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मॉडर्न लाइफ स्टाइल यानी दिखावा
2013-05-08 10:49:07

वेइतुंगः आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का प्यार भरा नमस्कार।

अनिलः सभी दोस्तों को अनिल पांडे का भी नमस्कार।

अनिलः लीजिए, दोस्तों इसी के साथ आज के प्रोग्राम का आगाज़ करते हैं, सबसे पहले आप सुनेंगे श्रोताओं द्वारा भेजे गए पत्र और ई-मेल। उसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश और उनकी पसंद पर एक सांग।

वेइतुंग जी, आज का पहला पत्र कहां से आया है।

वेइतुंगः अनिल जी मेरे हाथ में जो पत्र है, वो हरियाणा से आया है, इसे भेजने वाले श्रोता हैं, मितुल कंसल। उन्होंने इस पत्र में लाइफ स्टाइल यानी जीवन शैली के बारे में चर्चा की है। वे कहते हैं कि आज मैं लोगों की बदलती लाइफ स्टाइल के बारे में बात करूंगा।

पुराने जमाने में जीवन शैली की परिभाषा होती थी,

किसी चीज को संपूर्ण ढंग से चुनना या खूबसूरती से काम करना, परंतु आधुनिक युग की लाइफ स्टाइल कई रंगों का मेल है। ये रंग घुलमिल कर खिलते है ।आधुनिक फैशन पुरानी संस्कृति पर हावी होता जा रहा है ,जो कोई भी व्यक्ति इन बदलावों को नहीं अपनाता, उसे पिछड़ा कह दिया जाता है। अपना लाइफ स्टाइल ऊंचा रखने के लिए लोग दिखावा करने लगे हैं । ऐसा दर्शाने का प्रयत्न करते हैं ,जैसे वे ऊंचे पद पर हों। इस तरह के दिखावे के लिए वे लोग भारी मात्रा में कर्ज तक लेते है ,जिनका परिणाम कई समस्याओं के रूप में सामने आता है ,जिनसे मानसिक तनाव ,कलह ,मोटापा और आलस्य आदि समस्याएं आम हो चुकी हैं। लाइफ स्टाइल आधुनिक युग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जीवन में सुधार लाना बुरी बात नहीं है ,लेकिन किसी भी तरह का परिवर्तन या लाइफ स्टाइल को अपनाने से पहले यह तय कर लें कि आपकी अपनी एक पहचान होनी चाहिए , न कि किसी दूसरे की नकल ।

मितुल जी, पत्र लिखने के लिए आपका धन्यवाद। आपने वाकई में गंभीर बात कही है, बदलाव प्रकृति का नियम है, और बदलाव कई अवसर भी लेकर आता है, लेकिन सिर्फ आधुनिकता की दौड़ में भागना ही सबकुछ नहीं है। हमें अपने दिल की आवाज़ भी सुननी चाहिए।

अनिल जी, इस बारे में आप क्या सोचते हैं।

अनिलः वेइतुंग जी, मैं मितुल और आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं। आधुनिक होना गलत नहीं है, लेकिन सिर्फ आधुनिकता के नाम पर अपना अस्तित्व नहीं खोना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति पुरानी सोच रखता है तो, इसका मतलब यह नहीं है कि वह पिछड़ा है। परंपराओं का भी अपना एक स्थान है, बदलाव एक सहज तरीके से आए तो उसका स्वागत करना चाहिए, लेकिन दूसरों की देखा-देखी आधुनिकता की दौड़ में भागना। यानी एक तरह से पैसे और भोग-विलास की तलाश मेरे विचार में आधुनिकता नहीं है। आधुनिक होने का मतलब है कि आप दूसरों के विचारों और सोच को भी महत्व दें और एक वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ें।

वेइतुंगः इस के बाद बारी है, अगले ख़त की। जो भेजा है, एस.बी.शर्मा ने ही।

वे लिखते हैं कि चीन में भारतीय फॉर्मा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आयोजित सम्मेलन में चीन में सात वर्षों से रह रहे भारतीय व्यवसायी से बातचीत उत्साहजनक लगी। भारतीय दवा कंपनियां चीन में अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं, इससे दोनों देशों को लाभ मिलेगा। क्योंकि चीन एक बड़ा बाज़ार है, और चीनी लोगों को कम कीमतों में अच्छी दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी। इस तरह के प्रयासों से भारत और चीनी जनता के बीच आपसी विश्वास भी बढ़ेगा।

इस उद्योग के चीन में विकास की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। और व्यापार बढ़ने से द्विपक्षीय संबंध और बेहतर होंगे, इसमें कोई दो राय नहीं है। वैसे पिछले कुछ वर्षों में एशिया की दो शक्तियों के बीच आवाजाही बढ़ी है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि इसमें एक विशेष वर्ग ही हिस्सा ले रहा है। आम लोगों के बीच आवाजाही बढ़ाकर दोनों देशों को बहुत कुछ करना होगा।

साथ ही उन्होंने स्विस दवा निर्माता कंपनी नोवार्टिस सबंधी ख़बर का जिक्र किया है। कहते हैं कि यह कंपनी भारत के सुप्रीम कोर्ट में पेटेंट संबंधी मामला हार गई। जो कि भारत सहित दुनिया भारत के कैंसर मरीजों के लिए एक खुशखबरी है। इस फैसले को दुनिया भर में सराहना मिल रही है, क्योंकि ये पश्चिमी दवा कंपनियां कैंसर के रोगियों का शोषण कर रही थी नोवार्टिस भी उसमें एक थी। इसके बाद अब भारतीय कंपनियां कैंसर की अच्छी और सस्ती दवाए बना सकेंगी और मरीजों को नई जिंदगी देंगी।

अनिलः एक अन्य पत्र में एस बी शर्मा ने कहा कि कल वेइतुंग जी ने आपका पत्र मिला कार्यक्रम मई दिवस के विषय में जानकारी बांटने के साथ शुरू किया, जो कि बोरिंग लगा। धीरे-धीरे श्रोताओ के पत्रों की संख्या भी इस प्रोग्राम में कम हो रही है और श्रोताओ के बेतुके दोहे और चौपाइयों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं लगता है यह कार्यक्रम विना हाथ-पांव के दोहा और कविता पढ़ने का मंच बन गया है। और सभी लोग कवि बन गए है और आप लोग न आव देखते है न ताव सबकी बेतुकी कविताओं को यहां पढ़कर आपका पत्र मिला कार्यक्रम का समय बर्बाद कर रहे हैं, इसमें कई पत्रों को शामिल किया जा सकता है जिससे कई श्रोता खुश होते और सीआरआई की साख बढ़ती। पर मेरी समझ से यह सब उल्टा ही हो रहा है, यदि श्रोताओ को कवि बनाने का भूत आप पर सवार है तो आप एक कविता लिखो प्रतियोगिता आयोजित करवाइए और सबसे सुंदर कविता को चुनकर पुरस्कृत करें और हमें भी पढ़कर सुनाये बढ़ा मजा आएगा। पर इस तरह बोर मत कीजिये। हां श्रोताओ को यदि लिखने का इतना ही शौक है तो कविता लिखकर एक किताब पब्लिश कराये और एक कॉपी सीआरआई को भी भेट करें बहुत अच्छा होगा, साथ ही दूसरे लोगों का समय बर्बाद नहीं होगा। धन्यवाद।

वेइतुंग जी, आप इस बारे में आप बता सकते हैं, कि क्यों आखिर इतनी कविताएं शामिल की जा रही हैं।

वेइतुंगः जी हां, कारण ये है कि दक्षिण पश्चिमी चीन के खुनमिंग में चीन सार्क व्यापार मेला आयोजित होने वाला है। हमने आयोजन समिति के साथ गीत व कविता एकत्र करने की गतिविधि आयोजित की। इसके चलते हमें कई रचनाएं मिलीं। सो हमने कुछ चुनकर कार्यक्रम में शामिल की। दूसरा कारण यह है कि हमारे श्रोताओं के बीच सचमुच कई कवि हैं, हमें लगता है कि उनको एक मंच प्रदान किया जाना चाहिए।

अनिलः वहीं उड़ीसा के सुरेश अग्रवाल लिखते हैं कि वैसे तो आज के मुख्य समाचार बोआवो मंच पर केंद्रित थे, लेकिन स्विस दवा निर्माता कंपनी नोवार्टिस संबंधी ख़बर ने ज्यादा ध्यान खींचा। भले ही मरीज़ कैंसर से तड़फ कर मर जाये, पर ये कम्पनियां खूब पैसा कमाती हैं। मुझे खुशी है कि डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर ने भी भारतीय अदालत के इस निर्णय का स्वागत किया है।

सुरेश और एस बी शर्मा की बातों से हम भी पूरी तरह इत्तेफाक रखते हैं। आप दोनों का एक बार फिर से धन्यवाद।

अनिलः अब मेरे हाथ में राजस्थान के बारां के गणेश रेडियो श्रोता क्लब के अध्यक्ष नरेंद्र जांगीड़ का पत्र है। वे कहते हैं कि मैं और मेरे क्लब के सभी सदस्य नियमित रूप से सीआरआई का प्रसारण सुन रहे हैं। सभी कार्यक्रम बेहद रोचक, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक होते हैं। हमें आपका पत्र मिला प्रोग्राम में श्रोता ऑनलाइन बहुत अच्छा लगता है, इसके अंतर्गत हमें नए-नए श्रोताओं को सुनने का मौका मिलता है।

उनके विचार, जीवन, घर-परिवार और उनके क्षेत्र के बारे में काफी अहम जानकारियां हासिल होती हैं। और नये श्रोताओं के साथ दोस्ती करने का अवसर भी मिलता है। आगे लिखते हैं कि पंकज की आवाज और बातचीत करने का तरीका अच्छा है। मैं रोजाना सीआरआई की वेबसाइट भी देखता हूं, इससे बहुत जानकारी मिलती है। आपका पत्र मिला कार्यक्रम को मैं वेबसाइट पर ही देख पाता हूं। मैं आपको पत्र के साथ अपनी फोटो भी भेज रहा हूं।

नरेद्र जी पत्र और फोटो भेजने के लिए आपका शुक्रिया।

इसके बाद हमारे पास आया है, पूर्वी चम्पारण बिहार के सिय्योन रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष राम बिलास प्रसाद का पत्र। वैसे यह पत्र पिछली दिसंबर में लिखा गया था। पर हमें लगता है कि इसे पेश किया जाना चाहिए। जिसमें उन्होंने ठंड के मौसम में अपने होम टाउन के दृश्य का वर्णन किया है। वे लिखते हैं कि आजकल शीतलहर जारी है, और सुबह 10 बजे से पहले घर से बाहर निकलता मुश्किल होता है। एक तरह से हमारी दिनचर्या ही प्रभावित हो गई है।

हमारे क्लब द्वारा कृतपुर बगहां नहर चौक पर लकड़ी जलाकर आग की व्यवस्था की गयी है । उस रास्ते से जो भी राहगीर गुजरते हैं, हम उन्हें ठंड से राहत दिलाते हैं। वहीं गांव-गांव में घूमकर गरीब परिवारों में एक एक कंबल बांटा जा रहा है ताकि वे ठंड से बच सकें। अनिल जी, यह दृश्य शायद उत्तर भारत के गांवो में अकसर देखने को मिलता है। सिय्योन रेडियो लिस्नर्स क्लब ने शीतलहर में गरीबों की मदद की है, उसकी प्रशंसा करनी होगी।

दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम में पत्र पढ़ने का सिलसिला संपन्न होता है, अगले हफ्ते आपसे फिर होगी मुलाक़ात। हमें उम्मीद है कि आप अपने बहुमूल्य सुझाव यूं ही भेजते रहेंगे। अगर वेबसाइट पर जारी टेक्स्ट में कोई त्रुटि हो तो, हमें ज़रूर अवगत कराईएगा। धन्यवाद।

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