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वेइतुंगः श्रोता दोस्तों को वेइ तुंग का नमस्कार ।
अनिलः सभी दोस्तों को अनिल पांडे का भी प्यार भरा नमस्कार।
दोस्तो, इसी के साथ आज का प्रोग्राम शुरू करते हैं, उम्मीद है कि आप सभी रेडियो सेट के पास बैठकर हमारे प्रोग्राम का इंतजार कर रहे होंगे।
वेइतुंग जी आज आप क्या लेकर आए हैं।
वेइतुंगः रोजाना की तरह आज भी हमें कई श्रोताओं के पत्र आए हैं, इसी क्रम में सबसे पहले हम शामिल कर रहे हैं, बालाघाट, मध्य प्रदेश के श्रोता आर के बासल का पत्र। उन्होंने कहा कि हमारे क्लब के सभी सदस्य प्रातःकालीन सभा को नियमित रूप से सुनते हैं। 31 मई के दक्षिण एशिया फोकस में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के संबंध में अच्छी चर्चा हुई ,पंकज जी ने कुछ नये रहस्यों को उजागर किया ,जिसमें बड़े स्तर पर नेताओं व अधिकारियों के शामिल होने की बात की गई, लेकिन अभी तक इस रहस्य पर पर्दा पड़ा हुआ है।
बासल जी ने आगे लिखा कि चीनी प्रधानमंत्री ली ख छ्यांग की भारत यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों की मजबूती से जोड़ दिया है ।आपने इस संबंध में काफी चर्चाएं प्रस्तुत कीं। भारतीय छात्रों की चीन यात्रा के संदर्भ में आपने हुबेई प्रांत की राजधानी वूहान में सबसे अधिक भारतीय छात्रों के अध्ययन करने की रोचक जानकारी दी। 25 अप्रैल की सामयिक वार्ता में वर्ष 2012 में 8.3 करोड चीनी नागरिकों ने विश्व भ्रमण किया और वैश्विक पर्यटन के रूप में कीर्तिमान स्थापित करते हुए विश्व स्तर पर 13 प्रतिशत का योगदान दिया। इस रिकार्ड के लिए सभी चीनी नागरिकों को हार्दिक बधाई ।
इस पत्र से जाहिर है कि बासल जी ने बडे ध्यान से हमारे कार्यक्रम सुने हैं। शुक्रिया ।पर एक सुझाव है कि जब पत्र लिखते हैं ,तो थो़डा साफ लिखा करें, बेहतर रहेगा। इस बार हमने बड़ी मुश्किल से आपके पत्र लेखन को समझा। अक्षरों को पहचानने में भी दिक्कत आई।
वहीं दिल्ली से अमीर अहमद ने हमें एक पत्रिका भेजी है, जिसमें चीन के तिब्बत के बारें तमाम मनगढंत बातें कही गयीं हैं। अमीर अहमद के मुताबिक दिल्ली में कुछ स्थानों पर यह पत्रिका निशुल्क बांटी जा रही थी, जिसमें कोई भी सच्चाई नहीं थी। मुझे इस पत्रिका को पढकर बहुत दुख पहुंचा, जिसको मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। आप लोग तिब्बत के बारे में वेबसाइट पर और जानकारी दें ।वहां के लोगों के जीवन स्तर से जुडी जानकारी हो ताकि भारतीयों को इस पत्रिका के जवाब में बताया जा सके। वैसे मैं तिब्बत की वास्तविकता पर आपसे समाचार पत्र में प्रकाशन भी करता रहूंगा ।पत्र भेजने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।तिब्बत एक सुंदर और पवित्र स्थान है ,जो इतिहास से चीन का एक अभिन्न अंग है ।इधर के कुछ सालों में तिब्बत के विकास में काफी तेजी आयी और स्थानीय लोगों के जीवन में कायापलट हुआ ।पर तिब्बत के बारे में काफी गलतफहमी और गलत बातें अंतरराष्ट्रीय समुदाय में फैल रही है ।यह हमारी जिम्मेदारी है कि बाहरी लोगों की सेवा में तिब्बत की असली व निष्पक्ष तस्वीर पेश की जाए। आने वाले कार्यक्रमों में हम तिब्बत के बारे में अधिक जानकारी देंगे ताकि इस संदर्भ में व्यापक श्रोताओं की मांग पूरी की जा सके ।अमीर जी के सुझाव के लिए धन्यवाद ।
अनिलः अब मेरे पास दिल्ली के श्रोता दलिप कुमार कमालरामानी का पत्र है। वे 51 वर्ष के हैं और एक चार्टर्ड एकाउंटेंट है ।उन्होंने कहा कि बचपन से ही चीन के प्रति उनका विशेष लगाव रहा है। स्कूली दिनों में उन्होंने टीवी पर डाक्टर कोटनिस नामक फिल्म देखी थी ।इस फिल्म में डाक्टर कोटनिस दूसरे विश्व युद्ध् के दौरान जापानी अतिक्रमण विरोधी चीनी जनता की मदद के लिए चीन गये और बडी संख्या में चीनी मरीजों का इलाज किया ।अंत में कोटनीस का बीमारी से चीन में देहांत हुआ ।वर्ष 1988 में मैं चीनी दूतावास गया। उपहार के रूप में उन्हें हिंदी भाषा में चीन की नीति कथाएं मिलीं, उन्हें ये चीनी कथाएं बहुत पसंद आई, और उन्होंने कई बार पढ़ा। जिससे बहुत जानकारी मिली। जब भी इंडिया में चीनी फिल्म फेस्टिवल आयोजित होता है, तो उसे देखने जाते हैं। इस साल उन्होंने हांग कांग ,मकाओ और शनचन की यात्रा की। दलीप कुमार आगे लिखते हैं कि अगर आप लोग मेरे पत्र को भारत की ओर से चीनी जनता के लिए मैत्री संदेश समझेंगे तो मैं आभारी हूंगा। दलीप जी आपका पत्र हमारे लिए एक संदेश है। पत्र भेजने के लिए धन्यवाद । उम्मीद है कि आगे आप अपनी चीन यात्रा के अनुभव साझा करेंगे, ताकि अन्य श्रोताओं को इस बारे में जानकारी हासिल हो सके।
वेइतुंगः अब मेरे हाथ में जो ख़त है, वो आया है, हुगली, बमनगर पश्चिम बंगाल से। पत्र भेजने वाले हैं, दस साल के उदित शंकर बसु, जो कि क्लास फाइव में पढ़ते हैं। वे लिखते हैं कि आप लोगों के हिंदी प्रोग्राम, मैं अपने माता-पिता के साथ सुनता हूं । मैंने आज आप लोगों की वेबसाइट में "मुझे चीन से प्यार है" टैलेंट शो और ज्ञान प्रतियोगिता में हिस्सा लिया । मेरी मां मुझे चाउमिन यानि छाव म्यन बना कर खिलाती हैं । इस इंडियन चाउमिन का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगता है । मैं बड़ा होकर मशहूर प्राचीन शहर शीआन जाना चाहूंगा और वहां के कोल्ड नूडल भी खाऊंगा । मुझे आशीर्वाद दीजिये की मैं बड़ा होकर चीन जा सकूं और वहां चिकन से बने डिशेज खा सकूं । मैं बहुत छोटा हूं । और आप लोगों के तीन -चार प्रोग्राम प्रतिदिन सुनता हूं । मैं बड़ा होकर अपने माता पिता की तरह सीआरआई का सक्रिय श्रोता बनना चाहता हूं।
अनिलः इसके बाद बारी है, अगले ख़त की। जो भागलपुर बिहार के प्रियदर्शनी रेडियो लिस्नर्स क्लब के डॉ. हेमंत कुमार ने भेजा है।
वे लिखते हैं कि हाल में उत्तराखंड में आई आपदा ने हज़ारों लोगों को लील लिया, उत्तराखंड में विकास के नाम पर वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, पहाड़ों में डाइनामाइट लगाकर तोड़-फोड़ की जा रही है, पहाड़ों में सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। प्रकृति से छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि चार धाम की यात्रा पर गए हज़ारों श्रद्धालु मौत के मुंह में समा गए। जब-जब मानव ने प्रकृति से छेड़-छाड़ की, तब-तब प्रकृति ने अपना कहर बरपाया है। आखिर सवाल यह है कि हम कब चेतेंगे।
हेमंत ने बिल्कुल सही कहा, वास्तव में अब भी अगर हम नहीं चेते तो भविष्य में और विनाश होगा, जिस तरह से पहाड़ों में अतिक्रमण हो रहा है, विकास के नाम पर जंगल काटे जा रहे हैं, वह वाकई में बड़ी समस्या है। हाल के दिनों में उत्तराखंड ने विनाश की जो लीला देखी, वे सदियों तक लोगों के जहन में रहेगी। ऐसे में सरकार के साथ-साथ जनता को भी प्रकृति को बचाए रखना होगा। अन्यथा भविष्य में इससे भी बड़ी आपदा लोगों का जीवन तबाह कर सकती है।
इसके साथ ही उन्होंने हाल में बिहार के बोधगया के महाबोधि मंदिर में हुए धमाकों पर दुख जताया है, साथ ही उन्होंने बोधगया मंदिर के बारे में व्यापक जानकारी दी है, जिसे हम नेक्स्ट प्रोग्राम में शामिल करेंगे।
वेइतुंगः वहीं कोलकाता, पश्चिम बंगाल के बहाला लिस्नर्स क्लब के प्रिययंजीत कुमार घोषाल ने अपने पत्र में कहा कि कार्यक्रम में कोलकाता में रहने वाले आवुद के साथ साक्षात्कार में क्वांगचो शहर में भारतीय रेस्तरां के बारे में जानकारी मिली। इसके साथ ही यह भी पता चला कि समोसा व मुगलाई जैसी खास भारतीय डिशें चीन में लोकप्रिय हैं। घोषाल जी ,न सिर्फ क्वांगचो, बल्कि,पेइचिंग,शांगहाई ,छंगतू, छिंगताओ आदि शहरों में भी भारतीय रेस्तरां उपलब्ध हैं। पेइचिंग में लगभग दस से अधिक भारतीय रेस्तरां हैं ,जैसे इंडियन किचन, गंगा यानी गैजिंज, तंदूर, ताज पैवेलियन, पंजाबी आदि। अनिल जी ,क्या आप कभी इन रेस्तरां में गए हैं,
अनिलः जी हां गया हूं।
वेइतुंगः आपको कैसा लगा।
अनिलः-----
पर अनिल जी क्या आप जानते हैं कि चीन में सबसे मशहूर भारतीय फूड समोसा व दाल रोटी नहीं है। चीन में सबसे मशहूर भारतीय खाना पाओ पिंग है यानी रूमाली रोटी है ।पाओ पिंग इतना लोकप्रिय है कि चीनी रेस्तरां के मैन्यू में भी वह है ।यहां तक कि सुपरमार्केट में भी पाओ पिंग मिल जाता है। जब मैं इंडिया में था मैंने भारतीय खाने का खूब आनंद उठाया ।इसलिए मुझे पता है कि पाओ पिंग भारतीय खाने का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता, जैसे छाओ मिएन चीनी खाना का प्रतिनिनिधित्व नहीं करता ।
अनिलः फूड की बातें करते हुए मेरे मुंह में पानी आ गया है। लेकिन क्या करें हाथ में अगला पत्र जो है। जो भेजा है विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश की रहमतुन्निसा ने। उन्होंने सीआरआई कार्यक्रमों के बारे में टिप्पणी की है। साथ ही सीआरआई के प्रचार-प्रसार के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी है। उन्होंने अपने पत्र में कई सवाल भी पूछे हैं।
पहला सवाल है कि हर वर्ष हज यात्रा पर जाने वाले चीनी मुसलमानों की संख्या क्या है ?
क्या चीन सरकार हज यात्रा पर जाने वाले चीनी मुसलमानों को कोई सब्सिडी या छूट देती है या नहीं। तुनिसा जी, चीनी मुसलमान विश्व के अन्य क्षेत्रों के मुसलमानों की तरह हर साल हज यात्रा करते हैं । वर्ष 2012 में लगभग 13800 चीनी मुसलमानों ने हज यात्रा की ,जो इतिहास में सबसे अधिक है। वे देश के 26 प्रांतों के थे और चार्टर विमानों से हज यात्रा पर गए। चीन सरकार हज यात्रा को बडा महत्व देती है ।हर साल चीनी इस्लामिक संघ हज यात्रा का प्रबंधन करता है ।वर्ष 2012 में चीनी इस संघ ने 55 सदस्यीय कार्य दल का गठन किया । उन्होंने धार्मिक मामले के सलाह मशविरे ,सुरक्षा ,चिकित्सा व अन्य लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदान की।
खास बात है कि कार्य दल हज यात्रियों के लिए खाने ,रहने व यात्रा का प्रबंध करता है ।इसलिए चीनी हज यात्रियों को इस बारे में कोई चिंता नहीं होती। हां हज यात्रा का खर्च हज यात्री स्वयं उठाते हैं।
तुनिसा का दूसरा सवाल है कि हमने सुना है कि चीन ने भारत में हाइस्पीड ट्रेन नेटवर्क के लिए भारतीय रेल मंत्रालय के साथ समझौता संपन्न किया है ।क्या इसमें सच्चाई है।
तुनिसा जी ,चीन में प्रारंभिक तौर पर हाई स्पीड ट्रेन नेटवर्क स्थापित किया जा चुका है ,जो विश्व में सब से बड़ा नेटवर्क है। चीनी की राजधानी पेइचिंग और सबसे बडे शहर शांगहाई के बीच रेल मार्ग की लंबाई 1463 किलोमीटर है ।हाई स्पीड ट्रेन को यह दूरी तय करने में पांच घंटे से कम समय लगता है ।इसलिए कहा जा सकता है कि चीन की हाईस्पीड ट्रेन की तकनीक विश्व में अग्रसर है । चीन ने भारत के साथ रेलवे के सहयोग के बारे में समझौता संपन्न किया था ,पर हाई स्पीड ट्रेन सहयोग पर अब तक कोई समझौता नहीं है ।आशा है कि इस पक्ष में दोनों देश सहयोग कर सकेंगें ।
वेइतुंगः मेरा व्यक्तिगत विचार है कि हाई स्पीड ट्रेन नेटवर्क के निर्माण में चीन और भारत की राष्ट्रीय स्थिति बराबर है ।इस पक्ष में दोनों देशों के बीच सहयोग होना बेहतर है ।
तुनिसा का तीसरा सवाल थोडा लंबा है। यूरोप में यूरोपीय संघ स्थापित हुआ ,जिससे यूरीपीय एकता मजबूत हुई है ।क्या एशिया में यूरोपीय संघ जैसी संस्था स्थापित की जा सकेगी ताकि एशियाई एकीकरण हो सके ।अगर ऐसा हुआ तो किसी एशियाई देश के लोगों को किसी अन्य एशियाई मुल्क जाने के लिए वीजा व पास की जरूरत नहीं होगी ।मुझे लगता है यह एक दूरगामी सुझाव और सुनहरा भविष्य है ।वास्तव में अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मंच में ऐसा विचार है ।पर इसे पूरा करने के लिए लंबा रास्ता तय करना है। पर हमें इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।
अनिलः इसके बाद हमें जो पत्र मिला है, वह जमशेदपुर, झारखंड से एस.बी.शर्मा ने भेजा है। वे लिखते हैं कि पिछले दिनों पंकज श्रीवास्तव द्वारा भारतीय विशेषज्ञ के साथ ली गई भेट वार्ता सुनी, इससे काफी जानकारी मिली। इससे पता चला की भारत चीन और अन्य राष्ट्रों के मदद से धान की एक ऐसी किस्म विकसित की है, जो बाढ़ प्रभावित इलाकों में खूब होती है। जो तीन सप्ताह तक पानी में डूबे रहने के बाद भी अच्छी रहती है और उसे कोई नुकसान नहीं होता। बल्कि इससे पैदावार तीन गुना बढ़ जाती है। इसी तरह के धान के एक और किस्म भी तैयार हुई है जो गर्मी और कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है। भारत को चीन से और अधिक सहयोग कर कृषि को और उन्नत करने की ज़रूरत है। ताकि चीन के विकास का भरपूर फायदा उठाया जा सके। अच्छे प्रोग्राम के लिए धन्यवाद।
वेइतुंगः इसके बाद लीजिए पेश है, ढोली सकरा बिहार के श्रोता दीपक कुमार दास का पत्र। उन्होंने अपने ई-मेल में हाल ही में उत्तराखंड आई आपदा के बारे में चर्चा की ।उन्होंने कहा कि एशिया फोकस के अंतर्गत हांग शान द्वारा प्रस्तुत उत्तराखंड की त्रासदी और आपदा पर चर्ची सुनी ।प्राकृतिक आपदाओं का कोई समय नहीं होता है और वे बिना किसी पूर्वसूचना के अपना कहर बरपाने के लिए स्वतंत्र होती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन आपदाओं की तीव्रता को बढाने के लिए कुछ हद तक हम भी दोषी नहीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में पहाडों का हमने जिस तरह से दोहन किया है, क्या वह उचित है ।कुछ वर्षों तक भी केदारनाथ जैसी जगहों पर जाने वालों लोगों की संख्या बहुत अधिक नहीं थी ,लेकिन श्रद्धा की वजह से वहां जाते थे ,लेकिन अब श्रद्धा भाव में मौज मस्ती का भाव भी मिल गया है। यही कारण है कि वहां पेड पौधे कटने लगे और धर्मशालाओं की संख्या में वृद्धि होने लगी। बादल फटने के कारण मिट्टी में बाढ की तीव्रता को कम करने की क्षमता कम हो जाती है । काश हम प्रकृति की चेतावनी को समझ पाते ।
दास जी ने एक बहुत गंभीर सवाल पूछा है ।उत्तराखंड में जो हुआ ,उसने हमें सचमुच एक सबक दिया है। प्रकृति और विकास के बीच तालमेल बिठाना एक बडी समस्या है। लेकिन हमें हमेशा पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
अनिलः इसके बाद हमें जो पत्र आया है, वो भेजा है अलीगढ़ से अर्चना राजपूत ने। वे लिखती हैं कि 7 जुलाई के टॉप फाइव प्रोग्राम मेँ एक चुटकी सिन्दूर के विषय मेँ हेमा जी ने विस्तार से प्रकाश डाला । कार्यक्रम मेँ सिन्दूर का न केवल हिन्दू संस्कृति के अनुसार महत्व बताया वरन वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक भी उसके महत्व की जानकारी मिली। यह भी पता चला कि सिन्दूर मेँ पारा नामक धातु का इस्तेमाल किया जाता है जो कि मस्तिष्क मेँ पायी जाने वाली ग्रन्थि के लिए उपयोगी होता है साथ ही चिन्ता अनिद्रा और चेहरे पर पडने वाली झुर्रियोँ के लिए भी औषधि का काम करता है । यह जानकारी ज्ञानवर्धक लगी। वहीं भारत के विभिन्न राज्योँ मेँ विवाह के मौकों पर दुल्हन के आभूषणों के बारे जानकार अच्छा लगा। धन्यवाद।