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तुएं वू त्योहार यानी ड्रेगन बोट त्याहोर
2013-06-13 10:10:06

वेइतुंगः आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोता दोस्तों को वेइ तुंग का नमस्कार ।

अनिलः सभी श्रोता दोस्तों को अनिल का भी नमस्कार ।

दोस्तो ,इसी के साथ आज का प्रोग्राम शुरू करते हैं ।सब से पहले आप सुनेंगे ,ड्रैगन बोट फेस्टिवल की जानकारी ,श्रोताओं के ईमेल और पत्र ,उस के बाद श्रोता के साथ हुई बातचीत और उन की पसंद पर एक सांग ।वेइ तुंग जी ,आज क्या लेकर आए हैं आप ।

वेइतुंगः अनिल जी ,आज हम आज के प्रोग्राम की शुरूआत करते हैं कि चीन में मनाए जा रहे ड्रैगन बोट त्योहार की जानकारी से ।

दोस्तो ,आज चीन का तुएं वू त्योहार यानी ड्रेगन बोट त्योहार है ,जो कि चीनी कृषि पंचांग के अनुसार पांच मई को होता है ।इस त्योहार का इतिहास दो हजार से अधिक वर्ष पुराना है ।इस की स्थापना का मकसद प्राचीन समय के एक महान देश भक्त कवि छु युएं को याद करना है ।शुरू में यह त्योहार सिर्फ दक्षिण चीन में मनाया जाता था ,धीरे धीरे वह पूरे देश में लोकप्रिय हो गया ।वर्ष 2009 में तुएं वू त्योहार विश्व गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल किया गया ।इस मौके पर सरकारी अवकाश भी रहता है । तुएं वू त्योहार में सब से लोकप्रिय गतिविधि ड्रेगन बोट रेसिंग है ,जिस तरह दक्षिण भारत के करेल में स्नेक पोट रेसिंग होती है ।इसल में स्नेक पोट रेसिंग ड्रेगन बोट रेसिंग से आती है ।दोनों नावों का आकार बराबर है ।तुएं वू त्योहार में सब से लोकप्रिय भाजन चोंग ची है ।चोंग ची बनाने के लिए रीड के पत्ते की जरूरत है ।चिपचिपा चावल में जूजूप ,मंगफली या अन्य पसंदीदा चीजें डाली जाती हैं और उसे रीड के पत्ते से लपेटा जाता है ।फिर पानी में उबालकर तैयार किया जाता है ।अनिल जी ,क्या आप हमारे श्रोताओं के लिए चोंग ची का जायका बता सकते हैं ।

अनिलःवेइ तुंग जी ,जैसा कि आप ने कहा कि चोंग ची एक तरह से चिपचिपा चावल होता है और जो किरीड के पत्ते में लिपटा होता है ।इस का स्वाद कुछ मीठा सा होता है ।मैं ने इसे खाया है ,मैं ने अकसर देखा है कि चीनी लोग त्योहारों के मौके पर इस तरह की विशेष चीजे खाना नहीं भूलते ।यही बात चोंग ची को लेकर भी है ।

वेइतुंगः अब श्रोताओं के पत्र व ई मेल की बारी ।

पंजाब के श्रोता शिव कुमारा ने अपने पत्र में कहा कि मैं सीआरआइ हिंदी सेवा पिछले कई वर्षों से सुन रहा हूं ।आप के सभी कार्यक्रम बडे रोचक एवं ज्ञानवर्षक है ,जिस से हमें चीन के इतिहास ,संस्कृति और रहन सहन के बारे में जानकारी मिलती है ।आप ने अपने कार्यक्रम में पिछले कुछ वर्षों में जो परिवर्तन किये हैं ,वे हमें बेहद पसंद आ रहे हैं ,जैसे टाप फाइव ,खेल जगत ,आप का पत्र मिला एवं ओ गोड मैं चाइना में हूं इत्यादि ।मैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम बडे ध्यान से सुनते हैं ,जिस में श्रोता चीन के विषय में आप से प्रश्न पूछते हैं और आप इन का कार्यक्रम में ही बेहद अच्छे ढंग से इस का उत्तर देते हैं ।शिव कुमारे जी पत्र भेजने के लिए धन्यवाद ।

अनिलःपंजाब के बाद चलते हैं ,राजस्थान की ओर ।जी हां ,अगला पत्र आया है कि ,अलवर ,राजस्थान से ।इसे भेजेने वाले हैं प्रकाश चंद वर्मा ।लिखते हैं कि चीन में एडस की रोकथाम विषय पर आप की रिपोर्ट पढकर अच्छा लगा ।चीन में इस वक्त लगभग 5 लाख एडस रोगी है ।जो हर साल बढने वाले रोगी है ,यह भी भारी समस्या है ।एडस रोगियों पर चीन सरकार गंभीर चिंतन कर रही है ।यह बहुत अच्छी बात है ।एडसरोगियों की मृत्य दर बढ रही है ।सरकार और सरकारी संगठनों के माध्यमों से रोकथाम के भरसक प्रयास किये जा रहे हैं ।यह अच्छा पहल है ।एड्स के प्रति जागरूकता जरूरी है ,रिपोर्ट के लिए धन्यवाद ।वहीं एक दूसरे पत्र में वर्मा लिखते हैं कि आज यहू ही सीआरआइ साईट पर श्रोता क्लब को देख रहा था और अंत में अपनी फोटो और नाम पढकर बहुत अच्छा लगा और आप से यही कहना चाहता हूं कि जब भी मुझे समय मिलेगा ,सीआरआइ को पत्र जरूर लिखूंगा ।यदा कदा आप को कविताएं भी भेजूंगा ,कंसल भाई की गणतंत्र दिवस की कविता अच्छी लगी ।उन्हें धन्यवाद ।हां अब मैं अपनी कविता साईट पर पढने की इचछा रखता हूं ।आप मेरी कविता भी सीआरआइ साइट पर जरूर डालें ।प्रकाश ने हमें जो कविता भेजी है ,उस का नाम मां तू हम ।

तेरी एक हंसी के पीछे

छुपा है एकराज ।

मां भूल जाती है

सारी थकान ।

तुझे हंसता हुआ देखकर ।

तेरी आंख का एक आंसू ,

इतना अनमोल कीमती है

कि तेरा रोना ।

मां के दिल को चीर

देता है तीर की तरह ।

तेरा रोना सुनकर

दौड पडती है ,

अपने सब काम छोडकर ।

पल पल तेरी यादों को

संजोऊं किस तरह

ताकि तुझे बता सकूं

कि तुझ से कितना

प्यार करते थे हम ।

बहतु इमोशनल कविता है ।वाकई मां सभी के जीवन में अहम स्थान रखती है और मां का एक आंसू अनमोल होता है ।मां का प्यार भुलाए नहीं भूलना ।कविता भेजने के लिए आप का धन्यवाद ।

वेइतुंगः आजमगढ ,यू पी के श्रोता अरशद अय्युब आजमी ने अपने पत्र में कहा कि मैं चाइना रेडियो इंटरनेशनल का नया श्रोता हूं ।हाल ही में सीआरआइ का प्रोग्राम सुनता शुरू किये हैं ।आप के कार्यक्रम बहुत ज्ञानवर्धक व रोचक होता है ।देश विदेश की ताजा खबरें मिलती हैं ।वहीं चाइना के संदर्भ में बहुत कुछ जानकारी प्राप्त होती है ।पहली बार मैं पत्र लिख रहा हूं ।उम्मीद करता हूं आप मेरा हौसला अफजाई करेंगे और मेरे पत्र को कार्यक्रम शामिल करकर शुक्रिया का मौका देंगे ।कृपया करकर सीआरआइ के बारे में मुझे पत्रिका व अन्य सामग्री भेज देंगे जिस से मेरी जानकारी में वृद्धि होगी ।मैं प्रतिदिन चाइना रेडियो इंटरनेशनल का कार्यक्रम सुनता हूं ।जबतक आप का कार्यक्रम सुन न लूं ,तो मुझे नींद ही नहीं आती । अय्युब आजमी जी ,हम ने आप के नाम व पते हमारे मेल लिस्ट में शामिल किया है ।हम आप के नये खत के इंतजार में है ।धन्यवाद ।

अब मेरे हाथ में अगला पत्र है ,जो ढोली सकरा ,बिहार के हमारे नियमित श्रोता दीपक कुमार दास ने भेजा है ।वे लिखते हैं चीन का तिब्बत के अंतर्गत स्वर्ण घाटी का नीला सपना आलेख सुना ।दिलचस्प और ज्ञानवर्धक था ।तिब्बत की स्वर्ण घाटी का थांकका चित्र कला काफी प्रसिद्ध है ।पीली नदी चीन की प्राचीन नदी है ,जो कलकल करती बहती है ।इस के ऊपर नीले आकाश में सफेद बादल काफी सुंदर दिखता है ।तिब्बती जाति के रंग बिरंगे परिधान आप को काफी मनमोहक लगेगा ।प्राचीन तिब्बती कला में थांगका चित्र कला काफी प्रसिद्ध माना जाता है ।इस कला में बौद्ध धर्म महाकाव्य आदि काफी प्रसिद्ध है ।चीन सरकार तिब्बत को भौतिक संस्कृति की संरक्षण के लिए सन 2012 में अधिक मात्रा में धन की पूंजी निवेश किया है ।इसी संदर्भ में थांका चित्र कला एकादमी की स्थापना की गयी है ,जिस में लोगों को थांगका चित्र कला का प्रशिक्षण दिया जाता है।इस सांस्कृतिक कला के गैर भौतिक संरक्षण पर सरकार काफी ध्यान दे रही है ।आप को यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस कला चित्र को पेड पर थांग कर इस की पूजा अचर्ना की जाती है ।

अनिलः इसी के साथ ही दीपक कुमार दास ने एक और पत्र भेजा है ।कहते हैं कि चीन में रहने वाले शिखर जी से भेंटवार्ता सुनी ।सच में चीन में विदेशियों का रहना एक बडी समस्या भाषा की है ,साथ ही खान पान को लेकर भी दिक्कत आती है ।चीनी लोग वाकई मिलनसार है और आप को पूरा सहयोग देते हैं ।वे मेहमानवाजी में निपुर्ण हैं ।इस में कोई शक नहीं ।आप चीन की यात्रा पर है ,तो आप को चीनी भोजन पकवाव का मजा लेना चाहिए ।मैं वर्ष 2011 में चीन यात्रा की तो मैं चीनी खाना का भरपुर आनंद उठाया ।स्ट्रीट खाना खाने की पूर्ण कोशिश की ।मैं शीआन में मुस्लिम रेस्तारां में गया और वहां की भिन्न भिन्न भोजन का आनंद उठाया ।इस तरह का अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा ।

वेइतुंगः अब ,सगर ,मध्य प्रदेश की श्रोता धर्मेंद्र सिंह ने फोटो के साथ हमें शुभकामना का पत्र भेजा ।धन्यवाद ।पर फोटो में तीन महिलाएं दिखाई देती हैं ।पता नहीं ये कौन हैं । आशा है कि अगले पत्र में आप इस की जानकारी देंगे ।महटवाना ,महोबा ,यू पी के अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ के पंडित मेवा लाल परदेशी ने हमारे कार्यक्रमों की तारीफ की है ।वे लिखते हैं कि कुंभ मेला के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सुनवाने हेतु मैं आप को धन्यवाद देता हूं । एनाउंसर बडी मेहनत से कार्यक्रम को बनाते हैं ,जो हमें ज्ञान प्रदान करते हैं ।यदि हो सके तो अपने कार्यक्रमों का समय बढा दें ।परदेशी जी ,वर्तमान में हमारा प्रसारण समय बढाने की योजना नहीं है ।हमारी प्राथमिकता है कि इसी समय के भीदर अधिकाधिक रोचक प्रोग्राम पेश किये जाए ।।पत्र के लिए धन्यवाद ।

अनिलः बंगलादेश के हाई स्कूल के कंप्यूटर अध्यापक तसलीम उद्दीन ने अपने पत्र में कहा कि हम रोज आप के रोचक और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम सुनते हैं ।एक सवाल है कि चीन में कुल कितने फिल्म स्टूडियो है ।

यह बडा रोचक सवाल है ।देखिय ,चीन एक बडा फिल्म देश है ।चीन फिल्मों के लिहाज से एक बडा देश है ।चीनी लोग फिल्म काफी पसंद करते हैं ।यहां एक साल400 से अधिक फिल्में बनती हैं ।इस के अलावा एक साल तीसेक विदेशी फिल्में भी चीनी थियेटरों में दिखाई जाती हैं , जैसे भारतीय एक्टर अमीर खान अभिनीत फिल्म थ्री ईडियट्स को चीनी थियेटरों में लगाया गया और इसे काफी लोकप्रियता भी मिली ।चीन में फिल्म स्टूडियो की संख्या के बारे में हमारे पास ठोस जानकारी नहीं है ,पर हमें लगता है कि यह संख्य़ा कम नहीं होगी ।वैसे फिल्म उद्योग देश में तेजी से विकसित हो रहे सांस्कृतिक उद्योग का एक अहम भाग है ।

वेइतुंगः बांका ,बिहार के उषा रेडियो श्रोता संघ के जय कृष्ण कुमार ने हमें एक लंबा पत्र लिखा ।वे कहते हैं कि 20 मार्च को प्रसारित आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुना ।बहुत ही अच्छा लगा ।कार्यक्रम में मुकुंद तिवारी के खत का जवाब देते हुए आप ने भारतीय एवं चीनी सभ्यता एवं संस्कृति के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां हमें दिया ।इसी सिलसिले में आप ने कहा कि भारतीय कल में भरोसा रखते हैं ,जबकि चीनी आज में जीते हैं ।वाकई इन बातों का असर भारत में बहुत अधिक है ,किंतु अब कुछ नव किरणें प्रस्तुटित रहे हैं ।कुछ परिवर्तन आ रहा है ,सोच में ।वैसे इन्हीं बातों को लेकर पिछले दिनों मैं ने एक कविता नव वर्ष के स्वागत में लिखा है ,जिसे मैं आप सब के बीच शेयर करना चाहूंगा ।

आज

बीत वक्त की ताकीद ना कर,

वो गुजरा पल ,गुजर चुका है ।

खुशियां या तो गम ,

किंतु वो टल चुका है ।

लम्हा जो बीता कल बनकर ,

दफन हो चुका है ।

हां वो बीता पल गुजर चुका है ,

बीते वक्त की ताकीद ना कर ,

वे गुजरा पल ,गुजर चुका है ।

आंसू हो या खुशियां लौट नहीं सकती ,

हां फिर से वो हमें हंसा खला नहीं सकती ।

जो सजी प्रतिमा बिखर चुकी है ,

वो फिर से संवर नहीं सकती ,

बीता कल फिर से गुजर नहीं सकता ,

कल भी परधाई ,आज की रोशनी में खो जाए ।

ना बहचे उस की विसात कोई ,

जो हमें फिर रुलाए ।

कल की बजाए आंसुओं को ,

आज मोती बनाकर संजाएंगे ,

बीते कल को फिर नहीं दोहराएंगे ।

बीते वक्त की ताकीद ना कर ,

वो गुजरा पल ,गुजर चुका है ।

खुशियां हो या गम ,

किंतु वे टल चुका है ।

अपने पत्र में कुमार आगे लिखते हैं कि आप का जवाब सुने के दौरान एक विचार मेरे मन में उठा ,जिसे आप ने अपने जवाबो में शामिल नहीं किया था ।वो है शिक्षा ।अभी भी हमारे देश में शिक्षा का विस्तार उतना नहीं तो पाया है कि देश कल से निकल कर आज को परख सकें ।तो मैं । जानना चाहूंगा कि चीन में शिक्षा का क्या औसत है ,कितने प्रतिशत लोग शिक्षित है ।इस केबाद मेरे मन में एक और सवाल आया कि आप के यहां के लोग मीठा नमकीन है ,तल्ख भोजन पसंद करते हैं ।वैसे मैं अपनी आदतों के हिसाब से अनुमान लगाता हूं कि भारतीय लोग ज्यादातर मीठे व्यंजन करते हैं ।

कुमार जी ,चीनी शहरों में कालेज के स्नातक व उस के ऊपर डिग्री प्राप्त करने वाली आवादी का अनुपात लगभग 30 प्रतिशत है और ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी आबादी का अनुपाद लगभग 14 प्रतिशत है ।शहरों में निरक्षर दर लगभग शून्य है ,जबकि कि गांवों में 1 प्रतिशत है । चीनी लोगों के पसंदीदा खाने के बारे में अनिल जी के पास अच्छा अनुभव है , वे इस बारे में बता सकते है ।

अनिलः देखिए ,इंडियो की तरह चीन में भी तरह तरह के स्वादिष्ट भोजना का मजा लिया जा सकता है ।हां स्वाद जरूर इंडिया जैसा नहीं होता ,पर आप चीन में रहते हैं तो कुछ तो चीनी बनना ही पडेगा ।चीनी फूड की बात करें तो यहां फ्राइड राइस ,डंपलिंग ,हॉट पॉट ,चिकन ,फिश व नूडल्स आदि मिलते हैं ।लेकिन हर खाने में आप को सिरका डला हुआ मिलता है ,साथ ही पोर्क और बीफ भी चीनी लोगों को बहुत पसंद आता है ।शायद आम इंडियंस इस तरह के भोजन नहीं खाते ,विशेषकर हिंदी या फिर मुसलमान ।हां वेजिरेटियन फूड खाने वालों के लिए चीन में गुजारा करना मुश्किल होता है ,क्योंकि होटलों में वेजिटेरियन फूड में भी मीट मिक्स होता है ।

कृषण कुमार ने आगे कहा कि एक अन्य श्रोता के खत ने हमारे ध्यान को खींचा ,जिस में श्रोता मित्र ने पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित होती लडकियों को बेशर्म की संज्ञा से संबोधित किया ,मैं निहायत ही अफसोस के साथ कहना चाहता हूं कि वाकई हमारे समाज में पश्चिमी सभ्यता की लगातार बढती पैठ की वजह से कहीं ना कहीं हमारे अपने संस्कारों से दूरी बढी है और कभी कभी बेपरवाह होकर पसंद किया गया पश्चिमी वस्त्र हमारे सभ्यताओं के विपरीत प्रतीत होते हैं ।यह दुखद जरूर है ,किंतु परिवर्तन तो वक्त का दस्तूर है ,इसे लाख चाहते हुए भी हम रोक नहीं सकते ।इसलिए हमारा यह कर्तव्य या जिम्मेदारी जरूर बनती है कि हम क्रांति और परिवर्तन को अपने संस्कारों ,सभ्यताओं को नजर में रखते हुए स्वीकार करें ।

दोस्तो ,समय के कारण श्रोताओं के पत्र तो यहीं तक ।अब हमारे दो श्रोताओं साथ हुई बातचीत सुनिए ।

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