1
|
आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।
सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का भी नमस्कार।
वेइतुंगः बस्ती ,उत्तर प्रदेश के श्रोता कृष्ण कुमार जायसवाल ने अपने पत्र में कहा कि आपने मेरा इंटरव्यू लिया। इस पर मुझे कितनी खुशी हुई पूछिए मत । आपने हमारी खुशी को और दोगुना कर दिया क्योंकि आज मेरी शादी की 22वीं वर्षगांठ थी। सचमुच जीवन में पहली बार हुआ कि किसी लोकप्रिय रेडियो स्टेशन से वह भी पडोसी देश चीन से इंटरव्यू हुआ ।इसके लिए हम सीआरआई हिंदी विभाग का धन्यवाद देना चाहते हैं। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि चीन विकास के रास्ते पर आगे ही आगे बढे ।चीन भारत मैत्री विकास के पथ पर आगे बढे ।चीन के लोगों के जीवन में खुशिया आएं ।
अनिल जी, एक कॉल ने हमारे श्रोता कितने खुश हुए हैं।हम भी कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा श्रोताओं की आवाज ऑनएयर हो ।पत्र लिखने के लिए धन्यवाद ।जायसवाल ने पत्र में हमें कई प्रश्न भी पूछे हैं। समय के कारण अब हम उनमें से दो चुनकर उत्तर देंगे ।
पहला सवाल है कि महिलाओं के उत्थान विकास और सुरक्षा के लिए चीन सरकार क्या उपाय करती है ।
जायसवाल जी, पुरुष और महिला की समानता की सुरक्षा करना चीन की बुनियादी राष्ट्रीय नीति है। यह चीन के संविधान में साफ साफ लिखा गया है ।इधर कुछ साल चीन सरकार ने कानून ,नीति ,आर्थिक व प्रशासनिक कदमों समेत कई उपायों से महिला हितों पर ज्यादा ध्यान दिया और बडी उपलब्धि भी हासिल की ।
चीनी अखिल महिला संघ ने वर्ष 2011 में जारी तीसरी चीनी महिला सामाजिक स्थान की जांच रिपोर्ट से जाहिर हुआ है कि दस साल पहले की तुलना में चीनी महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति ,शैक्षिक योग्यता ,आर्थिक सशक्तीकरण और पारिवारिक स्थान में बडा सुधार आया ।वर्ष 2012में महिला कर्मचारियों की सुरक्षा व हितों के लिए विशेष नियम लागू किये गये हैं। पर कुछ विशेषज्ञों के विचार में महिलाओं के सामाजिक स्थान की उन्नति के साथ साथ चीन के शहरों और ग्रामों ,विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न समुदायों में महिलाओं के विकास की स्थिति असंतुलित है ।तीसरी जांच रिपोर्ट में कहा गया कि चीनी महिलाओं के हितों की सुरक्षा में कुछ बडी समस्याएं भी हैं ,जैसे रोजगार के मामले में भेदभाव मौजूद है और विभिन्न रूप से पारिवारिक हिंसा भी है।
अनिल जी ,चीन में रहने वाले भारतीय के नाते आप शायद हमारे श्रोताओं को कुछ बता सकते हैं ।
अनिलः जायसवाल का दूसरा सवाल है कि वर्तमान में चीन में रहने वाले भारतीयों की संख्या कितनी है ।इधर के कुछ सालों में चीन भारत संबंधों के तेज विकास के साथ साथ दोनों देशों के बीच लोगों की आवाजाही भी तेजी से बढ रही है ।वर्ष 2012 में 6 लाख से ज्यादा भारतीयों ने चीन की यात्रा की। वहीं स्थायी रूप से रहने वाले भारतीयों की संख्या 30 से 40 हज़ार के बीच बतायी जाती है। अकेले राजधानी बीजिंग में ही 2 से 3 हज़ार भारतीय लोग रहते हैं। हालांकि वर्ष 2010 की जनगणना के वक्त चीन में रहने वाले कुल भारतीयों की संख्या 15000 से ज्यादा थी। बीजिंग,क्वांगचो, शनचन व शांगहाई जैसे बडे शहरो में तमाम भारतीय रहते हैं, जिनमें दक्षिण चीन के क्वांगचो शहर में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा है। चीन में स्थाई रूप से यहां रहने वाले भारतीय क्या करते हैं।
चीन में स्थाई रूप से रहने वाले इंडियंस आम तौर पर बिजनेस करते हैं या नौकरी। जिनमें इंजीनियर, आईटी, फार्मा सेक्टर, बैंक आदि प्रमुख हैं। वहीं चीनी भाषा का अध्ययन करने वाले छात्रों की संख्या भी बहुत है।
वेइतुंगः वहीं अब मेरे हाथ में एक नयी श्रोता का पत्र है। जो कि आया है पलिया कला ,खीरी ,यू पी से। ख़त भेजने वाली हैं प्रियंका पांडेय। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि मैं सीआरआई की एक नयी श्रोता हूं ।आपके यहां से प्रसारित सप्ताह भर के कार्यक्रम बडे ध्यान से सुनती हूं ।आप सबकी मीठी आवाज दिल को छू जाती है ।सचमुच में चीन एक सपनों का देश है ।मैं कार्यक्रम के माध्यम से चीन के बारे में बहुत कुछ जानकारी हासिल कर रही हूं ।मैं बी ए की छात्रा हूं पत्र अधिक नहीं लिख सकती । यह मेरा पहला पत्र है ।आशा है कि आप कार्यक्रम श्रोता मेंच में इसे शामिल कर मेरा उत्साहवर्द्धन करेंगे ।प्रियंका ,हमने आपका खत शामिल कर लिया है। उम्मीद है कि आप आगे भी हमारे कार्यक्रम सुनती रहेंगी । धन्यवाद।
अनिलः अब मेरे हाथ में पुरनहिया ,सीतामढी ,बिहार की श्रीमती कृष्णा देवी का पत्र है। वे लिखती हैं कि मैं सीआरआई हिंदी सेवा की एक नयी श्रोता हूं ।आप के कार्यक्रम मुझे अच्छे लगते हैं। मैं एक समाज सेविका हूं और मैं अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभाती हूं ।समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार के खिलाफ लडाई भी लडती हूं ,जिसमें मिहलाओं की सुरक्षा पर ज़ोर दिया जाता है ।मैं आपके कार्यक्रम सुनकर प्रतिदिन मन बदल लेती हूं ।वैसे आपके कार्यक्रमों ने हमारी रूचि चीन के प्रति बढायी है। हालांकि मैं चीन के बारे में कुछ नहीं जानती थी ,लेकिन अब जानकारी भी बढ रही है ।मैं समयानुसार पत्र लिखती रहूंगी। आपसे एक गुजारिश है कि मेरा नाम अपनी सूची में शामिल कर लें। कृष्णा जी ,हमने आपका नाम सूची में शामिल कर लिया है ।पत्र के लिए धन्यवाद ।
वेइतुंगः वहीं अगला पत्र आया है, पश्चिम बंगाल से विधान चंद्र सान्याल का। कहते हैं कि सीआरआई हिंदी के माध्यम से यह जानकारी हासिल हुई कि 20 जुलाई
की दक्षिण चीन के क्वी यांग मेँ 4 हजार से अधिक देशी विदेशी मेहमानों के
साथ अंतराष्ट्रीय पारिस्थितिक सभ्यता मंच का उद्घाटन हुआ। हमें यह जानकर खुशी
हुयी कि चीन अपनी राष्ट्रीय नीति के आधार पर हरित विकास , चक्रीय
विकास और निम्न कार्बन वाले विकास को आगे बढ़ा रहा है, ताकि पारिस्थितिक
सभ्यता के निर्माण को आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक
और सामाजिक निर्माण से जोड़ा जा सके । एक अन्य पत्र में वे लिखते हैं कि बर्ष 1951 से तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति खासकर बर्ष 1959
मेँ लोकतांत्रिक सुधार के बाद तिब्बत मेँ आम उद्योगों का तेज विकास हु्आ है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश परिस्थितिकी निर्माण को बड़ा महत्व देता है
। अव तिब्बत मेँ 18 राष्ट्रीय और प्रान्तीय स्तर वाले प्राकृतिक संरक्षण
क्षेत्र स्थापित हो चुके हैं। इससे तिब्बत के पर्यावरण संरक्षण को मजवूती
मिली है। चीन सरकार ने तिब्बत की प्रगति पर व्यापक ध्यान दिया
है । इससे तिब्बत के आर्थिक विकास को बढावा देने के साथ साथ वहां की जनता
के जीवन भी बदल गया है। जनजीवन के सुधार के लिये ग्रामीण जल सुरक्षा
परियोजना , बिजली परियोजना समेत तमाम योजनाएं शामिल हैं। अव सामाजिक गारंटी व्यबस्था के आधार पर तिब्बतियो के जीवन स्तर मेँ और सुधार आयेगा। नये चीन के नेतृत्ब मेँ तिब्बत के विकास पर हमें गर्व है।
अनिलः अगला पत्र भेजा है, सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं शाम साढ़े छह बजे का इंतज़ार और शॉर्टवेव पर दिन का ताज़ा प्रसारण सुनकर उस पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष हाज़िर हो गया हूं। आज भी 31मीटरबैंड के मुकाबले 25 मीटरबैंड पर रिसैप्शन अधिक स्पष्ट था.बहरहाल, ताज़ा समाचारों में अन्य ख़बरों के मुक़ाबले मेरा ध्यान मॉस्को में सम्पन्न जी-20 देशों के वित्तमंत्रियों तथा केंद्रीय गवर्नरों की बैठक के समाचार ने ज़्यादा आकृष्ट किया। बैठक में जहाँ अन्य तमाम देशों को अपनी मौद्रिक नीति चुस्त-दुरुस्त कर परस्पर अधिक तालमेल और समन्वय की हिदायत दी गई, वहीं मात्राधिक ढ़ीली मौद्रिक नीति के विरुध्द अमरीका से सुधार की कोई मांग नहीं की गई.लगता है कि अमरीका के लिए तमाम अन्तर्राष्ट्रीय मानदण्ड अलग हैं।
वेइतुंगः महान अभिनेता प्राण को समर्पित "टॉप फ़ाइव" की आज की प्रस्तुति अच्छी थी। पूर्वप्रसारित होते हुए भी इसमें ताज़गी महसूस हुई.प्राण साहेब की पहली फ़िल्म "यमला जट" थी और वली मोहम्मद साहेब ने पहली बार प्राण की प्रतिभा को किसी पान की दुकान पर पहचाना था, यह बात काफी रोचक लगी.यमला जट में अभिनय करते हुए उन्हें महज़ पचास रुपये महीने की तनख्वाह मिलती थी, यह बात आज की भारी-भरकम बज़ट वाली फ़िल्मों में काम करने वाले अभिनेता-अभिनेत्रियों के लिए एक मिसाल हो सकती है। प्राण साहेब 14 अगस्त, 1947 को फ़िल्मों में काम करने बम्बई पहुंचे और अगले ही दिन देश का स्वतंत्रता दिवस था, इसलिए आज़ादी के दिन से भी उनका ख़ास रिश्ता था। चाहे पर्दे पर प्राण बुरे आदमी थे, पर वास्तविक जीवन में वह एक भले और संवेदनशील इंसान थे.मैंने विविध भारती से एकबार उनके साक्षात्कार में पूछे गए इस सवाल कि आप अकसर अपने से छोटों को भी पहले नमस्कार क्यों करते हैं, तो प्राण साहेब का उत्तर था-"जब मैं नमस्कार करने लायक न रहूँ तो कोई मुझे नमस्कार करें। उनकी यह बात शतप्रतिशत सत्य है, क्योंकि आज जब प्राण नहीं हैं, तो भी लोग उन्हें नमन करते हैं. धन्यवाद् इस प्रस्तुति के लिए।
अनिलः इसके बाद बारी है, अगले पत्र की। इसे भेजने वाले श्रोता हैं, जमशेदपुर, झारखंड से एस.बी.शर्मा। लिखते हैं कि 18 जुलाई को चीन ने भारत में पहला कन्फ़्यूशियस कॉलेज मुंबई विश्वविद्यालय में स्थापित किया। चीन को बहुत बहुत धन्यवाद और ढेरों बधाइयाँ और भारत्वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। आज का दिन चीन और भारत दोनों के लिए शुभ है। चीन जहां इस विद्यालय के माध्यम से भारत में अपनी पैठ बढ़ाएगा वहीँ भारत के लोग चीनी भाषा सीखने के साथ चीन की संस्कृति से भी अवगत होंगे। हाल के कई वर्षों में चीन व भारत के बीच राजनीति, अर्थव्यवस्था, व्यापार, कृषि, चिकित्षा, पूंजी-निवेश, संस्कृति व शिक्षा आदि क्षेत्रों के सहयोग लगातार मज़बूत हो रहा है। मुंबई का यह पहला कन्फ़्यूशियस कॉलेज चीन द्वारा भारत में स्थापित किया गया पहला कन्फ्यूशियस कॉलेज है। जिसका बहुत ज्यादा महत्व है। उम्मीद हैं कि चीन व भारत दोनों इस कॉलेज द्वारा एक दूसरे की संस्कृति को जान सकेंगे और एक दूसरे को बेहतर समझ सकेंगे। इस कालेज से दोनों देशो के लोग एक दूसरे को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे और नजदीकियां बढ़ेगी, लोग एक दूसरे को ज्यादा करीब से जानेंगे।
वेइतुंगः ढोली सकरा बिहार के नियमित श्रोता दीपक कुमार दास ने अपने पत्र में बोधगया के महाबोधि मंदिर में आतंकियों के हमले पर चर्चा की ।उन्होंने कहा कि दुनिया भर के आस्था के केंद्र महाबोधि मंदिर में आतंकियों के हमले से यह साफ है कि उनकी पहुंच और उनका दुस्साहस बढता जा रहा है ।अहिंसा के उपासक और शर्मनाक हैं क्योंकि ऐसे किसी हमले का अंदेशा पहले से था ।अगर पुलिस संवेदनशील और हमलों की आशंका वाले ठिकानों की सुरक्षा को भी चुस्ती का परिचय नहीं दे सकती तो फिर उस से यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वह आम सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा में सक्षम है ।यह लगभग तय है कि यह आतंकी हमला नये सिरे से दुनिया भर में भारत की बदनामी का कारण बनेगा ।भारत पहले से ही एक ऐसे देश के रूप में उभर चुका है जो आतंकवाद का सामना करने के मामले में बेहद ढुलमुल है ।