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स्वतंत्र सेनानी का पत्र
2013-05-16 09:28:17


 

वेइतुंगः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार।

अनिलः सभी दोस्तों को अनिल पांडेय का भी नमस्कार।

अनिलः लीजिए, दोस्तों इसी के साथ आज के प्रोग्राम का आगाज़ करते हैं, सबसे पहले आप सुनेंगे श्रोताओं द्वारा भेजे गए पत्र और ई-मेल। उसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश और उनकी पसंद पर एक सांग।

वेइतुंग जी, आज का पहला पत्र कहां से आया है।

वेइतुंगः अब मेरे हाथ में गोरखपुर उत्तर प्रदेश के बद्री प्रसाद वर्मा अनजान का पत्र है। हालांकि यह एक पुराना ख़त है, फिर भी हम इसे शामिल कर रहे हैं। वे लिखते हैं कि शायद आप लोगों को गोरखपुर के श्रोता अच्छे नहीं लगते, घर की मुर्गी साग बराबर वाली कहावत लगी। हमें फोन करें या न करें आपकी मर्जी, मगर कृपया पत्र ज़रूर पढ़ें।

हम भी पुराने श्रोताओं में एक हैं ,मगर आज हमें सीआरआई ने अपनी महफिल से बाहर कर दिया है। मन दुखी है। देखिए, बद्री प्रसाद जी, हमने आपका पत्र शामिल कर लिया है, और आपको दुखी होने की ज़रूरत नहीं है, हमारे लिए सभी श्रोता बराबर है, हम किसी क्षेत्र विशेष के लोगों की उपेक्षा नहीं करते। हां, यह बात ज़रूर है कि कुछ श्रोता हमें ज्यादा ख़त लिखते हैं और ऐसे में हम अपने प्रोग्राम में उनके अधिक पत्र शामिल करते हैं।

अनिल जी, आप इस बारे में क्या सोचते हैं।

अनिलः वेइतुंग जी, मेरा अनुभव कहता है कि कुछ श्रोता हमें अधिक पत्र लिखते हैं और ई-मेल भी। कुछ के पत्र रोचक भी होते हैं, लेकिन कई श्रोता बार-बार एक ही चीज़ को लिखकर भेजते हैं या एक ही विषय पर तमाम पत्र भेज देते हैं, इसमें कोई रोचकता नहीं होती। हम भी चाहते हैं कि अधिक से अधिक लिस्नर्स के पत्र शामिल किए जाए, लेकिन उसमें कुछ नयापन तो होना चाहिए। उम्मीद करते हैं कि बद्री प्रसाद जी कुछ रोचक विषय पर हमें पत्र भेजेंगे, धन्यवाद।

वेइतुंगः इसके साथ ही बद्री प्रसाद ने टॉप फाइव प्रोग्राम के बारे में भी चर्चा की है। वे लिखते हैं इस प्रोग्राम में अंग्रेज़ी शब्दों का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है, भले ही श्रोता अंग्रेजी भाषा का हिंदी रूप समझे या न समझे । अंग्रेजी को बढ़ा-चढ़ाकर खूब बोला जाता है। वर्मा जी, मुझे लगता है कि टॉप फाइव एक मनोरंजन कार्यक्रम है, शायद इसलिए इसमें अंग्रेजी के शब्द थोड़े ज्यादा शामिल हो जाते हों। वैसे आजकल हिंदी में अंग्रेजी के तमाम शब्द आ रहे हैं। इस बारे में लोगों का सोचना अलग-अलग है। वैसे हम थोड़ा संतुलित होकर प्रोग्राम बनाते हैं। हम चाहते हैं कि प्रोग्राम में भाषा अधिक सरल और लोकप्रिय हो। फिर भी पत्र लिखने के लिए आपका धन्यवाद।

अनिलः वेइतुंग जी अब मेरे पास जो पत्र आया है, उसे भेजा है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। वे लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन की झलक" के तहत हाइनान प्रांत स्थित बोआओ शहर के बारे में दी गई जानकारी बहुत अच्छी लगी। हाल ही में एशिया मंच 2013 वार्षिक सम्मलेन के कारण चर्चा में रहा बोआओ एक सुन्दर पर्यटन स्थल भी है, यह जानकर काफी ख़ुशी हुई। तीन नदियों के संगम पर बसे इस शहर की सुन्दरता का वर्णन इतना प्रभावकारी था कि वहां अविलम्ब पहुंचने की इच्छा हुई। अनानास के खेतों से घिरे उपवननुमा बोआओ से जुडी ड्रेगन राज़ा और उसकी बेटी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं थी। सचमुच, चीन का रहस्य-रोमांच कभी ख़त्म होने वाली चीज़ नहीं है। कार्यक्रम के अगले भाग में "ओ माई गॉड मैं चाइना में हूं" के अन्तर्गत विगत बारह वर्षों से क्वान्चो में रहने वाली अध्यापिका वर्षाजी से भेंटवार्ता सुन उनके लम्बे प्रवासी जीवन के महत्वपूर्ण अनुभव जानने का मौक़ा मिला। चीन आने से पूर्व दस साल इंडोनेशिया और सात साल थाईलैंड में बिता चुकी वर्षाजी के चीन प्रवास के अनुभव काफी रोचक लगे। चीनी इंग्लिश और उच्चारण सम्बन्धी समस्या पर उन्होंने कैसे पार पाया, यह जानकारी सभी सुनने वालों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। इस प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

वेइतुंगः दोस्तो, प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए पढ़ते हैं, अगला ख़त। यह हमें भेजा है, आज़मगढ, बिहार के श्रोता असलम अंसारी ने।

वे लिखते हैं कि गत् 13 अप्रैल को समाचार सुनने के तुरंत बाद आपकी पसन्द प्रोग्राम सुना यह अच्छा लगा। आप से थोडी सी गुज़ारिश यह है की इस प्रोग्राम मे श्रोता और कलाकारों से साक्षात्कार ज़रुर लें ताकि श्रोताओं को हिन्दी फ़िल्मी कलाकारों के बारे में सुनने और जानने का मौका मिले। धन्यवाद।

अनिलः वेइतुंग जी, अब बारी है, शिओहर बिहार के श्रोता, स्वतंत्रता सेनानी श्रीबाबू परमानंद सिंह के पत्र की। वे कहते हैं कि मैं ये पत्र अपने पोते आयूष से लिखवाकर प्रेषित कर रहा हूं। इसके साथ ही उन्होंने पूरा पत्र पढ़ने की गुजारिश की है। कहते हैं कि मैं सीआरआई हिंदी का सबसे पुराना और नियमित श्रोता हूं। मैं स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक किसान भी हूं । मैं सीआरआई का प्रसारण लंबे समय से सुनता आ रहा हूं। इतनी लंबे समय में हमने सीआरआई के माध्यम से चीन के बारे में बहुत कुछ सीखा है ।पहले सीआरआई रेडियो पेइचिंग के नाम से जाना जाता था ।परन्तु बाद में इसका नाम बदलकर सीआरआई कर किया गया ।मेरा जन्म 15 अगस्त 1932 को अपने पैतृक निवास हयसार में हुआ था । उस समय हमारा देश गुलाम था ।अंग्रेज़ हमारे देश पर शासन किया करते थे ।हमने उस समय को देखा है और उन्हीं हालातों के अनुसार हम बिहार के स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल थे ।हमने अंग्रेजों से लोहा लिया है। किसान लोगों पर अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ शिओहर जिले से चम्पारण तक हमने कई आंदोलन किये और अपना हक मांगा।

वेइतुंगः वे आगे लिखते हैं मैं बचपन से ही अंग्रेजों के खिलाफ हुआ करता था ।जब मैं 13वर्ष का था, उस समय अंग्रेजों का घोड़ा हमारे खेतों में आकर फसलों को चर जाता था। लेकिन किसानों की इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि वे उस घोड़े को भगा सकें। लेकिन मैंने हिम्मत दिखाकर तीन घोड़े मार गिराए, वो भी अकेले। और मैं हमेशा किसानों की मदद करने में आगे रहा। मुझे अपना पहला पत्र सीआरआई को भेजते हुए बहुत हर्ष का अनुभव हो रहा है ।हालांकि मैंने इतने आपके साथ अतीत और वर्तमान दोनों देखा है। पहले के मुकाबले आज का प्रसारण बेहतर हो गया है ।समय के साथ-साथ वो पुराने हमसफर(उद्धोषक) भी रिटायर हो गये ।स्टेशन का नाम बदला ,सिस्टम बदला, कुछ कार्यक्रम भी बदले ,श्रोताओं की संख्या में भी इजाफा हुआ। तो मैंने लगभग पांच दशकों में चीन के बारे में बहुत कुछ जाना। आपके प्रोग्राम सुनना मेरी एक आदत सी बन गई, रेडियो से नाता इतना गहरा हो गया कि बिना इसके मन ही नहीं लगता था।

अनिलः वे लिखते हैं कि मुझे इस बात का खेद है कि इतना पुराना श्रोता होने के बावजूद मैंने आपसे कभी पत्र व्यवहार नहीं किया। जिसके पीछे मेरी व्यक्तिगत परेशानी थी कि मेरी इच्छा भी नहीं हुई और मैं उतना पढ़ा लिखा भी नहीं था। क्योंकि मेरे बचपन में शिक्षा का स्तर बहुत नीचे था ।मैं अपनी तस्वीर भेज रहा हूं, आशा है हमारे पत्रों को तस्वीर के साथ श्रोता वाटिका में जरूर प्रकाशित करेंगे ।

बाबू परमानंद जी, वाकई में आपका पत्र पढ़कर हमें बहुत अच्छा लगा कि आप इतने लंबे समय से हमारे साथ जुड़े हुए हैं। हम आपके लंबी उम्र की कामना करते हैं।

वेइतुंगः वहीं भागलपुर ,बिहार से हेमंत कुमार ने मोबाइल फोन से हमें एक मैसेज भेजकर पूछा है कि चीन में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शपथ कौन दिलाता है ?

देखिए, चीनी न्यायिक नियमों के मुताबिक चीन में प्रथम मुख्य न्यायाधीश ,मुख्य न्यायाधीश ,वरिष्ठ न्यायाधीश और न्यायाधीश होते हैं । प्रथम मुख्य न्यायाधीश चीनी सर्वोच्च न्यायालय के अध्यक्ष भी हैं। जो कि सिर्फ एक ही पद होता है। बाकी तीन की संख्या कई हो सकती है। प्रथम मुख्य न्यायाधीश चीन की सर्वोच्च सत्ताधारी संस्था चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के पूर्णाधिवेशन में चुने जाते हैं। इस साल 15 मार्च को 12वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के पहले सम्मेलन में चाओ छांग चीन के प्रथम मुख्य न्यायाधीश चुने गये ।

अनिलः वहीं पिछले साल दिसंबर में चीन ने न्यायाधीशों के शपथ लेने के संबंध में नियम जारी किये । इनके मुताबिक न्यायाधीश पदग्रहण करते समय शपथ लेते हैं ।शपथ ग्रहण समारोह न्यायालय या ऊपरी स्तर वाले न्यायालय द्वारा आयोजित किया जाता है ।शपथ दिलाने वाले आम तौर पर विभिन्न स्तरों के न्यायालयों के अध्यक्ष व उनके द्वारा नियुक्त वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं। 27 दिसंबर 2012 को चीनी सर्वोच्च न्यायालय में आयोजित शपथ दिलाने के समारोह में तत्कालीन चीनी प्रथम मुख्य न्यायाधीश वांग शंग चुन ने मुख्य न्यायाधीशों को प्रमाण पत्र प्रदान किये और सर्वोच्च न्यायालय के उपस्थाई अध्यक्ष व प्रथम मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में सभी नये मुख्य न्यायाधीशों को शपथ दिलाई गई।

वेइतुंगः वहीं सीतामढ़ी, बिहार के आजम लिस्नर्स क्लब के महबूब आलम ने अपने पत्र में कहा कि मैं सीआरआई का पुराना एवं नियमित श्रोता हूं। हमारे इलाके में आपका प्रोग्राम स्पष्ट सुनाई देता है। मैं आपको पहले भी पत्र लिख चुका हूं, लेकिन आप लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया। अनुरोध है कि मेरे क्लब को प्रोग्राम गाइड, ऐतिहासिक इमारतों की फोटो के अलावा श्रोता सामग्री भेजने का कष्ट करेंगे।

महबूब अलाम जी, आपका पता पहले से ही हमारी सूची में शामिल है। आपको संबंधित सामग्री मिल जाएगी।

इसी तरह हमसे पत्र-व्यवहार बनाए रखें। धन्यवाद।

अनिलः वहीं नैहाती ,पश्चिम बंगाल के श्रोता माधव चंद्र सागौड़ ने अपने पत्र में कहा कि चीन के अल्पसंख्यक जाति की स्कूली सुविधा पर जानकारी बेहद पसंद आयी ।आपका पत्र मिला में श्रोताओं के प्रश्नों के जवाब भी अच्छे लगे। सागौड ने हमें रेडियो रूस की कार्यक्रम सूची भी भेजी ।इससे हमें रेडियो रूस के बारे में अधिक जानकारी मिली । धन्यवाद ।

वेइतुंगः बिहार के शियोहर जिले के महात्मा गांधी श्रोता संघ के अध्यक्ष मुकुंद तिवारी ने हमें दो फोटो भेजे हैं। एक फोटो उनकी पासपार्ट साइज की है। दूसरी फोटो में उनके क्लब के अन्य दो श्रोता अमित तिवारी और अजीत तिवारी हैं। फोटो के लिए धन्यवाद । फोटो देखकर लगता है कि आप तीनों युवा हैं, अगले पत्र में अपने बारे में विस्तृत जानकारी दें तो अच्छा रहेगा। धन्यवाद।

अनिलः फैजाबाद, उत्तर प्रदेश के राम कुमार रावत लिखते हैं कि सीआरआई के पुराने श्रोताओं में हमारा भी नाम है। सबसे पहले मैं पंकज श्रीवास्तव का आभारी हूं, जिन्होंने मेरा इंटरव्यू लिया था । मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सीआरआई हमारा इंटरव्यू लेगा। वहीं आपकी पसंद प्रोग्राम हमारे क्लब के सभी लोगों का पसंदीदा प्रोग्राम है। इसमें जो रोचक जानकारी की जाती है, वह बहुत ही पसंद आती है ।गीत भी अच्छे सुनाये जाते हैं। पर हमारे पत्र बहुत कम शामिल किये जाते हैं, क्या बात है ऐसा करने के पीछे ।

अनिल जी ,पिछले साल आप इस कार्यक्रम के होस्ट थे, आप बता सकते हैं। देखिए राम कुमार जी हमारी पूरी कोशिश होती है, अधिक से अधिक श्रोताओं के पत्र शामिल करने की। फिर भी कभी आपका पत्र शामिल नहीं हो पाया तो माफी चाहते हैं। हो सकता है, कभी पत्र देर से मिलते हों या आपने वहीं सांग बार-बार हमें भेजे हों। फिर भी आगे पत्र भेजते रहिएगा। धन्यवाद।

वेइतुंगः राम कुमार रावत के पत्र के बाद बारी है, आजमगढ़, यूपी के श्रोता असलम के पत्र की। वे लिखते हैं कि 22 अप्रैल को समाचार और सामयिक वार्ता सुनी यह प्रोग्राम मुझे बहुत पसन्द आया। देश-विदेश के समाचारों में ताज़ा व आवश्यकजानकारी और विषय शामिल किए जाते हैं। अगर साप्ताहिक प्रोग्राम चीन का भ्रमण में भारत से गये पर्यटकों का साक्षात्कार लिया जाए, तो अच्छा रहेगा। इससे हमें पता चलेगा कि चीन भारतीय लोगों को कितना प्रभावित कर रहा है। वैसे चीन का तिब्बत कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। श्याओथांग इस प्रोग्राम को बेहतर ढंग से तैयार कर हम तक पूरी जानकारी पहुंचाती हैं, इसके लिए आपका धन्यवाद।

अनिलः अब शामिल करते हैं कि पश्चिम बंगाल से न्यू हॉराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब के रविशंकर बसु का पत्र। इसमें क्लव के सदस्य लिखते हैं कि हम सीआरआई के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। पिछले साल की तरह गत् 7 अप्रैल को भी हमारे क्लब द्वारा सीआरआई रक्तदान शिविर का आयोजन किया। इसमें 37 महिलाओं के साथ साथ 80 लोगों ने रक्तदान किया था। हमारा मक़सद इसके ज़रिए गरीब और ज़रूरतमंद लोगों की मदद करना है। इसके साथ ही हमने लोगों का निःशुल्क हेल्थ चेक-अप भी करवाया।

इसमें इस बार विशेष अतिथि के रूप में पश्चिम बंगाल के कृषि एबं शिशु कल्याण राज्यमंत्री बेचाराम मन्ना जी उपस्थित थे। वहीं कोलकाता में नियुक्त चीन के कोंसल जनरल चांग ली चुंग ने हमें फोन कर शुभकामना दी।

मैं सीआरआई की ओर से हॉराइजन क्लब का धन्यवाद अदा करता हूं।

वेइतुंगः वहीं ऑल इंडिया सीआरआई लिस्नर्स एसोसिएशन के विधान चंद्र सान्याल ने भी पत्र भेजा है। वे लिखते हैं कि पेइचिंग में 25 अप्रैल को भारत की शाही शान नामक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। जिसमें भारत की शानदार शाही कला, जैसे चित्र, कसीदा और सजावट से जुड़ी वस्तुएं प्रदर्शित की गई। सीआरआई के माध्यम से यह जानकारी पाकर बहुत अच्छा लगा। उम्मीद है कि इस तरह के कार्यक्रमों से चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा।

अनिलः दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम में पत्र पढ़ने का सिलसिला संपन्न होता है, अब आप सुनेंगे, एक श्रोता के साथ हुई बातचीत और उनकी पसंद पर सांग। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते आपसे फिर होगी मुलाक़ात, हमें आपके सुझावों व पत्रों का इंतजार रहेगा। अब अनिल पांडेय व वेइतुंग को आज्ञा दें, नमस्कार।

वेइतुंगः नमस्कार।

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