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चीन में लोकप्रिय हुआ अनिवार्य शिक्षा कानून
2013-05-29 09:41:10

वेइतुंगः आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।

अनिलः सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का भी नमस्कार।

दोस्तो, इसी के साथ आज का प्रोग्राम शुरू करते हैं, इसमें सबसे पहले हम पेश करेंगे, श्रोताओं के पत्र और ई-मेल, उसके बाद श्रोता से हुई बातचीत और उनकी पसंद पर एक सांग।

वेइतुंग जी आपके पिटारे में आज क्या है।

वेइतुंगः अनिल जी, आज हम सबसे पहला पत्र शामिल कर रहे हैं, पश्चिम बंगाल के श्रोता, विधान चंद्र सान्याल का। उन्होंने चीनी प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर जानकारी देने का आग्रह किया है। लिखते हैं कि कृपया यह बताएं कि चीनी प्राथमिक शिक्षा की मूल नीतियां क्या हैं? मुक्त शिक्षा संबंधी सरकारी उद्योग कैसे हैं ?

देखिए सान्याल जी, चीन ने 1986 में अनिवार्य शिक्षा कानून जारी किया ,जिसमें चीन में नौ वर्ष की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू की गई।

दसेक साल की कोशिशों के बाद वर्ष 2000 में चीन में बुनियादी तौर पर नौ वर्ष की अनिवार्य शिक्षा लोकप्रिय हो सकी। वर्ष 2006 में चीन में नया अनिवार्य शिक्षा कानून जारी हुआ। वर्ष 2007 में देश के सभी ग्रामीण प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में शिक्षा शुल्क और शिक्षा से जुड़े अन्य शुल्क माफ किए गए।उन स्कूलों के छात्रों को मुफ्त रूप से पाठ्यपुस्तकें मिलती हैं और गरीब बोर्डिंग छात्रों को जीवन भत्ता मिलता है। वर्ष 2008 में सभी शहरी व ग्रामीण मिडिल व प्राइमरी स्कूलों के छात्रों को मुफ्त शिक्षा मिलती है और सरकारी स्कूलों का बजट और बोर्डिंग स्कूल में गरीब छात्रों का जीवन भत्ता भी बढ़ाया गया । इस तरह चीन में सच्चे मायने में मुफ्त अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य पूरा किया गया। इसके कार्यान्वयन से 16 करोड बच्चों व शिशुओं को लाभ मिला । नवंबर 2011 में देश की सभी काउंटियां में नौ वर्ष अनिवार्य शिक्षा लागू हुई। चीन बडे विकासशीत देशों में नौ साल की अनिवार्य शिक्षा लोकप्रिय बनाने का लक्ष्य पूरा करने वाला एकमात्र देश बना।

अनिलः

वर्तमान में देश में कुल 2 लाख 41 हजार 200 प्राइमरी स्कूल हैं, प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की दाखिला दर 99.79 प्रतिशत है। प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की कुल संख्या 56 लाख से ज्यादा है। देश में मिडिल स्कूलों की संख्या 54 हजार से अधिक है और इनमें टीचरों की संख्या 35 लाख 24 हजार से ज्यादा। मिडिल स्कूलों में दाखिला दर लगभग 100 फीसदी बताई जाती है।

वर्तमान में चीन के अनिवार्य शिक्षा क्षेत्र में सबसे बडा कार्य शहरों और ग्रामीण इलाकों में मौजूद अंतर को दूर करना है यानी समान शिक्षा व्यवस्था लागू करना। देश में अब नॉमल विश्वविद्यालय व कॉलेज के छात्रों को मुफ्त शिक्षा मिलती है और प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं। सुदूर क्षेत्रों के स्कूलों के लिए विशेष समर्थन नीति चलती है।

वेइतुंगः अनिल जी, सवाल जवाब के बाद शामिल करते हैं, अगला पत्र, जो आया है दिल्ली से, इसे भेजने वाले श्रोता हैं, राम कुमार नीरज। वे लिखते हैं, 03 मई को द लाइफ़ आफ़ पाई " फिल्म संगीत समारोह पर रिपोर्ट सुनी।

संगीतकार, " द लाइफ़ आफ़ पाई " की प्रमुख पार्श्व गायिका सुश्री जयश्री के 3 मई को शांगहाई अंतर्राष्ट्रीय संगीत समारोह में शिरकत करना और किसी भारतीय कलाकार का चीन में सम्मान और उसकी लोकप्रियता को दर्शाता है। इसी रिपोर्ट से यह भी जानना दिलचस्प रहा कि भारतीय पृष्ठभूमि पर बनी इस हॉलीवुड फिल्म को चार अवॉर्ड्स हासिल हुए हैं. इसमें बेस्ट सिनेमेटोग्राफी, बेस्ट विजुअल इफेक्ट, बेस्ट ओरिजनल म्यूजिक स्कोर और बेस्ट डायरेक्शन के लिए ऑस्कर शामिल है. लाइफ ऑफ पाई के लिए आंग ली को बेस्ट डायरेक्टर का खिताब भी मिला। गौरतलब है कि

लाइफ ऑफ पाई उपन्यास और फिल्म से भारत में अधिकतर लोग परिचित हैं. इस फिल्म को निर्देशन समेत ऑस्कर में 11 वर्गों में नामांकन मिला। फिलहाल दो कैटेगरी में इस फिल्म ने बाजी मार ली है. इरफान खान और तब्बू ने इस फिल्म में अहम किरदार निभाए हैं. इतना ही नहीं फिल्म न केवल पांडिचेरी और भारत के कुछ इलाक़ों में शूट की गई है बल्कि इसमें कुछ गीत भी विदेशों में पसंद किए हैं.

उम्मीद है भारतीय कलाकारों को समर्पित कुछ खास और दिल को छू लेने वाले कार्यक्रमों का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा। धन्यवाद।

धन्यवाद, नीरज जी।

अनिलः इसके साथ ही नीरज ने एक और पत्र भेजा है, जो कि 2 मई को आपका पत्र मिला प्रोग्राम में श्रमिक दिवस पर पेश जानकारी के संदर्भ में है। वे लिखते हैं कि आपका पत्र मिला कार्यक्रम में जब मज़दूरों के लिए तय हुए काम के 8 घंटे से सम्बंधित विशेष कार्यक्रम सुना। कार्यक्रम की विषय वस्तु बेहद ज्ञानवर्धक थी। अब तो मजदूर दिवस को भी काम पर जाना है पड़ता है। उस काम पर, जिसके प्रति नियंताओं के मन में कोई सम्मान नहीं है, जहां कोई निश्चित नियम नहीं है, जहां अक्सर वेतन देते वक्त नए नियम बनाये जाते हैं, ताकि कम मेहनताना देना पड़े. जहां मेहनताना बढ़ाने की घोषणा करके और तीन अलग अलग तरीकों से वेतन प्रपत्र बनाकर अंत में सबको निरस्त कर दिया जाता है। आज किसी जिम्मेदार व्यक्ति को इसकी चिंता नहीं है कि काम करने वाले की क्षमता कैसे बढ़ेगी, उसकी मुश्किलें क्या हैं. एक मजदूर जिस तरह के अपमान झेलता है उससे कहीं अलग अनुभव नहीं है हमारा। इसलिए भी हम मजदूरों के संघर्ष के साथ हैं। हम चाहते हैं कि रोजगार की गारंटी हो, हर किसी को उसकी क्षमता के अनुरूप काम मिले, जो श्रम की कीमत नही समझते, जो श्रम से अर्जित अनुभवों के प्रति सम्मान नहीं रखते और जो मजदूरों के श्रम की लूट और दमन-शोषण के एवज में धन पाते हैं। उन्हें किसी कारखाना, ऑफिस या देश चलाने की जिम्मेदारी क्यों होनी चाहिए? कहने को तो मैं मीडिया प्रोफेशनल हूं, पर हूं दरअसल एक कैजुअल मजदूर, जिसके श्रम और ज्ञान से किसी अदने से अधिकारी का अहं टकराता रहता है।

कार्यक्रम उद्वेलित कर गया.शुक्रिया आप सभी को इस बेहतरीन कार्यक्रम के लिए।

धन्यवाद, नीरज जी, मैं आपका बात से पूरी तरह इत्तेफाक रखता हूं, आपने सही कहा, रोजगार की गारंटी होनी चाहिए, काम का सम्मान हो और हर व्यक्ति की क्षमता के अनुरूप उसे काम मिले। यूं ही हमारे साथ जु़ड़े रहिएगा, धन्यवाद।

वेइतुंगः वहीं अगला ख़त हमें भागलुपर बिहार से डॉ. हेमंत कुमार ने भेजा है, उन्होंने महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाया है, वे लिखते हैं कि रेप की जितनी निंदा की जाय, उतनी कम है। सरकार ने इसे रोकने के लिए सख्त कानून भी बना दिया है, लेकिन सिर्फ कानून बना देने से कुछ नहीं होने वाला। ज़रूरत है, इस बारे में जन-जन को जागृत करने की। यह काम हम सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से भी शुरू कर सकते हैं, ये हमारी ज़िम्मेदारी है, अगर हमें इस अपराध से समाज को मुक्त करना है।

वाकई में सही बात कही, हेमंत ने, सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं होता, सभी को जागृत करना होगा।

डॉ. हेमंत कुमार ने आईपीएल क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग पर टिप्पणी भी भेजी है। वे लिखते हैं कि इंडिया में जिस खेल के खिलाड़ियों को भगवान का दर्जा दिया गया हो, जिस खेल के लाखों फैन्स हों, उसी खेल के कुछ खिलाड़ियों ने खेल प्रेमियों का दिल तोड़ दिया है। एक बार फिर क्रिकेट पर कलंक की कालिख पुत गई है, आईपीएल का विवादों से गहरा नाता रहा है, क्योंकि इस ट्वेंटी-ट्वेंटी फॉरमेट में पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। लेकिन यही मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग भी होती है। जिस तरह श्रीसंत समेत तीन खिलाड़ी स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में पकड़े गए हैं, क्रिकेट के लिए अच्छी ख़बर नहीं है, पैसों की खातिर अपना ईमान बेचने वाले ये खिलाड़ी किसी देश या टीम के लिए नहीं खेल सकते हैं। बल्कि सिर्फ अपने फायदे के लिए खेलते हैं। हेमंत भावुक होकर लिखते हैं कि ये खिलाड़ी इस हद तक गिर जाएंगे, शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। वाकई में यह क्रिकेट के लिए बहुत बड़ा धक्का है।

दोस्तों, वाकई में यह क्रिकेट के माथे पर कलंक है, वैसे यह पहला मौका नहीं है जबकि भद्रजनों के इस खेल के दामन पर दाग लगा हो। हेमंत की ही तरह लाखों खेल प्रेमी इस घटना से निराश होंगे और खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे होंगे। वैसे मुझे लगता है कि ट्वेंटी-ट्वेंटी क्रिकेट का यह पूरा ढांचा ही एक तरह से फिक्सिंग का घर है। यहां कोई रियल क्रिकेट नहीं खेली जाती है। सिर्फ तुक्का या एक तरह से मनोरंजन का तड़का लगता है।

अनिलः इसके बाद आजमगढ़, यूपी के श्रोता असलम का पत्र। वे लिखते हैं कि गत् 30 अप्रैल को समाचार सुने, जो कि काफी ज्ञानवर्धक थे। वहीं न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम भी बहुत जानकारी लिए होता है, इसमें जो चीजें शामिल की जाती हैं, काफी रोचक होती हैं और सुनने में मज़ा आता है। हेमा जी, श्रोताओं के साथ अपना नॉलेज शेयर करती हैं, जो एक अच्छी बात है। वहीं उन्होंने आपका पत्र मिला प्रोग्राम की भी तारीफ की है, लिखते हैं कि आज का कार्यक्रम बेहतर था, इसे सभी पसंद करते हैं। चाहे फिर बात ई-मेल की हो या पत्रों की। वहीं असलम ने दूसरा पत्र भी भेजा है, लिखते हैं 10 मई शुक्रवार को पहले समाचार सुने और फिर सामयिक चर्चा, मुझे दोनों प्रोग्राम बहुत पसंद आते हैं, खेल जगत कार्यक्रम भी अच्छा लगता है, लेकिन इसमें खिलाड़ियों के साथ साक्षात्कार ज़रुर सुनाया करें यह बेहतर होगा। जिस तरह एशिया फ़ोकस मे साक्षात्कार होता है ठीक उसी प्रकार खेल जगत की ज़रुरत है इस तरह का प्रोग्राम बनायें मै इंतेज़ार करुंगा। असलम जी, पत्र लिखने के लिए धन्यवाद, मैं यहां बताना चाहता हूं कि हर प्रोग्राम का एक ढांचा होता है, दक्षिण एशिया फोकस और खेल जगत अलग-अलग तरह के प्रोग्राम हैं। अगर हमारे फारमेट में कोई बदलाव होगा तो हम भी साक्षात्कार सुनवाने की कोशिश करेंगे। धन्यवाद।

वेइतुंगः असलम के बाद बारी है, झारखंड से आए पत्र की। जो कि हमें भेजा है एस.बी.शर्मा ने। वे लिखते हैं कि मैंने सीआरआई समाचार सुने, इसमें अखिल जी ने जून महीने में खुनमिन में आयोजित होने वाले मेले के बिषय में विस्तार से बताया I पहली बार होने वाले इस मेले से चीन को काफी उम्मीदें हैं, पर दक्षिण एशिया के देशो को भी इस मेले से ब्यापार सहित सभी द्विपक्षीय संबंधो को लेकर काफी संभावनाएं दिख रही है। चीन इन देशो की उम्मीदों को पूरा करने का हर संभव कोशिश कर रहा है जैसा की चीनी मंत्री का वक्तब्य है I आपने चीनी मंत्री का बयान भी सुनाया जो उम्मीद और जोश से भरा हुआ था I उन्होंने कहा कि "चीन-दक्षिण एशिया मेला, चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच बहु-स्तरीय और विस्तृत आदान प्रदान, और सहयोग के प्लेटफॉर्म की स्थापना करेगा। इस मेले में दक्षिण एशियाई देश, दक्षिण पूर्व एशियाई देश, पश्चिमी एशियाई देश, हिन्द महासागर के क्षेत्र और कुछ अफ्रीकी देश भी भाग ले रहे हैं। मेले का क्षेत्र काफी ब्यापक है हम इसके अभूतपूर्व सफलता की कामना करते हैं। कल अनिल जी और वेइतुंग जी आपने काफी अच्छे मूड में श्रोताओ के पत्रों की समीक्षा की I अरे भाई मै आपसे नाराज नहीं हूँ आचानक कुछ हफ्तों से हुए परिवर्तन को मैं समझ नहीं पाया था इसलिए अनायास ही वैसा ख्याल मेरे मन में आ गया चिंतित होने की कोई बात नहीं है I

अनिलः इसके बाद हमें पत्र आया है, राजस्थान के श्रोता राजीव शर्मा का।

वे लिखते हैं कि चीनी प्रधानमंत्री की यात्रा पिछले दिनों काफी चर्चा में रही। मुझे इस यात्रा का जो पल सबसे ज्यादा पसंद आया वह है – ली खछयांग का डॉ. द्वारकानाथ कोटनिस के परिजनों से मुलाकात करना। यह साबित करता है कि प्रधानमंत्री जितने महान हैं, उससे कहीं ज्यादा विनम्र भी हैं। दूसरी खबर तिब्बत के बारे में है जो वेबसाइट पर श्याओ थांग ने पेश की है। तिब्बत में रेलवे का विस्तार इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा।

एक अन्य पत्र में राजीव ने कहा कि इन दिनों मैं रेडियो तो नहीं सुन रहा हूं लेकिन आपकी वेबसाइट पूरे दिन खोले रखता हूं। मुझे यह वेबसाइट बेहद पसंद है। अगर यह कहूं तो ज्यादा सही होगा कि यह मुझे तमाम वेबसाइटों से कहीं ज्यादा अच्छी लगती है। यूं तो सभी लेख-जानकारियां रोचक होती हैं, लेकिन सबसे अच्छी लगी तिब्बत बहुल क्षेत्र में डॉक्टर न्यू फंग यिंग की कहानी। इस लेख को पढ़कर मुझे ऐसा लगा कि मैं खुद ही चीन का भ्रमण कर रहा हूं। मुझे विश्वास है कि सीआरआई की टीम हमेशा ऐसे ही लेख प्रकाशित करती रहेगी। चलते-चलते एक निवेदन। मैंने अब तक जीवन में जितनी भी इच्छाएं की हैं वे देर-सबेर जरूर पूरी हुई हैं। मैं तिब्बत देखना चाहता हूं। मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या यह वास्तव में ही उतना खूबसूरत है जितना मैंने तस्वीरों, वेबसाइटों पर देखा है। कृपया तिब्बत के बारे में ऐसी ही जानकारियां देते रहें। धन्यवाद।

जी हां, तिब्बत तस्वीरों से भी अधिक खूबसूरत है, एक तरह से धरती पर स्वर्ग है तिब्बत। हम उम्मीद करते हैं कि आपकी इच्छा एक दिन ज़रूर पूरी होगी।

पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।

अनिलः दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम में पत्र पढ़ने का सिलसिला संपन्न होता है, अब आप सुनेंगे, एक श्रोता के साथ हुई बातचीत और उनकी पसंद पर सांग। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते आपसे फिर होगी मुलाक़ात, हमें आपके सुझावों व पत्रों का इंतजार रहेगा। अब अनिल पांडेय व वेइतुंग को आज्ञा दें, नमस्कार।

वेइतुंगः नमस्कार।

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