आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वेइ तुंग व अनिल पांडे का नमस्कार।
दोस्तो, आज के इस प्रोग्राम में हम, श्रोताओं के पत्रों व ई-मेल के अलावा श्रोता के साथ हुई फोन वार्ता और उनकी पसंद पर एक गीत भी पेश करेंगे।
लीजिए, अब प्रोग्राम की शुरूआत करते हैं, कटनी, मध्य प्रदेश के ज़िला रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष अनिल ताम्रकार के पत्र के साथ।
उन्होंने पिछले महीने जनवरी में भेजे पत्र में सीआरआई के उद्धोषकों व श्रोताओं को भारतीय "गणतंत्र-दिवस" की शुभकामना भेजी है। वे लिखते हैं कि, गणतंत्र दिवस के मौके पर पत्र के माध्यम से सभी श्रोताओं को यही कहूँगा कि जांबाज वीरों ने देश को आजादी दिलाने के लिए जो कुर्बानियां दी हैं, हम सभी को उन्हें याद करके उनके बताये गए मार्ग पर चलना चाहिए। साथ ही राष्ट्र हित में जो कुछ संभव हो, प्रयास करें। भारत मां की अस्मत की रक्षा करना हम सभी का दायित्व है और यह तभी संभव है जब हम अपनी सोच में परिवर्तन लाएंगे।
ताम्रकार ने कविता के माध्यम से भी संदेश देने की कोशिश की है।
"नज़रें बदलें तो नज़ारे बदल जायेंगे,
सोच बदलो तो सितारे बदल जायेंगे,
कश्तियों को बदलने से क्या होगा,
रुख बदल दो तो किनारे बदल जायेंगे"
अनिल ताम्रकार ने जो बात कही है, वह एकमद सही है। वाकई, सिर्फ कश्तियां बदलने से ही कुछ नहीं होगा, उससे आगे बढ़कर रुख में परिवर्तन लाना होगा।
दोस्तो, इसके बाद वक्त हो गया है अगले पत्र का। यह पत्र आया है, मुबारकपुर, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से। इसे भेजने वाले श्रोता हैं क़ाजी ज़याउद्दीन अंसारी। वे लिखते हैं कि मैं आपका कार्यक्रम नियमित नहीं सुन पाता हूं। इस बात का खेद है, ये बताते चलें कि गर्मी बहुत अधिक पड़ रही है, लगता है कि अंसारी जी ने पिछले साल गर्मियों के वक्त यह पत्र भेजा है। वे कहते हैं सीआरआई से प्रसारित होने वाले साप्ताहिक कार्यक्रम बड़े रोचक होते हैं। लेकिन समाचारों में कुछ कमियां रह जाती हैं, जो अगले पत्र में बताउंगा। सीआरआई के साप्ताहिक कार्यक्रमों में चीनी भाषा सिखाने का जो विशेष कार्यक्रम है, इसमें कोई खास परिवर्तन नहीं हो रहा है। मेरा सुझाव है कि इसमें कुछ चेंज किया जाय। आगे उनका कहना है कि मुझे इस बात से बहुत ज्यादा खुशी हो रही है कि चीन में शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है।
अंसारी जी हम आपके सुझावों पर ध्यान देंगे, पत्र लिखने के लिए आपका धन्यवाद।
अब मेरे हाथ में अगला पत्र है, जो आया है, उत्तर प्रदेश के मधुर श्रोता क्लब से। भेजने वाले श्रोता हैं, मुकेश कुमार प्रजापति। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि सीआरआई द्वारा प्रस्तुत प्रोग्राम बहुत ही सराहनीय होते हैं। शाम के वक्त रेडियो पर जो कार्यक्रम आते हैं, उन्हें मैं अवश्य सुनता हूं। मेरे घर के सभी सदस्य बड़े ध्यान से आपके सभी प्रोग्राम सुनते हैं और बहुत खुशी होती है कि भारत और चीन के बीच मित्रता का एक सेतु निर्मित हुआ है। उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच संबंध और बेहतर होंगे, साथ ही पूरे विश्व में शांति कायम हो।
मुकेश जी, हम भी सकारात्मक खबरों के प्रचार को अधिक महत्व देते हैं और हम कामना करते हैं कि दुनिया में हमेशा शांति व अमन चैन बना रहे। मुकेश ने हमें पत्र के साथ एक फोटो भी भेजा है। फोटो में 6 श्रोता दोस्त हैं और एक युवा गिटार बजा रहा है। मुझे लगता है कि शायद ये मुकेश ही हैं। इसके साथ ही आपके पत्र व फोटो के लिए धन्यवाद।
इसके बाद बारी है, अगले ख़त की। जो भेजा है, चायना रेडियो लिस्नर्स क्लब, कोडरमा झारखंड से, मिस अनुभा ने। वे लिखती हैं कि मैं सीआरआई हिंदी विभाग की नियमित श्रोता हूं। आपके सभी कार्यक्रम अच्छे लगते हैं। अक्टूबर के महीने में पंकज जी की भूपेंद्र तनेजा के साथ फोन पर बातचीत रोचक लगी। आप सभी का प्रस्तुतीकरण मन को छू लेता है। पर्यटन संबंधी ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित की जाती रही है, यह जानकर खुशी हुई। लेकिन प्रश्नावली मिलना बाकी है। आगे कहती हैं कि सीआरआई के प्रसारण स्पष्ट सुनाई देते हैं। इसके साथ ही उन्होंने चीनी लेखक मो यान को नोबेल पुरस्कार मिलने पर बधाई दी है। उनके लेखन में 20 वीं सदी के चीनी समाज की वास्तविक छवि पेश की गई है। मो यान पूर्वी चीन के शान दोंग प्रांत में पैदा हुए। उनका असली नाम ग्वान मोये है। जबकि मो यान उनका लेखन वाला पैन नेम है। इसका अर्थ होता है, मौन रहने वाला। वे पहले चीन नागरिक और दूसरे चीनी भाषा के लेखक हैं, जिन्हें साहित्य में नोबेल मिला है।
अनुभा जी मोयान के बारे में जानकारी व बधाई देने के लिए धन्यवाद। जी हां, मो यान चीन के एक मशहूर लेखक हैं। उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलने से यह साबित होता है कि चीन में अच्छे व समाज की गहरी समझ रखने वाले लेखकों की कमी नहीं है।
अनुभा के बाद, हम शामिल कर रहे हैं, उत्तर प्रदेश, चंदोई के ख़ान रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष गुल मोहम्मद का पत्र। उन्होंने लिखा है कि मैं और मेरे क्लब के सदस्य वर्ष 2011 से नियमित रूप से सीआरआई के कार्यक्रमों को सुन रहे हैं। रेडियो पर आपके समाचार बहुत अच्छे व रोचक लगते हैं। वहीं कार्यक्रम टॉप फाइव, आपका पत्र मिला, आपकी पसंद और चीन का भ्रमण आदि प्रोग्राम भी हमें पसंद हैं। लेकिन आपसे एक शिकायत है कि मैं कई पत्र लिख चुका हूं, पर मेरा एक भी पत्र कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया। क्या सीआरआई में नये श्रोताओं का कोई महत्व नहीं है। क्या नये श्रोताओं को आपके रेडियो पर कोई स्थान नहीं दिया जाता है। प्रत्येक बुधवार को हम अपने पत्र शामिल होने का इंतजार करते हैं और सोचते हैं कि शायद इस बार ज़रूर शामिल होगा, लेकिन ऐसा नहीं होता।
गुल मोहम्मद जी, आज हमने आपकी शिकायत दूर कर दी है। आपका पत्र देखते ही हमने इसे शामिल कर लिया है। हमारे लिए नये श्रोताओं का भी उतना ही महत्व है। सभी श्रोता, वे चाहे, नए हों या पुराने सभी हमारे लिए खास हैं। हमें कई श्रोताओं के पत्र आते हैं, लेकिन एक ही प्रोग्राम में सभी को शामिल करना संभव नहीं होता। इसलिए कुछ श्रोताओं को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। फिर भी हम कोशिश करेंगे कि कार्यक्रम में अधिक पत्र शामिल किए जाए ताकि इस कार्यक्रम के जरिए हमारे श्रोता एक दूसरे के विचार जा सकें। मोहम्मद ने लिखा है कि सितंबर माह में मेरे क्लब में कुल नौ सदस्य थे ,लेकिन वर्तमान में यह संख्या 19 हो गयी है। पत्र के अंत में मोहम्मद ने एक कविता भी लिखी है।
"दोस्ती का तोहफा हर किसी को नहीं मिलता,
ये वो फूल है ,जो हर बाग में नहीं खिलता,
इस फूल को कभी मुरझाने मत देना,
क्योंकि मुरझाया हुआ फूल फिर नहीं खिलता"
वाह वाह, क्या बात है। कविता भेजने के लिए धन्यवाद।
दोस्तो इस पत्र को पढ़ने के बाद वक्त हो गया है, अगले खत का। जो हमें भेजा है, फफूंद, औरेया उत्तर प्रदेश से, मजहर उल्ला खान ने। वे लिखते हैं कि आपके द्वारा प्रेषित तिब्बत संबंधी प्रतियोगिता के पत्र काफी विलंब से पहुंचे, अब आपको हमारा यह पत्र प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद ही मिलेगा। जी हां, मज़हर जी अब तो प्रतियोगिता के पुरस्कारों का भी ऐलान हो चुका है। कुछ महीने पहले ही पश्चिम बंगाल के श्रोता, रवि शंकर बसु को चीन की यात्रा करने का मौका भी मिला। फिर भी पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।
मज़हर उल्ला ख़ान आगे लिखते हैं कि मैं इन दिनों सीआरआई हिंदी की वेबसाइट भी देखने लगा हूं। वेबसाइट अच्छी लगती है, लेकिन मेरा एक सुझाव है कि इसे रोजाना अपडेट किया करें। वैसे मुझे रेडियो पर प्रोग्राम सुनना अच्छा लगता है। चीन की कला संसकृति और लोक अंचलों में प्रचलित कथाएं मुझे बहुत पसंद हैं। चीन का बहुत बड़ा क्षेत्र, पर्वतीय है और उनमें बसे दूरस्थ गांवों का जन-जीवन और सांस्कृतिक गतिविधियां आकर्षित करती हैं। इसके साथ ही आपकी वेबसाइट पर मुझे हर तरह की सामग्री मिल जाती है, विशेषकर हिंदी व उर्दू वेबसाइट से। लेकिन उर्दू विभाग वाले पाकिस्तानी श्रोताओं को अधिक महत्व देते हैं। यहां तक कि वे मेरे पत्रों को अपने कार्यक्रम में शामिल भी नहीं करते हैं। वैसे मुझे सीआरआई पर आपका पत्र मिला कार्यक्रम पसंद है। इस पर अपने क्लब का नाम सुनकर काफी अच्छा लगता है। वैसे श्रोता वाटिका को लेकर उनकी शिकायत भी है, पत्रिका में कुछ भी नयापन नहीं दिखता है, भारतीय श्रोताओं की प्रतिक्रिया को भी स्थान दें। साथ ही चीनी व्यंजनों, चीनी पर्यटक स्थलों की जानकारी के साथ-साथ चीनी शहरों और रीति-रिवाज व संस्कृति आदि पर भी सामग्री प्रकाशित की जाय। इसके साथ ही समसामयिक व अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं पर भी स्तंभ शुरू किए जाए।
मज़हर जी ने अपने पत्र में कई अच्छे सुझाव दिए हैं, साथ ही वे सीआरआई के प्रोग्राम पर बड़े ध्यान से नज़र डालते हैं। जहां तक श्रोता वाटिका में नयापन लाने की बात है तो हम इस पर ज़रूर विचार करेंगे।
इसके बाद भी हमें पत्र मिलने का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में पेश है,
महाराष्ट्र के मार्कोनी डी एक्स क्लब की रिद्दी जावले, डॉक्टर सुनील जावले और रूशिराज जावले के पत्र। उन्होंने अपने पत्रों में तिब्बत की चर्चा की है। वे कहते हैं कि प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक वस्तुओं के लिए तिब्बत पूरी दुनिया में मशहूर हो चुका है। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति और इसके बाद हुआ तेज़ विकास काफी प्रभावित करता है। तिब्बत में आज भी परंपरागत संस्कृति और जातीय विशेषता का संरक्षण होते देख खुशी होती है।
दोस्तो, तिब्बत भारत से लगा हुआ है। उसका इतिहास व संस्कृति बहुत विशिष्ट है। यहां दुनिया भर के पर्यटक आकर्षित होते हैं। हमें इस बारे में तमाम श्रोताओं के पत्र मिलते रहते हैं। ऐसे में, हम आने वाले दिनों में भी इस विषय पर आपको जानकारी देते रहेंगे।
लीजिए अब अगला पत्र। छतीसगढ, बिलासपुर के आदर्श श्रीवास रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष परस राम श्रीवास ने हमें एक लंबा पत्र भेजा है। वे लिखते हैं कि आपका प्रसारण सुनकर चीन के बारे में व्यापक जानकारी हासिल होती है। साथ ही आपके रेडियो के माध्यम से चीन और भारत के बीच दोस्ती और आवाजाही भी बढ़ रही है। यह इस बात का प्रमाण है कि दोनों देशों के लोग समझ रहे हैं कि पहले भी हम हिंदी-चीनी भाई-भाई थे और आगे भी रहेंगे । श्रीवास जी समय-समय पर दोनों देशों को और क़रीब लाने के लिए प्रोग्राम पेश करते रहेंगे। उन्होंने अपने पत्र में सुझाव भी पेश किये हैं। उन्होंने कहा कि आप लोग समाचार और रिपोर्ट में भारतीय तथा चीनी खबरों को अधिक से अधिक स्थान दिया करें। हो सके तो नई दिल्ली स्थित सीआरआई हिंदी संवाददाता से भारत की खबरों के बारे में सीधे रिपोर्ट लें। आपको यहां बता दें कि हम आजकल भारतीय खबरों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। आगे भी यह प्रयास जारी रहेगा।
दोस्तो, अब बारी सवाल-जवाब की है, हमें लगातार बहुत से श्रोताओं के प्रश्न मिलते रहते हैं, जिनमें वे चीन के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं।
इसी क्रम में में श्रीवास ने भी कई सवाल पूछे हैं। अब हम इनमें से कुछ अहम सवालों के उत्तर देंगे।
पहला प्रश्न है, चीन के किस प्रांत में खनिज तेल का सबसे बडा भंडार है?वर्तमान में उत्तर पूर्वी चीन के हेलोंगच्यांग प्रांत में तेल का उत्पादन सबसे अधिक होता है। यहां स्थित ता छिंग ऑयल फील्ड चीन का सबसे बडा तेल उत्पादन अड्डा है। ता छिंग ऑयल फील्ड का गत् साठ के दशक में शुरू हुआ। वर्तमान में इसका सालाना तेल उत्पादन 5 करोड टन से अधिक है।
दूसरा सवाल है, चीन का सबसे अधिक आकर्षक खेल स्टेडियम कहां स्थित है। वैसे यह एक बहुत मुश्किल सवाल है। क्योंकि चीन में कई स्टेडियम हैं और उनके आकर्षण के बारे लोगों में एक राय नहीं है। पर सबसे विशिष्ट व नामी स्टेडियम पेइचिंग स्थित बर्ड नेस्ट है। यहां पर वर्ष 2008 पेइचिंग ओलंपिक का उद्घाटन समारोह हुआ था। यह पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।
तीसरा प्रश्न है, चीन के भारत में नियुक्त प्रथम राजदूत का क्या नाम है ?
भारत में चीन के पहले राजदूत युएं चोंग श्येन थे। चीनी क्रांति के दौर में उन्होंने लंबे समय तक चीनी मुक्ति सेना में काम किया। नये चीन की स्थापना के बाद वे विदेश मंत्रालय में शामिल हुए और वर्ष 1950 में उन्हें भारत में चीनी राजदूत नियुक्त किया गया। वर्ष 1956 में भारत से लौटने के बाद उन्होंने उप विदेश मंत्री का पद संभाला था।
चौथा सवाल है कि चीन में सबसे अधिक कमाई करने वाला खिलाड़ी कौन है?
चीन में सबसे अधिक कमाई करने वाले खिलाड़ियों में महिला टेनिस खिलाडी ली ना सबसे ऊपर है। उनकी सालाना आय 2 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
सवाल-जवाब के बाद, प्रोग्राम के अंत में कुछ अन्य श्रोताओं के पत्र शामिल करते हैं। हमें गुजरात से टी.आर. तलरेजा, राजस्थान से प्रदीप कुमार दुबे, आंध्र प्रदेश, गौतमी नगर से राम कृष्ण प्रसाद, पाकिस्तान से रेडियो फैंस क्लब के मज़हर हुसैन चिस्ती, पंजाब, रामपुराफुल से बलबीर सिंह और औरेया, उत्तर प्रदेश से काल्का प्रसाद कीर्ति प्रिय आदि श्रोताओं ने भी पत्र भेजे हैं।
दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम में पत्र पढ़ने का सिलसिला संपन्न होता है, अगले हफ्ते आपसे फिर होगी मुलाक़ात। हमें उम्मीद है कि आप अपने बहुमूल्य सुझाव यूं ही भेजते रहेंगे। अगर वेबसाइट पर जारी टेक्स्ट में कोई त्रुटि हो तो, हमें ज़रूर अवगत कराईएगा। धन्यवाद।
(प्रोग्राम होस्टः वेइतुंग व अनिल पांडे) (टेक्स्ट संपादन- अनिल पांडे)
(नोट- यह प्रारूप टेक्स्ट है, जो रेडियो कार्यक्रम से कुछ अलग है)