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विश्व रेडियो दिवस को भूल गए हम
2013-02-28 11:08:36
आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइतुंग और अनिल का नमस्कार।

दोस्तो, आज हम फिर हाजिर हो गए हैं, आपके तमाम पत्रों और ई-मेल के साथ। उम्मीद है कि आप हमेशा की तरह आज भी रेडियो सेट के नजदीक बैठ गए होंगे।

चलिए अब प्रोग्राम की शुरूआत करते हैं, अनिल कुमार द्विवेदी के पत्र के साथ। वे लिखते हैं कि चीन में वसंत उत्सव की छुट्टियों के दौरान 85 लाख से अधिक लोगों ने जल मार्ग का उपयोग किया था। तब मन में कुछ सवाल उठे थे कि चीनी जनता जल मार्ग में किन-किन साधनों का उपयोग करती है। जैसे, जल मार्ग से कितनी लंबी यात्राएं तय की गयीं, सामान्य दिनों में प्रतिदिन कितने यात्री जल मार्ग का उपयोग करते हैं ?

देखिए, द्विवेदी जी, सबसे पहले मैं इस आंकड़े को ठीक कर बताना चाहता हूं। आपने जो 85 लाख का उल्लेख किया, यह शायद छुट्टियों के दौरान किसी एक दिन का आंकडा है। वसंत त्योहार के सात दिन के अवकाश के दौरान कुल 44 करोड लोगों ने सड़क मार्ग, जल मार्ग ,रेलवे व हवाई मार्ग से यात्रा की। इनमें लगभग 40 करोड लोगों ने सड़क व जल मार्ग से सफर किया। जबकि तीन करोड 46 लाख लोगों ने रेलवे का इस्तेमाल किया और 64 लाख 21 हजार लोगों ने हवाई यात्रा की। वर्तमान चीन में रेलवे और सड़क मार्ग यात्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस के अलावा हवाई मार्ग यानी हवाई जहाज से यात्रा करना भी लोकप्रिय हो रहा है, खासकर उच्च व मध्यवर्ग के लोगों के लिए। जलमार्ग चीन के कुछ क्षेत्रों खासकर दक्षिण चीन में कुछ हद तक भूमिका निभाता है, पर अब तक उसका व्यापक इस्तेमाल नहीं होता है। जलमार्ग का सफर मुख्य तौर पर नदी पार करना या कम दूरी की यात्रा है।

अब हम द्विवेदी के अगले सवाल का जवाब देते हैं। चीनी लोग जल मार्ग में नावों का उपयोग करते हैं। अवश्य ये नावें अलग-अलग तरह की होती हैं। कुछ बड़ी और कुछ छोटी। कुछ नावों पर सिर्फ यात्री सवार होते हैं और कुछ पर यात्री और माल दोनों होते हैं। सामान्य जल मार्ग की यात्राएं लंबी नहीं होती हैं। अधिकांश यात्राएं नदी के माध्यम से होती हैं।

सामान्य दिनों में कितने लोग जल मार्ग का उपयोग करते हैं ?इस सवाल का उत्तर खोजने की पूरी कोशिश की, लेकिन जवाब नहीं मिला। इस बात का हमें खेद है। इससे जाहिर होता है कि जल मार्ग की से यात्रा करना चीन में लोकप्रिय नहीं है। पर हमें यह आंकडा मिला, कि ।3 फरवरी को सड़ और जल मार्ग का उपयोग करने वाले कुल यात्रियों की संख्या लगभग 8 करोड 70 लाख रही, जिनमें कुल 12 लाख 32 हजार लोगों ने जल मार्ग की यात्रा की। देश में कुल 12,900 से अधिक नावों का प्रयोग किया गया। आशा है कि आप हमारे जवाब से संतुष्ट होंगे। धन्यवाद।

दोस्तो, अब इसके बाद हम शामिल कर रहे हैं, महदेईया मठ, मुजफ्फरपुर, बिहार के श्रोता रजनीश कुमार का पत्र। वे लिखते हैं कि सीआरआई के माध्यम से हमें चीन के बारे में व्यापक जानकारी हासिल होती है। इसके साथ ही उन्होंने अपने क्लब के संबंध में सूचना दी है। कहते हैं कि हमारे क्लब में सदस्यों की संख्या 51 पहुंच गई है। यह हम सभी जानते हैं कि चीन और भारत की आबादी दुनिया में सबसे अधिक है। दोनों के इतिहास के साथ-साथ उनके बीच आवाजाही का इतिहास भी कम से कम 2200 साल लंबा है। दोनों देशों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने मानव-जाति की समृद्ध और दुनिया की प्रगति के लिए बड़ा योगदान दिया है।

रजनीश आगे लिखते हैं कि मैं बचपन से ही अपने पिता जी के साथ रेडियो सुना करता था, यह सिलसिला अब भी जारी है। इस तरह पिछले 18 सालों से मैंने रेडियो सुनना कभी बंद नहीं किया। और सीआरआई हिंदी प्रसारण सुनना मेरे जीवन का एक भाग बन गया है। वैसे इधर के कुछ सालों में चीन-भारत संबंधों का तेज़ विकास हुआ है। सीआरआई के माध्यम से दोनों देशों के लोग एक-दूसरे को जानने-समझने की कोशिश करते हैं।

हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में सीआरआई इसी तरह अपने कार्यक्रमों के ज़रिए हम सभी से जुड़ा रहे।

रजनीश जी, सीआरआई और चीन-भारत के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी लिखने के लिए आपका धन्यवाद।

वैसे रजनीश ने एक कविता भी भेजी है, जिसके मुख्य अंश कुछ इस तरह हैं। इसका शीर्षक है, चाहत।

एक दिन ज़िंदगी ने मुझसे सवाल किया

सीआरआई का साथ कब तक चाहते हो

मैंने एक बूंद आंसू समुद्र में गिराकर कहा

जब तक तुम इसे ढूंढ पाते हो

सीआरआई की अपनी पहचान है

यह हमारा प्रिय मेहमान है

एनाउंसरों की मधुर आवाज़, बिंदास अंदाज

सोने पे सुहागा, कार्यक्रमों की जान है

दुनिया में जहां बिना मतलब के कोई इंसान किसी से बात नहीं करता

सीआरआई हज़ारों श्रोताओं का परस्पर आत्मीय संबंध बनाता है।

श्रोताओं का प्यार और सहयोग

सीआरआई को हमेशा मिलता रहे.

बहुत-बहुत धन्यवाद रजनीश। वैसे यह कविता शायरी की तरह है।

अब वक्त हो गया है, अगले ख़त का। जो हमें भेजा है, केसिंगा, कालाहांडी, उड़ीसा से, सीआरआई के मॉनिटर और सक्रिय श्रोता सुरेश अग्रवाल ने। वैसे अक्सर वे वेबसाइट पर सीआरआई के प्रोग्राम के बारे में प्रतिक्रिया लिखते रहते हैं, लेकिन आज हम उनका एक पत्र शामिल कर रहे हैं, जो कि लगभग 6 पेज का है। हम इसके मुख्य अंश शामिल कर रहे हैं। वैसे यह पत्र बहुत पुराना है।

वे लिखते हैं कि, वर्ष 1974 में जब रेडियो पीकिंग सुनना शुरू किया, तो मैं सिर्फ 16 साल का किशोर था। तब रेडियो पर चीन से आने वाली आवाज़ मन में कौतूहल पैदा करती थी कि चीन लोग इतनी अच्छी हिंदी कैसे बोलते हैं, उनकी भाषा तो हमारी भाषा हिंदी से बिल्कुल भी मेल नहीं खाती है। फिर मैंने पत्र लिखना शुरू किया और इसके एवज में चीन सचित्र और अन्य श्रोता सुलभ सामग्री के साथ हिंदी सेवा के साथियों का ढेर सारा प्यार पाकर मैं अभिभूत था। बस, तभी से सीआरआई के साथ एक ऐसा रिश्ता बना कि आज तक बंधा चला आ रहा है।

वे आगे लिखते हैं कि, मुझे अपना सदस्यता क्रमांक तो ठीक से याद नहीं है। अगर सीआरआई के इतिहास पर नज़र डालें, तो गत् चालीस के दशक में जब चीनी जनता फासिस्ट विरोधी युद्ध के दौरान जापानी आक्रमणकारियों के साथ मुश्किल संघर्ष कर रही थी, तभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा उत्तर-पश्चिम चीन के यानआन क्षेत्र में रेडियो स्टेशन स्थापित किया। हालांकि सुरेश अग्रवाल जी का पत्र बहुत लंबा है, लेकिन मैं समझ सकता हूं कि उन्होंने यह सीआरआई की 70 वीं वर्षगांठ के मौके पर लिखा है। सुरेश जी, मैं यहां ज़रूरत कहना चाहता हूं कि कई अन्य श्रोता व पत्रकार भी सीआरआई के साथ जुड़े हुए हैं, लेकिन आपकी जानकारी व लेखन वाकई में काबिलेतारीफ है। क्योंकि मैं खुद भी एक पत्रकार हूं, इसलिए आपकी प्रतिभा को समझ सकता हूं। उम्मीद है कि आगे भी आप यूं ही सीआरआई को पत्र भेजेंगे।

धन्यवाद।

वेइतुंग जी अब हमें अगला पत्र भेजा है, ज़िला अंबेडकर नगर गांव, कटोखर, उत्तर प्रदेश से। इसे भेजने वाले श्रोता हैं, मुकेश कुमार प्रजापति। अपने पत्र में वे लिखते हैं कि मैं, सीआरआई का नियमित श्रोता हूं। आपके रेडियो के माध्यम से, हमें मनोरंजन के साथ-साथ दूसरी जानकारी भी मिलती है। मेरे घर के सभी सदस्य आपके प्रोग्राम सुनते हैं।

सीआरआई द्वारा भेजी गई पत्रिका हमें समय-समय पर मिलती रहती है, जिसे पढ़कर हमें चीन के बारे में पता चलता है। हम यही उम्मीद करते हैं कि चीन और भारत के बीच शांति कायम रहे।

मुकेश जी पत्र लिखने के लिए धन्यवाद।

इसके बाद अगला पत्र आया है, मेरठ से, जसवंत सिह माधुरी का। वे लिखते हैं कि मैं चीन-भारत मैत्री के बारे में और कला-संस्कृति पर रूचि रखता हूं। कृपया इस विषय पर जानकारी दिया करें।

जसवंत जी, हम लगातार चीन भारत मैत्री और अन्य विषयों पर प्रोग्राम पेश करते रहते हैं। अगर आप सीआरआई के कार्यक्रमों को ध्यान से सुनेंगे तो आपको यह जानकारी मिल जाएगी। फिर भी पत्र भेजने के लिए शुक्रिया।

वहीं हाल ही में भारत में हुई बलात्कार की घटना पर कुछ श्रोताओं ने प्रतिक्रिया भेजी है। मुबारकपुर, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश की श्रोता हसीना दिलशाद लिखती हैं कि, नारी ही दोषी क्यों। आखिर नारी के प्रति हुए किसी भी अपराध के लिए उसे ही दोषी क्यों ठहराया जाता है। उसके साथ छेडछाड हो तो उसकी गलती, उसका बलात्कार हो जाए तो उसका ही कसूर और उस की हत्या कर दी जाए तो भी कहीं न कहीं उसे ही ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। जिस कार्य में उसकी इच्छा न हो और उसके साथ जबरन दुर्व्यवहार किया गया हो, तो उसके लिए भी वही दोषी क्यों। यदि बेटी एक बार गलत कदम उठा ले, तो जीवन भर उसे ताने सुनने पडते हैं। उसकी स्वतंत्रता उससे हमेशा के लिए छीन ली जाती है। मतलब बेटियों को माफी नहीं सिर्फ सजा मिलती है ।आज जब हम इतनी प्रगति कर चुके हैं, तो नारी के प्रति दृष्टिकोण में कोई बदलाव क्यों नहीं आता ।एक लडकी के साथ रास्ते में जब कोई अभद्र व्यवहार करता है, तो वह घर पर बताने से हिचकती है ,क्योंकि उसे पता होता है कि गलती उसकी ही बताई जाएगी। दूसरी ओर अगर वह हिम्मत करके अपने साथ होने वाली घटना के बारे में बारे में बता भी देती है. तो उसे अनुसना कर दो, नजरें नीची करके चलो जैसी नसीहत दी जाती हैं।

ऐसे में कुछ समय बाद सही होते हुए भी वह लडकी खुद को ही गलत मानने लगती है ।अगर उसके साथ कुछ गलत हो जाता है, तो उसे ही सुनाया जाता है। यानी हर स्थिति में समाज लड़की को ही गलत साबित करने पर उतारू रहता है । अगर वक्त रहते इन मनचलों के विरुद्ध कदम उठाया जाए तो अगली बार ऐसा कुछ करने से पहले वे सौ बार सोचेंगे। हो सकता है कि हमेशा के लिए सुधर जाएं।

वाकई में हसीना की बातों से मैं पूरी तरह सहमत हूं और हमें सबसे पहले अपनी पुरूषवादी सोच को बदलना होगा। साथ ही महिलाओं को बराबरी और इज्जत देने की भी हिम्मत दिखानी होगी। हमें इसकी शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी। धन्यवाद।

उधर हाल ही में हमने विश्व रेडियो दिवस मनाने की खबर जारी की, जिसने कई श्रोताओं की नजर खींची। एस बी शर्मा ने अपने ई मेल में कहा, हेमा जी ने कल का समाचार सुनाया जिसमे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 13 फ़रवरी को आयोजित विश्व रेडियो डे पर हुए कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी। वर्ष 2011 से शुरू हुए इस दिवस पर प्रकाश डालना बहुत सुखद लगा। क्योंकि रेडियो ही एक माध्यम है जो अमीर और गरीब के बीच भेदभाव नहीं करता है। और यह सरल और सुगम माध्यम है, जो आज की संचार क्रांति के युग में उपेक्षित हो गया है यह गरीबों के मनोरंजन का साधन बन कर रह गया है। इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र संघ का यह कदम सराहनीय है। सीआरआई भी अंतर्राष्ट्रीय रेडियो है, उसने भी विश्व रेडियो दिवस को कोई खास महत्व नहीं दिया। मेरे विचार में रेडियो दिवस पर सीआरआई को भी कुछ खास करना चाहिए।

वहीं आजमगढ़, उत्तर प्रदेश के श्रोता मोहम्मद असलम को भी रेडियो दिवस का समाचार सुनकर खुशी हुई।

दोस्तो, हाल ही में हमने वेबसाइट पर इस मार्च में आयोजित होने वाली 12वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा (एनसीपी) और चीनी जन राजनीतिक सम्मेलन (सीपीपीसीसी) की 12वीं राष्ट्रीय समिति पर एक मत सर्वेक्षण किया । दो सौ से अधिक नेटीजनों ने इसमें भाग लिया। हम आप सभी का शुक्रिया अदा करते हैं । हम इसका विश्लेषण करते हुए महत्वपूर्ण सभाओं के बारे में रिपोर्ट पेश करेंगे। आशा है कि आप लोग इन दो सम्मेलनों पर नजर रखेंगे।

वहीं चुन्नीलाल कैवर्त ने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि अगले महीने एनपीसी और सीपीपीसीसी की राष्ट्रीय समिति का प्रथम पूर्णाधिवेशन पेइचिंग में आयोजित होगा। इन दोनों अधिवेशनों में चीनी जनता की खुशहाली और चीन के भावी विकास से संबंधित महत्वपूर्ण विषय शामिल किये जाएंगे ।लेकिन इसके अधिवेशन खास है। क्योंकि इस दौरान चीन के नये राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का औपचारिक चुनाव होगा। चुन्नीलाल जी ने सही बताया है। इन दो सम्मेलनों के दौरान देश व सरकार के नेताओं के चुनाव के अलावा भावी विकास की ठोस नीति व कदम भी सार्वजनिक किए जाएंगे।

दोस्तो, अंत में एक दुखद खबर है, जिसे सुरेश अग्रवाल और शाहिद आजमी ने हमें ई-मेल भेजकर साझा किया है। उन्होंने बताया किस, शेखावाटी राजस्थान के श्रोता प्रमोद माहेश्वरी का निधन हो गया है। सुरेश अग्रवाल ने कहा कि उनके निधन का समाचार पाकर बहुत दुख हुआ। सीआरआई हिन्दी के माध्यम से वरिष्ठ श्रोता-मित्र को श्रृद्धांजलि। हम भी माहेश्वरी जी के निधन पर शोक प्रकट करते हुए उनके परिजनों को सांत्वना देते हैं।

दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम में पत्र पढ़ने का सिलसिला संपन्न होता है, अगले हफ्ते आपसे फिर होगी मुलाक़ात। हमें उम्मीद है कि आप अपने बहुमूल्य सुझाव यूं ही भेजते रहेंगे। अगर वेबसाइट पर जारी टेक्स्ट में कोई त्रुटि हो तो, हमें ज़रूर अवगत कराईएगा। धन्यवाद।

(नोट- यह प्रारूप टेक्स्ट है, जो रेडियो कार्यक्रम से कुछ अलग है)

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