श्रोता दोस्तो, इस फरवरी में हमारी वेबसाइट पर चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और समुद्री मामला विभाग के उप-महानिदेशक ओयांग यू चिंग ने व्यापक कूटनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने चीन-भारत सीमा समस्या पर चीन का पक्ष रखा। ओयांग यू चिंग ने कहा कि चीन एक बहुत बड़ा थलीय और समुद्री देश है। चीन की थलीय सीमा की कुल लम्बाई 22 हज़ार कि.मी. से अधिक है। चीन के 14 थलीय पड़ोसी देश हैं। अब तक 90 प्रतिशत थलीय सीमा का रेखांकन पूरा हो चुका है, लेकिन भारत व भूटान की सीमा का रेखांकन होना बाकी है। उन्होंने कहा कि चीन-भारत सीमा विवाद का मुद्दा इतिहास द्वारा छोड़ी गई एक अनसुलझी जटिल समस्या है। इस मुद्दे का जल्द से जल्द निपटारा करना दोनों देशों व दोनों देशों की जनता के बुनियादी कल्याण के लिए लाभदायक है।
दोनों देशों के नेताओं ने इस समस्या के हल के लिए जबरदस्त राजनीतिक इच्छा प्रकट की है। इस समस्या का समाधान चीन व भारत के मध्य दस मुख्य रणनीतियों में से एक है। हाल ही में चीन-भारत संबंध के व्यापक विकास से सीमा वार्ता के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहें है। दोनों देशों ने सीमा मुद्दे पर अपने विशेष प्रतिनिधियों के बीच बैठकों की प्रक्रिया 2003 में शुरू की थी। दोनों ने इस समस्या के समाधान के लिए तीन कदम भी प्रस्तुत किए है। हमें विश्वास है कि चीन और भारत दोनों देशों की जनता की भलाई के लिए सकारात्मक कदम उठाएंगे। वहीं समान विचार-विमर्श, आपसी सम्मान और समझदारी की भावना से वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं, तो अवश्य ही न्यायपूर्ण और उचित अंतिम नतीजे पर पहुंच पाएंगे।
इस चर्चा के बारे में हमारे कुछ श्रोताओं ने प्रतिक्रिया दी। हमारे पुराने श्रोता एस.बी. शर्मा ने कहा, "यह खबर काफी उम्मीदों से भरा है जिसमे चीन सरकार की दृढ संकल्पता को दर्शाता है कि वे भी भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने की इच्छा रखते हैI उम्मीद है कि दोनों देश जल्द से जल्द इस समस्या का निपटारा कर पुरे विश्व को मित्रता और शांति का पैगाम दे सकेंगे और विकास की नई ऊँचाईयों को छू सकेंगे।"
दोस्तो, त्योहार हमारे जीवन का महत्वपूर्ण भाग है। त्योहार और रीति रिवाज से किसी देश की परम्परा और संस्कृति को जान सकते है। चीन का परंपरागत नया साल अर्थात वसंत उत्सव चीन का सबसे बडा त्योहार माना जाता है। वैसे तो सरकारी छुट्टियां सिर्फ तीन दिन की होती है, पर वास्तव में यह त्योहार 15-20 दिन तक चलता है। हमने पिछले महीने इस साल के वसंत त्योहार के बारे में कई खबरें व रिपोर्टें प्रस्तुत की और हमारे वेबसाइट पर भी कुछ फोटो जारी किए, जोकि कई श्रोताओं को आकृ्र्षित लगी।
नई दिल्ली के हमारे पुराने श्रोता राम कुमार नीरज ने अपने पत्र में लिखा है, "चीनी नए साल के दौरान महानगर में चीनी लोगों ने इस उत्सव को बड़े ही धूमधाम व हषोल्लास के साथ मनाया। चीनी परंपरा के अनुसार, प्रत्येक नव वर्ष को किसी न किसी चीज से समर्पित किया जाता है। वैसे इस संबध में प्रकाशित स्थानीय समाचार पत्रों में चीनी नव वर्ष को पानी के सांप के प्रति समर्पित करने की भी बात कही गयी है। आपके हिंदी सेवा की साईट पर प्रस्तुत विशेष रिपोर्ट के माध्यम से चीनी नववर्ष से सम्बंधित विस्तृत जानकारी मिली जिसके लिए हम आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करते है। चीनी नववर्ष से सम्बंधित यह भी गौर करने की बात है कि आज के दिन चीनी लोग चाकू और कैंची का उपयोग नहीं करते हैं। वे डरते हैं कि कहीं ग़लती से अपनी ख़ुशी और ख़ुशहाली को ही न काट दें। वे अपने घरों के दरवाज़ों पर दो प्राचीन बहादुर जनरलों की तस्वीरें चिपका देते हैं जो कि चीनी लोगो का विश्वास है कि ये उनके घरों की रक्षा करते हैं। आज के दिन बच्चों को लाल लिफाफ़ों में पैसे दिए जाते हैं ताकि वे अपने लिए मिठाई और उपहार ख़रीद सकें।"
आजमगढ यू. पी. के श्रोता अनिल कुमार द्विवेदी ने अपने पत्र में लिखा है, "अब समझ मेँ आया कि क्योँ नववर्ष पर लाल रंग का प्रयोग ज्यादा होता है। लाल रंग के सुन्दर लालटेन मनमोहक होने के साथ साथ नीयन राक्षस को भगाने के लिए भी होता है और आतिशबाजी भी शायद इसी से जुडी है। बच्चोँ के लिए लिफाफोँ मेँ पैसे देना भी अच्छा लगा। 15 दिन तक चलने वाले नववर्ष की विस्तृत जानकारी ज्ञानवर्धक रही।"
गोरखपुर उत्तर प्रदेश बद्री प्रसाद वर्मा अनजान ने अपने पत्र में दो कविताएं भेजीं। अब हम इसे साझा कर रहे है। पहली कविता है:नये साल का जश्न मनाएंगे।
नए साल का यारों जश्न मनाएंगे हम
नाचेंगे गाएंगे गीत सुनाएंगे हम।
धूम मचा देंगे महफील में
आज रात को हम।
सब के होश उडा देंगे
आज रात को हम।
हंसेंगे गाएंगे हम मुस्कराएंगे।
नये साल का यारों जश्न मनाएंगे हम
नाचेंगे गाएंगे गीत सुनाएंगे हम।
महफील में शहनाई
खूब बजेगी यारों
आज तो सारी रात
धूम मचेगी यारों।
मस्ती में सब के पांव डगमगाएंगे
नए साल का यारों जश्न मनाएंगे हम
नाचेंगे गाएंगे गीत सुनाएंगे हम।
हुस्न और इश्क की
बातें होगी आज।
प्यार मोहब्बत की
हम खोलेगे राज।
भर के बाहों में तुम को सीने से लगाएंगे हम
नये साल पर यारों जश्न मनाएंगे हम
नाचेंगे गाएंगे गीत सुनाएंगे हम।
दूसरी कविता है:बेशर्म हो गयी लडकियां
बेशर्म हो गयी लडकियां
फैशन की दीवानी हो गयी लडकियां।
घर वालों की परेशानी हो गयी लडकियां।
मानती नहीं है किसी का कहा। ऐसी दीवानी हो गयी लडकियां।
कोई समझा कर क्या करेगा, ऐसी हैरानी हो गयी लडकियां।
किसी से अब डरती नहीं, बेडर हो गयी लडकियां।
कोई रोके ना टोके, बेशर्म हो गयी लडकियां।
नियमित श्रोता मिस शिप्रा अग्रवाल ने अपने पत्र में रेडियो व वेबसाइट पर मत सर्वेक्षण के बारे में चर्चा की है। उन्होंने लिखा है, "यह सर्वे शुरू करके चाइना रेडियो ने फिर से यह बता दिया है कि क्यों चाइना रेडियो विश्व में सबसे पसंदीदा स्टेशन हैं। सबसे पहले तो मैं "सी आर आई हिंदी प्रसारण और वेबसाइट का मत सर्वेक्षण" आयोजित करने पर चाइना रेडियो का धन्यवाद करती हूँ, क्योंकि यह ही एक साधन हैं जिसके द्वारा हम चाइना रेडियो को और बेहतर बनाने में अपना भरपूर योगदान दे सकते हैं। हमें आशा है कि इसके जरिये चाइना रेडियो अपने कार्यक्रम में और बेहतरी लाएगा। मेरी और मेरे क्लब के अन्य सदस्यों की इच्छा है कि आप अपनी वेबसाइट को थोडा जल्दी अपडेट किया करें जिससे हम सभी लाभन्वित हो सके। यह एक सार्थक कदम है और इससे सीआरआई के प्रसारण और वेबसाइट में और निखार आयेगा और श्रोताओं को एक से बढ़कर एक रोचक और सूचनाप्रद जानकारी पढ़ने को मिलेगी। इससे सीआरआई के कार्यक्रमों की रुपरेखा में गुणात्मक बदलाव आएगा। इसके लिए चाइना रेडियो को हम बधाई देते हैं और आशा करते हैं कि आगे भी चाइना रेडियो ऐसे ही सर्वेक्षण के जरिए महत्वपूर्ण रोल अदा करता रहेगा। इस सर्वेक्षण के लिए आप सभी को तहे दिल से धन्यवाद।"
अब हम शिवहर, बिहार के श्रोता मुकुंद तिवारी के कुछ सवालों के जवाब देंगे। उन्होंने अपने पत्र में कहा,"मैं चीन के बारे में बहुत कुछ जानना चाहता हूं, लेकिन आपके कार्यक्रम से अभी तक मुझे पूरी तरह संतुष्टि नहीं मिल पाई है। इसलिए मैं कुछ सवाल लिख कर भेज रहा हूं।" मुकुंद तिवारी ने हमसे कई सवाल पूछे है। हम उनमें से कुछ चुनकर जवाब देंगे।
(1) पहला सवाल है:चीन और भारत की संस्कृति में क्या अंतर है?
जवाव:चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यता वाले देश है, जिनका इतिहास चार हजार वर्षों से अधिक है। दोनों ही देश पूर्वी संस्कृति के श्रेष्ठ प्रतिनिधि माने जाते है, पर अवश्य ही चीन और भारत की संस्कृति में बडा अंतर है। रविन्द्र नाथ टैगोर की चीनी संस्कृति में बडी रूचि थी और पिछली सदी की 20वी दशक में चीन की यात्रा की थी। उनके विचार में भारतीय लोग आध्यात्मिक जीवन पर अधिक ध्यान देते हैं, जबकि चीनी लोग भौतिकतावादी और आध्यात्मिक जीवन के संतुलन को ज्यादा महत्व देते हैं। मेरी नजर में भारतीय संस्कृति में परलोक का आकर्षण ज्यादा है, पर चीनी संस्कृति में मौजूदा लोक का आकर्षण सबसे ज्यादा है। भारत में अधिकांश लोग धर्म को मानते हैं, पर चीन में अधिकांश लोग धर्म को नहीं मानते। इसके अलावा चीनी संस्कृति में एकीकरण और एकता पर बडा ध्यान दिया जाता है, जबकि भारतीय संस्कृति में समावेश पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। उपरोक्त दर्शनशास्त्र की दृष्टि से चीनी संस्कृति और भारतीय संस्कृति में अंतर है। रोजमर्रा जीवन में भी बडा फर्क है, जैसे खाने में। जब चीनी लोग भारत जाते हैं, तो उनके लिए खाना एक बडी समस्या बन जाती है। इसके विपरीत जब भारतीय लोग चीन आते हैं, तो उनके लिए भी खाना एक बडी समस्या होती है, क्योंकि चीन में अधिकांश लोग मांसाहारी हैं। वे सुअर मांस, मुर्गा, बकरा और बीफ ज्यादा खाते हैं, जबकि बहुत से भारतीय मित्र शाकाहारी हैं। खाने के समय अधिकांश चीनी लोग चापॅस्टिक का इस्तेमाल करते हैं, जबकि बहुत से भारतीय लोग हाथों से खाते हैं। भारतीय लोग अपने परंपरागत पहनावे को पसंद करते हैं, पर वर्तमान चीन में वे पाश्चात्य कपडे पहनते हैं। इतिहास, त्योहार व रीति रिवाज के संदर्भ में भी चीन और भारत की संस्कृति में अंतर है।
अनिल जी, आप चीन में लगभग चार साल ठहरे हुए हैं, आप की नजर में चीन और भारतीय संस्कृति में क्या बडा अंतर है।
(2) दूसरा सवाल है:चीन में कौन-कौन से त्योहार होते है?
जवाव:चीन में सबसे बडा और मशहूर त्योहार वसंत त्योहार होता है। फिलहाल हमने इसकी बहुत चर्चा कर चुके है। अप्रैल की शुरूआत में छिंग मिंग पर्व आता है। इस पर्व में लोग अपने दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनको याद करते हैं। वे अक्सर पूर्वजों के कब्र जाते हैं और वहां साफ करते हैं और चढावा चढाते हैं। पहली मई को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस होता है, जोकि सरकारी छुट्टी होती है। चीनी कृषि पंचांग के अनुसार पांच मई को थुएं वू त्योहार होता है, जिसमे सरकारी छुट्टी भी होती है। थुएं वू त्योहार को ड्रैगन बोट त्योहार भी कहा जाता है। यह त्योहार प्राचीन समय में चीन के मशहूर कवि छु युआं की याद मे मनाया जाता है। इस त्योहार में ड्रैगन बोट रेसिंग का आयोजन किया जाता हैं। अनिल, आप जानते हैं कि केरल में भी स्नेक बोट रेसिंग की जाती है। कहा जाता है कि यह परंपरा चीन से आयी है। ड्रैगन बोट त्योहार में लोग छोंग ची खाते हैं। यह रीड के पत्ते से बनी मिठाई है। अनिल, आप जरा परिचय दे सकते हैं। 1 जुलाई को चीनी बच्चों का दिवस होता है। चीनी परंपरागत पंचांग के मुताबिक 7 जुलाई को छि शी पर्व यानी चीनी वैलनटाईन डे होता है। चीनी परंपरागत पंचांग के 15 अगस्त को चीन में मध्य शरद त्योहार होता है। इस दिन चंद्रमा सबसे गोल और बडा नज़र आता है। घर के सभी सदस्य इकटठे खुशियां मनाते हैं और चांद की रोशनी का आनंद उठाते हैं। इस पर्व पर मून केक सबसे लोकप्रिय हैं। अनिल जी, आपने मून केक तो जरूर खाया होगा। यह क्या चीज होता है, जरा हमारे श्रोताओं को बताइये। 1 अक्टूबर को चीन का राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। इस वक्त सात दिन की छुट्टियां होता है, जो चीनी लोगों के लिए बाहर घूमने का स्वर्णिम वक्त होता है। चीन एक बहुजातीय देश है। उसकी 55 अल्पसंख्यक जातियां हैं। अल्पसंख्यक जातियों का भी अपना अपना पारंपारिक त्योहार होता है। उदाहरण के लिए तिब्बती जाति के लिए तिब्बती पंचांग का नया साल और श्वेय तुंग यानी दही त्योहार बहुत महत्वपूर्ण है।
(3) तीसरा सवाल है:चीन के कितने फीसदी लोग हिंदी जानते हैं?अगर कोई भारतीय चीनी भाषा न जानता हो और वह अंग्रेजी तथा हिंदी का ही ज्ञान रखता हो तो क्या वह चीन का भ्रमण कर स्वदेश लौट सकता है?
जवाव:मुकुंद तिवारी जी, चीन में बहुत कम लोग हिंदी जानते हैं। पहले सिर्फ पेइचिंग विश्वविद्यालय में ही हिंदी की कक्षा होती थी। अब 7 से 8 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढा़यी जाती है, जैसे पेइचिंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, शी-आन विदेशी भाषा विश्वविद्यालय इत्यादि।
चीन के भ्रमण के समय भाषा सवाल की चर्चा करें, तो अनिल जी आप का बहुत अनुभव है।
दोस्तो! अब वक्त हो चला है अगले ख़त का। जिसे भेजा है, फुरकान बुखारी ने। हालांकि यह पत्र किस जगह से भेजा गया है, यह नहीं लिखा है। फिर भी हम इसे अपने कार्यक्रम मे शामिल कर रहे हैं। फुरकान बुखारी जी अगर आप यह प्रोग्राम सुन रहे हैं तो प्लीज़ अगली बार अपना पूरा पता लिखकर भेजें। फुरकान ने अपने पत्र में लिखा है, "मैं सीआरआई के प्रोग्राम रोज़ाना सुनता हैं। इसके माध्यम से मुझे तमाम जानकारियां हासिल होती है। साथ ही भारत-चीन मित्रता का भी पता चलता है। इसके अलावा रोज़मर्रा की चीनी भाषा सीखें कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। " उन्होंने दक्षिण एशिया फ़ोकस प्रोग्राम की भी चर्चा की है। लिखते हैं, "मैने पंकज जी द्वारा पेश किया गया कार्यक्रम सुना और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर चर्चा ने प्रभावित किया।"
वेइतुंग जी!देखिये यह पत्र किसने भेजा है। युवाओं और बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चे भी सीआरआई का प्रोग्राम सुनते हैं। हमें यह जानकर बहुत खुशी हुई। जी हां, हमें यह पत्र भेजने वाली हैं नन्हीं सी प्यारी दोस्त, राजाजी पुरम कॉलोनी, लखनऊ से, जान्हवी शुक्ला। उन्होंने अपनी एक फोटो भी भेजी है, शायद उनकी उम्र छह या सात वर्ष होगी। वे लिखती हैं, "मैं चाइना रेडियो की एक नन्हीं पुष्प हूं और मुझे सीआरआई हिंदी के कार्यक्रम सुनना पसंद है। मैं आपको अपनी एक स्वरचित कविता भेज रही हूं। कृपया मेरी फोटो के साथ कविता को श्रोता वाटिका में शामिल करें।"
जानह्वी हमें आपका पत्र मिल गया है, और कविता भी। आपका लेखन बहुत सुंदर है। हम कविता को रेडियो में शामिल कर रहे हैं, और श्रोता वाटिका में भी स्थान देने की कोशिश करेंगे।
कविता का शीर्षक है "सबसे प्यारा दोस्त"
मेरा सबसे प्यारा दोस्त है,
चाइना रेडियो इंटरनेशनल
प्रतिदिन इससे मिलती है जानकारी
दुनिया में क्या हो रहा है पल-पल।
इससे सुनकर ही मैंने अपने प्रिय देश चीन की,
सभ्यता, संस्कृति, इतिहास व प्रगति को जाना।
लू शान पहाड़, सान छिंग शान पर्वत, थ्येन आन मन चौक,
और चीन की लंबी दीवार का महत्व पहचाना।
मेरा दोस्त चाइना रेडियो इंटरनेशनल,
भारत व चीन के बीच मित्रता का सेतु बन जाए,
दोनों देशों के बीच प्रेम, मैत्री, सहयोग व व्यापार का विकास हो,
व इससे भारत व चीन के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आए।
........वाह!वाह!जान्हवी, आपने बहुत अच्छी कविता लिखी है। आगे भी यूं ही कविता लेखन जारी रखें, अपने दोस्तों को भी लिखने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
इसके बाद अगला पत्र आया है कटनी, मध्य प्रदेश के ज़िला श्रोता संघ के अनिल ताम्रकार का। वे कहते हैं, "रेडियो चाईना ने आज पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के बावजूद भारत व चीन की कला, साहित्य और ऐतिहासिक चीज़ों का साथ नहीं छोड़ा है। वहीं भारत में सीआरआई के तमाम श्रोता, विशेषकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए लाभकर समझते हैं। ऐसे में सीआरआई के श्रोताओं की संख्या में इजाफा हो रहा है।"
(यह प्रारूप टेक्सट, जो रेडियो कार्यक्रम से कुछ अलग है। संपादक:अखिल)