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सचिन तेँदुलकर, एक ऐसा नाम जिसे क्रिकेट खेलने वाले हर देश मेँ जाना जाता है। भारतीयता का ऐसा आयाम जिसने 24 साल करोड़ोँ भारतीय आशाओँ को अपने कंधे पर ढोया है। शायद पहले क्रिकेटर जो तीन पीढ़ियोँ मेँ एक साथ जोश जगा देते थे। सचिन की विदाई पर उन्हें एक आम हिंदुस्तानी का सलाम।(हेमंत कुमार, भागलपुर,बिहार)
वेइतुंगः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।
अनिलः सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का भी नमस्कार। दोस्तों, आज के प्रोग्राम में सबसे पहले हमेशा की तरह श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। उसके बाद श्रोताओं की च्वाइस क्रम में एक श्रोता के साथ हुई बातचीत पेश की जाएगी।
इसी के साथ बारी है, आज के प्रोग्राम के पहले ई-मेल की। जो हमें भेजा है, बक्सर बिहार से, भारत-चीन फाउंडेशन के आबिद हसन ने।
अनिलः वे लिखते हैं कि वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में रिकॉर्ड प्रदर्शन के साथ टेस्ट करियर का आगाज करने वाले भारतीय गेंदबाज मोहम्मद शमी ने पहली पारी में अपनी शानदार गेंदबाजी को सचिन तेंदुलकर को समर्पित किया। शमी ने पहले टेस्ट मैच के पहले दिन वेस्टइंडीज की पहली पारी में 71 रन देकर चार विकेट चटकाए और वेस्टइंडीज की पारी 234 पर समेटने में अहम भूमिका निभाई।
मैच के बाद शमी ने कहा, 'मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि सचिन मेरे साथ खेल रहे हैं, इसलिए मैं अपने पदार्पण मैच के प्रदर्शन को सचिन को समर्पित करता हूं।' उन्होंने कहा कि मैं टी-20 और वनडे टीम का हिस्सा पहले से ही था। इसलिए मेरा सपना था कि मैं टेस्ट क्रिकेट में देश का प्रतिनिधित्व कर कुछ खास प्रदर्शन करूं।
वेइतुंगः अगले ई-मेल में पिछले दिनों सीआरआई द्वारा चीनी वोदका यानी शराब के बारे में दी गई जानकारी बहुत मजेदार लगी। इसे बनाने की विधि विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग है। दक्षिण चीन में इसे चावलों से तैयार किया जाता है, जबकि उत्तर-चीन में मक्का, ज्वार, गेंहू, बाजरा आदि अनाज से । इसके पीने कि विधि भी बतायी गई। यानि आराम से छोटे-छोटे पैग बनाकर लम्बे समय तक पिया जा सकता है।
अगला ई-मेल हमें हुगली पश्चिम बंगाल की मनीषा चक्रवर्ती ने भेजा है। सबसे पहले सीआरआई हिंदी विभाग के सभी सदस्यों को मेरा नमस्कार। इस पत्र के जरिए मैं आपका आभार व्यक्त करती हूं, क्योंकि आपने "मुझे चीन से प्यार है "टैलेंट शो और ज्ञान प्रतियोगिता में तीसरे पुरस्कार के विजेता के रूप में चुना। उम्मीद है कि भविष्य में भी आपके साथ जुड़ाव जारी रहेगा।
धन्यवाद।
लीजिए, अब पेश है, भागलपुर बिहार के डॉ. हेमंत कुमार का पत्र। उन्होंने छठ पूजा के बारे में लिखा है, सभी को बधाई दी है।
वहीं, ढोली सकरा, बिहार के नियमित श्रोता दीपक कुमार दास ने अपने पत्र में कहा कि चीन का तिब्बत कार्यक्रम के अंतर्गत मौथो काउंटी में सड़क मार्ग के निर्माण पर चर्चा सुनी । तिब्बत की मौथो काउंटी में पहले यातायात सुविधा अच्छी नहीं थी । अब 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय सड़क मार्ग बस सेवा की शुरूआत हो चुकी है। प्राचीन समय से पठारीय क्षेत्रों में काफी मुश्किलें होती थी। इसका मुख्य कारण विपरीत मौसम था, जिसकी वजह से सड़क बनाने में काफी बाधाएं होती थी। लेकिन अब चीन ने सड़क बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है।
एक अन्य पत्र में दास जी ने कहा कि सामयिक चर्चा और दक्षिण एशिया फोकस के अंतर्गत भारत के मंगल अभियान पर समीक्षा सुनी । सटीक और सार्थक लगी । यह भारत के अंतरिक्ष अभियान के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी जाएगी ।सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से मंगल यान छोडा गया था ।यह मानव रहित अंतरिक्ष यान मंगलग्रह का प्रथम अभियान है ।लगभग 450 करोड़ की लागत वाले भारतीय मंगल अभियान का स्वप्न चंद्रयान 1 की सफलता के बाद ही देखा गया था ।गौरतलब है कि चंद्रयान 1 ने ही चंद्रमा पर पानी की खोज के प्रमाण दिए थे ।भारतीय चंद्र मिशन ने ही अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की बिरादरी को उच्च कक्षा में यान भेजने में सफलता मिली है। इस अभियान का उद्देश्य भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को स्थापित करना है ।मंगल अभियान की महत्ता का पता इससे चलता है कि भारत की तरह दुनिया के अन्य देशों के तमाम लोग भी इस अभियान पर अपनी नजरें लगाए हुए हैं। पर कुछ लोगों का मानना है कि भारत को गरीबी एवं अन्य समस्याओं पर भी ध्यान देना चाहिए ।
इसके बाद अगला पत्र भी बिहार से ही है, भेजने वाले हैं भागलपुर से, डॉ.हेमंत कुमार।
..... सचिन तेँदुलकर, एक ऐसा नाम जिसे क्रिकेट खेलने वाले हर देश मेँ जाना जाता है। भारतीयता का ऐसा आयाम जिसने 24 साल करोड़ोँ भारतीय आशाओँ को अपने कंधे पर ढोया है। शायद पहले क्रिकेटर जो तीन पीढ़ियोँ मेँ एक साथ जोश जगा देते थे, दादा क्या बाप क्या बेटा, क्या सबके सब सचिन को ध्रुब तारे की तरह एक अनमोन खजाना समझते। पहले ही मैच मेँ वकार युनिस की गेँद लगने के बाद भी "मैँ खेलूंगा" कहकर लड़ने की जिद हो, अब्दुल कादिर जैसे दिग्गज को मैदान से बाहर पहुंचाना हो या 17 साल की उम्र मेँ पर्थ पर सेँचुरी बनाना हो। सचिन एक दबदबे का नाम रहा है और 1990 के दौर मेँ वर्ल्ड क्रिकेट मेँ सबसे बड़ी पहचान का भी। वो छत पे बैठ के रेडियो पर पूरे मोहल्ले के साथ कमेन्ट्री सुनना हो या गांव मेँ साईकिल पर रखकर बैटरी चार्ज कराके लाना और पूरे मोहल्ले के साथ मैँच देखना हो, सबकी पहली और आखरी उम्मीद सचिन ही हुआ करता था। 1996 वर्ल्ड कप की यादगार पारी हो,शारजाह मेँ आस्ट्रेलिया के दिग्गजोँ के खिलाफ प्रदर्शन हो, हम सबकी जिंदगी को किसी ना किसी दौर मेँ सचिन ने जरूर छुआ है।क्रिकेट के ओरिजिनल मास्टर ब्लास्टर को एक आम हिन्दुस्तानी का आखरी सलाम!
इसके बाद अगले पत्र की बारी है, जो हमें भेजा है, पश्चिम बांगाल से देवशंकर चक्रवर्ती ने। लिखते हैं कि सालगिरह महत्वपूर्ण होती है। और वर्ष में केवल एक बार आती है। 3 दिसम्बर ,2013 को सीआरआई की स्थापना की 72 वीं वर्षगांठ पर समस्त सीआरआई परिवार के साथ सभी श्रोताओं एवं पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं ! विश्व के भिन्न-भिन्न देशों के लोगों के साथ सीआरआई बहुसांस्कृतिक, विविधता की शानदार मिसाल है। पिछले 72 साल में सीआरआई ने जिस तरह से रेडियो और वेबसाईट के माध्यम से चीन देश के मूल्यों का प्रचार, चीनी संस्कृति के प्रचार के अलावा पल पल बदलते विश्व घटनाक्रम की जानकारी त्वरित, निष्पक्ष, ठोस और संतुलित ढंग से अपने श्रोताओं और नेटीजनों तक पहुंचायी है। वो भी हमारी भाषा में,उसकी जितनी भी तारीफ करें वो कम है । मुझे गर्व है कि मैं सीआरआई-हिंदी सर्विस का एक नियमित श्रोता और एक सक्रिय पाठक हूं। मुझे विश्वास है कि सीआरआई के हिंदी कार्यक्रम भारत-चीन के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु के समान हैं और आने वाले दशकों में चीन भारत मैत्री बढाने की दिशा में बड़ी भूमिका निभाएगा।