा है, इससे ज़ाहिर है कि यह भारत में भी ज़ोर पकड़ लेगा। मोटापा घटाने, शरीर में लचीलापन लाने और तनाव दूर करने का इससे सरल तरीका भले और क्या हो सकता है.इस अनूठे योग पर सुनवाये गये योग विशेषज्ञ संगीत गोपाल तथा नृत्यांगना रुक्मणि कुमार के अनुभव भी काफी व्यावहारिक प्रतीत हुये। श्रोताओं की पसन्द पर सुनवाये गये छह गानों में फ़िल्म "हीर रांझा" तथा "अम्बर" के गाने मुझे भी बहुत पसन्द आये. धन्यवाद स्वीकार करें।
वनिता:सुरेश जी, हमें खुशी है कि आपको यह प्रोग्राम पसंद है। अगला पत्र पश्चिम बंगाल से देवशंकर चक्रवर्त्ती ने भेजा है। लिखते हैं कि नये साल में हमारे सबसे प्यारा कार्यक्रम "आपका पत्र मिला" प्रोग्राम वनिता जी और अनिल पांडे जी के संचालन में सुना। अच्छा लगा और आगे सुनने की इच्छा भी है। साथ साथ मैं अपनी दिल से वनिता जी को स्वागत भी करता हूं। मैं आशा करता हूं कि वनिता जी ने अनिल जी के साथ हमारे इस खास कार्यक्रम को और भी ऊंचाई तक ले जायेंगे। साथ ही हम वेइ तुंग जो को हमारे पसंदीदा कार्यक्रम "आपका पत्र मिला" कार्यक्रम में हर हमेशा मिस करेंगे क्योंकि उन्होंने अनिल जी के साथ उनकी मधुर आवाज़ और अनूठी प्रस्तुति से हमें चीन के और करीब लाने का प्रयास करते हैं। वह सही मायने में हमारे दिलों में छाये रहेंगे। निश्चित रूप से "आपका पत्र मिला" कार्यक्रम में वेइ तुंग जी की खूबसूरत उपस्थिति का एहसास हम सबको हमेशा रहेगा।
धन्यवाद।
अनिल:अगला पत्र भी पश्चिम बंगाल से है, जिसे भेजा है हामिम होसेन मण्डल ने। लिखते हैं कि मैं आपका बहुत पुराना श्रोता हूं। नियमित रूप से आपकी वेबसाइट विजिट करता हूं। मगर इस बार नए साल की शुभकामना देने के लिए खत भेज रहा हूं। कृपया मेरे ई-मेल को अपने प्रोग्राम में जरूर शामिल करें। कहते हैं कि मैं हिंदी लिखना सीखकर आपको मेल कर रहा हूं। अगर कुछ गलती हो तो माफ करना।
वनिता:पश्चिम बंगाल के बाद लीजिए चलते हैं भागलपुर बिहार। डॉ. हेमंत कुमार ने एक सवाल पूछा है कि चीन मेँ रेल इंजन बनाने का सबसे पुराना कारखाना कहां पर है।
अनिल:हेमंत जी, चीन में रेल निर्माण छिंग राजवंश से शुरु हुआ था। एक सदी के विकास से अब चीन का रेलवे नेटवर्क अमेरिका और रूस के बाद विश्व में तीसरा सबसे बड़ा है। चीन में रेलवे महत्वपूर्ण बुनियादी संस्थापन के साथ साथ जन परिवहन भी है। लेकिन नए चीन की स्थापना से पहले चीन में स्वनिर्मित रेल का इंजन नहीं था। कुछ कारखाने सिर्फ रेल के इंजन की मरम्मत करने का काम कर सकते थे। लेकिन 1949 के बाद विदेशी रेल के इंजन की प्रतिलिपि प्रस्तुत करने का काम शुरु हुआ। जुलाई 1952 में श्यी फांग रेल इंजन कारखाने ने चीन का पहला भाप इंजन निर्मित किया।
वनिता:इसके साथ ही हेमंत कुमार ने एक कविता भी भेजी है, जिसका शीर्षक है मां।
जीवन पथ पर सदा ही तुमने, स्नेह के दीप जलाए।
कांटा चुभने दिया कभी ना, पग पग फूल बिछाए।
नन्ही अंगुली थाम के तुमने, चलना हमको सिखलाया।
अपनी नीँदे देकर हमको, चैन की नीँद सुलाया।
तुमने इतना दिया है हमको, हम कैसे लौटाएं।
प्रभु की कृपा छलके निरंतर, सदा सानिध्य 'मां' का पाएं।
अनिल:दोस्तो, अब आज का अंतिम पत्र है, जिसे भेजा है बिधान
चंद्र सान्याल ने पश्चिम बंगाल से। उन्होंने भारत द्वारा जीएसएलवी डी- 5का स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ 5 जनवरी को सफल प्रक्षेपण किया। इसके साथ ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाले बिश्व के कुछ प्रमुख देशों की सूची में शामिल हो चुका है। इसरो अमरीका , रूस , जापान , चीन और फ्रांस के बाद
दुनिया की छठी अंतरिक्ष एजेँसी बन गया जिसने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ सफलता पाई है । चीन भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी आगे निकल चुका है। एशिया के दोनो देश अगर मिलकर काम करे तो बहुत अच्छा होगा। ।
धन्यवाद। सान्याल जी ने बिल्कुल सही कहा, अगर एशिया के ये दो ताकतें मिलकर काम करें दुनिया में उन्हें कोई भी नहीं रोक सकता।
वनिता:दोस्तो, अब आप सुनेंगे ... से हुई बातचीत।
अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।