Web  hindi.cri.cn
पश्चिम के आगे हाथ न फैलाएं हम
2013-06-19 10:53:06

 वेइतुंगः आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।

अनिलः सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का भी नमस्कार।

दोस्तो, इसी से साथ आज का प्रोग्राम शुरू करते हैं, सबसे पहले आप सुनेंगे, श्रोताओं के ई-मेल और पत्र, उसके बाद श्रोता के साथ हुई बातचीत और उनकी पसंद पर एक सांग।

वेइतुंग जी, आज क्या लेकर आए हैं आप।

वेइतुंगः अनिल जी, आज भी हमारे पास कई श्रोताओं के पत्र आए हैं, इसी क्रम में सबसे पहले औरेया, यू पी के माओ त्से तुंग रेडियो लिस्नर्स एसोसिएशन के काल्का प्रसाद कीर्ति प्रिय का पत्र। वे लिखते हैं कि आपके कार्यक्रम में चीन की पीली नदी को राष्ट्रीय मादा नदी बताया गया, कृपया बताएं कौन सी राष्ट्रीय नर नदी है। लगता है कि आपसे सुनने में गलती हो गई या या फिर रेडियो पर बोलने में गलती। यह मादा नहीं बल्कि मां यानी माता नदी है।

प्रिय जी, पीली नदी चीन की दूसरी सबसे लंबी नदी है। पीली नदी क्षेत्र में चीनी संस्कृति का जन्म हुआ। इसलिए इस नदी को चीनी राष्ट्रीय माता नदी कहा जाता है। आम तौर पर लोग नर नदी का इस्तेमाल नहीं करते ।कुछ लोग मानते है कि चीन की सबसे लंबी नदी यांग त्सी नदी चीन की नर नदी है। लेकिन ऐसा कथन लोकप्रिय नहीं है।

एक अन्य पत्र में वे लिखते हैं कि चीन का तिब्बत कार्यक्रम में मौथो काउंटी के बारे में सुना, काफी रोचक लगा ।यह काउंटी चीन में एकमात्र काउंटी है जो राजपथ से नहीं जुड़ी है। पत्र भेजने के लिए धन्यवाद ।

अनिलः वहीं अगला पत्र हमें आया है, विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश से। इसे भेजा है सीआरआई श्रोता संघ की रहमतुन्निशा ने। वे लिखती हैं कि हमारे क्लब द्वारा आपको पत्र भेजने में देरी तो हो रही है, मगर हम लोग आपके कार्यक्रमों के लिए समय निकालकर उन्हें ज़रूर सुनते हैं।

रहमतुन्निशा ने अपने पत्र में सीआरआई कार्यक्रमों पर टिप्पणी की और अपने क्लब की बैठकों के बारे में भी जानकारी दी है। खास बात है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों का सटीक विश्लेषण करते हुए अपने विचार रखे। अपने पत्र में उन्होंने कुछ सवाल भी पूछे हैं। पहला है चीन के स्टोन फॉरेस्ट के बारे में जानकारी दी जाय।

वेइतुंग जी, इस संदर्भ में आपको कुछ पता है।

वेइतुंगः जी हां, स्टोन फॉरेस्ट यानी पत्थर का जंगल दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग के उपनगर में स्थित है। स्टोन फॉरेस्ट वास्तव में कार्स्ट भौगोलिक दृश्य है।

चीन के स्टोन फॉरेस्ट में विश्व में सबसे विरले कार्स्ट भौगोलिक दृश्य है ।लगभग 30 करोड साल पहले यहां समुद्र था। लंबे समय तक हुए भौगोलिक परिवर्तन के बाद यहां विश्व में सबसे विविध और रंगारंग कार्स्ट दृश्य बन गया। यहां सचमुच चट्टानों से बना जंगल है। चट्टानों के आकार अलग-अलग है, कुछ मोर जैसे हैं ,कुछ इंसान, तो कुछ हाथी जैसे हैं। पूरा स्टोन फॉरेस्ट एक विशाल प्राकृतिक कलात्मक भंडार है।

अनिलः तुन्निशा का दूसरा सवाल है कि चीन की बुलेट ट्रेन विश्व में दूसरे स्थान पर है, क्योंकि जापान ने चीन के बुलेट ट्रेन से अधिक रफ्तार से दौडने वाली ट्रेन का अविष्कार किया है। क्या यह सच है।

तुन्निशा जी, यह सच नहीं है। वर्ष 2011 में जापान की सबसे नई बुलेट ट्रेन पटरी पर उतरी, जिसके सबसे अधिक स्पीड 320 किलोमीटर प्रति घंटा है। जबकि वर्तमान में चीनी बुलेट ट्रेन की सबसे तेज गति 380 किलोमीटर प्रति घंटा है। परीक्षात्मक संचालन में चीनी बुलेट ट्रेन की सबसे तेज गति 486 किलोमीटर प्रति घंटे तक जा पहुंची है। वर्तमान में हाई स्पीड ट्रेन के संचालन की लंबाई ,गति ,निर्माणाधीन पैमाने और विकास गति की दृष्टि से चीन दुनिया में पहले नंबर पर है।

वर्तमान में चीन की बुलेट ट्रेन के संचालन की कुल लंबाई 13 हजार किलोमीटर है। चीन ने विश्व में सबसे लंबा हाई स्पीड ट्रेन नेटवर्क स्थापित किया है। पेइचिंग से दक्षिण चीन के क्वांगचो तक लगभग 2298 किलोमीटर है, चीनी बुलेट ट्रेन के यात्रियों को इस दूरी को तय करने में सिर्फ 8 घंटे लगते हैं।

वेइतुंगः तुन्निशा का तीसरा सवाल है कि क्या चीन की अल्पसंख्यक जातियों के लोगों को सरकारी नौकरियों में स्थान दिया जाता है।

तुन्निशा जी ,चीन में कुल 56 जातियां हैं और सभी जातियों की जनता को समान अधिकार हासिल हैं। चीन के विभिन्न स्तरों की सरकारी संस्थाओं में लगभग 27 लाख अल्पसंख्यक कर्मचारी है।

अब मेरे हाथ में जो अगला पत्र है, वह आया है, नादिया, पश्चिम बंगाल से। इसे भेजने वाले श्रोता हैं, अनीता बसाक और धीरेन बसाक। वे लिखते हैं कि हम आपके प्रोग्राम नियमित रूप से सुनते हैं, लेकिन सुबह के प्रोग्राम स्पष्ट नहीं सुनाई देते। तीन जून को पेश चीन का तिब्बत कार्यक्रम अच्छा लगा।

अनिलः प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए पढ़ते हैं अगला ख़त। यह ख़त है स्वामी विवेकानंद के बारे में। दिल्ली से राम कुमार नीरज लिखते हैं कि 30 मई को आपकी वेबसाइट पर स्वामी विवेकानंद के कृतित्व पर आलेख पढ़ा।

इस संबंध में पूर्व राजदूत पी.ए. नजरथ के व्याखान संबंधित विस्तृत रिपोर्ट देखी। जो कि भूत, वर्तमान और भविष्य की सुखद संभावनाओं की एक रुपरेखा बना गया. 39 वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी विवेकानन्द जो काम कर गये वे आने वाली कई शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। तीस वर्ष की आयु में विवेकानन्द ने अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवायी। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था-"यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानन्द को पढ़िये. उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पायेंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं."

प्रस्तुत रिपोर्ट की यदि बात करें तो पी.ए. नजरथ ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विवेकानंद के जीवन के कई अनछुए पहलुओं पर सजीव प्रकाश डाला।

वेइतुंगः वास्तव में उन्होंने पुरोहितवाद, ब्राह्मणवाद, धार्मिक कर्मकाण्ड और रूढ़ियों की खिल्ली भी उड़ायी और लगभग आक्रमणकारी भाषा में ऐसी विसंगतियों के खिलाफ युद्ध भी किया। उनकी दृष्टि में हिन्दू धर्म के सर्वश्रेष्ठ चिन्तकों के विचारों का निचोड़ पूरी दुनिया के लिए अब भी ईर्ष्या का विषय है। स्वामीजी ने संकेत दिया था कि विदेशों में भौतिक समृद्धि तो है और उसकी भारत को जरूरत भी है लेकिन हमें याचक नहीं बनना चाहिये. हमारे पास उससे ज्यादा बहुत कुछ है जो हम पश्चिम को दे सकते हैं और पश्चिम को उसकी बेसाख्ता जरूरत है।

यह विवेकानन्द का अपने देश की धरोहर के लिये दम्भ या बड़बोलापन नहीं था. यह एक वेदान्ती साधु की भारतीय सभ्यता और संस्कृति की तटस्थ, वस्तुपरक और मूल्यगत आलोचना थी। बीसवीं सदी के इतिहास ने बाद में उसी पर मुहर लगायी।

इस शानदार प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

अनिलः राम कुमार के पत्र के बाद, मेरे हाथ में पश्चिम बंगाल, दक्षिण दिनाजपुर के श्रोता, रतन कुमार पॉल, आलोक चंद्र, सुब्रत मेहता और सुभाष पॉल आदि का पत्र है। वे लिखते हैं कि हमारे क्लब के सभी सदस्य आपके प्रोग्राम सुनते हैं, हमें आपके कार्यक्रम अच्छे लगते हैं।

उन्होंने हमसे प्रश्न भी पूछे हैं, पहला सवाल है, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति का क्या स्वरूप है।

दूसरा प्रश्न है, वर्तमान में स्थायी समिति में कितने सदस्य हैं।

वेइतुंग जी, क्या आपको इस बारे में जानकारी है।

देखिये, चीन में सत्तारूढ़ पार्टी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की महासभा पर पोलित ब्यूरो और पोलित ब्यूरो की स्थाई समिति चुनी जाती है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के चार्टर के मुताबिक पोलित ब्यूरो और पोलित ब्यूरो की स्थाई समिति पार्टी की केंद्रीय समिति की महासभा के समापन के वक्त केंद्रीय समिति का कर्तव्य निभाती है। जबकि पोलित ब्यूरो की स्थाई समिति पोलित ब्यूरो की बैठक के समापन के समय पोलित ब्यूरो का कर्तव्य निभाती है। वहीं कम्युनिस्ट पार्टी के चार्टर में निर्धारित है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी कामहासचिव पोलित ब्यूरो की स्थाई समिति से चुना जाएगा। इतिहास की परंपरा के अनुसार चीनी प्रधानमंत्री स्थाई समिति से भी चुने जाते हैं। स्थाई समिति के सदस्यों की संख्या निश्चित नहीं होती है। वर्तमान में स्थाई समिति के सात सदस्य हैं। आम तौर पर स्थाई समिति के सदस्य देश के मुख्य नेता भी होते हैं।

अनिलः सवाल-जवाब के बाद अगला पत्र। झारखंड से एस.बी.शर्मा ने भेजा है। लिखते हैं कि गत् 31 मई को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस मनाया गया।

हर साल साठ लाख लोग धूम्रपान करने से मर जाते है फिर भी करोड़ों युवाओं को धूम्रपान हर साल अपना आदी बनाता है I विश्व स्वास्थ्य संगठन धूम्रपान के प्रचार प्रसार को रोकने के लिए कई उपाय करता है फिर भी धूम्रपान करनेवालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2012 तक दुनिया के तिरासी देश पूरी तरह से धूम्रपान सबंधी हर तरह के प्रचार प्रसार विज्ञापन और प्रोमोशन पर पाबन्दी लगा चुके हैं। बावजूद इसके धूम्रपान पीडितो की संख्या रुकने का नाम ही नहीं ले रही है I अरबों खरबों का धूम्रपान ब्यापार बढ़ते ही जा रहा है क्योकि धूम्रपान सेवन करने वाले लोग अपने आपको रोक नहीं रहे हैं I

विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित दुनिया भर की सरकारे जो कुछ भी कर रही हैं कम पड़ रहा है। क्योकि धूम्रपान उपभोक्ता आपने स्वयं को नियंत्रित नहीं कर रहे हैं। धूम्रपान से मरने वालों की संख्या में कमी तभी आएगी जब धूम्रपान सेवन करनेवालों की सख्या में कमी आयेगी और धूम्रपान सेवन करेवालों की संख्या में कमी उस समय आएगी जब उपभोक्ता अपने आपको नियंत्रित करेंगें और धूम्रपान नहीं करेंगे I

सीआरआई की यह प्रस्तुति समाज हित में बहुत ही सार्थक है। सीआरआई का क्षेत्र ब्यापक है, ऐसे में आप अपने रेडियो के ज़रिए लोगों से धूम्रपान न करने की अपील करेंगे तो उसका असर होगा। अपने श्रोताओं से कहें कि धूम्रपान सेवन न करने का प्रण लें और उस पर अमल करें ताकि इससे लोगों की जान बच सके।

शर्मा जी, आपने सही कहा, धूम्रपान वाकई युवाओं के बीच बहुत बड़ी समस्या बन गई है, इसे रोकने के लिए सभी को प्रण लेना होगा। इस मुद्दे पर नज़र बनाए रखने के लिए आपका धन्यवाद।

वेइतुंगः वहीं हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल ने अपने पत्र में कहा कि आज के ताज़ा समाचारों के बाद पेश "सामयिक चर्चा" के तहत 'भारत-जापान मज़बूत करेंगे साझेदारी' शीर्षक रिपोर्ट सुनी, जो कि काफी महत्वपूर्ण लगी। जापान भारत के बुनियादी संस्थापनों, परमाणु ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग करेगा और सहयोग के पीछे शायद उसका यह मकसद भी हो कि इससे वह चीन को रोक सके, परन्तु भारत एक परिपक्व लोकतांत्रिक देश है, इसलिए उस पर किसी का असर होगा, यह कहना ठीक नहीं है। भारत चीन को तरज़ीह देता है और देता रहेगा, इसमें तनिक भी सन्देह नहीं।

जबकि साप्ताहिक "चीन की झलक" के अन्तर्गत सबसे पहले इस चीनी कहावत का उल्लेख किया गया कि "एक बार देखना सौ बार सुनने से बेहतर है", जो कि चीन-यात्रा पर गए ग्यारह भारतीय अलायंज विश्वविद्यालयों के छात्रों की बातचीत सुन चरितार्थ होती नज़र आयी। उन्होंने चीन जाने से पूर्व जो सुना और वहां जाने पर जो अपनी आँखों से देखा उसमें उन्हें ज़मीन-आसमान का अन्तर नज़र आया। तेज़ आर्थिक विकास के दौर से गुजर रहे चीन की प्रगति से अभिभूत विद्यार्थी दर्शन और पी.नन्दिनी आदि के विचार वहां की सही तस्वीर पेश करते हैं। बीजिंग और शांघाई के द्रुत विकास के साथ शांघाई टावर से शहर के नज़ारे का वर्णन भी काफी मनभावन लगा।

साथ ही कार्यक्रम में महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस के जन्मस्थान शानतोंग प्रान्त स्थित उनके भव्य मन्दिर, भवन और समाधि जो कि कोई ढाई हज़ार साल पूर्व बनवाई गई थी, के बारे में अखिल पाराशर की रिपोर्ट में काफी जानकारी हासिल हुई। यह भी पता चला कि तत्कालीन सामन्ती समाज में राजाओं का कितना बोलबाला था और लू राजा द्वारा कन्फ्यूशियस के भवन को ही मन्दिर में तब्दील करवाया गया था। बीजिंग स्थित शाही प्रासाद के बाद यह मन्दिर चीन का दूसरा सबसे बड़ा निर्माण समझा जाता है। जिसमें कोई पांच सौ कमरे हैं और मन्दिर में विभिन्न राजवंशों से सम्बंधित कोई दो हज़ार शिला-लेख भी सुरक्षित रखे गए हैं। कन्फ्यूशियस मन्दिर, भवन और समाधि तीनों विश्व की अमूल्य धरोहर हैं और वर्ष 1994 में यूनेस्को द्वारा उन्हें सूचीबद्ध कर लिया गया है, यह हम सभी के लिए गौरव की बात है।

पत्र लिखने के लिए धन्यवाद।

इसके बाद पश्चिम बंगाल के विधान चंद्र सान्याल ने चान द्वारा शनचो-10 अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण संबंधी ख़बर पर टिप्पणी की है। वे लिखते हैं कि हम इस यान के सफल प्रक्षेपण की कामना करते हैं।

हमें यह जानकर और भी खुशी हुई कि महिला यात्री भी यान के साथ अंतरिक्ष में पहुंचेंगी। धन्यवाद।

दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम ई-मेल और पत्र पढ़ने का सिलसिला संपन्न होता है, अब आप सुनेंगे, श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश और उनकी पसंद पर एक सांग।

धन्यवाद।

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040