चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यता वाले देश है, जिनका इतिहास चार हजार वर्षों से अधिक है। दोनों ही देश पूर्वी संस्कृति के श्रेष्ठ प्रतिनिधि माने जाते है, पर अवश्य ही चीन और भारत की संस्कृति में बडा अंतर है।
रविन्द्र नाथ टैगोर की चीनी संस्कृति में बडी रूचि थी और पिछली सदी की 20वी दशक में चीन की यात्रा की थी। उनके विचार में भारतीय लोग आध्यात्मिक जीवन पर अधिक ध्यान देते हैं, जबकि चीनी लोग भौतिकतावादी और आध्यात्मिक जीवन के संतुलन को ज्यादा महत्व देते हैं। मेरी नजर में भारतीय संस्कृति में परलोक का आकर्षण ज्यादा है, पर चीनी संस्कृति में मौजूदा लोक का आकर्षण सबसे ज्यादा है। भारत में अधिकांश लोग धर्म को मानते हैं, पर चीन में अधिकांश लोग धर्म को नहीं मानते। इसके अलावा चीनी संस्कृति में एकीकरण और एकता पर बडा ध्यान दिया जाता है, जबकि भारतीय संस्कृति में समावेश पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। उपरोक्त दर्शनशास्त्र की दृष्टि से चीनी संस्कृति और भारतीय संस्कृति में अंतर है। रोजमर्रा जीवन में भी बडा फर्क है, जैसे खाने में। जब चीनी लोग भारत जाते हैं, तो उनके लिए खाना एक बडी समस्या बन जाती है। इसके विपरीत जब भारतीय लोग चीन आते हैं, तो उनके लिए भी खाना एक बडी समस्या होती है, क्योंकि चीन में अधिकांश लोग मांसाहारी हैं। वे सुअर मांस, मुर्गा, बकरा और बीफ ज्यादा खाते हैं, जबकि बहुत से भारतीय मित्र शाकाहारी हैं। खाने के समय अधिकांश चीनी लोग चापॅस्टिक का इस्तेमाल करते हैं, जबकि बहुत से भारतीय लोग हाथों से खाते हैं। भारतीय लोग अपने परंपरागत पहनावे को पसंद करते हैं, पर वर्तमान चीन में वे पाश्चात्य कपडे पहनते हैं। इतिहास, त्योहार व रीति रिवाज के संदर्भ में भी चीन और भारत की संस्कृति में अंतर है। (शिवहर, बिहार के श्रोता मुकुंद तिवारी के सवाल का जवाब)