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सड़कों के बादशाह थे साइकिल के पहिए
2013-06-06 09:22:05

चीन को यूं ही बाइसिकिल किंगडम नहीं कहा गया। एक दौर था, जब चीन की सड़कों पर सिर्फ साइकिलें ही नज़र आती थी, और ये दो पहिए ही सड़क के बादशाह होते थे। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। साइकिलों की जगह महंगी कारों ने ली है। हालांकि आज भी कुछ लोगों को साइकिल चलाते देखा जा सकता है। बताते हैं कि सत्तर के दशक में अक्सर चीनी नेता विदेशी नेताओं को साइकिलें उपहार के रूप में भेंट किया करते थे।

वेइतुंगः आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।

अनिलः सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का भी नमस्कार।

दोस्तो, इसी से साथ आज का प्रोग्राम शुरू करते हैं, सबसे पहले आप सुनेंगे, श्रोताओं के ई-मेल और पत्र, उसके बाद आप सुनेंगे, श्रोता के साथ हुई बातचीत और उनकी पसंद पर एक सांग।

वेइतुंग जी, आज क्या लेकर आए हैं आप।

वेइतुंगः अनिल जी, मेरे हाथ में आज सबसे पहला पत्र, विलासपुर से हमारे पुराने श्रोता चुन्नी लाल कैवर्त का है। उन्होंने सीआरआई के सभी कर्मचारियों की कुशलक्षेम पूछी है।

साथ ही उन्होंने चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग की हालिया भारत यात्रा का भी उल्लेख किया है। लिखते हैं कि उनकी भारत यात्रा कई मायनों में सफल और ऐतिहासिक रही।

प्रधानमंत्री बनने के बाद ली खछयांग ने अपने पहले विदेश दौरे के लिए भारत को चुना, इससे पता चलता है कि वे चीन व भारत के रिश्तों को बड़ा महत्व और सम्मान देते हैं। चीनी प्रधानमंत्री ने भारत को सबसे अहम पड़ोसी बताया। इस दौरान ली और मनमोहन सिंह ने दोनों देशों से जुड़े कुछ मुख्य मुद्दों पर चर्चा की और 8 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। सीमा विवाद,व्यापार असंतुलन से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने जैसे सवालों पर चीनी प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण सार्थक और संतोषजनक रहा। चीन व भारत ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए प्रतिष्ठित एवं समकालीन साहित्यिक रचनाओं के अनुवाद को भी बढ़ावा देने के संबंध में करार किया। हिंदी व चीनी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए सहमति जताई गई।बहुत ही खुशी की बात है कि भारतीय छात्रों को चीनी सिखाने के लिए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, चीनी एजेंसी हानबान के साथ मिलकर काम करेगा। कैलाश मानसरोवर यात्रा को सुगम बनाने के साथ-साथ मार्ग में सुविधाएं बढ़ाई जायेंगी। निश्चित रूप से ली खछयांग की इस यात्रा से चीन व भारत के नागरिकों के बीच आपसी सहयोग और संपर्क को और बढ़ावा मिलेगा। और हमारी दोस्ती पहले से कहीं अधिक मजबूत होगी। सचमुच चीनी प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा कर भारतीयों का दिल जीत लिया। हम चीन और चीनी प्रधानमंत्री के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

सीआरआई ने भी इस दौरान अच्छी रिपोर्टिंग की, इसके लिए आप सभी को धन्यवाद।

कैवर्त जी, इस दौरे पर व्यापक नज़र बनाए रखने के लिए आपका धन्यवाद।

अनिलः चुन्नीलाल जी के बाद, अगला पत्र आया है, दिल्ली से, इसे भेजने वाले श्रोता हैं, अमीर अहमद। जो पिछले कुछ समय से व्यस्त थे और हमें पत्र नहीं लिख सके। वे कहते हैं कि आशा है कि आप सभी लोग सकुशल होंगे।

इन दिनों मैं थो़ड़ा ज्यादा व्यस्त हो गया था, क्योंकि मैं अपने परिवार के साथ अपने जन्म स्थान आजमगढ़ गया हुआ था। लेकिन अब दिल्ली वापस आ गया हूं, और पहले की तरह अब काम पर जाना हो रहा है। मैं आपको अपनी आजमगढ़ यात्रा के बारे में बताना चाहता हूं। मैंने लगभग 15 दिन की यात्रा के दौरान अपने कई रिश्तेदारों और सक्रिय श्रोताओं से भेंट की, और उनके गांव-घर गया।

मैंने जिन श्रोताओं से मुलाक़ात की, उनके नाम बताना चाहता हूं, उनमें राजेंद्र यादव भारती, राम प्यारे राम, जाकी तनवीर हैदरी, शहीद हसन आज़मी, मोहम्मद असलम, जावेद, दिलशाद हुसैन मोहममद फैजान अंसारी , फ़िरोज़ अख्तर अंसारी , अजमल अजहरी , मोहम्मद अशरफ आज़मी, कुमारी नदिया आदि। वैसे अन्य भी कई लोग हैं, जिनसे मैंने मुलाक़ात की, लेकिन सभी का नाम यहां लिखना संभव भी नहीं है और उचित भी नहीं। मैं आजमगढ़ और मऊ ज़िले में सीआरआई के श्रोताओं से मिला उनके साथ चायना रेडियो के प्रोग्राम पर खुलकर चर्चा की। साथ ही कार्यक्रम के संबंध में उनके विचार भी जाने। सच में आज भी लोग सीआरआई को पहले की तरह ही प्यार, स्नेह करते हैं। सभी ने कहा कि आपके कार्यक्रमों में पहले की तुलना में काफी बदलाव आया है। कार्यक्रमों में रोचकता बढ़ी है, सभी प्रोग्राम अच्छे चल रहे हैं।

अमीर अहमद ने आगे क्या लिखा है, इसे अब वेइतुंग जी बताएंगे।

वेइतुंगः अमीर आगे लिखते हैं कि कुछ लोगों ने कहा की आज टीवी और केबल के युग में रेडियो सुनना बहुत बोरिंग लगता है, पर हम आलोचना करने वालों का खुलकर जवाब भी देते हैं। जब हमने कुछ सक्रिय श्रोताओं से ये कहा कि आपके पत्र पहले की तुलना में अब सीआरआई से कम सुनने को मिलते है इसका मुख्य कारण क्या है, तो कुछ लोगों ने कहा की अब हम बहुत व्यस्त रहते हैं, इसलिए पत्र लिखने का समय नहीं निकाल पाते हैं। कुछ अन्य लोग कहते हैं कि आजकल इतनी महंगाई है कि पैसे कमाने के चक्कर में बिज़ी रहने से ख़त नहीं भेज पाते। मित्र राजेंद्र भारती ने बताया की हम पहले की तरह आज भी सीआरआई से जुड़े हुए हैं और भविष्य में भी सीआरआई हिंदी सेवा से संपर्क जारी रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने अपने स्कूल के बारे में भी जानकारी दी और बताया कि वे किस तरह से स्कूल के माध्यम से सामाजिक कार्य करने में लगे हैं। साथ ही भारत-चीन मैत्री बढ़ाने के लिए भी कोशिश कर रहे हैं।

जबकि वलीद पुर मऊ नाथ भंजन के ही सीआरआई के बहुत पुराने और एक समय के सबसे सक्रिय श्रोता भाई राम प्यारे राम जी से भी उनके गांव जाकर मिले और सीआरआई के प्रति उनका लगावा देखकर बहुत खुशी हुई। उन्होंने स्वयं चलाए जा रहे मिडिल स्कूल में हमारा स्वागत किया। और स्कूल के बारे में बताया, और सामाजिक कार्यों की जानकारी दी। मैं राम प्यारे जी के स्नेह से बेहद खुश हूं। साथ ही

श्रोताओं ने फेसबुक पर सीआरआई का पेज शुरू किए जाने का स्वागत भी किया। कुछ श्रोताओं ने शिकायत की कि, आजकल उन्हें श्रोता वाटिका समय पर नहीं मिलती है। ऐसे में सीआर आई को चाहिए की श्रोता वाटिका को समय समय पर प्रकशित कर भेजे, क्योंकि आज भी पूरे भारत में सभी जगह इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सीआरआई के आधिकतर श्रोता गांवों में रहते हैं। वहीं सभी श्रोताओं ने जल्द ही श्रोता सभा आयोजित करने का आग्रह भी किया।

धन्यवाद, अमीर जी।

अनिलः इसके बाद हम पढ़ते हैं, मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का ई-मेल। वे लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन की झलक" के अन्तर्गत 18 मई से बीजिंग में आयोजित नौवें अन्तर्राष्ट्रीय गार्डन एक्सपो पर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई कि हरीतिमा को बनाये रखने में इस तरह के आयोजन कैसे मददगार साबित हो सकते हैं। छह महीने चलने वाले बागवानी सम्बन्धी उक्त मेले में कोई एक हज़ार सांस्कृतिक गतिविधियों को अंज़ाम दिया जाना और बीजिंग के मशहूर योंग पिंग टावर को बिजली की रोशनी से जगमगाया जाना भी मुख्य आकर्षण होगा। मेज़बान के तौर पर चीन की भूमिका प्रशंसनीय कही जा सकती है। कार्यक्रम के दूसरे भाग "ओ माई गॉड मैं चाइना में हूँ" के तहत गत सात वर्षों से बीजिंग में रहने वाली श्रीदेवीजी से भेंटवार्ता सुन चीन में रहने वाले भारतीयों के कुछ और महत्वपूर्ण अनुभव सामने आये। समझ में आया कि चीनी भाषा न जानने वालों के लिए चीन में रहना किसी चुनौती से कम नहीं है। हां, चीनी लोगों का रवैया बहुत ही दोस्ताना होता है, यह बात सभी की ज़ुबान से निकलती है। चीन में भारतीय पाक-कला का प्रशिक्षण देने वाली श्रीदेवीजी से चीनी लोगों की खानपान की आदतों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई।

प्रसारण के अंत में पेश विशेष कार्यक्रम के तहत चीन में भारत पर अनुसंधान करने वाले कुछ चीनी विद्वानों का ज़िक्र बहुत अच्छा लगा। विशेषकर रामचरित मानस का चीनी में अनुवाद करने वाले अस्सी वर्षीय प्रोफ़ेसर और कवि रवींद्र नाथ टैगोर के निमंत्रण पर भारत का दौरा कर चुके विद्वान के बारे में जान कर मन गदगद हो उठा। अफ़सोस की बात यह है कि उच्चारण सम्बन्धी कठिनाई के कारण मैं उक्त दोनों महानुभावों के नाम नोट नहीं कर पाया। आपसे नम्र निवेदन है कि ऐसी ख़ास प्रस्तुतियों के लिए भारतीय सहयोगियों के स्वर का इस्तेमाल किया करें।

धन्यवाद, सुरेश जी, हम इस बारे में आपके सुझाव को संबंधित लोगों तक पहुंचाएंगे।

वेइतुंगः कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत 13 से 22 मई तक चीन की यात्रा करने वाले सौ भारतीय युवाओं के एक सदस्य अभिनव कुमार से पंकज श्रीवास्तव द्वारा ली गई भेंटवार्ता सुन कर चीन और भारत के ऑटोमोबाइल्स क्षेत्र की प्रगति पर अहम् जानकारी हासिल हुई। इस परिप्रेक्ष्य में होने वाले अनुसंधान एवं विकास कार्यों पर उभय देशों की तुलनात्मक स्थिति पर अभिनव द्वारा सटीक प्रतिक्रिया व्यक्त की गई। अभिनव ने माना कि आधारभूत ढ़ांचे के मामले में चीन भारत से कहीं आगे है, परन्तु भारत में युवा अनुपात अधिक होने के कारण भारत ज़ल्द ही चीन की रफ़्तार के करीब पहुंचने में सफल होगा।

अनिलः कार्यक्रम के अन्त में पेश विशेष प्रस्तुति के तहत "एक भारतीय युवा का चीनी सपना" शीर्षक रिपोर्ट में युवा सुशोधन से मिल कर बहुत अच्छा लगा। उनकी चीनी-भाषा सीखने की ललक और धाराप्रवाह चीनी बोलना सुन कर सुखद आश्चर्य हुआ। निश्चित तौर पर उनका भाषा-ज्ञान दोनों देशों के बीच सम्बन्धों के सेतु का काम करेगा। धन्यवाद्।

इसके बाद, लीजिए पेश है, पश्चिम बंगाल, दक्षिण दिनाजपुर ज़िले से रतन कुमार पॉल का पत्र। जो कि दक्षिण एशिया सीआरआई डीएक्सईआर फोरम के को-ऑर्डिनेटर भी हैं। उन्होंने अपने ख़त की शुरूआत, नी हॉव के साथ की है। वे लिखते हैं कि हमारे फ़ोरम के सभी दोस्त, आपके प्रोग्राम रोजाना सुनते हैं, साथ ही वेबसाइट भी विजिट करते हैं, आज मैंने हेमा दी से बात की, बहुत खुशी हुई। हमारे फ़ोरम में लगभग 50 सक्रिय श्रोता हैं। वहीं कुछ अन्य लोग भी आपके कार्यक्रम सुनते हैं। हमारा अनुरोध है कि कृपया हमारा नाम भी अपनी सूची में शामिल कर लें, और हमें श्रोता वाटिका आदि भेजा करें। धन्यवाद।

वेइतुंगः अगला पत्र भी पश्चिम बंगाल से ही है, पश्चिम मिदनापुर से डा.एस.एस.भट्टाचार्य का।

उनका पहला सवाल है कि चीन में साइकिल का सबसे लोकप्रिय ब्रांड कौन सा है।

दूसरा प्रश्न है, चीन में सबसे पहले किंडरगार्टन की शुरूआत कब हुई।

वेइतुंगः पहले सवाल का जवाब है, फीनिक्स चीन में सबसे मशहूर साइकिल ब्रांड है। चीन को छोडकर फीनिक्स साइकिल यूरोप ,अमेरिका ,जापान ,एशिया और अफ्रीका के कई देशों में लोकप्रिय है। अब तक सौ से अधिक देशों व क्षेत्रों में इसका बिक्री नेटवर्क है और अस्सी से अधिक देशों में इसके मार्क पूंजीकरण कराये गये हैं । वास्तव में गत् 60 वाले दशक से फीनिक्स साइकिल का वैदेशिक निर्यात शुरू हुआ था । उल्लेखनीय बात है कि चीनी नेताओं ने विदेश यात्रा के दौरान फीनिक्स साइकिलें उपहार के रूप में विदेशी नेताओं को भेंट की गई थी। योंग च्यो ब्रैंड साइकिल भी चीन में बहुत मशहूर है । इस कंपनी की स्थापना वर्ष 1940 में हुई ।योंग च्यो साइकल का कई देशों में निर्यात किया जाता है ।पिछली सदी के सत्तर व अस्सी वाले दशक में चीन को साइकिल की किंगडम कहा जाता था। साइकिल चीनियों के बीच सबसे लोकप्रिय यातायात साधनों में से एक है। नब्बे के दशक से बस ,मेट्रो ,निजी कारों के तेज विकास के साथ साथ चीनियों के जीवन में साइकिल की भूमिका काफी हद तक घट गयी है । आजकल इलेक्ट्रिफाइज बाइक व स्पोर्ट्स बाइक अधिक लोकप्रिय हैं ।लेकिन उनका इस्तेमाल करने वालों की कुल संख्या अधिक नहीं है।

अनिलः अब हम भट्टाचार्य जी के अगले सवाल का जवाब देते हैं, उन्होंने पूछा है कि चीन में किंडरगार्टन यानी बालवाड़ी या शिशु मंदिर की शुरूआत कब हुई।

बहुत अच्छा सवाल पूछा है आपने।

देखिए, सितंबर 1903 में चीन का पहला किंडरगार्टन मध्य चीन के हु पेइ प्रांत में स्थापित हुआ ,जिसने चीन में सार्वजनिक बाल शिक्षा का नया अध्याय जोड़ा। इसके बाद पेइचिंग, हु नान ,च्यांग सू व शांगहाई आदि शहरों में किंडरगार्टन्स खुले।

वहीं ढोली सकरा बिहार से दीपक कुमार दास ने अपने ई-मेल में कहा है कि 7 मई को न्यूशिंग स्पेशल के अंतर्गत चीनी युवतियों में विवाह की सोच पर चर्चा दिलचस्प लगी। इन दिनों चीन भारत के बीच मैत्री का सिलसिला चल रहा है ,इंटर कल्चरल मैरिज के अवसर पर। अप्रैल 2013 को दोनों देश की परंपरा व सीमा रेखा का सम्मान करने वाले दो दिलों का मिलन हुआ बिहार के पश्चिम चंपारण संदीप का विवाह सछ्वान चीन की लडकी से हुआ। इस विवाह से बिहार की जनता में काफी उत्साह था। यह चीन भारत की मैत्री का प्रतीक है।

वेइतुंगः दीपक आगे लिखते हैं कि 6 मई को चीन का तिब्बत के अंतर्गत उत्तर पश्चिम छिंगहाई पर्वत के नीचे पीली नदी के किनारे प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल की चर्चा काफी अच्छी लगी ।इस स्कूल का निर्माण 44 काउंटियों द्वारा किया गया ।इस स्कूल में तिब्बती समेत 15 जातियों के विद्यार्थी पढते हैं ।इन छात्रों को तिब्बती व अंग्रेजी भाषा के साथ साथ चित्र कला और कंप्यूटर की शिक्षा दी जाती है। इससे पता चलता है कि चीन सरकार तिब्बत में शिक्षा के विकास पर व्यापक ध्यान दे रही है।

साथ ही उन्होंने चीन की झलक के अंतर्गत परंपरागत त्योहार की चर्चा सुनी। वैसे चीन प्राचीन देशों में से एक है और चीनी लोग कई त्योहार मनाते हैं ।पिछले दिनों चीन में छिंग मिंग उत्सव मनाया गया। चीन में प्रमुख उत्सव वसंत उत्सव है और वसंत उत्सव को राष्ट्रीय त्योहार की मान्यता दी गयी है। ईसा पूर्व एक हजार से ज्यादा वर्ष पहले चीनी लोगों ने वसंत त्योहार को नियन की संज्ञा दी । उस समय नियन का अर्थ भरपूर फसल वाला साल था। आज आधुनिक चीन में ग्वो नियन अर्थात नियन मनाना भी कहलाता है। हम श्रोताओं का मानना है कि पेइचिंग ऑलंपिक भी एक चीन का विशाल उत्सवों में से एक था।

दीपक जी पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।

वहीं प्रियदर्शनी रेडियो लिस्लनर्स क्लब के अध्यक्ष डॉ. हेमंत कुमार ने पत्र भेजा है, वे लिखते हैं 24 मई, बैशाख का दिन, इस दिन चांद अपने संपूर्ण आकार में दिखता है। यह दिन दुनिया भर में बौद्ध धर्म में विश्वास करने वाले लोगों के लिए सबसे पवित्र दिन होता है। इस दिन यानी 623 बीसी. को गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था,। इस तरह मैं बुद्ध को उनके जन्म दिन पर बधाई देता हूं।

धन्यवाद।

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