आज के प्रोग्राम का सबसे पहला पत्र भेजा है, वैशाली बिहार के श्रोता अभिषेक कुमार ने। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि, मैं सीआरआई के कार्यक्रमों को लगभग एक महीने से सुन रहा हूं। मुझे हिंदी सेवा के बारे में तब पता चला जब मैं रेडियो का मीटर घुमा रहा था और तब से मैं आपके कार्यक्रमों को लगातार सुनता हूं। वे आगे कहते हैं कि, सीआरआई हिंदी सेवा के सभी प्रोग्राम अच्छे और ज्ञानवर्धक हैं। फिर भी मुझे विश्व समाचार बेहद पसंद हैं, क्योंकि ये दूसरे समाचारों से अलग होते हैं। इसमें चीन के साथ-साथ अन्य उत्तर-पूर्वी देशों की ख़बरें भी प्रमुखता से पेश की जाती हैं। मैं एमए फाइनल का छात्र हूं। मैंने अपने कॉलेज में सीआरआई के बारे में चर्चा की है, उम्मीद है कि अधिक से अधिक श्रोता इससे जुड़ेंगे। मेरा अनुरोध है कि मुझे भी अन्य श्रोताओं की तरह ही श्रोता वाटिका पत्रिका भेजी जाय।
अभिषेक जी, सीआरआई से जुड़ने और प्रोग्राम सुनने के लिए आपका धन्यवाद। हमने आपका नाम नियमित श्रोताओं की सूची में शामिल कर लिया है। आपको श्रोता वाटिका का अगला अंक मिल जाएगा। आशा है कि आप हमारे कार्यक्रम सुनते रहेंगे।
अब मेरे हाथ में अगला पत्र है, महात्मा गांधी रेडियो लिस्नर्स क्लब, शियोहर, बिहार से, मुकुंद कुमार तिवारी का। वे लिखते हैं कि मैं सीआरआई हिंदी सेवा का नियमित श्रोता हूं। मैं वर्ष 2011 से ही लगातार पत्र भेजता आया हूं। उनकी एक शिकायत भी है, कहते हैं कि आप लोग पहले मेरे क्लब को नजरअंदाज करते थे, लेकिन एक दिन मेरा भी नाम आपके रेडियो से बोला गया कि हमारे क्लब को रजिस्टर्ड कर दिया गया है। इसे सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई। मुकुंद ने एक गीत भी सुनवाने की फरमाईश की है, जिसे हम आपकी पसंद प्रोग्राम में शामिल करेंगे।
सबसे पहले मैं सीआरआई की ओर से आपको धन्यवाद देता हूं कि आप सीआरआई के साथ इतना लगाव रखते हैं। जहां तक आपकी शिकायत का सवाल है, वह तो अब दूर हो गई है और आप भी दूसरे क्लबों की तरह रजिस्टर्ड कर लिए गए हैं। उम्मीद है कि आगे भी हमें यूं ही पत्र भेजते रहेंगे। धन्यवाद।
लीजिए इसके बाद पेश है, अगला पत्र। लखनऊ, उत्तर प्रदेश के युवा दर्पण यूथ क्लब के सचिव रवींद्र कुमार शुक्ल का। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि मैं चाइना रेडियो इंटरनेशनल का बहुत पुराना श्रोता हूं । लेकिन समय की व्यस्तता व नौकरी आदि के कारणों से अब नियमित पत्र व्यवहार नहीं कर पाता हूं । इसके बावजूद जब भी समय मिलता है, तो घर ,दफ्तर व रास्ते में सीआरआई की बेबसाइट को पढने का मोह नहीं छोड पाता हूं। वे आगे लिखते हैं कि, इन दिनों सीआरआई का स्तर पहले की तुलना में बेहतर हो गया है। सभी कार्यक्रम उपयोगी ,ज्ञानवर्धक ,सामयिक व ताजा जानकारियों से भरपूर हैं। इसके साथ ही हमें अपने प्रिय देश चीन की सभ्यता ,संस्कृति ,इतिहास व प्रगति की महत्वपूर्ण सूचना भी मिलती रहती है। आज सीआरआई भारत व चीन के बीच एक सेतु के रूप में कार्य कर रहा है।
आज हम सभी भारतीयों में चीन के प्रति जानकारी बढ़ रही है और साथ ही प्रतिदिन कुछ नया जानने की जिज्ञासा भी। मेरा अनुरोध है कि सीआरआई में ग्लोबल वार्मिंग,बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण,जनसंख्या विस्फोट,कन्याभ्रूण हत्या,पॉलीथीन का बढता अंधाधुंध प्रयोग और विज्ञान आदि के क्षेत्र में नित नये आविष्कारों पर विशेष रिपोर्ट तैयार की जाएं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि साल 2013 में भारत व चीन के बीच रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे। रवींद्र जी, हम भी आशा करते हैं कि नया साल, आपके क्लब और श्रोताओं के साथ-साथ सभी भारतीय लोगों के लिए ढेर सारी खुशियां लेकर आए। और इस नव वर्ष में चीन-भारत दोस्ती और बढ़ेगी। आपके पत्र के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
इसके बाद पेश है, अगला पत्र। जिसे भेजा है, गोला बाज़ार गोरखपुर से, बद्री प्रसाद अनजान ने। उन्होंने पिछले साल आयोजित हुई चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18 वीं कांग्रेस के बारे में लिखा है। कहते हैं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी दुनिया की एक मात्र समाजवादी पार्टी है, जो कि ताकतवर भी है। सीपीसी के नेतृ्त्व में चीन ने काफी विकास और तरक्की की है। आगे लिखते हैं कि राजधानी बीजिंग के जन सभागार में हुई पार्टी बैठक में नए नेताओं का चुनाव किया गया, यह वाकई में एक अच्छा व सुखद समाचार रहा। कई दशकों से कम्युनिस्ट पार्टी चीन में अपना अधिकार मजबूत किए हुए है। साथ ही चीन की विकास दर को बढ़ाकर 10 प्रतिशत तक पहुंचाने का श्रेय भी कम्युनिस्ट पार्टी को ही जाता है। दस वर्षों में नेता के चुनाव की प्रक्रिया बेहद उपयोगी और लोकतांत्रिक है। अब देखना है कि नयी पीढ़ी के नेता चीन की किस दिशा में ले जाते हैं।
ब्रद्री प्रसाद जी ने बहुत लंबा पत्र लिखा है, लेकिन हमने यहां उसका मुख्य भाग ही पेश किया है। पत्र लिखने के लिए धन्यवाद। उम्मीद है कि आगे भी आप हमें सुझाव और अपने विचार भेजते रहेंगे।
प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए पेश है, अगला पत्र। इसे भेजने वाले श्रोता हैं, मितुल कंसल । उन्होंने लिखते हैं, सीआरआई के सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार। गत् 17 जनवरी को विश्व समाचार के बाद "ओह माई गॉड" प्रोग्राम में होवेई जी की भारत यात्रा के विस्तृत अनुभव सुने। उन्हे भारत में 6 महीने तक रहने में कोई विशेष परेशानी नहीं हुई, जिससे यह प्रतीत होता है कि भारत और चीन दोनो एक जैसे देश हैं। भारत में रहते हुए होवेई जी ने दिल्ली, मुंबई, आगरा, राजस्थान, केरल व पांडिचेरी, आदि स्थानों की। यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। प्रोग्राम में उनके इस कथन ने मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया और वो था "किसी देश को जानना है तो आपको वहां के आम लोगों को जानना होता है"।
साथ ही वे कहते हैं कि, सीआरआई समय-समय पर श्रोता मत सर्वेक्षण करवाता है, जिससे श्रोताओं की पसंद के हिसाब से प्रोग्राम तैयार करने में मदद मिलती है। हमेशा की तरह इस बार भी मुझे आपके सर्वेक्षण में भाग लेते हुए बेहद खुशी हो रही है। साथ ही कहते हैं कि वे सीआरआई हिन्दी रेडियो और वेबसाइट में निश्चित तौर पर बदलाव के लिए काम करेंगे। जिससे श्रोताओं की न सिर्फ़ कार्यक्रमों में रूचि बढ़ेगी बल्कि उन्हें सीआरआई को और अधिक बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा।
अगला पत्र हमें भेजा है, दिल्ली से सीआरआई मॉनिटर, शाहिद आज़मी ने। शाहिद लिखते हैं कि 16 जनवरी को प्रसारण सुना हेमा जी ने समाचार और अनिल जी ने रिपोर्ट पेश की। अनिल जी और हेमा जी का अंदाज़-ए-बयां बहुत खूब है। श्रोताओं के पत्रों के अंतर्गत श्रोताओं के ईमेल से भी जानकारी मिली। सच बात है कि, आपने प्रोग्राम का नाम, श्रोताओं का मंच दिल की बात रखा है, वो बिलकुल सही है। मुझे याद है कि, आज से 20 वर्ष पहले जब मैं आपका नया नया श्रोता बना था, तो अपने ख़त का जवाब सुनने के लिए रेडियो सेट के पास बैठ जाता था। और प्रोग्राम शुरू होने से पूर्व ही दिल की धड़कन बढ़ जाती थी। अब भी कार्यक्रम प्रारंभ होते ही सारा ध्यान इसी पर लग जाता है, वास्तव में आपका पत्र मिला कार्यक्रम दिल की धड़कन से जुड़ा है।
दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम में पत्र पढ़ने का सिलसिला संपन्न होता है, अगले हफ्ते आपसे फिर होगी मुलाक़ात। हमें उम्मीद है कि आप हमें अपने बहुमूल्य सुझाव यूं ही भेजते रहेंगे। अगर वेबसाइट पर जारी टेक्स्ट में कोई त्रुटि हो तो, हमें ज़रूर अवगत कराईएगा। धन्यवाद।
(प्रोग्राम होस्टः वेइतुंग व अनिल पांडे) (टेक्स्ट संपादन- अनिल पांडे)
(नोट- यह प्रारूप टेक्स्ट है, जो रेडियो कार्यक्रम से कुछ अलग है)