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वेइतुंगः आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।
अनिलः सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का भी नमस्कार।
दोस्तो, इसी के साथ प्रोग्राम शुरू करते हैं, सबसे पहले आप सुनेंगे, श्रोताओं के ई-मेल और पत्र, उसके बाद आप सुनेंगे, दिल्ली में आयोजित चीनी फिल्म फेस्टिवल पर जानकारी। उसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत और उनकी पसंद पर एक सांग पेश किया जाएगा।
अनिल जी, आज आप क्या लेकर आए हैं। रोजाना की तरह आज भी हमें कई श्रोताओं के ई-मेल और पत्र आए हैं।
सबसे पहले मेरे हाथ में है, बिलासपुर के श्रोता, चुन्नीलाल कैवर्त का पत्र। उन्होंने हाल में युन्नान प्रांत के खुनमिंग में चीन-दक्षिण एशिया मेले के बारे में लिखा है। यह मेला चीन एवं दक्षिण एशिया के व्यापार और विकास में मील का पत्थर साबित होगा।निश्चित रूप से इस मेले से चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच 'व्यावहारिक सहयोग, पारस्परिक लाभ व जीत, सामंजस्यपूर्ण विकास' को प्रोत्साहन और ताकत मिली है। चुन्नीलाल जी, पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।
प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए सुनते हैं, अगला पत्र। जिसे भेजा है, दक्षिण दिनाजपुर, पश्चिम बंगाल से, विधान चंद्र सान्याल ने। वे लिखते हैं कि उन्हें सीआरआई हिंदी सेवा के प्रोग्राम बहुत पसंद आ रहे हैं।
वे कहते हैं कि मेरे मन में चीन के प्रति जानने की जिज्ञासा रहती है, क्या आप यह बताना चाहेंगे कि चीन में हिंदू मंदिर है या नहीं।
मैंने, चीन की मस्जिदों और चर्चों के बारे में तो सुना है, साथ ही बौद्ध मंदिरों को भी देखा है। लेकिन हिंदू मंदिर चीन में हैं या नहीं, इस संबंध में वेइतुंग जी ही कुछ बता सकते हैं। वेइतुंग जी, क्या चीन में हिंदू मंदिर हैं।
वैसे वर्तमान में चीन में हिंदू मंदिर तो नहीं हैं, लेकिन एक हज़ार वर्ष पहले सुंग राजवंश के दौरान दक्षिण चीन के फूच्यान प्रांत में इस तरह के मंदिर थे। लेकिन अब सिर्फ खंडहर बचे हैं।
वहीं भागलपुर, बिहार के श्रोता हेमंत कुमार कहते हैं कि वे सीआरआई श्रोता होने के साथ साथ प्रचारक भी हैं। सीआरआई का प्रचार-प्रसार करना मुझे बहुत पसंद है। मेरा सपना है कि भागलपुर व बांका ज़िले के प्रत्येक घर में कम से कम एक श्रोता हो। और सभी श्रोता सीआरआई को इतना पत्र लिखें कि प्रसारक अच्छे अच्छे कार्यक्रम हमेशा प्रस्तुत करते रहें। मैं आपको आवश्वासन देना चाहता हूं कि आने वाले दिनों में सीआरआई प्रचार-प्रसार शुरू करूंगा।
एक अन्य पत्र में वे लिखते हैं कि शाम की सभा में साप्ताहिक कार्यक्रम दक्षिण एशिया फोकस में भारत चीन सीमा विवाद और अमेरिका व अफगानिस्तान के बीच संबंधों पर विस्तृत समीक्षा सुनी। रिपोर्ट में बिल्कुल सही बात कही गयी कि भारत चीन के बीच युद्ध की आशंका बिल्कुल नहीं है। भारत चीन बहुत अच्छे दोस्त हैं, दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में मधुरता आयी है। साथ ही अफगानिस्तान और अमेरिका के बीच संबंध बहुत अच्छे नहीं हैं। और भविष्य में संबंध बेहतर होने की संभावना नहीं है।
वहीं विश्व जल दिवस के अवसर पर सामयिक चर्चा में चीन में जल संसाधनों की स्थिति पर रिपोर्ट सुनी। इसमें जल संसाधनों से संबंधित सभी आंकड़े विस्तृत ढंग से पेश किए गए थे। गौर करने वाली बात है कि दिनों-दिन मीठे जल की मात्रा घटती जा रही है। इसलिए हम सभी लोगों को जल का उपयोग सोच-समझ कर करना चाहिए ।
इसके बाद बारी है, अगले पत्र की। जो हमें आया है, कोआथ ,रोहतास ,बिहार सेय़ इसे भेजने वाले श्रोता हैं, सुनील केशरी।
हालांकि उन्होंने हमें कई पत्र भेजे हैं। हम उनमें से कुछ मुख्य विषय चुनकर पेश करेंगे। केशरी ने रेडियो के बारे में जानकारी देनी चाही है।
लिखते हैं कि भारत में रेडियो स्टेशनों की संख्या लगभग 206 है, जिसमें 43 रेडियो स्टेशन पर हैलो फोनिंग हिंदी गीतों के फरमाइशी प्रोग्राम चलते हैं। या एसएमएस के द्वारा भी फरमाइशी गीत रेडियो पर पेश हो रहे हैं, पर सीआरआई अब तक इस तरह की सेवा देने पर कभी विचार नहीं किया, जो सभी श्रोता चाहते हैं। मैं चाहता हूं कि इस पर सीआरआई गंभीरता से गौर करे।
जब भी सीआरआई को सुनता हूं, एक बात का ख्याल जरूर आता है मेरे जेहन में । वो ये कि आप लोग सिर्फ न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का ज्यादा प्रसारण करते हैं यदि इसका प्रसारण सप्ताह में मात्र एक बार करें तो अच्छा रहेगा। और बढते श्रोताओं की संख्या को देखा जाए तो सवाल जवाब, आपकी पसंद पर ध्यान दिया जाय। वहीं श्रोता वाटिका में कविता आदि को प्रकाशित किया जाय। साथ ही शिक्षा पर कोई खास कार्यक्रम को नये रूप में प्रसारित करने की आवश्यकता है। एक अन्य पत्र में केसरी कहते हैं कि सीआरआई से अनुरोध है कि सभी प्रतियोगिताओं को बंद कर साल में तमाम श्रोताओं का तीन ग्रुप बनायें यानी प्रथम, द्वितीय व तृतीय। जो श्रोता सीआरआई के साथ सक्रिय रूप से जुड़े होते हैं, उन लोगों के ग्रुप बनाकर सीआरआई सिर्फ हर वर्ष पुरस्कृत करें तो अच्छा रहेगा।
सुनील जी आपके सुझावों के लिए धन्यवाद। आपने जो बातें की हैं, हम उन पर गौर करने की पूरी कोशिश करेंगे, ताकि हमारे कार्यक्रमों में सुधार हो सके।
धन्यवाद।
इसके साथ ही वक्त हो गया है, अगले ख़त का। जो हमें भेजा है, बिहार से दीपक कुमार दास ने। उन्होंने भी कई पत्र भेजे हैं। एक पत्र में क्लब की गतिविधि के बारे में जानकारी दी है। कहते हैं कि अपोलो रेडियो लिसनर्स क्लब ढोली सकरा बिहार ने श्रोता संपर्क आयोजित किया। जो कि 2 अप्रैल 13 से 10 अप्रैल 2013 तक किया गया। इसमें बिहार के विभिन्न शहरों की यात्रा के दौरान सीआरआई हिंदी सेवा के बारे में लोगों को बताया गया। साथ ही कार्यक्रम सूची को प्रिंट करवाकर आम लोगों में बांटा गया। वहीं साप्ताहिक कार्यक्रम खेल जगत ,दक्षिण एशिया फौकस ,चीन का भ्रमण ,चीन तिब्बत ,चीन की झलक ,न्यूशिंग स्पेशल और मैत्री की आवाज आदि कार्यक्रमों की चर्चा हुई।
वहीं चीनी लोगों की जीवन शैली और चीन की संस्कृति ,उद्योग ,वैज्ञानिक उपलब्धि और तिब्बत के विकास पर श्रोताओं ने चर्चा की।
एक ग्रामीण बुजुर्ग ने इस गोष्ठी में हिस्सा लिया। उन्होंने चीन की प्राचीन चिकित्सा एक्यूपंक्चर के संबंध में जानकारी चाही। मैंने काफी संक्षेप में उन्हें बताया है ।आप लोगों से विशेष अनुरोध है कि सीआरआई के कार्यक्रम में चीन की पुरानी चिकित्सा व्यवस्था एक्यूपंक्चर पर भी चर्चा करें । आजकल शाम व सुबह की सभाओं के प्रसारण साफ नहीं सुनाई देते हैं। परंतु बंगाली सेवा साफ सुनाई दे रही है ।सीआरआई तकनीकी विभाग इस ओर अवश्य ही ध्यान दे।
बहुत से श्रोता नई दिल्ली में सीआरआई के श्रोता सम्मेलन की जानकारी चाहते हैं ,मैंने उन्हें कहा कि सीआरआई का नया संवाददाता के दिल्ली आने के बाद एक श्रोता सभा होगी।
देखिये, दास जी, दिल्ली ब्यूरो में हमारे नये संवाददाता ह शिंग यू जिनका हिंदी नाम देव है, उन्होंने काम शुरू कर दिया है ,जिससे श्रोताओं और सीआरआई के बीच संपर्क अधिक असान होगा । पर वे हाल में ही दिल्ली पहुंचे हैं और नये माहौल में अभ्यस्त होने में थोडा समय लगेगा । इसलिए आने वाले समय में जल्द इस तरह की सभा आयोजित करने की योजना नहीं है। पर हम कोशिश करेंगे कि श्रोता सम्मेलन जल्दी से आयोजित हो सके।
एक अन्य पत्र में वे लिखते हैं कि न्यूशिंग स्पेशल के अंतर्गत महिलाओं में बुद्धि और सोच समझ पर वार्ता सुनी। वैसे महिलाएं पुरुषों से अधिक दिमाग का परिचय देती है ।उनका हृदय कोमल होता है ।मैंने चीन की यात्रा की थी और वहां देखा कि चीनी महिलाएं 100 प्रतिशत भावुक होती हैं ।उनकी सोच काफी मधुर होती है ।वे काम से कभी घबराती नहीं हैं ।चीनी महिलाएं साहस से काम करती हैं। एक बात साफ है कि महिलाएं राजनीति में अच्छी तरह काम करती है। वहीं एक अन्य ख़बर कि चीन में 25 वर्षीय युवक के फेफड़े में समस्या थी। बचपन में खेलते वक्त एक सीटी मुंह के द्वारा फेफरे में चली गयी तो बाद में उसे काफी परेशानी का सामना करना पडा । और ऑपरेशन से सीटी को निकालना पड़ा । यह समाचार काफी रोचक एवं दुख भरा था ।
वहीं मोबाइल फोन की चर्चा में कहा कि एक व्यक्ति 16 घंटों में 150 बार मोबाईल को स्क्रीन देखता है। पर एक शोध से पता चला है कि एक व्यक्ति 630 बार मोबाईल चैक करता है। रात को नींद टूटने पर भी मोबाईल देखता है। वहीं ई मेल देखने ,भेजने और बात करने में 16 घंटे में 150 बार अपना मोबाइल को देखता है। यह कार्यक्रम काफी रोचक लगा, धन्यवाद।
वहीं दीपक जी के पत्र के बाद बारी है बस्ती ,उत्तर प्रदेश के श्रोता कृष्ण कुमार जायसवाल की। उन्होंने अपने एक पत्र में कहा कि आपका पत्र मिला में श्रोताओं के पत्र और प्रश्न के उत्तर सुने ।इसके अलावा बिहार के शिवहरी जिले के जय कुमार कृष्ण के बारे में उनके गांव के बारे में विस्तृत जानकारी मिली ।अच्छा लगा ।सफल प्रस्तुति के लिए वेइ तुंग और अनिल जी को हार्दिक धन्यवाद ।जायसवाल ने आगे कहा कि प्रातः कालीन सभा के समाचारों में यह जानकर खुशी हुई कि चीन में अब एक दंपति को एक से अधिक बच्चे पैदा करने की छूट होगी।
जायसवाल भाई ,यहां मैं समझाना चाहता हूं कि यह बात सही नहीं है ।शायद सुनने में कुछ गलफफहमी हुई है ।चीन में परिवार नियोजन कार्यक्रम में बडा बदलाव नहीं आया है ।चीन के शहरो में आम तौर पर एक दंपति एक बच्चा ही पैदा कर सकता है ।कुछ विशेष स्थितियों में एक दंपति दूसरा बच्चा पैदा कर सकता है ,जैसे पति और पत्नी दोनों अपने परिजनों की इकलौती संतान हों। तब उनके दो बच्चे हो सकते हैं ।चीन के ग्रामीण क्षेत्रो में आमतौर पर एक दंपति के दो बच्चे होते हैं। अल्पसंख्यक जाति के लोग देश की परिवार नियोजन नीति में शामिल नहीं हैं। पत्र लिखने के लिए धन्यवाद ।
हमें कैनाश नगर, नारनौल ,हरियाणा से उमेश कुमार शर्मा के कई पत्र मिले हैं ।धन्यवाद ।समय के कारण हम सभी पेश नहीं कर सकते हैं। हम उनमें से कुछ चुनकर यहां शामिल करेंगे। वे लिखते हैं कि रूपा के स्वर में चो चाइ को नामक रमणीक स्थल के विषय में जानकारी मिली।आपने जिस अंदाज में इस क्षेत्र का विस्तृत ब्योरा पेश किया, उसे जानने के पश्चात हमारा मन भी वहां जाने को कर गया। यहां ग्रीष्म ऋतु में चारों ओर हरियाली होती है ,वहीं शीत ऋतु में बर्फ की सफेद चादर बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है ।
वहीं शर्मा कहते हैं कि न्यूशिंग स्पेशल सुना। इसमें आप ने पुस्तक मेले के विषय में रोचक जानकारी पेश की ।वर्तमान में जमाना चाहे कम्प्यूटर का क्यों न हो ,किंतु पुस्तकों का महत्व हमेशा बरकरार रहेगा। वर्तमान में आपको अपनी भाषा के अलावा अन्य भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए। वहीं मैत्री की आवाज में विश्वविद्यालय के छात्र मुकेश की बात सुनी ।उन्होंने अपने शोध के लिए चीनी मुहावरों का चयन किया जो सच में अनूठा है ।किसी देश की संस्कृति में मुहावरों का अपना स्थान होता है ।मुहावरे एक तरह से बातचीत का निचोड़ होते हैं या कहें बात को प्रभावशाली ढंग रखने में भी उन का योगदान होता है ।चीन की झलक में चीनी लोकगीतों के संरक्षक तो हुन युंग के बारे में रोचक जानकारी पाई ।उनके द्वारा तैयार संगीत रचनाएं भी सुनी ।अच्छी लगी ।
जबकि ओ माइ गॉड माइ चाइना में हूं के अंतर्गत चीन में इंजीनियरिंग कंपनी में कार्यरत प्रणव से हेमा जी द्वारा की बातचीत सुनी ।उनके चीन में खान पान संबंधी अनुभव जाने। चीनी लोग अपने खाने में चॉपस्टिक का प्रयोग करते हैं ।शायद इसका कारण उनका मांसाहारी होना है। उनका खाना ही ऐसा है कि जिसे हाथों से नहीं खाना होता है। अगर वे हमेशा मांस ही खाते हैं ,तो क्यों उन्हें खाने में एकरसता महसूस नहीं होती ।अब तो भारत में शादी विवाहों में एक चीनी खाना चाउमिन आम खाने की तरह शुमार हो गया है ।इसे बच्चे विशेषकर खूब चाव से खाते हैं। तो क्या यह चीनी परंपरागत भोजन में आता है या चीनी इसे कभी कभी ही खाते हैं।
देखिये, चॉपस्टिक से खाने की वजह सिर्फ मांसहारी होना ही नहीं है, चीनी लोग अन्य भोजन भी चॉपस्टिक से खाना पसंद करते हैं, फिर चाहे सब्जियां हों या फिर चावल आदि। हां जो चाउमिन भारत में लोकप्रिय है, वह चायनीज़ छाव म्यन का इंडियन वर्जन है। चीन की चाउमिन का स्वाद थोड़ा अलग होता है और आपको यह भी बता दें कि चीन में तमाम तरह के व्यंजन खाए जाते हैं, छाव म्यन उनमें से एक कहा जा सकता है।
दोस्तो, इसी के साथ आज का पोग्राम संपन्न होता है, अब वेइतुंग और अनिल पांडेय को इजाजत दीजिए, नमस्कार।
(यह प्रारूप टेक्सट, जो रेडियो कार्यक्रम से कुछ अलग है। संपादक:अनिल)