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वेइतुंगः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।
अनिलः सभी दोस्तों को अनिल पांडे का भी नमस्कार। उम्मीद है कि आपको हमारा यह प्रोग्राम ज़रूर पसंद आ रहा होगा। जी हां, आपका पत्र मिला यानी आप सभी श्रोताओं को अपनी बात कहने का एक मंच है। इसलिए आप सभी के ई-मेल और पत्रों का हमें बेसब्री से इंतजार रहता है।
लीजिए इसी के साथ शुरू करते हैं आज का कार्यक्रम, आज भी हमें कई श्रोताओं ने ख़त और ई-मेल भेजे हैं।
वेइतुंगः प्रोग्राम में सबसे पहला ई-मेल हमें मिला है, जमशेदपुर, झारखंड के एस.बी.शर्मा का।
वे लिखते हैं कि सीआरआई द्वारा निःशुल्क एसएमएस समाचार सेवा शुरू करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया और धन्यवाद्।
नई सेवा शुरू होने से हमें, देश दुनिया के समाचारों के लिए सीआरआई सहित
इंटरनेट पर नहीं जाना होगा। अब चीन से समाचार सीधे हमारी जेब में पहुंच जाएंगे। आप मेरे नंबर पर एसएमएस कर सकते हैं।
वहीं शर्मा आगे लिखते हैं कि पिछले दिनों चीनी राष्ट्रपति चार मध्य एशियाई देशों की यात्रा पर तुर्केमेनिस्तान गए, वहां कई अहम् समझौते करने के बाद रूस के सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचे, जहां जी-20 देशों का सम्मेलन हुआ। चीनी राष्ट्रपति शि ची फिंग विभिन्न देशों के नेताओं से मिले और चीन का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने खुलेपन की नीति को अपनाने और उसे बढ़ावा देने पर जोर दिया।
चीनी राष्ट्रपति कई अन्य देशों के नेताओं से भी मिले और चीन की खुली आर्थिक नीति का समर्थन किया। वहीं सीरिया संकट पर भी अपने विचार रखे और कहा कि इस मसले का राजनीतिक समाधान होना चाहिए। ब्रिक्स देशों के नेताओं के साथ वार्ता में चीनी नेता ने आपात भंडारण ब्यवस्था को मील का पत्थर बताया
अनिलः इसके बाद बारी है सवाल जवाब की। भागलपुर बिहार के हेमंत कुमार ने पूछा है कि शांगहाई सहयोग संगठन का क्या महत्व है ?
दूसरा प्रश्न है, क्या चीन में विद्यार्थी दुर्घटना बीमा योजना लागू है ?
देखिए, शांगहाई सहयोग संगठन वर्ष 2001 में औपचारिक रूप से स्थापित हुआ। इसके सदस्य चीन, रूस, कजाकस्तान, किरगिस्तान, ताजिकस्तान और उजबेकिस्तान आदि हैं। इस संगठन के पांच पर्यवेक्षक देश भी हैं, जिसमें भारत ,पाकिस्तान ,अफगानिस्तान ,ईरान और मंगोलिया शामिल हैं। इसके अलावा उसके तीन वार्तालाप देश और अध्यक्ष देश के तीन मेहमान देश भी हैं ।इस सगंठन का मुख्य उद्देश्य विभिन्न सदस्य देशों के आपसी विश्वास और मैत्री बढाना और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढाना है। वहीं क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग इस संगठन के सहयोग का महत्वपूर्ण पहलू भी है । इधर के कुछ सालों में सदस्य देशों ने आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने के लिए सैन्य अभ्यास किए। शांगहाई सहयोग संगठन किसी पक्ष के खिलाफ नहीं है ।वह क्षेत्रीय विकास व स्थिरता बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभा रहा है ।
अब दूसरे सवाल का जवाब।
चीन के सभी स्कूलों में दुर्घटना बीमा योजना लागू है ।यह योजना छात्रों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती है।
वेइतुंगः लीजिए दोस्तो, प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए सुनते हैं, अगला पत्र। इसे भेजा है, फुलबारी, सिलिगुड़ी, पश्चिम बंगाल के असीम ज्योति घोष ने।
लिखते हैं कि मैं पश्चिम बंगाल के सिलिगुरी शहर में रहता हूं, इससे पहले मैं असम में था। वर्ष 1998 से मैं सी आर आई हिंदी कार्यक्रम सुनते आया हूं। 2002 में "श्रोता वाटिका" मैगज़ीन के पहले अंक में मेरा एक लेख भी प्रकाशित हुआ था।
इस पत्र में असीम ने रविशंकर बसु और उनके बीच पहचान और बातचीत के बारे में भी लिखा है।
कहते हैं कि पहली बार मेरा रविशंकर जी के साथ परिचय 2002 में हुआ, तब मैं असम में रहता था।
इसके बाद जून 2013 में रविशंकर जी से मुलाकात करने के लिए मैं उनके बोम-नगर स्थित घर गया। वहां मुझे पता लगा कि वे सीआरआई हिंदी से कितना प्यार करते हैं।
उनकी पत्नी हंसते हुए मुझे बोली कि, "सीआरआई उनका पहला प्यार है और मैं उनका दूसरा प्रेम."
दोस्तो, हमारे रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से कई भारतीय लोग आपस में अच्छे दोस्त बन गए हैं। यह बडी अच्छी बात है ।इससे यह भी साबित हुआ है कि मैत्री का प्रचार प्रसार हमारा एक कार्य भी है।
अनिलः रामपुर, यूपी के राशिद शमसी स्पेस क्लब के सचिव हैं, जो कि तकनीकी फैन भी हैं।
उन्होंने अपने पत्र में रेडियो के बारे में अपने बचपन के दिनों की एक कहानी भी बयां की है।
कहते हैं कि वर्ष 1973 की बात है । रेडियो में एक आदमी की आवाज मुझे बहुत अच्छी लगी । मैंने अपने चाचा से पूछा, चाचा यह आदमी कहां से बोल रहा है ।चाचा ने बताया बहुत दूर ,रेडियो स्टेशन में बेटा । है तो चाचा वहां से यहां कैसे आ रहा है ।चाचा समझा रहे थे पर समझ में नहीं आता था ।एक दो दिन बाद हम सब लोग अपना सामान लेने रेलवे स्टेशन गये तो मैंने रेलवे स्टेशन के सारे कमरे झांक कर देखे ,फिर चाचा से कहा कि वो रेडियो वाला आदमी यहां कहां बोल रहा है ।चाचा ने फिर समझाया बेटा ,वो रेडियो स्टेशन होता है आकाशवाणी रायपुर । यह रेलवे स्टेशन है ।
वेइतुंगः दोस्तो, ढाका, बांग्लादेश के डबलू अनवर ने हमें सुंदर फोटो भेजी है, जिसका नाम है पुराना चीनी शहर।
इस चित्र में नदी है ,प्राचीन शैली वाली चीनी इमारतें हैं, नाव हैं, पुल हैं ।बहुत सुंदर और सजीव है। वाकई में बहुत अच्छी कोशिश है। धन्यवाद।
इसके बाद मेरे हाथ में डिबरूगढ़ असम के निलोम कुमार साक्य का पत्र है।
उन्होंने कहा कि यह मेरा पहला पत्र है ।मैं वर्ष 2010 से सीआरआई सुन रहा हूं ।मुझे आपके प्रोग्राम सुनना अच्छा लगता है। कार्यक्रम बहुत ज्ञानवर्धक होते हैं। इनके माध्यम से हमें चीन के अलावा विश्व की जानकारी भी मिलती है । एक घंटे में इतनी जानकारी वाला कार्यक्रम कहीं नहीं मिलेगा शायद । मैं पूर्व उत्तर के असम के डिब्रुगढ जिले का रहने वाला हूं ।यहां सीआरआई स्पष्ट सुनाई देता है। ओ माइ गॉड मैं चाइना में हूं ,चीन का तिब्बत ,चीनी सीखें ,चीन में मेरा अनुभव ,खेल जगत आदि प्रोग्राम बहुत अच्छे लगते हैं।
हमारे यहां डिब्रुगढ युनिवर्सिटी में चीनी भाषा का कोर्स नहीं है ।मैं रेडियो और वेब देखकर चीनी भाषा सीख रहा हूं ।मुझे चीनी भाषा बहुत अच्छी लगती है ।लेकिन अकेले अभ्यास करने से लोग पागल कहेंगे ।
अनिलः इसके बाद साक्य ने सवाल भी पूछा है।
कहते हैं, मैं यह पूछना चाहता हूं कि हिंदी चीनी भाषा की ई बुक है क्या , मुझे लगता है कि चीन की हान जाति की भाषा है मानक चीनी भाषा है या नहीं ।
चीन में कितनी अल्पसंख्यक जातियां हैं ।
साक्य जी हमने हिंदी चीनी की ई बुक नहीं देखी है। इस बारे में नहीं बता सकते। पर लगता है कि आज के संचार युग में ज़रूर होनी चाहिए। अगर हमारे किसी श्रोता को इस बारे में जानकारी हो ,तो हमें बता सकते हैं। हान जाति की लिपि भाषा एक ही है ,पर हान जाति की बोलियां विभिन्न हैं । उनके उच्चारण में बहुत बडा अंतर है । अगर कोई उत्तर चीन का व्यक्ति दक्षिण चीन के शांगहाई व क्वांगचो गया और वहां के लोग स्थानीय बोली बोलते हैं ,तो उसे बिल्कुल समझ में नहीं आती । पर हान जाति की मानक भाषा पुथुंगह्वा यानी मैंडरिन है, वह पूरे देश में प्रचलित है ।अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों को छोडकर स्कूलों और रेडियो ,टी वी व फिल्म में पुथुंह्वा का प्रयोग किया जाता है ।अगर आपको पुथुंगह्वा आती है ,तो देश भर में आम तौर पर भाषा की समस्या नहीं मिलेगी । हां जहां तक बात अल्पसंख्यक जातियों की है तो चीन में कुल 55 अल्पसंख्यक जातियां हैं ।उनकी अपनी अपनी भाषाएं हैं ।
वेइतुंगः साक्य अपने पत्र में आगे कहते हैं कि सीआरआई में हेमा और अनिल जी की हिंदी बहुत अच्छी है । हेमा जी का प्रोग्राम पेश करने का तरीका बहुत अच्छा है । वेब में आप लोगों के फोटो देखे। आपके स्टाफ में मीरा ,दिनेश ,हैया ,चंद्रिमा ललिता और रमेश जी आदि मंगोलियिन जैसे लगते हैं। साक्य जी ,मंगोलियाई और चीनी लोग सभी पीले रंग वाले हैं, इसलिए वे एक जैसे दिखते हैं।
इसके बाद बारी है, उड़ीसा के सुरेश अग्रवाल के ई-मेल की। लिखते हैं कि चीनी फ़िल्म और टीवी सीरियल डबिंग स्पेशल "टॉप फ़ाइव" कार्यक्रम सुना। यद्यपि कार्यक्रम में बजाये गये फ़िल्मी गानों में बोल कम और शोर अधिक होने के कारण हम उनका लुत्फ़ नहीं उठा सके, परन्तु यह सभी नए दौर के गाने थे, इसलिए सम्भव है कि अन्य श्रोता-मित्रों को पसन्द आये हों. बहरहाल, कार्यक्रम में सीआरआई द्वारा स्थापित नए फ़िल्म और टीवी धारावाहिक डबिंग केन्द्र की गतिविधियों के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। यह जानकर ख़ुशी हुई कि वर्ष 2010 में सबसे पहले चीनी टीवी प्ले की डबिंग स्वाहिली भाषा में हुई और तत्पश्चात अग्रेज़ी, फ्रेंच, अरबी सहित दुनिया की कई भाषाओँ में डबिंग हो चुकी है.शायद वह दिन भी ज़रूर आएगा, जब हम घर बैठे सैटेलाइट के ज़रिये चीनी धारावाहिकों और फ़िल्मों का लुत्फ़ उठा पायेंगे। रेड़ियो के ज़रिये तो सीआरआई चीनी जनजीवन और संस्कृति की झलक विश्व को दे ही रहा है, परन्तु दृश्य का माध्यम श्रव्य के मुक़ाबले अधिक सशक्त और प्रभावशाली होता है, अतः टीवी पर कार्यक्रम दिखाये गये तो लोगों को अधिक लाभ होगा।
अनिलः उड़ीसा के बाद चलते हैं हरियाणा, वहां से हमें एक पत्र आया है, भेजने वाले हैं मितुल कंसल। कहते हैं कि
मैं सी आर आई के प्रोग्राम हर रोज सुनता हूं और आपको नियमित पत्र भी लिखता
रहता हूं। गत् दिनों बुधवार को आपका पत्र मिला प्रोग्राम में मेरा पत्र शामिल करने
के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। बड़े ही आश्चर्य की बात है की वह पत्र मैने
छह महीने पूर्व डाक से भेजा था और वह अब आपको मिला है । भारत से चीन
पहुंचने में इतना समय कैसे लग गया यह मेरी समझ से परे है।
पर मुझे आपसे एक शिकायत भी है । करीब एक साल होने हो आया, मुझे सीआरआई की कोई भी पत्रिका नही मिली है। ऐसा क्यों हो रहा है?
मितुल जी ,आपने एक अच्छा सवाल पूछा । आपका पत्र मिला कार्यक्रम बनाने के समय हम कुछ ई मेल चुनकर इसमें शामिल करते हैं और कुछ पत्र शामिल करते हैं ।अगर आप ई मेल हमें भेजते हैं ,तो जल्दी से कार्यक्रम में शामिल किये जाने की संभावना है ।अगर आप हाथ से लिखकर चिट्ठी भेजते हैं ,तो कुछ समय लगता है । लेकिन हम दोनों तरह के पत्रों को शामिल करने की पूरी कोशिश करते हैं। क्योंकि हमें पता है कि कई श्रोताओं को ई मेल भेजने में दिक्कत परेशानी होती है।हम उनकी उपेक्षा नहीं कर सकते। भारत से चीन पत्र पहुंचने में इसलिए भी देरी होती है क्योंकि कुछ पत्र भारत स्थित चीनी दूतावास भेजे जाते हैं ,तो नयी दिल्ली स्थित हमारे संवाददाता उनको एकत्र कर एक या दो महीने में एक बार पेइचिंग भेजते हैं ।
वेइतुंगः
इसलिए अगर आपने चीनी दूतावास के पते पर पत्र भेजा ,तो यहां पहुंचने के लिए कुछ लंबा समय लगता है ।कुछ पत्र शायद काफी देर से हमारे हाथ में पहुंचे ,पर अगर उनका विषय अच्छा है और शेयर करने के योग्य है ,तो हम उनको भी सुनाते हैं।
जहां तक आपने पत्रिका की बात की है तो श्रोता वाटिका इन दिनों प्रकाशित नहीं हो रही है। जैसे ही नई पत्रिका प्रकाशित होगी, हम आपको ज़रूर भेजेंगे। धन्यवाद।
आगे भी हमसे यूं ही जुड़े रहिए।
मितुल के ई-मेल के बाद अगला ख़त। लिखते हैं कि मेरा नाम मुहम्मद सादिक आज़मी है। मै सीआरआई से पिछले 12 सालों से जुड़ा हूं। पर पिछले कुछ सालों से खाड़ी के देशों मे रोज़गार के कारण जा बसा था ।पहले मैं काफी चिट्ठियां लिखा करता था। उन दिनों चाव ह्वा जी से दिल्ली में मुलाकात का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ था। एक दिन वेबसाइट पर सर्च कर रहा था कि आपका कार्यक्रम सुनने का अवसर मिला वही पुरानी यादें ताज़ा हो गई और चिटठी लिखने पर मजबूर हो गया। सादिक जी धन्यवाद, कि आप इतने लंबे समय से सीआरआई के साथ जुड़े हुए हैं, लेकिन आपने यह नहीं बताया कि वर्तमान में आप कहां रहते हैं और कहां से पत्र भेजा है। धन्यवाद।