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क्या गांधी चीन में लोकप्रिय हैं ?
2013-10-11 09:28:24

वेइतुंगः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।

अनिलः सभी दोस्तों को अनिल पांडे का भी नमस्कार। उम्मीद है कि आपको हमारा यह प्रोग्राम ज़रूर पसंद आ रहा होगा। जी हां, आपका पत्र मिला यानी आप सभी श्रोताओं को अपनी बात कहने का एक मंच है। इसलिए आप सभी के ई-मेल और पत्रों का हमें बेसब्री से इंतजार रहता है।

लीजिए इसी के साथ शुरू करते हैं आज का कार्यक्रम, आज भी हमें कई श्रोताओं ने ख़त और ई-मेल भेजे हैं।

वेइतुंगः लीजिए, इसी क्रम में पेश है आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के मोहम्मद असलम का पत्र।

गत दिनों, दक्षिण एशिया फोकस में अफ़गानिस्तान की एक डाक्टर से साक्षात्कार की बहुत अहम जानकारी दी गई। पंकज बहुत मेहनत से प्रोग्राम बनाते हैं और बहुत ही पसन्द आता है। एक अन्य पत्र में लिखते हैं कि हेमा ने ओ माई गॉड मैं चायना में हूं के तहत एक ऐसी महिला से बात की, जो भारत की हैं, लेकिन उसने शादी एक चीनी पुरुष से की। यह काफी दिलचस्प लगी, खाने-पीने से जुडी हर जानकारी अच्छी लगी।

अनिलः वहीं भागलपुर बिहार के हेमंत कुमार अपने ई मेल में कहते हैं कि दिल्ली गैँगरेप के अन्य चार दोषियोँ को तो न्यायालय द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई, परन्तु उस संगीन वारदात का प्रमुख अपराधी नाबालिग होने के चलते माकूल सजा नहीँ पा सका। यहां यह तर्क दिया जा सकता है कि प्रमुख अपराधी उम्र के लिहाज से नाबालिग हो सकता है, परन्तु उसमेँ नाबालिग वाली मासूमियत नहीँ। बल्कि शारीरिक-मानसिक तौर पर वह आपराधिक परिपक्वता मौजूद थी, जो कि किसी व्यस्क अपराधी से भी अधिक है। इसलिए सजा मेँ किसी प्रकार की रियायत अथवा उसके प्रति रहम प्रदर्शित किया जाना संतोषजनक जान नहीँ पड़ता। वारदात की गंभीरता के मद्देनजर उसे भी वही सजा मिलनी चाहिए, जो किसी जघन्य कृत्य के लिए दी जाती है।

वेइतुंगः जब असाधारण प्रतिभा वाले किशोरोँ को नियमोँ मेँ ढील देकर डाक्ट्रेट की उपाधि प्रदान की जा सकती है तो असाधारण जुर्म के लिए उन्हेँ बड़ी सजा क्योँ नहीँ दी जा सकती? ऐसे असाधारण मामलोँ मेँ रियायत नहीँ, अपितु सजा का ऐसा सख्त प्रावधान होना चाहिए जिसकी मिसाल से अपराध करने से पूर्व अपराधी की रूह कांप उठे।

अपने एक अन्य ई मेल में हेमंत ने कहा कि किसी देश की राष्ट्रभाषा उस देश की राष्ट्रीय अस्मिता की प्रतीक होती है। यह राष्ट्र के ह्दय की वाणी होती है। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी अत्यंत ही वैज्ञानिक भाषा है। इसका शब्दकोश दुनिया का समृद्ध शब्दकोश है। तमाम दूसरी भाषाओँ के प्रति मैत्री का भाव रखना इसकी सबसे बड़ी खूबी है। जब भी कोई विदेशी भाषा इसके सानिध्य मेँ आयी, उसके सुपाच्य शब्दोँ को पचा लिया। अपनी सैकड़ोँ बोलियोँ से मधुर संबंध रखकर अपने शब्द भंडार को अक्षय बनाये रखा। फिर भी हिंदी तमाम भाषाई सुंदरता से लबरेज होते हुए भी वह स्थान नहीँ प्राप्त कर सकी है, जिसकी वह सच्ची अधिकारी है। उदारीकरण की नीतियोँ से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। अतः सभी दोस्तोँ को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

अनिलः अब मेरे हाथ में जौहरी कोठी ,समस्तीपुर बिहार के रूपा चटर्जी का पत्र है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि आपके कार्यक्रमों की मैं नियमित श्रोता हूं। इनके माध्यम से चीन के विभिन्न क्षेत्रों की व्यापक जानकारी मिलती है। क्या आपके यहां कोई ऐसा डीवीडी है जिसमें चीन की कला ,संस्कृति एवं पर्यटन स्थलों की झलक हो ।यदि हां ,तो क्या आप उसे मेरे लिए भेज सकते हैं । रूपा जी ,क्योंकि हम मुख्य तौर पर ऑडियो कार्यक्रम बनाते हैं, इसलिए हमारे पास डीवीडी नहीं है ।यह खेद की बात है । पर आज इंटरनेट पर सभी विषय उपलब्ध होते हैं। समय मिलने पर आप नेट पर सर्फ कर सकती हैं।

वेइतुंगः रूपा जी ने पत्र में यह भी पूछा है कि क्या मैं आपके हिंदी कार्यक्रम हेतु अपनी रचनाएं कहानी एवं कविता भेज सकती हूं ।आप किस विषय पर लिखी हुई रचनाओं को प्राथमिकता देते हैं । रूपा जी ,श्रोताओं का मंच कार्यक्रम में श्रोताओं की रचनाओं का प्रचार प्रसार करना स्वाभाविक है ।हम सभी श्रोताओं की रचनाओं का स्वागत करते हैं ।हम एक ठोस विषय पर प्राथमिकता नहीं देते ।हम चाहते हैं कि रचना सच्ची भावना व सच्ची बात व्यक्त कर सके और रूचिकर हो ।

अनिलः गोरखपुर ,उत्तर प्रदेश के बद्री प्रसाद वर्मा अनजान ने अपने पत्र में कहा कि चीन का तिब्बत प्रोग्राम में नेपाली व्यापारी टीपू के लकडी के डिब्बे की कहानी सुनी ।यह जानकारी अच्छी और ज्ञानवर्धक लगी ।टीपू के बारे में सारी जानकारी दिल को भा गयी ।चीन का तिब्बत प्रोग्राम में तिब्बत के शहर शिकाजे के बारे में प्रस्तुत रिपोर्ट महत्वपूर्ण लगी ।तिब्बत में वहां के व्यापारियों उद्योगपतियों का क्या हाल है । उनके कार्यों और जीवन के बारे में विस्तार से बताइएगा।

बद्री प्रसाद वर्मा जी ,आजकल तिब्बत का तेज विकास हो रहा है ।व्यापार और उद्योग समृद्ध हो रहा है। चीन की केंद्रीय सरकार ने तिब्बत के विकास को बढाने के लिए विशेष सहायता पैकेज दिया है और हर साल बडी पूंजी लगाती है ।विश्व के छत पर स्थित तिब्बत देशी विदेशी व्यापारियों व उद्यमियों को आकर्षित कर रहा है। बद्री जी ने अपने पत्रों में कुछ सुझाव भी पेश किये ।एक सुझाव है कि रेडियो चाइना की एक सभा को तीन बार दोहराए जाने की परंपरा समाप्त की जाए ।इससे और नये प्रोग्राम हमें सुनने को मिलेंगे।

वेइतुंगः बद्री जी ,बजट और कर्मचारियों की कमी के कारण नया कार्यक्रम शुरू करने की योजना नहीं है ।इसके अलावा आज इंटरनेट समेत विभिन्न नये मीडिया सामने आ रहे हैं। हम इस पर ध्यान दे रहे हैं ताकि श्रोताओं को बेहतर सेवा प्रदान की जा सके।

वहीं बस्ती उत्तर प्रदेश के कृष्ण कुमार जायसवाल ने अपने पत्र में हमसे कई सवाल पूछे हैं। अब हम उनमें से मुख्य सवालों के जवाब देंगे । पहला सवाल है कि क्या चीन में महात्मा गांधी के समर्थक एवं अनुयायी हैं ।

जायसवाल जी ,महात्मा गांधी न सिर्फ भारत पर पूरे विश्व में मशहूर हैं। उनके विचारों से मानव के जीवन व विचारों में गहरा प्रभाव पडा । चीन में महात्मा गांधी का बडा नाम भी है ।उनके समर्थक कम नहीं हैं उनके बारे में पुस्तकें बुक स्टोर में देखी जा सकती हैं ।उनका अध्ययन करने वाले विशेषज्ञ भी कम नहीं है ।लेकिन आम चीनियों को महात्मा गांधी के बारे में कम जानकारी है ।इससे जाहिर है कि दो देशों की जनता की पारस्परिक समझ बढाने के लिए बहुत काम किया जाना बाकी है ।

अनिलः दूसरा सवाल है कि क्या भारतीय महापुरुषों पर चीन सरकार ने डाक टिकट जारी किए हैं, जैसे महात्मा गांधी ,जवाहर लाल नेहरू व डां. कोटनिस आदि।

देखिए जायसवाल जी, जैसा कि हम जानते हैं कि चीनी डाक विभाग ने वर्ष 1982 में डॉक्टर कोटनिस के निधन की 40 वीं वर्षगांठ पर स्मृति डाक टिकट जारी किए थे। इस श्रंखला में कुल दो टिकट हैं । एक उल्लेखनीय बात है कि वर्ष 2008 में चीनी पोस्ट और भारतीय पोस्ट ने संयुक्त रूप से श्वेत अश्व मंदिर और महाबोधि मंदिर नामक डाक टिकट जारी किए। ,इस सेट में कुल दो टिकट हैं ।श्वेत अश्व मंदिर चीन के सब से प्राचीन बौद्ध मंदिर माना जाता है ,जो मध्य चीन के लुओ यान शहर में स्थित है । कुछ साल पहले भारत सरकार की मदद से श्वेत अश्व मंदिर के पास एक भारतीय शैली वाला बोधि मंदिर का निर्माण हुआ । महाबोधि मंदिर तो बिहार में स्थित है ,जो पूरे विश्व के बौद्ध धर्म के अनुयायियों का पवित्र स्थल है ।

वेइतुंगः जायसवाल जी का तीसरा सवाल है कि चीन के प्रसिद्ध व्यंजनों के नाम क्या हैं, विशेषकर शाकाहारी भोजन। इससे पता चलता है कि जायसवाल जी जरूर शाकाहारी हैं ,क्योंकि उन्हें शाकाहारी खाने में विशेष रुचि है । चीनी फूड विश्व भर में मशहूर है ।उनके तमाम प्रसिद्ध व्यंजन हैं ।अगर सबसे प्रसिद्ध बताऊं ,तो पेकिंग डक चीनी फूड का प्रतिनिधित्व कर सकता है।

  

अनिलः दोस्तो, इसी के साथ प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए पेश करते हैं, पश्चिम बंगाल के रविशंकर बसु का ई-मेल। उन्होंने लिखा है कि पिछले 9 सितम्बर को सीआरआई हिंदी प्रोग्राम सुना, पर रिसेप्शन की क्वालिटी अच्छी नहीं थी। सिग्नल बहुत ही कमजोर था, हालांकि कार्यक्रम तो समझ में आ गया।

प्रोग्राम के दूसरे भाग में वेइ तुंग जी द्वारा प्रस्तुत "चीन में मेरा अनुभव" ज्ञान प्रतियोगिता संबंधी आलेख बहुत सुंदर लगा। वेइतुंग जी की आवाज में छिंगहाई प्रांत में स्थित छिंगहाई झील का सुंदर वर्णन मेरे मन को छू लिया। मन में ऐसा लगा कि मैं ही सचमुच घूम रहा हूं। सम्मोहक छिंगहाई झील एवं झील के बीच समतल हराभरे घास के मैदान पर। इस रिपोर्ट में प्रतियोगिता में पूछे गए दो प्रश्नों के उत्तर भी सुनने को मिले।

वेइतुंगः रविशंकर ने भी सवाल पूछा है, वे लिखते हैं कि कृपया मेरे प्रश्न का उत्तर दीजिएगा।

चीन में शिक्षित बेरोज़गार लोगों को क्या सरकारी कोई आर्थिक अनुदान दिया जाता है ?

बसु जी, चीन में बेरोजगार लोगों को आर्थिक मदद दी जाती है ।अगर कोई बेरोजगार हुआ ,तो उसे हर महीने बेरोजगारी भत्ता मिलता है। बेरोजगारी भत्ते का मापदंड विभिन्न स्थानों में भिन्न भिन्न है ।पेइचिंग में कार्य काल के मुताबिक 800 युआन से 1000 युआन के बीच है । सरकार बेरोजगार लोगों को मुफ्त व्यवसायिक ट्रेनिंग भी देती है ।चीन सक्रिय रोजगार नीति लागू करता है ।रोजगार सृजन के लिए सरकार ने कुछ उदार नीतियां प्रस्तुत की हैं ।उदाहरण के लिए पेइचिंग में अगर किसी उद्यम ने एक बेरोजगार व्यक्ति को काम दिया ,तो वह सरकार से दस हजार युआन का भत्ता हासिल कर सकता है।

अनिलः वहीं पिपराही ,शिवहर बिहार के मुकुंद कुमार तिवारी अपने पत्र में लिखते हैं कि आपने मेरे साथ हुई बातचीत प्रसारित की ,जिसमें मेरे गांव पिपराही का वर्णन काफी सुंदर ढंग से किया। यह सुनकर कई श्रोताओं ने मुझसे कहा कि सचमुच में आपका गांव प्राकृतिक लिहाज से काफी सुंदर है। एक खास बात यह है कि मेरे इस सुंदर गांव के वर्णन से प्रभावित होकर पाकिस्तान के मित्र मो.हाफिज नईम भी काफी खुश हुए ।वे पंजाब के झांग शहर से है ।सीआरआई के माध्यम से ही हमारे बीच दोस्ती हुई । उन्होंने मुझसे बात की और कहा कि उनका पासपोर्ट तैयार हो गया है और मैं अवश्य ही छुट्टी के दिनों में आपके गांव घूमने जाऊंगा। मैं नईम साहब का अपने गांव मं स्वागत करता हूं ।आशा है वे हमारे गांव जरूर आएंगे ।

वेइतुंगः वैशाली ,बिहार के अमरजीत कुमार सिन्हा ने अपने पत्र में कहा कि मैं चाइना रेडियो हिंदी सेवा का नियमित श्रोता हूं ।आपके यहां से प्रसारित सभी कार्यक्रम मुझे बेहद पसंद है । श्रोताओं का मंच कार्यक्रम में हमारे श्रोता संघ के अध्यक्ष कुमार जयवर्धन जी के साथ हुई बातचीत सुनी, मुझे काफी पसंद आयी ।मैंने जयवर्धन के घर पर आपके द्वारा भेजी गयी श्रोता वाटिका पत्रिका पढ़ी। कृपया ,आप मुझे भी श्रोता वाटिका भेजने की कृपा करें । सिन्हा जी, ,हमारी नयी पत्रिका निकलने वाली है। आपको ज़रूर भेजी जाएगी।

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