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वेइतुंगः आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार
अनिलः सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का भी नमस्कार। दोस्तो, इसी के साथ आज का प्रोग्राम शुरू करते हैं, उम्मीद है कि आप सभी रेडियो सेट के पास बैठकर हमारे प्रोग्राम का इंतजार कर रहे होंगे।
वेइतुंग जी आज आप क्या लेकर आए हैं..
वेइतुंगः आज भी रोजाना की तरह हमारे पास कई श्रोताओं के ई-मेल और पत्र आए हैं। इसी क्रम में सबसे पहले हम पढ़ेंगे, पश्चिम बंगाल के श्रोता, विधान चंद्र सान्याल का पत्र।
वे लिखते हैं कि आज हिंदी भाषा के विकास और उसे जीवन के हर क्षेत्र में अपनाने की कोशिश चल रही है। बड़े-बड़े नेता इसके पक्ष में जोशभरे बयान दे रहे हैं। सरकारी स्तर पर भी हिंदी को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रूपए सरकारी खजाने से खर्च कर दिए जाते हैं। लेकिन आज़ादी के 66 वर्षों बाद भी हिंदी को राष्ट्रीय स्तर पर जिस रूप में निखरना चाहिए, नहीं निखर पाई है।
देश के राष्ट्रीय फलक पर इसकी मलिनता साफ दृष्टिगोचर होती है, इसलिए देश के कर्णधारों एवं नेताओं की आलोचना की जाती है, पर इसमें भारतीय जनमानस का भी बहुत बड़ा हाथ है। भारत एक विशाल देश है और दुनिया का दूसरा बड़ा लोकतंत्र भी है। यह भी सही बात है कि यहां विविधता में एकता का समावेश है, परन्तु जब भी हम हिंदी भाषा की बात करते हैं तो यह एक विडंबना बन जाती है। एक राष्ट्र के लिए एक राष्ट्रगान एवं एक राष्ट्रभाषा की बहुत आवश्यकता होती है एवं वह हमारे संबिधान मेँ निहित है।
अनिलः वहीं सान्याल आगे लिखते हैं कि हिन्दी को हमारे संबिधान मेँ राजभाषा का दर्जा दिया गया है। लेकिन इसे व्यवहारिक स्तर पर लागू नहीं किया गया है, इसे राजभाषा मानने में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कई अहिंदी भाषी राज्यों ने अपनी विवशता दिखाई है। भारत सरकार का कर्तब्य है वह हिन्दी को सर्वमान्य एक ऐसी राष्ट्रीय भाषा के रूप मेँ विकसित करे जिसे सारे राष्ट्र मेँ
इस्तेमाल किया जा सके, और वह भारत की मिश्रित संस्कृति को अभिव्यक्त कर
सके । इसके लिए हिन्दी मेँ अन्य भारतीय भाषाओँ के शब्दोँ को ग्रहण कर उसे
समृद्ध किए जाने का सुझाव है । हिन्दी भाषा के प्रसार के लिए सीआरआई
हिन्दी सेवा का प्रयासों के लिए आभारी हैं।
आपने बिल्कुल सही कहा कि किसी भी राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने में भाषा का बड़ा योगदान होता है, लेकिन भारत देश की विविधता ऐसी है कि वहां ऐसा नहीं हो पाया या कहें राजनेताओं की अनिच्छा भी इसके लिए ज़िम्मेदार है तो कोई दो राय नहीं होगी। लेकिन इस सबके बावजूद हिंदी अपनी जगह बना रही है।
धन्यवाद
इसके साथ ही नादिया, पश्चिम बंगाल के धीरेन बसाक ने भी हमें पत्र भेजा है, उन्होंने सीआरआई की नई ज्ञान प्रतियोगिता के बारे में लिखा है।
वेइतुंगः इसके साथ ही नौ गांव बांग्लादेश के श्रोता रफीक़ुल इस्लाम ने भी हमें पत्र भेजा है। कहते हैं कि आपके प्रोग्राम नियमित रूप से सुन रहा हूं, मैं एक पुराना श्रोता हूं और 1989 से सीआरआई के कार्यक्रमों को सुनता आया हूं। मुझे विज्ञान, तकनीक व शिक्षा आदि संबंधी आपके प्रोग्राम अच्छे लगते हैं। उनकी शिकायत भी है कि हमारा प्रसारण व सिग्नल उन्हें साफ नहीं सुनाई देता है।
साथ ही उन्होंने यह जानना चाहा है कि आपकी करेंसी यानी मुद्रा का नाम क्या है।
देखिए, चीनी मुद्रा रनमिनबी है, उसकी बुनियादी यूनिट युआन , चाओ और फेन हैं। दस फेन एक चाओ के बराबर होता है, जबकि दस चाओ एक युआन के बराबर। ।वर्तमान में एक अमेरिकी डालर लगभग 6.1 य्वान के बराबर है। रनमिनबी में सबसे बड़ा नोट सौ युआन का होता है और सबसे छोटा सिक्का एक फेन का है।
अनिलः दोस्तो, इन दिनों मुझे चीन से प्यार नामक ज्ञान प्रतियोगिता चल रही है। आशा है कि आप इसमें भाग लेंगे । साथ ही सौभाग्यशाली श्रोता को मुफ्त में चीन की यात्रा करने का मौका भी मिलेगा। ढोली सकरा ,बिहार के दीपक कुमार दास ने इस ज्ञान प्रतियोगिता के बारे में दो कविताएं भेजी हैं। हम उनमें से एक चुनकर यहां पढ़ेंगे।
मुझे चीन से प्यार है।
भारत चीन की मित्रता
काफी पुरानी
क्यों न करें
चीन से प्यार
आज मेरी यादों में
मेरी दिल की धडकनों में
चीन से प्यार की
खुशबू फैला रहा है
सच में मेरे
ख्वाबों में
चीन का प्यार
समा गया है ।
आज हम मतभेद
भुलाकर चीन से
सागर से गहरा
प्यार करने लगा हूं ।
एक दूसरे के
दिलों में मित्रता के
फूल खिलते हैं
इस कारण मुझे
चीन से प्यार है ।
वहीं, दीपक कुमार जी ने एक पत्र में यह सवाल पूछा था कि वर्ष 2012 में चीन की जीडीपी दर क्या थी।
देखिए आपको बता दें कि वर्ष 2012 में चीन की जीडीपी दर 7.5 प्रतिशत रही। जीडीपी के हिसाब से अब चीन विश्व में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है ।पर चीन की आबादी 1 अरब 30 करोड से अधिक है। इसलिए चीन की प्रतिव्यक्ति औसत जीडीपी से ऊंची नहीं है। वर्ष 2012 में चीन की प्रतिव्यक्ति औसत जीडीपी लगभग 6094 अमेरिकी डालर रही ,जो विश्व में 84वें स्थान पर है।
वेइतुंगः इसके बाद अगला पत्र आया है, दिल्ली से, इसे भेजने वाले हैं शाहिद आजमी। उन्होंने थ्यैनगुंग-1 और शनचो-10 का अंतरिक्ष मिशन पूरा होने पर हार्दिक बधाई दी है। वे लिखते हैं कि एक ऐसा मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ है जिस पर चीन ही नहीं बल्कि एशिया की जनता भी गौरवान्वित है. मैं व्यक्तिगत रूप से कितना खुश हूँ इस का उल्लेख नहीं कर सकता। जब 11 जून को चीन ने अपने शनचो-10 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था तभी से मैं इसके सकुशल वापस आने की प्रार्थना कर रहा था, चीन ने जिस तेज़ी से अन्तरिक्ष विज्ञान में अपने क़दम जमाये हैं वो अपने में आप मिसाल है। मैं चाइना रेडियो के माध्यम से अंतरिक्ष यात्री न्य हाईशेंग, चांग श्याओक्वांग और वांग याफिंग को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद, आजमी जी।
अनिलः इसके बाद, हैदराबाद आंध्र पदेश से भी एक पत्र आया है, इसे भेजने वाले हैं हरि माडुगुला। वे लिखते हैं कि हमारा एक शार्टवेव रेडियो क्लब है। हम सीआरआई हिंदी विभाग के साथ नियमित रूप से पत्र व्यवहार करना चाहते हैं। क्या आपने श्रोता वाटिका प्रकाशित करनी जारी रखी है, अगर हां तो हमें भेजें। देखिए हरि जी, हमें आपका पत्र मिल गया है, जैसा कि आप आंध्र प्रदेश से हैं, उसके बावजूद आपने हिंदी में पत्र लिखा है, इसे देखकर हमें खुशी हुई। आप हमारे साथ पत्राचार जारी रख सकते हैं। जहां तक श्रोता वाटिका का सवाल है तो हम अब इसके स्थान पर एक नई पत्रिका ला रहे हैं, जो कि अधिक आकर्षक और पठनीय होगी।
वेइतुंगः अब बारी है, अगले पत्र की। जो कि भेजा है, रामपुरा फूल, पंजाब से श्रीपाल गर्ग ने। वे कहते हैं जैसा कि आप जानते ही हैं की मैं आपका एक पुराना श्रोता हूँ
और मैं हमेशा ही कहता हूँ की सीआरआई सभी रेडियो स्टेशनों से बहुत आगे हैं और इसकी मिसाल आपने " मुझे चीन से प्यार है " ज्ञान प्रतियोगता " शुरू करके फिर से दे दी है।
हमारे क्लब एवं परिवार के सदस्यों की तरफ से आप सभी का धन्यवाद और इस मेल के माध्यम से हम इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं। आशा है मेरे विचार आपको पसंद आएंगे और मुझे भी इनाम जीतने का मौका मिलेगा।
इस प्रतियोगता के सभी निबन्ध पढ़कर मुझे सच में चीन से प्यार हो गया है और मन कर रहा की जल्दी से जल्दी चीन जाऊं। शीआन की सैर,शीयान शहर की विशेषता वाली ऐतिहासिक संस्कृति,शीआन शहर का स्वादिष्ट खाना बहुत पसंद आया और केनटोनीज ओपेरा और क्वांग तोंग संगीत इंव क्वांगतुंग पाक-कला बहुत ही ज्यादा अच्छे लगे और लगा कि जैसे मैं चीन में ही हूँ ..इस सबके लिए CRI का बहुत धन्यवाद।
अनिलः दोस्तो, लीजिए हम मेरे हाथ में अगला पत्र है, दिल्ली के श्रोता रामकुमार नीरज का। लिखते हैं, ल्हासा शब्द सुनते ही सपनों की खुबसूरत दुनिया में खो जाता हूं,वास्तव के लहासा को प्रकृति ने जैसे अपने हाथों से बनाया और सवारा है और खासकर चीन की देख रेख में लहासा का जो विकास हुआ है वह अद्वितीय है। ल्हासा के बारे में यह जानना भी दिलचस्प है कि – ल्हासा शहर का इतिहास पुराना है और वह धार्मिक व सांस्कृतिक वातावरण से परिपूर्ण है. शहरी इलाके में बड़ा मठ, पाखो सड़क और पोताला महल और अन्य रमणीक स्थल देखने को मिलते हैं, ल्हासा हिमालय के उतर, तिब्बत पठारीय क्षेत्र के मध्य में स्थित है. उसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3650 मीटर है, जो विश्व में सबसे ऊंचा शहर है. तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के दिल में ल्हासा एक पवित्र शहर है. ल्हासा तिब्बती जाति संस्कृति का केंद्र है. तिब्बती जाति के लागों के अलावा ल्हासा में हान जाति, मंगोलिया जाति और ह्वी जाति के लोग भी रहते हैं. भारत और नेपाल की संस्कृति यहां मौजूद भी है।
इसी बीच 24 जून को प्रसारित ल्हासा शहर के पुराने क्षेत्र में संरक्षण परियोजना लागू करने पर एक विस्तृत और खुबसूरत रिपोर्ट पढ़ी, आपका कहना एकदम सच है कि ल्हासा शहर के पुराने क्षेत्र की संरक्षण परियोजना में सांस्कृतिक अवशेष का संरक्षण प्रमुख है, जिसमें प्राचीन वास्तु निर्माण, धार्मिक निर्माण और परम्परागत निवास मकानों के संरक्षण पर अधिक ध्यान दिया जाता है। आपकी रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि ल्हासा शहर के पुराने क्षेत्र में संरक्षण, पुर्ननिर्माण और सुधार परियोजना लागू करने का उद्देश्य इस क्षेत्र के संरक्षण के साथ साथ स्थानीय नागरिकों को सुरक्षा देना है और साथ ही उनके आसपास के वातावरण में भी सुधार लाना है। अच्छी रिपोर्ट के लिए धन्यवाद।
वेइतुंगः नीरज के बाद हमें अगला ख़त भेजा है, बिलासपुर छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त ने। उन्होंने 26 जून को चीनी अंतरिक्ष यान "शनचो-10" द्वारा 15 दिवसीय अंतरिक्ष मिशन को संतोषजनक रूप से पूरा करके पृथ्वी पर सुरक्षित वापस आने पर खुशी जताई है।
चीन हमारा पडोसी और मित्र देश है।चीनी जनता की इस ऐतहासिक सफलता से मैं बेहद खुश और रोमांचित हूं।इसके लिए मैं चीनी जनता,विशेषकर चीनी अंतरिक्ष यात्री हाईशंग,चांग श्याओक्वांग और वांग याफिंग को तहे दिल से बधाई देना चाहूंगा।चीन के इतिहास में यह सबसे लम्बे समय की मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान थी।अपनी इस उड़ान के दौरान 'शनचो-10 ' अंतरिक्ष यान एक प्रयोगात्मक प्रयोगशाला 'थ्यैनकुंग-1' से जुड़ा,जिसे पहले पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था।वास्तव में 'शनचो-10'मिशन अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण में महत्वपूर्ण कदम है।इससे सन 2015 में अन्तरिक्षीय प्रयोगशाला त्यानगोंग-2 परिधि पर पहुंचाने और स्वयं परिधीय स्टेशन सन 2020 तक बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
इसके साथ ही 20 तारीख को इस अंतरिक्ष यान की महिला अंतरिक्ष यात्री वांग या-फिंग ने थ्यैनगुंग प्रयोगशाला से वीडियो के जरिए देश के कोई 6000 छात्रों को भौतिक व्याख्यान दिया। 23 जून को हाथों से शनचो-10 को थ्यैनगुंग प्रयोगशाला के साथ जोड़ने में सफलता मिली। 24 जून को चीन के सर्वोच्च नेता, राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने ओडियो-वीडियो के जरिए शनचो-10 के तीन अंतरिक्ष यात्रियों से स्नेहपूर्ण बातचीत की।इन दोनों घटनाओं ने मुझे रोमांचित कर दिया।भारतीय जनमानस में भी इनकी खूब चर्चा और प्रशंसा हुई।सच कहा जाये,तो यह न सिर्फ चीन,बल्कि पूरी मानव जाति की सफलता है।
सीआरआई की बेहतरीन रिपोर्ट के लिए धन्यवाद।
अनिलः अगला पत्र आया है, पश्चिम बंगाल, दक्षिण दिनाजपुर से, इसे भेजने वाले हैं, रतन पाल। वे लिखते हैं कि नी हाऊ। हमें आपके सभी प्रोग्राम अच्छे लगते हैं, आपके प्रसारण के माध्यम से चीन के बारे में व्यापक जानकारी मिलती है।
दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम में ई-मेल और पत्र पढ़ने का सिलसिला संपन्न होता है।
धन्यवाद।