आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग का नमस्कार ।
दोस्तो, इसी के साथ करते हैं आज के प्रोग्राम की शुरुआत। आज के कार्यक्रम में सबसे पहले हम श्रोताओं के पत्रों के जवाब देंगे।
हमारे मानिटर सुरेश अग्रवाल ने 18 मार्च को हमें भेजे पत्र में लिखा है कि रोजाना की तरह आज भी ताज़ा प्रसारण शाम साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 31 मीटरबैंड पर सुना और कार्यक्रमों का भरपूर लुत्फ़ उठाया। अब अपनी त्वरित प्रतिक्रिया आप तक पहुंचाने के लिए पास के साइबर कैफे पहुँच गया हूँ। ताज़ा समाचार एवं सामयिक चर्चा के पश्चात आज के दोनों साप्ताहिक कार्यक्रम अत्यंत मनभावन लगे। "चीन का भ्रमण" के तहत पाण्डा की जन्मभूमि और दक्षिण-पश्चिम चीन के स्छवान प्रान्त स्थित पृथ्वी का स्वर्ग कहे जाने वाले चु चाइके पर्यटन स्थल के बारे में जानकर एक पल गुजारे बिना उसे देखने की इच्छा हुई। जो कि आकर्षक प्रस्तुति का ही क़माल कहा जा सकता है। नौ गांवों वाली घाटी का मनमोहक दृश्य; कल-कल बहते सत्रह झरनों का समूह; रंग बदलते स्वच्छ जल की पारदर्शी झीलें, सचमुच यह सब तो कुदरत का करिश्मा सा लगता है। यूनेस्को द्वारा वर्ष 1992 में इसे अपनी प्राकृतिक सौन्दर्य वाली सूची में यूं ही तो जगह नहीं दी गई होगी। गौरतलब बात यह है कि वर्ष 2008 के भयंकर भूकम्प में उक्त पर्यटन क्षेत्र के आधारभूत संस्थापनों को भारी नुकसान होने के बावजूद चीन सरकार द्वारा उसे ज्यों का त्यों आकार प्रदान कर उसके सौन्दर्य को बरकरार रखा गया है। पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा वहां आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हैं।
कार्यक्रम "चीन का तिब्बत" के अन्तर्गत तिब्बत की पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण संरक्षण पर पेश रिपोर्ट भी काफी सूचनाप्रद लगी। चीन द्वारा तिब्बत के पर्यावरण संरक्षण पर विगत बारह वर्षों में कोई दस अरब युआन ख़र्च किया जाना यह दर्शाता है कि सरकार इस ओर कितनी गंभीर है। निश्चित तौर पर छिंगहाई-तिब्बत रेलमार्ग उस पिछड़े क्षेत्र के विकास में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। हरे-भरे घास के मैदानों में पारिस्थितिकी संरक्षण से ग़रीब किसानों और चरवाहों के जीवन में नई खुशहाली आयी है और उनका जीवन काफी उन्नत हुआ है। लकड़ी से चूल्हा जलाने के बजाय अब मिथेन गैस का इस्तेमाल किया जाना संभव हुआ है और विद्युत संचार के कारण घरों में रंगीन टीवी पर प्रसारण देखे जा सकते हैं। अच्छी बात यह है कि रेल-लाइन बिछाए जाने के कारण बुनियादी संस्थापनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और लाइन के दोनों ओर वनों एवं वन्य-प्राणियों के संरक्षण पर पूरा ध्यान दिया गया है। सचमुच, इसे कहते हैं-प्रकृति और विकास के बीच अद्भुत सामंजस्य। कार्यक्रम के अंत में पंकज श्रीवास्तव द्वारा युन्नान प्रान्त के मशहूर तिब्बती बौध्द मठ पर दी गई जानकारी भी सामान्य-ज्ञान में वृध्दि करने वाली थी। धन्यवाद् इतनी सारगर्भित प्रस्तुति के लिए।
अब हमारे पास आया है, ई-मेल, जिसे भेजा है, बंग्लादेश के श्रोता, रफीक़ुल इस्लाम ने। वे लिखते हैं कि मुझे आपके सूचनाप्रद कार्यक्रम बहुत पसंद है। उनका सवाल है कि चीन में कितने उपग्रह टीवी स्टेशन हैं ।
देखिए, रफीकु़ल जी, चीन के हर प्रांत में एक उपग्रह टीवी स्टेशन है। चीन के सबसे बडे टीवी स्टेशन सीसीटीवी के कई उपग्रह टीवी चैनल हैं ।कुल मिलाकर उपग्रह टीवी चैनलों की संख्या 300 से अधिक है । इन उपग्रह टीवी चैनलों में कुछ मुफ्त हैं और कुछ को पैसा देकर इस्तेमाल किया जाता है।
वहीं बदरपुर ,नई दिल्ली के श्रोता राम कुमार नीरज ने पत्र भेजकर लिखा है कि जीवन की इस आपाधापी में खुशियां छिनती जा रही हैं और जीवन बोझ सा बनता जा रहा है। आत्महत्या जैसी प्रवृति भी इसी तरह के दुख और असंतुष्टि का परिणाम है।
वे कहते हैं कि चुटकुले इन्सान की जिन्दगी में हमेशा ही एक अहम रोल अदा करते है। यानी लोगों को कुछ पल के लिए खुश तो कर ही देते हैं। आज इस ई-मेल के माध्यम से में कुछ चुटकुले भेज रहा हूं, उम्मीद है आपको पसंद भी आयेंगे और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत भी कराएंगे।
1.पापा: बेटा, अपनी शादी में किस-किस को बुलाओगे?
बेटा: जिसने मुझे अपनी शादी में बुलाया था।
पिता: अच्छा, बेटा मुझे तो बुलाओगे ना।
बेटा: ज्यादा सयाना मत बनो पापा, आपने मुझे अपनी शादी में बुलाया था क्या!!
2.एक बार रेलवे-स्टेशन पर एक वृद्ध सज्जन बैठे रेल का इंतजार कर रहे थे। वहां संता जी आए और उन वृद्ध आदमी से पूछा।
संता - "अंकल, टाइम क्या हुआ है।"
वृद्ध सज्जन – "मुझे नहीं मालूम।"
संता – "लेकिन आपके हाथ में घड़ी तो है. प्लीज बता दीजिए न कितने बजे हैं ?"
वृद्ध सज्जन – "मैं नहीं बताऊंगा।"
संता – "पर क्यों ?"
वृद्ध सज्जन – "क्योंकि अगर मैं तुम्हे टाइम बता दूंगा तो तुम मुझे थैंक्यू बोलोगे और अपना नाम बताओगे. फिर तुम मेरा नाम, काम आदि पूछोगे। फिर संभव है हम लोग आपस में और भी बातचीत करने लगें। हम दोनों में जान-पहचान हो जायेगी तो हो सकता है कि ट्रेन आने पर तुम मेरी बगल वाली सीट पर ही बैठ जाओ। फिर हो सकता है कि तुम भी उसी स्टेशन पर उतरो जहां मुझे उतरना है। वहां मेरी बेटी, जोकि बहुत सुन्दर है, मुझे लेने स्टेशन आयेगी। तुम मेरे साथ ही होगे तो निश्चित ही उसे देखोगे। वह भी तुम्हे देखेगी, हो सकता है तुम दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठो और शादी करने की जिद करने लगो। इसलिए भाई, मुझे माफ करो …..! मैं ऐसा कंगाल दामाद नहीं चाहता जिसके पास टाइम देखने के लिए अपनी घडी तक नहीं है। क्या बात है, नीरज जी बहुत खूब, आज के इस इस दौर हर कोई पैसे के पीछे भाग रहा है, तो भला चुटकुले के वृद्ध सज्जन को भी अमीर दामाद ही चाहिए। लेकिन संता बेचारे के पास तो घड़ी भी नहीं है।
इसके बाद नीरज जी ने आशावादी सोच की एक कविता भी भेजी है। एक छोटी चिड़ियां आकाश में उड़ रही थी, उसने आपकी आंख में बीट कर दिया । लेकिन आप न तो रोते हैं और ना ही परेशान होते हैं, और आप सोचते हैं कि चलो अच्छा हुआ कि गाय आसमान में नहीं उड़ सकती । क्या बात है, यह तो वहीं हुआ ना, कुछ लोग कहते हैं कि आधा गिलास खाली है, आशावादी व्यक्ति कहेगा कि आधा गिलास भरा है। यह सोच का अंतर है।
अंत में नीरज ने यह चुटकुला भेजा है। आज आपको पानी से कोको कोला बनाना सिखाता हूं। एक बोटल पानी फ्रिज में रखो, दो घंटे बाद निकालो ,पानी एकदम ठंडा होगा और ठंडे का मतलब कोका कोला ।
नीरज जी हमें और सभी श्रोताओं को हसाने के लिए धन्यवाद। मुझे लगता है कि सभी को मज़ा आया होगा।
इसके बाद बारी है अगले पत्र की। जिसे भेजा है, उत्तर प्रदेश मुबारकपुर के श्रोता शमसुद्दीन साकी अदीबी ने। वे अपने पत्र में कहते हैं कि सीआरआई का हिंदी कार्यक्रम नियमित रूप से सुनता हूं। मुझे हिंदी बहुत पसंद है। पिछले दिसंबर में मुझे आपका पत्र मिला कार्यक्रम बहुत ही पसंद आया,खासकर श्रोताओं के साथ बातचीत।
वहीं कोआथ,रोहतास, बिहार के विश्व रेडियो श्रोता क्लब के अध्यक्ष सुनील केशरी लिखते हैं कि सवाल जवाब कार्यक्रम को फिर से जीवन देकर दोबारा चालू करें और न्यूशिंग स्पेशल प्रोग्राम को थोड़ा छोटा किया जाय, और सवाल जवाब कार्यक्रम को स्थान दिया जाय। कृपया मेरे सुझाव पर ध्यान दीजिएगा। सुनील जी ,पहले आपका पत्र मिला और सवाल जवाब दो अलग कार्यक्रम थे और दोनों कार्यक्रम काफी लोकप्रिय थे । पर बाद में कार्यक्रम के समायोजन के दौरान इन दो कार्यक्रमों का विलय हो गया ।हमें लगता है कि ऐसा करना ठीक है ,क्योंकि दोनों प्रोग्राम श्रोताओं के पत्रों से जुड़े थे। और एक कारण है कि ज्ञान प्रतियोगिता को छोडकर बाकी समय में श्रोताओं के पत्रों की संख्या कुछ साल पहले की तुलना में कम हो गयी है और श्रोताओं के सवाल भी कम हो गये हैं।इसलिए हम वर्तमान में सवाल जवाब कार्यक्रम दोबारा चालू नहीं करेंगे । न्यूशिग स्पेशल का दायरा सचमुच थोडा बड़ा है ।हम भी सोच रहे हैं कि इसे छोटा कर नया कार्यक्रम शुरू किया जाए। वैसे अभी इस बारे में अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
अब मेरे पास मोजाहिदपुर ईस्ट ,भागलुपर ,बिहार के एकता रेडियो श्रोता संघ क्लब के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद अंसारी का पत्र है। वे कहते हैं कि आपका पत्र मिला पोग्राम पेश करने वालों को हमारा प्यार भरा नमस्कार। सीआरआई से प्रसारित हर कार्यक्रम प्रतिदिन सुनता हूं। सभी कार्यक्रम अच्छे लगते हैं ।एक दिन वह कार्यक्रम सुना ,बहुत पसंद आया ।उस दिन न्यूशिंग स्पेशल में लक्ष्मी पंजाबी जी से ली गयी भेंटवार्ता काफी पसंद आई, खासकर उससे जुडे प्रश्न सीआरआई की सदस्य कर रही थी ,जैसे समाज में बढते अपराध पर कैसे अंकुश लगाया जाए, इस पर बहुत ही अच्छे ढंग से प्रकाश डाला गया। पत्र के अंत में खालिद अंसारी ने गुजारिश की है कि कभी हमें भी कार्यक्रम आपकी आवाज ऑनलाइन में जगह दी जाय। खालिद जी पत्र भेजने के लिए धन्यवाद। हम आपके साथ जल्द ही संपर्क करेंगे।
वहीं, जौहरी कोठी समस्तीपुर ,बिहार की श्रोता रूपा चटर्जी ने पोस्ट कार्ड के साथ एक पत्र भेजा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि आपके कार्यक्रम अपने परिवार के सदस्यों के साथ सुनती हूं और पसंद करती हूं ।अपने शहर में महिलाओं का एक श्रोता संघ भी स्थापित करना चाहती हूं और इसके लिए आपकी अनुमति चाहती हूं एवं सहयोग की अपेक्षा रखती हूं। वैसे यह पत्र उन्होंने कुछ महीने पहले भेजा है, वे लिखती हैं कि क्या वर्ष 2013 के जनवरी माह में क्लब की स्थापना हेतु अपनी स्वीकृति पत्र भेज सकते हैं। रूपा चटर्जी ,हमें बहुत देर से यह पत्र मिला ।इसलिए हमने समय पर आपको बधाई नहीं दी। आज हम आपको इसके लिए बधाई देते हैं। आपके क्लब का क्या नाम है ,इसके कितते सदस्य हैं ,क्या स्थापना के लिए कोई कार्यक्रम भी आयोजित हुआ था या नहीं , आपके क्लब की क्या क्या गतिविधियां हैं, हमें जरूर बताइएगा। ताकि हम इसे पंजीकृत कर सकें। इसके अलावा हमें समस्तीपुर ,बिहार के वर्ल्ड रेडियो क्लब के अध्यक्ष प्रकाश एवं सभी सदस्यों , पश्चिम बंगाल के माधब चंद्र सागौड़ ,सूपला भिलाई और छत्तीसगढ के आनंद मोहन बेन के भई सुंदर पोस्ट कार्ड मिले हैं । आप सभी का धन्यवाद ।