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आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।
सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का भी नमस्कार।
दोस्तो, लीजिए शुरू करते हैं आज का प्रोग्राम, सबसे पहले हम पढ़ेंगे, श्रोताओं के ई-मेल और पत्र।
वेइतुंगः फैजाबाद यूपी के डॉक्टर राम प्रकाश करोज अपने पत्र में लिखते हैं कि राम कुमार रावत ,गीता रावत ,मनीष रावत और मैं सीआरआई का प्रसारण कई वर्षो से सुन रहे हैं ।इस मई में हमारा पत्र भी श्रोता के कार्यक्रम में शामिल किया गया और अनिल पांडेय जी ने यह काम बखबूबी किया। इसके लिए हम आपके बहुत आभारी हैं ।आपके कार्यक्रम में जानकारियां रोचक व ज्ञान से परिपूर्ण होती हैं ।हम पत्र लिखते रहते हैं ।आशा है कि अधिक से अधिक पत्र कार्यक्रम में शामिल किये जाएंगे ।अनिल पांडेय और पंकज श्रीवास्तव आदि के कार्यक्रम प्रस्तुत करने की शैली अच्छी लगती है।
अनिलः इसके बाद बारी है अगले ख़त की। जो हमें भेजा है, पश्चिम बंगाल से बिधान चन्द्र सान्याल ने। कहते हैं कि चीनी शानदार कार्य की तिब्बत यात्रा गतिविधि के तहत तिब्बत मेँ 2 खरब 56 अरब युआन से अधिक निवेश आकर्षित हुआ। इससे तिब्बत के विकास की गति और तेज़ होगी। साथ ही सान्याल आगे लिखते हैं कि चीन दुनिया मेँ ऐसा देश बन गया है, जिसके बिदेश जाने वाले पर्यटको की संख्या सबसे तेजी से बढी है । पर्यटन का पहला बड़ा गंतब्य और ऐसा चोथा देश है जिसके बिदेश जाने वाले पर्यटको की संख्या सर्बाधिक है। इसके साथ ही चीन सरकार ने अपने नागरिको से बिदेश मेँ सभ्य व्यवहार करने की अपील की है। क्योंकि हाल के दिनों में कुछ चीनी पर्यटकों द्वारा विदेशों में दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आई हैं। इससे चिंतित चीन सरकार ने बिदेशो की संस्कृति एबं रीति
रिवाज का सम्मान करने के अलावा पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने का आह्वान भी किया है। चीनी सरकार की इस अपील से मैं बड़ा प्रभावित हुआ, इसके लिए धन्यवाद।
सान्याल ने इससे जुड़ा हुआ सवाल भी पूछा है,
वर्ष 2013 मेँ अव तक कितने चीनी पर्यटक भारत आए और इसी अवधि में कितने भारतीय चीन पहुंचे।
सान्याल जी , इस साल के पहले 6 महीनों में 3 लाख 44 हजार 700 भारतीयों ने चीन की यात्रा की ,जो पिछले साल की समान अवधि से 14.26 फीसदी अधिक है। हालांकि हमने भारत जाने वाले चीनियों की संख्या की जानकारी हासिल करने की काफी कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
हालांकि वर्ष 2012 में कुल 1 लाख से अधिक चीनी पर्यटक भारत गये ।वर्ष 2012 में चीन और भारत के बीच आने जाने वाले पर्यटकों की कुल संख्या सात लाख थी। दोनों देशों की विशाल जनसंख्या की तुलना में लोगों की आवाजाही सचमुच अधिक नहीं है। जन संपर्क बढ़ाने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है।
वेइतुंगः बिस्टुपुर ,झारखंड के अशोक कुमार तिवारी ने अपने पत्र में कहा कि हेमा कृपलानी जी की भाषा शुद्ध एवं उच्चारण स्पष्ट है ।एक कार्यक्रम में मनुष्य की सोच और महिलाओं की बचत के बारे में बताया। जानने योग्य बातें उन्होंने यह बताई कि बचत कहां और किस रूप में की जाए जिससे महिला अपने और अपने परिवार को खुश रख सके। उन्होंने बताया कि चीनी महिलाएं अधिकतर बचत कर पहले अपने लिए निजी घर तैयार करती हैं। जानकारी के लिए धन्यवाद।
अनिलः वहीं झारखंड के एस.बी. शर्मा अपने ई मेल में लिखते हैं कि आज मैं सीआरआई की वेवसाईट देख रहा था तो देखा की एक वीडिओ लगा है मैंने दूसरे दिनों की तरह आज भी इसे इग्नोर कर दिया। क्योकि वीडियो तो कभी चलता नहीं है केवल लिंक ही दिखाई देता है और वीडिओ के लिए दी गई जगह ख़ाली पड़ी रहती है। थोड़ी देर बाद मैंने देखा की वीडिओ चल रहा है और हेमा जी किसी से बातें कर रही है तभी आवाज भी सुनाई दी। यह हेमा जी द्वारा संयुक्त राष्ट्र- बाह्य अंतरिक्ष मामलों के कार्यालय के प्रभारी के साथ साक्षात्कार था। धन्यवाद कि वीडियो चलने लगा है। हमारी वेबसाइट पर ऑडियो व वीडियो चलने की स्पीड धीमी होने की कई वजहें हैं। हमारे रेडियो की सर्वर की मशीन इतनी पावरफुल नहीं है। साथ ही हमें तकनीक में कुछ सुधार करने की भी जरूरत है। हालांकि कभी कभी हमारे कुछ श्रोताओं के ब्रॉड बैंड से जुड़ी हुई समस्या भी होती है। फिर भी हम संबंधित विभाग के संपर्क में है और इस समस्या को दूर करने की पूरी कोशिश करेंगे । उम्मीद है कि हमारे श्रोता बिना किसी रुकावट के ऑडियो और वीडियो सुन व देख पाएंगे।
वेइतुंगः इसके बाद लीजिए पेश है, अगला पत्र। जो कि आया है, समस्तीपुर बिहार से। इसे भेजने वाले हैं प्रकाश गुप्ता। कहते हैं कि मैंने 15 मई की रात आपका हिंदी कार्यक्रम सुना । पंकज श्रीवास्वत द्वारा समाचार एवं तिब्बत में जंगली जानवरों के सर्वेक्षण की जानकारी मिली। वहीं आपका पत्र मिला कार्यक्रम अनिल पांडेय द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसमें पहला पत्र गोरखपुर के बद्री प्रसाद अनजान का था ।भागलपुर के नंद कुमार का एसएमएस । साथ ही रोहताश के प्रमोद कुमार से टेलीफोन वार्ता सुनी ।इसमें लालू और नीतिश सरकार में शिक्षा के क्षेत्र में हुए परिवर्तन की जानकारी हुई । वहीं प्रकाश ने अपने पत्र में यह शिकायत भी की है कि मैं हमेशा प्रोग्राम रुचि के साथ सुनता हूं, और समय- समय पर सीआरआई द्वारा आयोजित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में भाग भी लेता हूं । यह मेरा दुर्भाग्य है कि प्रतियोगिता का सही जवाब भेजने के बाद भी आज तक मुझे न कोई पुरस्कार मिला और न उपहार।
प्रकाश जी, इन दिनों मुझे चीन से प्यार है ज्ञान प्रतियोगिता और मेरी चीनी कहानी नामक लेखन प्रतियोगिता चल रही हैं ।आशा है कि आप इसमें भाग लेंगे ईनाम जीतेंगे। आमतौर पर प्रतियोगिता में सही जवाब देने वाले को पुरस्कार मिलता है। अगर सही जवाब देने वाले श्रोताओं की संख्या काफी ज्यादा है ,तो ड्रॉ से विजेताओं की सूची निकाली जाती है। इसी कारण कुछ श्रोता उपहार से चूक जाते हैं । और एक बात है कि हर प्रतियोगिता की समाप्ति की तिथि होती है । इसके बाद हमें कोई भी पत्र मिलने पर ईनाम नहीं दिया जाता। इसलिए ध्यान रहे ,अगर आप प्रतिय़ोगिता में भाग लेना चाहते हैं, तो समाप्ति तिथि से पहले ही जवाब भेजें।
अनिलः मुजफ्फरपुर, बिहार के श्रोता जसीम अहमद एक खेल प्रेमी हैं । उन्होंने अपने पत्र में कहा कि खेल के क्षेत्र में अगर चीन की बात की जाए, तो भारत से चीन बहुत आगे हैं।
सिर्फ क्रिकेट एवं कबड्डी में भारत चीन से अच्छा है ।मुझे जो कमी महसूस हो रही वह यह है कि चीन में अभी कार्ल लुइस व उसैन बोल्ट जैसे एथलीट पैदा नहीं हुए हैं। यह कमी पुरुष एवं महिला दोनों वर्ग में है। चीन के एथलेटिक संघ एवं उनके पदाधिकारियों को इस तरह की कमी महसूस हो रही है कि नहीं यह तो उनसे बात करने पर पता चलेगा ।मेरी ख्वाहिश है कि दुनिया का सबसे तेज धावक चीन में पैदा हो जो 100 मीटर एवं 200 मीटर दौड में स्वर्ण पदक जीत पाये ।वैसे अन्य खेलों में चीन की स्थिति बहुत अच्छी है सिर्फ ट्रेक पर दौडने वाले एथलीट को तैयार करना होगा ।अगले ओलंपिक की तैयारी अभी से करनी होगी ताकि पदक तालिका में चीन सबसे ऊपर हो ।मैं चीन के खिलाडियों एवं एथलीटों के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।
वेइतुंगः
जसीम अहमद ने सही कहा कि कम दूरी की दौड में चीन में यूसैन बोल्ट जैसे महान खिलाडी पैदा नहीं हुए हैं। ।मुझे लगता है कि 100 मीटर व 200 मीटर दौड में अश्वेत एथलीटों का दबदबा तोडना बहुत मुश्किल है। आने वाले समय में भी ओलंपिक व विश्व चैंपियनशिप में ऐसी इवेंटों के स्वर्ण पदक जीतना चीन के लिए बहुत बहुत मुश्किल है । क्योंकि अश्वेत खिलाडियों की शारीरिक स्थिति अच्छी होती है। पीले रंग के खिलाडी उनका मुकाबला नहीं कर सकते ।पर चुनौती के सामने चीनी खिलाडियों ने सिर नहीं झुके ।हाल ही में मॉस्को में हुई विश्व एथलैटिक्स चैंपियनशिप में चीनी खिलाडियों ने बडी प्रगति प्राप्त की ।पुरुषों की 100 मीटर दौड में दो चीनी खिलाडी सेमीफाइल में पहुंचे ।चीनी खिलाडी चांग पेइ मंग ने सेमी फाइनल में 10 सेकेंड में 100 मीटर तय करके शानदार प्रदर्शन किया ,जो सेमीफाइनल में 9 वें स्थान पर रहे ।इस इवेंट में यह किसी चीनी खिलाडी का सबसे अच्छा रिकार्ड है ।विशेषज्ञों का विचार है कि चांग पेइ मंग को दस सेकंड के अंदर दौडने की बडी संभावना है ।ध्यान रहे अब तक किसी पीले रंग के खिलाडी ने यह उपलब्धि हासिल नहीं की।
अनिल जी ,इस विषय पर आप की क्या टिप्पणी है।
अनिलः एक दूसरे पत्र में जसीम अहमद ने कहा कि जैसा कि आप सब लोगों को पता होगा कि 1936 के ओलंपिक में कबड्डी को शामिल किया गया था ,मगर 1936 के बाद फिर किसी ओलंपिक में इस खेल को शामिल नहीं किया गया ।भारत को मजबूती से दावेदारी पेश करे ताकि इस खेल को ओलंपिक में शामिल किया जा सके । सभी एशियाई देशों को चाहिए कि कबड्डी जैसे खेल नियमित तौर पर आयोजित करें एवं ओलंपिक में इस खेल को शामिल किया जाए।
कबड्डी दक्षिण एशिया में एक काफी लोकप्रिय खेल है और जापान ,मलेशिया जैसे एशियाई देशों में भी चलता है ।वर्ष 1990 पेइचिंग एशियाड में कबड्डी पहली बार एशिया के सबसे बडे खेल समारोहर में नजर आया ।पर विश्व के बाकी क्षेत्रों में कबड्डी अब भी बहुत कम लोग खेलते हैं और उसका प्रभाव कम है ।इसलिए वह ओलंपिक में शामिल नहीं हो सकता।
वेइतुंगः लीजिए इसके बाद वक्त हो गया है, अगले ख़त का। जो भेजा है, मॉनिटर सुरेश अग्रवाल ने।
साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत उत्तर-पश्चिमी चीन के शानसी प्रान्त स्थित याआन के प्राकृतिक सौन्दर्य की झलक मंत्रमुग्ध करने वाली थी.हमने उक्त प्रदेश के शीआन शहर के बारे में तो काफी सुना था, परन्तु चीन के इस क्रांतिकारी तीर्थ के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी शायद पहली बार हासिल करने का मौक़ा मिला । वर्ष 1935 -1948 तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की क्रांतिकारी गतिविधियों का गढ़ रहे याआन के नौ मंजिला और 44 मीटर ऊँचे पगोड़ा के बारे में सुनकर उसकी भव्यता का एहसास सहज ही हो जाता है। इसके अलावा पांच हज़ार साल पुरानी समाधि, याँगसी नदी और पचास मीटर गहरे हुखो झंरने की इन्द्रधनुषी छटा- सब कुछ बरबस ही मन अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है.प्रत्यक्ष न सही, इस प्रस्तुति के माध्यम से यह नयनाभिराम दृश्य देखकर मन तृप्त हो गया।
कार्यक्रम "चीन का तिब्बत" के अन्तर्गत भी आज उत्तर-पश्चिम चीन से जुडी अहम् जानकारी प्रदान की गई.सन 2008 में स्छ्वान प्रान्त में आये ज़बरदस्त भूकम्प के बाद वहां चलाई गई "एक चीनी ह्रदय का निर्माण" कल्याण परियोजना, जिसके तहत कोई पांच हज़ार स्वयंसेवियों द्वारा दो लाख चालीस हज़ार रोगियों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई गई। सचमुच काफी प्रेरक लगी. कान्सू प्रान्त के कान्नान प्रीफेक्चर के दुरूह स्थानों पर जाकर सेवा प्रदान करना वास्तव में काफी कष्टसाध्य कार्य है। जिसे अभियान से जुड़े लोगों ने कर दिखाया। धन की मदद तो कोई भी कर सकता है, परन्तु औरों के लिए समय देना आसान काम नहीं।
कार्यक्रम के अन्त में चीन के छिंगहाई तथा नेपाल के बीच गैर-सरकारी आवाजाही में बढ़ोतरी से दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात में भी काफी चमक आयी है, वर्ष 2011 में चीन आये नेपाल के श्री सरोज तथा एक चीनी नागरिक के साझा कारोबार तथा शिनिंग और ललितपुर के बीच सीधा संचार आदि ऐसी ख़बरें हैं। जो नेपाल और चीन के बीच हजारों साल पुराने ऐतिहसिक सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने में मददगार साबित होंगी। कार्यक्रम में चीन-नेपाल मैत्री संघ के प्रकाश बाबू पौडेल के विचार सुनवाने के लिए भी धन्यवाद्। कृपया सम्भव हो तो चीन में रहने वाले जानेमाने नेपाली श्रोता विष्णु बाबू पौडेल से भी बातचीत सुनवाने का कष्ट करें। धन्यवाद्।