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बदलते चीन को देखा
2013-11-26 15:31:16

 

 

वेइतुंगः आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले श्रोता दोस्तों को वेइतुंग का नमस्कार।

अनिलः सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का भी नमस्कार। दोस्तो, आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

वेइतुंगः आज के प्रोग्राम में सबसे पहला पत्र आया है, आजमगढ़ यूपी से मोहम्मद असलम का। लिखते हैं कि पिछले दिनों उद्घोषिका श्याओ यांग जी से साइंस और आंतरिक्ष के सन्दर्भ में बहुत अच्छी जानकारी हासिल की। मुझे उम्मीद है कि अन्य श्रोताओं को भी यह पसंद आई होगी। लिखते हैं कि मुझे श्याओ यांग जी की आवाज पसंद है। मुझे लगता है कि भारत और चीन दोनो देश बहुत ही करीब हैं उसका प्रमाण भारत चीन की जनता है जो बहुत ही मिल-जुलकर रहते हैं आज मुझे यांग जी की रिपोर्ट सुनकर पता चला कि साइंस के क्षेत्र में चीन और भारत बहुत तरक्की कर रहे हैं। ऐसे में हमें एक-दूसरे के साथ रहने और आपस में जुड़ने की जरूरत है। उम्मीद करते हैं कि आगे भी इस तरह की जानकारी दी जाएगी। वहीं दूसरी रिपोर्ट चन्द्रिमा ने पेश की और बताया कि चित्र-कला और पैसे का संबंध कहां से है और पैसा कैसे कमाया जा सकता है। यह जानकारी बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद।

अनिलः

समस्तीपुर, बिहार के श्रोता राकेश कुमार ने हमें भेजे पत्र में कहा कि आपका प्रोग्राम बहुत अच्छा लगा। कृपया आप चायना रेडियो के बारे में डिटेल से बताएं, राकेश नए श्रोता हैं, इसलिए हम आप लोगों को सीआरआई से रूबरू कराएंगे। चायना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा वर्ष 1959 में शुरू हुई । उसका मुख्य उद्देश्य चीन-भारत मैत्री बढाना और दोनों देशों की जनता के बीच पारस्परिक समझ मजबूत करना है। वर्तमान में एक दिन में 1 घंटे का कार्यक्रम प्रसारित होता है और तीन बार रिपीट होता है। हमारी हिंदी वेबसाइट और इसका मोबाइल संस्करण भी है। इसके अलावा हम एसएमएस के जरिये भी श्रोताओं को खबर भेजते हैं ।अगर आप समय पर न्यूज पाना चाहते हैं ,तो अपना मोबाइल नंबर हमें भेज सकते हैं। धन्यवाद।

वेइतुंगः दिल्ली के श्रोता अमीर अहमद ने अपने पत्र में कहा कि 31 अक्टूबर को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की मोथो कांउटी में राजमार्ग न होने का इतिहास समाप्त हुआ। इसी दिन कांउटी में बस सेवा शुरु होने की रस्म आयोजित की गई। यह इस बात का द्योतक है कि 12 हजार आबादी वाली मोथो काउंटी में सड़क-यातायात व्यवस्था शुरू हुई है। यह बड़ी खुशी की बात है।

वहीं सैदापुर,अमेठी,उत्तर प्रदेश के अनिल कुमार द्विवेदी ने अपने पत्र में कहा कि

वेईतुंग जी ने यांग्त्ज नदी के किनारे 571 परिवारों के काष्ठ शिल्प कला वाले गांव का दौरा कराया।यहां इमारते भी लकड़ी की बनी हैं, जानकर उत्सुकता बढ गयी।

राष्ट्रीय और राजकीय स्तर के शिल्पकार चुनकर 10 हजार और 4 हजार युआन का भत्ता दिया जाता है। हाफो गांव तक आना-जाना थोडा दुर्गम है। लेकिन बहुत अच्छी जानकारी मिली धन्यवाद।

अनिलः अगला खत हमें मिला है, मुज्जफरगढ़, पंजाब प्रांत, पाकिस्तान से। भेजने वाले श्रोता हैं, सैयद हयात शाह। लिखते हैं मैं ठीक हूं, उम्मीद है कि आप भी ठीक-ठाक होंगे। मैं लगातार आपके प्रोग्राम सुनता रहता हूं और वेबसाइट भी देखता हूं। आपके कार्यक्रम में अंतरिक्ष के बारे में जानकारी हासिल हुई, जो कि काफी रोचक लगी। धन्यवाद।

अगला ई-मेल हमें भेजा है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। वे लिखते हैं कि कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत अनिल पाण्डे द्वारा आउटलुक के वरिष्ठ सम्पादक प्रणय शर्मा से ली गई भेंटवार्ता सुन निरन्तर सुधार की ओर अग्रसर भारत-चीन रिश्तों पर महत्वपूर्ण अनुभव सुनने को मिले। यह बात बिल्कुल सही प्रतीत हुई कि रिश्तों की बेहतरी के बावज़ूद चीन-भारत एक-दूसरे देश के लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। मुझे तो यह कहने में कोई संकोच नहीं कि सीआरआई न सुनते तो हम जैसे श्रोताओं को भी चीन के बारे में कोई जानकारी न होती। वैसे मैं इस बात को नहीं मानता कि भारत में नई सरकार आयी,तो वर्तमान सरकार द्वारा हस्ताक्षरित समझौतों का पालन नहीं करेगी अथवा सम्बंध सुधारने की प्रक्रिया प्रभावित होगी। आज सभी सरकारें शान्ति चाहती हैं और युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, वैसे भारत-चीन के बीच 1962 से लम्बित सीमा-विवाद काफी पुराना हो चुका है, इसे और अधिक न खींचना दोनों देशों के हित में होगा।

वेइतुंगः लीजिए अब बारी है, अगले ई-मेल की, जो हमें आया है दिल्ली से राम कुमार नीरज की ओर से। लिखते हैं कि बदलते चीन को करीब से देखने का मेरा अनुभव अभी भी दिलो दिमाग पर छाया हुआ है और यह काफी हद तक आपके तरफ से प्यार और सम्मान की देन है। आपके हिंदी सेवा को जानने और सुनने का आकर्षण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। ताजा समाचारों के आलावा देश विदेश की प्रमुख घटनाओं पर आधारित विशेष रिपोर्ट एक तरफ जहां नए श्रोताओं को आकर्षित करने में काफी हद तक सफल है। वहीँ दूसरी तरफ पुराने श्रोताओं,पाठकों को बाँध कर रखने में भी सफल है। समाचारों और रिपोर्टों में लगातार बदलाव काफी हद तक आप सब के हिंदी श्रोताओं,पाठकों के प्रति समर्पण की भावना प्रदर्शित करता है। जिसके लिए तमाम श्रोता आपके इन कार्यों के प्रति बेहद आभार व्यक्त करते हैं।

चीन में सुधार पर विदेशी मीडिया का ध्यान केन्द्रित,फिलीपींस में तूफान से भीषण तबाही, जैसे तजा समाचारों के अलावा इस बार स्थाई स्तंभ में बदलाव भी दिल दिमाग को काफी भाया। जैसे परंपरागत तिब्बती संस्कृति का विकास,तिब्बत के मोथो कांउटी में राज , तिब्बत के मोथो कांउटी में राज मार्ग सेवा उपलब्ध जैसे रिपोर्टें आपके पाठकों को आकर्षित करने में काफी हद तक कामयाब है।

हां गुंजाईश थोड़े सुधारों की बनती है.पिछले कई महीने से आपके साईट पर उपलब्ध वीडियो का कोई नया संस्करण अपलोड नहीं हो पाया है। मेरे ख्याल से साईट पर इस स्तम्भ को बंद कर देना चाहिय। एक लम्बे समय से उपलब्ध यह वीडियो अब नीरस सा लगने लगा है। मुझे लगता है कि किसी नए वीडियो के अपलोड ना होने के पीछे आपकी कोई मजबूरियां रहीं होंगी। लेकिन हम श्रोताओं के समक्ष अपनी इन मजबूरियों का रोना रो कर आप अपनी जवाबदेही से नहीं भाग सकते।

आपकी साईट पर चलने वाला मत सर्वेक्षण भी एक बेहद लोकप्रिय स्तंभों में से एक है जिसका व्यापक उपयोग हो सकता था। किन्तु इस दिशा में भी कोई कार्य ना होते देख कभी कभी बेहद निराशा होती है। वास्तव में आम पाठकों की तरफ से इस स्तंभ के लिए मिलने वाला वोट उनके व्यक्तिगत निर्णय का परिणाम है और इस परिणाम के आधार पर हम आगे की एक रुपरेखा तय कर सकते है। संबंधित व्यक्ति या संगठन से सीधा सवाल-जवाब कर इस स्तम्भ के उद्देश्य को एक मंजिल तक पहुंचा सकते हैं।

आपका फेसबुक पेज भी कुछ इसी तरह की मजबूरियों का रोना रो रहा है। आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फेसबुक एक बेहद लोकप्रिय सोशल मीडिया में से एक है और आज तो दुनिया के हर बड़े-छोटे संगठन के प्रचार-प्रसार का एक प्रमुख माध्यम बन गया है। आज भारत के लिए प्रसारण करने वाले कई बड़े संस्थानों ने इसका बखूबी इस्तेमाल किया है और सफलता के नित्य नए शिखर छू रहे हैं। लेकिन अफसोस कि सीआरआई का फेसबुक पेज आज तक उस सफलता को हासिल नहीं कर पाया। मेरे ख्याल से सीआरआई के इस अधिकृत फेसबुक को प्रयोग करने की जवाबदेही भारत स्थित किसी जिम्मेदार व्यक्ति को सौंप देनी चाहिए। धन्यवाद

अनिलः दोस्तो, लीजिए अब पेश है, अगला पत्र, जमशेदपुर, झारखंड के एस.बी.शर्मा का पत्र। उन्होंने न्यूशिंग स्पेशल प्रोग्राम की चर्चा की है। कहते हैं कि चीन की शादियों में दहेज़ के विषय में बहुत ही सुन्दर और रोचक जानकारी दी गई। वर पक्ष द्वारा दिए जाने वाले भारी-भरकम दहेज़ लड़की पक्ष को सहूलियत जरूर देता होगा पर दहेज़ तो दहेज़ है चाहे वह लड़की वाले दें या लड़का वाले एक बुराई है। हमारे देश में इसे अभिशाप के रूप में लिया जाता है, लोग दहेज़ के लिए बहू तक को मार डालते हैं। वहीं भ्रूण हत्याएं भी होती हैं,आज भारत में प्रति हजार पुरुषों पर लड़कियों की संख्या 925 के आस-पास पहुंच गई है पर अब जमाना बदल रहा है। पढ़ी-लिखी लड़कियां इस गलत अवधारणा को मिटा रही हैं, लोग सजग हो गए हैं, समाज जग रहा है। बिना दहेज़ के आदर्श शादियों का चलन बढ़ रहा है।समाज दुल्हन को ही दहेज़ मान रहा है। उम्मीद है जल्द ही भारत इस कुप्रथा से बाहर निकल जायेगा।

चीन की दहेज प्रथा भी एक बुराई है क्या चीनी समाज इसे दूर करने का कोई काम कर रहा है ? क्या लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे है ? चीन में भ्रूण हत्या कि स्थिति क्या है इस पर भी प्रकाश डालें, धन्यवाद।

इसके साथ ही उन्होंने, चीन और भारत की थल सेनाओं के आंतकवाद विरोधी संयुक्त युद्धाभ्यास की चर्चा की है। कहते हैं कि आतंक बिरोधी सोच भारत और चीन दोनों की एक जैसी है। इस सैन्य अभ्यास से जहां दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के अनुभव सीखेंगी। धन्यवाद।

वेइतुंगः एस.बी.शर्मा के पत्र के बाद लीजिए पेश है, आजमगढ़, यूपी के मोहम्मद सादिक़ का ई-मेल। उन्होंने आपका पत्र मिला प्रोग्राम की चर्चा की है। कहते हैं कि अनिल जी ने राम कुमार नीरज जी से भेंट वार्ता सुनवाई, वहीं आज अधिक पत्रों को कार्यक्रम में शामिल किया गया। जो इस बात का अवसर प्रदान करता है कि हम अपने दोस्तों के अधिक से अधिक विचारों से अवगत हो सकते हैं। आशा है ये क्रम जारी रहेगा। प्रोग्राम में राम कुमार ने अपने इस सफर की सुनहरी यादें हमसे शेयर कीं और चाइना में बिताए पल, वहां की जीवन शैली ,रहन-सहन, खानपान ,सांस्कृतिक स्थल ,चीन की दीवार ,सुन्दर पर्यटन स्थलों और चीनी मेहमाननवाज़ी का आंखों-देखा हाल जिस अंदाज़ में बताया मानों हम भी उनके साथ इस अनुभव का लुत्फ ले रहे हैं। चाइना में शाकाहारी भोजन की इतनी वैराइटी सुनकर मुंह में पानी आ गया, अनिल जी का एक बार फिर धन्यवाद।

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