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वेइतुंगः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।
अनिलः सभी दोस्तों को अनिल पांडेय का भी नमस्कार।
दोस्तों, आज हम फिर आ गए हैं, आपका मनपसंद प्रोग्राम आपका पत्र मिला लेकर, उम्मीद है कि आप अपने रेडियो सेट के पास बैठ गए होंगे। प्रोग्राम में सबसे पहले श्रोताओं के ई-मेल और पत्रों को पढ़ने की बारी।
वेइतुंगः इसी क्रम में लीजिए पेश है झारखंड के एस.बी.शर्मा का पत्र। वे लिखते हैं कि आठ अगस्त को अनिल जी द्वारा प्रस्तुत सामयिक वार्ता सुनी, जिसमें चीन के सैन्य चिकित्सा जहाज के बम्बई पहुंचने और चीनी चिकित्सकों द्वारा भारत में रह रहे चीनी लोगों, दूतावास और कांउसलेट के अधिकारियों और चीनी कर्मचारियों की मुफ्त स्वास्थ्य जांच करने की जानकारी दी गई। यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि इस चीनी चिकित्सा दल को देखने के लिए भारतीय सैनिकों ने भी दौरा किया और चिकित्सा जहाज को देखा। साथ ही चीनी सैनिक भारतीय नौ सेना के चिकित्सा जहाज को देखने पहुंचे। दोनों पक्षों ने चिकित्सा क्षेत्र में आवाजाही पर चर्चा की। यह क़दम सराहनीय है।
एक अन्य पत्र में शर्मा ने कहा कि 18 अगस्त को समाचारों के बाद दिनेश जी और हेमा जी ने साप्ताहिक "टॉप फ़ाइव" प्रस्तुत किया हर सप्ताह की तरह इस बार का प्रोग्राम भी नए शीर्षक के साथ था। इस अंक का शीर्षक था "टीवी स्पेशल" काफी अच्छा लगा, वर्ष 1990 से आज तक का सफ़र बहुत ही बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया रामायण और महाभारत का वह दौर हम कैसे भूल सकते हैं। जब इन दोनों सीरियलों के शुरू होने के पहले भारत की गलियां सूनी हो जाती थी, लोग टीवी के सामने अपनी एक सीट सुरक्षित कर लेते थे और उस समय तक डटे रहते थे जब तक की सीरियल समाप्त नहीं होता था.
यह जानकर अच्छा लगा कि चीन में भी भारत की तरह सास बहू जैसे सीरियल काफी पसंद किये जाते हैं।
अनिलः इसके साथ ही प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए पढ़ते हैं, कटनी, मध्य प्रदेश के श्रोता अनिल ताम्रकार का पत्र। उन्होंने इसमें रूस के ईद की चर्चा की है। लिखते हैं कि मुसलमान रमज़ान के पवित्र महीने के अंत पर ईद उल-फितर का त्यौहार मना रहे हैं। 30 दिनों के रोज़ों के बाद आज ईद का यह पवित्र त्यौहार आया है। कल, रमज़ान के अंतिम दिन मुसलमानों द्वारा ईद मनाने के लिए खूब तैयारी की गई थी।
आज के दिन मुसलमान एक दूसरे को ईद मुबारकबाद देते हैं, अपने बिछड़े हुए प्रियजनों की कब्रें देखने जाते हैं और ग़रीबों को दान देते हैं। जिन मुसलमानों ने रोज़े नहीं रखे थे उनसे ज़कात ली जाती है। मालदार मुसलमानों द्वारा भी ज़कात दी जाती है। इस्लामिक नियमों के अनुसार, उन्हें अपनी आमदनी का चालीसवां भाग दान करना होता है। कम आय वाले मुसलमानों के लिए "छोटी ज़कात" निर्धारित की जाती है।
ईद के अवसर पर मॉस्को की सभी मस्जिदों में नमाज़ अदा की गई। इन दिनों मॉस्को में एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप भी आयोजित हुई। इसलिए, राजधानी में इन खेलों और ईद के त्यौहार के मद्देनज़र सुरक्षा के विशेष उपाए किए गए थे।
वेइतुंगः ताम्रकार के ख़त के बाद वक्त हो गया है, अगले ई-मेल का। जो आया है, जमशेदपुर झारखंड से। इसे भेजने वाली है, सागरिका शर्मा। वे लिखती हैं कि मैं इण्टर प्रथम वर्ष की छात्रा हूं। मैं, अपने परिवार के साथ सीआरआई हिंदी रेडियो सुनती हूं, मैं, मेरी बहन , भाई, मम्मी और पापा सभी आपका कार्यक्रम सुनते हैं। मेरे पापा को आपका कार्यक्रम सुने बिना नींद ही नहीं आती है उनके चलते अभी जमशेदपुर में कई लोग आपका कार्यक्रम सुनते हैं वे हमेशा लोगो को सीआरआई सुनने और पत्र लिखने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
आजकल आपके द्वारा दो-दो प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं, "मुझे चीन से प्यार है" टैलेंट शो और ज्ञान प्रतियोगिता " और मेरी चीनी कहानी लेखन प्रतियोगिता । इसके लिए धन्यवाद। साथ ही रेडियो पर आपके समाचार बहुत अच्छे व रोचक और ज्ञानवर्धक लगते हैं। आपके रेडियो के माध्यम से चीन के बारे में व्यापक जानकारी हासिल होती है,
अनिलः लीजिए अब पेश है, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल कैवर्त का पत्र। उन्होंने "सामंजस्य मिशन—2013" में लगे चीनी नौसेना के पीस आर्क नामक चिकित्सा-जहाज के भारत दौरे की चर्चा की है। लिखते हैं कि इस दौरान चीनी डॉक्टरों ने डॉक्टर कोटनिस की छोटी बहन मनोरमा और उनके परिजनों से भेंट की। इस विषय पर आपकी वेबसाईट पर सचित्र रिपोर्ट पढ़ने को मिली और एक बार फिर महान डॉक्टर कोटनिस की कड़ी मेहनत और अतुल्य सेवा भावना मेरे दिलोदिमाग में ताज़ा हो गयी। वास्तव में जब-जब चीन-भारत मैत्री का इतिहास लिखा जायेगा,तब-तब डॉक्टर कोटनिस का नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित होगा। उनका जीवन दोनों देशों की जनता के लिए प्रेरणा का स्रोत है।भारत यात्रा पर आने वाले चीनी नेता और अधिकारी डॉक्टर कोटनिस के परिजनों से जरुर भेंट करते हैं।इससे पता चलता है कि चीनी लोग अपने दोस्तों को कभी नहीं भूलते।मुझे याद है,कुछ साल पहले सीआरआई द्वारा चीनी लोगों के बीच 'चीन के 10 सर्वश्रेष्ठ मित्रों' का चुनाव करवाया गया था और इस सर्वेक्षण में डॉक्टर कोटनिस को चीनी भाई बहनों ने सर्वश्रेष्ठ मित्र चुना।इससे पता चलता है कि चीनी जनता के हृदय में डॉक्टर कोटनिस के प्रति कितना सम्मान है। मेरी दिली इच्छा है कि आधुनिक युग में भी हमारी दोस्ती इसी तरह फलती-फूलती रहे।इस सार्थक रिपोर्ट के लिए आप सबका धन्यवाद। साथ ही आप सभी को रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें।
वेइतुंगः छत्तीसगढ़ के बाद रुख करते हैं, बिहार का। यह पत्र हमें आया है, मोतीहारी से। भेजने वाले हैं रामबाबू कुमार। वे लिखते हैं कि 11 महीने चेन्नई प्रवास के बाद अभी पिछले हफ्ते ही घर वापस पहुंचा हूं। वहां मेरी आंखों का इलाज हो रहा था ।मुझे हर चीज़ टेढ़ी मेढ़ी दिखती थी ।इलाज से आंशिक लाभ है ।यह शिकायत रेटीना की खराबी के कारण है जिसका कोई स्थाई इलाज नहीं है ।रामबाबू जी ,आप इस हाल में भी हमें पत्र भेजना नहीं भूलते ,इसके लिए शुक्रिया ।रामबाबू ने पत्र में आगे कहा कि यहां लौटने पर आपके द्वारा भेजी गयी श्रोता वाटिका के जून 2012 और सितंबर 2012 के अंक प्राप्त हुए ।हर अंक की पांच पांच प्रतियां मिलीं जो मेरे मित्र ,पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने ध्यान से पढ़ीं। दोनों अंकों की साज सज्जा उत्कृष्ट है और सामग्री पठनीय। रमेश और लिली जी की संपादकीय सराहनीय है ।अंक भेजने के लिए बहुत बुहत धन्यवाद । अनिल जी ,हमारी मैगजीन श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय है। अब हम नई मैगज़ीन के लिए कोशिश कर रहे हैं, जो कि कुछ समय बाद निकलेगी। श्रोताओं के लिए यह बड़ी खुशी की बात है।
अनिलः वहीं पश्चिम बंगाल से ही बिधान चन्द्र सान्याल ने भी ख़त भेजा। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता दिवस की चर्चा की है। लिखते हैं कि सभी को स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। पूरे भारत ने देशभक्ति एवं गर्मजोशो के साथ 67 वां स्वतंत्रता
दिवस मनाया। देश की आजादी के इस महापर्व को प्रत्येक साल मनाया
जाता है और पूरे देश मेँ इस अवसर पर तिरंगा फहराने के अलावा विभिन्न समारोहों
का आयोजन किया जाता है । राष्ट्र गान से देश गूंज उठता है , लेकिन
शाम ढलते-ढलते ऐसा लगता है कि हम लोग आजादी के इस दिन को भूल जाते है। ऐसा प्रतीत होता है कि समारोह आयोजित कर हम अपने कर्तव्योँ एवं
जिम्मेदारियोँ से इतिश्री कर लेते हैँ । कुछ मीडिया एवं बुद्धजीवियोँ द्रारा इस अवसर पर सरकारोँ को कोसने एवं निकम्मा ठहराने की कोशिश की जाती है । इस बात का निष्कर्ष निकालने की कोशिश की जाती है कि हमने क्या खोया और क्या पाया है । मगर सवाल उठता है कि क्या आजादी के मायने यहीं तक सीमित हैं । क्या हम केवल एक दिन का उत्सव मनाकर देश के प्रति कर्तव्योँ एवं उत्तरदायित्वोँ का निर्वाह कर सकते हैं ? जरूरत तो इस बात की है कि हम अपनी इस आजादी के मायने एवं महत्व को समझेँ और स्वतंत्रता के
महापर्व को किसी एक दिन मनाने के बजाए पूरे वर्ष राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मदारियोँ का निर्वाह करेँ । यह सच है कि आजादी के 66 साल बाद भी देश विभिन्न समस्याओँ से ग्रसित है , लेकिन इसमेँ भी कोई दो राय नहीँ है कि इन वषोँ मेँ देश ने अभूतपूर्ण प्रगति की है । आजादी के 66 सालोँ मेँ भारत की तस्वीर यकीनन बदली है । भारत ने तमाम क्षेत्रों मेँ जबर्दस्त तरक्की की है और विश्व के मानचित्र पर अपनी छवि वेहतर बनाई है । विज्ञान , कृषि , ब्यापार , स्वास्थ्य , शिक्षा ,खेल या फिर कोई अन्य क्षेत्र , सभी क्षेत्रोँ मेँ देश ने विकास का इतिहास रचा है और उपलव्धियोँ के झंडे गाड़े है । यह भी सही है कि आजाद तो हम 15 अगस्त 1947 को हो गये थे, पर असली आजादी आज भी दूर की कौड़ी सी लगती है। धन्यवाद।