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वेइतुंगः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइ तुंग का नमस्कार ।
अनिलः सभी दोस्तों को अनिल पांडे का भी नमस्कार। कल चीन का परंपरागत त्योहार जूंचियो यानी मध्य शरद त्योहार है ।इस त्योहार के दौरान तीन दिन की सरकारी छुट्टी होती है। इसके चलते देश में खुशियों का माहौल छाया है ।हम पेइचिंग से सभी श्रोताओं को भी शुभकामनाएं देते हैं ।
श्रोताओ के पत्र सुनाने से पहले हम जरा मध्य शरद त्योहार के बारे में चर्चा करेंगे ताकि आप भी चीनी लोगों के साथ इस त्योहार की खुशियां शेयर कर सकते हैं ।चीनी परंपरागत पंचांग के अनुसार आठवें माह के 15वें दिन जूंचियो त्योहार मनाया जाता है । उस दिन का चांद सबसे गोल और प्रकाशमय होता है । इस दिन का दूसरा नाम रिश्तेदारों का मिलन दिवस भी है। जूंचियो त्योहार की खुशियां मनाने के लिए मून केक यानी चांद के आकार का केक खाया जाता है। इस केक के भीतर मीठी चीजों का मिश्रण भरा जाता है । लेकिन आम केक की तुलना में मून केक के ऊपर आम तौर पर देवता और फूल आदि के चित्र भी होते हैं।
जब जूंचियो त्योहार की खुशियां मनायी जाती हैं तब लोग चांद की पूजा भी करते हैं । चांद की पूजा करने के बाद लोग अपने रिश्तेदारों के साथ मून केक खाते हैं । चीन के विभिन्न क्षेत्रों के मून केक अलग अलग तरह के होते हैं । राजधानी पेइचिंग , पूर्वी चीन के सूचो और दक्षिणी चीन के क्वांगतुंग प्रांत और छाओचाओ शहर में निर्मित मून केक सबसे अधिक मशहूर होते हैं । पहले मून केक के मिश्रण में आम तौर पर शक्कर, खुजूर का पेस्ट , लाल सेम और सूखा मांस आदि डाला जाता था , पर आज इसमें अंडे का पीला भाग , फल , कोको और क्रीम आदि भी डाली जाती है । मून केक भी चीनियों का अच्छा उपहार है । हर साल जूंचियो त्योहार आने से पहले चीन के सुपर मार्केट में रंगबिरंगे मून केक रखे हुए नज़र आते हैं ।निसंदेह इस त्योहार में तीन मुख्य चीजें होती हैं, एक है फुल मून ,दूसरा है मून केक और तीसरा है पारिवारिक मिलन ।
दोस्तो, मून केक फेस्टिवल की जानकारी के बाद लीजिए बारी है, श्रोताओं के पत्रों की।
आज के प्रोग्राम में सबसे पहला ख़त हमें आया है, पिपराही, शिवहर बिहार के मुकुंद कुमार तिवारी का।
वे लिखते हैं कि मैंने हाल ही में अभिनेता संजय दत्त की एक फिल्म देखी जिसमें फिल्म का आधा दृश्य चीनी शहर हांगकांग पर आधारित था। फिल्म का नाम है गुमराह ,जिसका का अर्थ है कि इसमें नायिका ड्रग्स स्मगलिंग के झूठे आरोप में गुमराह कर ली जाती है और उसे हांगकांग जेल में कैद कर दिया जाता है ।इसमें जेलर द्वारा कैदी के साथ बदसलूकी की जाती है। और अभिनेता, अभिनेत्री से मिलने जेल में जाने के लिए चीनी जेलरों को घूस देता है ।सवाल है ,क्या सच में चीन की स्थिति ऐसी ही है। फिल्म देखने के बाद हांगकांग के बारे में जानने की इच्छा बहुत हुई है ।
कृपया संक्षेप में हांगकांग के बारे में जरूर बताएं । मुकुंद तिवारी जी ,देखिए ।यह एक फिल्मी कहानी है ,इसका मतलब सच्चा जीवन नहीं है।पर रिश्वत व भ्रष्टाचार की बात कहें ,तो यह चीन में एक गंभीर सवाल है । चीन सरकार भ्रष्टाचार पर प्रहार करने की पूरी कोशिश कर रही है ।इस संदर्भ में हांगकांग की चर्चा करें ,तो हांगकांग की स्थिति काफी अच्छी है। पर हम नहीं कह सकते कि वहां एकदम स्वच्छ है और भ्रष्टाचार मौजूद नहीं है।
हमारा मतलब है कि फिल्म तो फिल्म है। हांगकांग पहले ब्रिटिश उपनिवेश था और वर्ष 1997 में वह चीन में वापस लौटा। अब वह चीन का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है। वह मशहूर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व व्यापारिक केंद्र है । चीनी लोगों के अलावा हांगकांग में प्रवासी भारतीय भी बहुत संख्या में रहते हैं।
और आजकल तमाम भारतीय बिजनेसमेन वहां काम करते हैं ।हांग कांग में मुफ्त व्यापार व कर नीति लागू होती है ,इसलिए हांगकांग शापिंग के लिए आदर्श स्थल है माना जाता है।
लीजिए, इसके बाद पेश है,
गोरखपुर यू पी के श्रोता बद्री प्रसाद वर्मा अनजान का पत्र। वे लिखते हैं कि मैं 40 साल से सीआरआई की हिंदी सेवा सुनता आ रहा हूं। सीआरआई के प्रोग्राम उम्दा ही नहीं ज्ञानवर्धक और मनोरंजन से परिपूर्ण होते हैं। मुझे सीआरआई के प्रोग्राम सुनने में आनंद ही नहीं आता है ढेर सारी खुशी भी मिलती है। आज सीआरआई के कार्यक्रमों में जो परिवर्तन देखने को मिल रहा है वह इस बात का पक्का सबूत है कि सीआरआई दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। हमें गर्व है कि हम सीआरआई के श्रोता हैं । भाई अनिल पांडेय और वेइ तुंग से आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुना ।मुझे चीन की बुलेट ट्रेन के बारे में जानकारी बहुत पसंद आई। धन्यवाद।
बद्री प्रसाद ने एक कविता भी भेजी है ,जिसका शीर्षक है मुझे चीन से प्यार है ।
सचमुच चीन मेरा
सच्चा यार है ।
दिल से कहता हूं
मुझे चीन से प्यार है ।
दोस्त है मेरा
हम सफर है मेरा
मेरा सच्चा तलबगार है
मुझे चीन से प्यार है ।
मेरा अच्छा पड़ोसी है
मेरे दुख सुख का साथी है
मेरी खुशी का संसार है
मुझे चीन से प्यार है ।
हर चीनी मेरी भाई बहन है
दुनिया में मशहूर चीन की दीवार है
शंघाई शहर खुशगवार है
मुझे चीन से प्यार है ।
बीजिंग शहर देखने में
खूब मजा आता है ।
देखो तिब्बत का खुला द्वार है ।
मुझे चीन से प्यार है ।
छप्पन जातियों का चीन
घर द्वार है
चीनी भाषा मजेदार है
मुझे चीन से प्यार है ।
भारत चीन की मैत्री
आज कायम है
इस बात से ना कोई इंकार है
मुझे चीन से प्यार है।
वाकई में एक कविता के ज़रिए बद्री प्रसाद जी ने बताया कि उन्हें आखिर चीन से कितना लगाव है।
दोस्तो, इसी के साथ प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए पढ़ते हैं, बिलासपुर, छत्तीसगढ़, के श्रोता बहोरिक राम साहू ने अपने पत्र में कहा कि लंबे समय बाद सीआरआई के प्रोग्राम सुने, बहुत आनंद आया।
9 जून को फिल्मी गीतों के फरमाइशी कार्यक्रम सुना। बहुत अच्छा लगा। भूत से बचने के उपाय अच्छा लगा।
पत्र भेजने के लिए धन्यवाद । पर भूत के बारे में जो बात कार्यक्रम में कही गयी, उसे गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए । क्योंकि वैज्ञानिक ढंग से हमारे विश्व में भूत मौजूद नहीं है और इसकी पु्ष्टि नहीं की जा सकती।
अब मेरे हाथ में भानपुर बडेवा, वैशाली ,बिहार के कुमार जय बर्द्धन का पत्र है ।उन्होंने लिखा है कि समाचार कार्यक्रम में चीन सरकार के पूर्व रेल मंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में सजा ए मौत का समाचार सुनने को मिला ।
चीन सरकार द्वारा भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के मामलों में पूर्व रेल मंत्री को सजा ए मौत की खबर से भारत को सीख लेने की जरूरत है ।चीन आज विकासशील देशों की श्रेणी में तेजी से आगे बढ रहा है ।उसके पीछे यही कारण है कि वो अपने यहां किसी तरह का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करता है चाहे वह भ्रष्टाचारी कितना ही रसूख वाला व्यक्ति ही क्यों न हो । एक हम हैं कि अपने यहां साधारण कर्मचारी या चपरासी से लेकर बाबू तक नेता से लेकर मंत्री तक भ्रष्टाचार एवं घोटालों में डूबा होने पर भी सीना तान कर चलता है और गला फाड़कर खुद के निर्दोष होने का दावा करता है ।
वहीं, जमशेदपुर झारखंड से एस.बी.शर्मा लिखते हैं कि पिछले दिनों समाचारों के बाद चंद्रिमा जी और अनिल जी ने साप्ताहिक कार्यक्रम खेल जगत प्रस्तुत किया। चिर परिचित अंदाज में आपने एक सप्ताह के सभी खेलों का सारांश पेश किया। हाल ही में चीन के नानचिंग में एशियाई युवा खेल आयोजित हुए थे, इस बार के समारोह की थीम " एक मैदान में प्रतिस्पर्द्धा करें, आदान-प्रदान करें, खुशी से आनंद लें, और मित्रता बढ़ाएं" यह थीम मुझे बहुत बढ़िया लगी।
नानचिंग में 45 देशो के तमाम खिलाड़ियों ने इसका आनन्द उठाया, यह जानकर बहुत खुशी हुई, खिलाडियों के रहने के लिए बने खेल गांव के घरों के डिजाइन व सजावट वहां के युवाओं ने की थी।
जहां लगभग हर एशियाई देश की संस्कृति दिखाई दे रही थी, स्थानीय युवाओं ने अपने हाथों से विभिन्न तरीके वाले सांस्कृतिक घरों को सजाया है, यह खेल का मैदान एशिया के विभिन्न संस्कृतियों के मिलन का स्थल बन गया होगा।
चंद्रिमा जी और अनिल जी आपने, खेल के इस कार्यक्रम को जीवंत बना दिया है, छोटी से छोटी बारीक़ चीजो को इस कार्यक्रम में सम्मिलित कर श्रोताओ के लिए काफी आकर्षक बनाया है। धन्यवाद।
इसके बाद रुख करते हैं, पश्चिम बंगाल की ओर। दक्षिण दिनाजपुर से विधान चंद्र सान्याल का पत्र। लिखते हैं कि चीन ने ढांचागत क्षेत्र में काफी तरक्की की है। चीन , अपनी पूंजी को ग्रामीण क्षेत्रो तक पहुंचा रहा है। जिससे गरीबी मेँ कमी आई और पिछले 40 वर्षों मे चीन मे निर्माण उद्योग का बहुत विकास हुआ। अगर भारत जैसे देशों में इसे अपनाया जाय तो कोई क्या मुश्किल है।
इसके बाद नादिया, पश्चिम बंगाल के ही धीरेन बसाक ने एक सवाल पूछा है। लिखते हैं कि चीनी लोगों का जातीय परिचय क्या है । बसाक जी ,आपका सवाल तो स्पष्ट नहीं है । लेकिन हमें लगता है कि आप चीन की जातीय स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं ।
इस अनुमान के मुताबिक हम जवाब देते हैं ।चीन एक बहुजातीय देश है । कुल 56 जातियां हैं ।उनमें हान जाति की जनसंख्या सबसे ज्यादा है। चीनी संविधान के मुताबिक सभी जातियां ,चाहे बड़ी हों या छोटी, समान हैं ।अल्पसंख्यक जातियों के मामले के देखरेख के लिए केंद्र सरकार में राष्ट्रीय जातीय मामला आयोग होता है ।इसके अलावा चीन में जातीय स्वायत्त व्यवस्था भी लागू है ।आप जानते होंगे कि प्रांतीय स्तर पर चीन में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ,सिनचांग, भीतरी मंगोलिया, निंग शा ह्वी और क्वांग शी च्वांग स्वायत्त प्रदेश हैं ।इसके अलावा ज़िला, काउंटी और टाउनशिप स्तर पर भी अल्पसंख्यक जातीय संस्था होती है ।अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए केंद्र सरकार समर्थक व उदार नीति प्रस्तुत करती है ।सामाजिक क्षेत्रों में अल्पसंख्यक जातियो को तरजीह भी दी जाती है ।उदाहरण के लिए युनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा में अल्पसंख्यक छात्रों को अतिरिक्त अंक मिलते हैं। परिवार नियोजन कार्यक्रम सिर्फ हान जाति के लोगों के लिए लागू होता है ।बसाक जी ,पता नहीं आप हमारे जवाब से संतुष्ट हैं या नहीं। अन्यथा अगली बार फिर से स्पष्ट रूप से सवाल पूछ सकते हैं।
अनिलः इसके बाद लीजिए पेश है, जौहरी कोठी, समस्तीपुर बिहार के पी.सी.गुप्ता का पत्र। उन्होंने सीआरआई द्वारा आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं के बारे में चर्चा की है। गुप्ता जी ,वर्तमान में हम तीन प्रतियोगिता चला रहे हैं ।आशा है कि आप इनमें भाग लेंगे ।
इसके साथ ही पी सी गुप्ता जी ने हमें कवि इला मुखोपाध्याय का कविता संग्रह भेजा है ।बहुत शुक्रिया ।हमें लगता है कि आप लोगों को श्रीमती मुखोपाध्याय की पुस्तक जरूर बहुत पसंद होगी ,वरना हमें नहीं भेजते ।उनकी रचनाओं के बारे में आप लोग क्या सोचते हैं, अगले खत में जरूर हमें बताइएगा।
वेइतुंगः वहीं औरैया ,यू पी के काल्का प्रसाद कीर्ति प्रिय कहते हैं कि इस मई में शमसुद्दीन शाकी अदीबी की फोन वार्ता सुनी ।अदीबी ने सही बात कही, मैंने उनकी गजल भी सुनी और अच्छी लगी ।
अदीबी साहब से मेरी मुलाकात दिल्ली स्थित चीनी दूतावास में हुई थी। तब उन्होंने श्रोता संघ बनाने की सलाह दी थी। इसके बाद मैंने श्रोता संघ का गठन किया। आपके सुझाव के लिए धन्यवाद।
अनिलः दोस्तो, लीजिए अब पेश है हमारे मॉनिटर शाहिद आजमी का ख़त। वे लिखते हैं कि इन दिनों सीआरआई में दो प्रतियोगिताएं चल रही हैं जिसमें लिखने सुनने-सुनाने रचने और दिखाने का मौक़ा श्रोताओं को दिया गया है। इसके अलावा वर्ष 2013 श्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन शुरू करना भी उन श्रोताओं के लिए सार्थक है जो क्लब साल भर सीआरआई के लिए काम करते हैं चीन और चाइना रेडियो का प्रचार प्रसार करते हैं। जैसा कि इस प्रक्रिया में चयन के लिए इन तीन पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जायेगा ,पहला ,स्थानीय मीडिया पर सीआरआई और चीनी संस्कृति का प्रचार। ऑडियो, वीडियो, आलेख या चित्र जैसी रचनाएं जारी की गयी हों। प्रभावी गतिविधि आयोजित की गई हो , प्रचार की वीडियो क्लिप ,श्रोता मैगज़ीन ,व अन्य प्रचार सामग्री तैयार की गयी हो। आजमी लिखते हैं कि हमारा क्लब लगातार इस काम में लगा हुआ है, हमने लगातार चाइना रेडियो का प्रचार प्रसार किया है चाहे वो न्यूज़ पेपर का माध्यम रहा हो या फिर सोशल मीडिया। फेस बुक पर आप पेज देखकर इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं।