चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। बहुत खुशी के साथ आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।
विकासः और मैं हूं आप का दोस्त, विकास। कार्यक्रम सुनने का हार्दिक स्वागत है।
चंद्रिमाः विकास जी, हाल ही में चीनी लोग बहुत खुश हैं, क्योंकि एक त्योहार के बाद और एक त्योहार आ गया। क्या आप जानते हैं कि इस हफ्ते में कौन सा त्योहार है?
विकासः बिल्कुल मालूम है, वह चीन का और एक महत्वपूर्ण परंपरागत त्योहार लालटेन त्योहार है। इस हफ्ते के सोमवार को सुबह से ही पटाखे की आवाज़ ईधर उधर गुंज रही थी। और उसी दिन रात को रंगारंग आतिशबाजियां नीले आकाश में खिल रही थीं, जो बहुत सुन्दर था।
चंद्रिमाः आपने बिल्कुल ठीक कहा। पर क्या आप जानते हैं कि लालटेन त्योहार पर चीनी लोग एक स्वादिष्ट व्यंजन का भी आनंद उठाते हैं। वह व्यंजन क्या है आप को मालूम है या नहीं?
विकासः इतने सालों से चीन में रह रहा हूं, यह कैसे नहीं मालूम होगा। वह है य्वान श्यॉओ। लालटेन त्योहार पर मैंने भी अपने घर में कुछ य्वान श्यॉओ उबालकर खाये हैं। जो बहुत स्वादिष्ट हैं।
चंद्रिमाः मेरे ख्याल से चीन का लालटेन त्योहार भारत के दिवाली जैसा है। क्योंकि दिवाली पर भारतीय लोग भी आतिशबाज़ियां व पटाखे जलाते हैं, मिठाइयां खाते हैं, और अपने परिवार जनों के साथ खुशी के साथ समय बिताते हैं। ठीक है न ? विकास जी।
विकासः जी हां, जिस तरह से लालटेन त्योहार के अवसर पर चीनी लोग अपने घरों को लालटेन से सजाते हैं और आतिशबाजियां करते हैं, उसी तरह से भारतीय लोग भी दिपावली के अवसर पर अपने घरों को तरह-तरह के दीये से सजाते हैं और बच्चे आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। इस दिन लोग घर में तरह-तरह के पकवान बनाते हैं और अपने सगे-संबंधियों के साथ मिलजुल कर खाते हैं। तो कार्यक्रम में सब से पहले हम लालटेन त्योहार की खुशी मनाने के लिये एक मधुर गीत पेश करेंगे।
चंद्रिमाः अच्छा, लालटेन त्योहार की चर्चा के बाद अब हम कार्यक्रम में वापस आते हैं। अब मैं आज का पहला पत्र पढ़ूंगी, जो बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के श्रोता प्रताप कुमार साहू द्वारा भेजा गया। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि दिनांक 27 सितंबर वर्ष 2011 के शाम को 7 बजे रेडियो को अचानक ट्यून किया और मुझे सुनाई दिया सी.आर.आई.। कार्यक्रम में योगा के बारे में दी गई जानकारी ज्ञानवर्द्धक साबित हुआ। सकारात्मक सोच रखना कारगर एवं उत्तम दवा है। चीनी भाषा की विशेषताएं, चित्र लिपि का आविष्कार राकेश द्वारा दी गयी जानकारी बहुत अच्छी लगी। यह मेरा खुद का अनुभव है कि योगा हम सभी के लिये वरदान है। और दिनांक 14 दिसंबर वर्ष 2011 की सुबह साढ़े आठ बजे से साढ़े नौ बजे के बीच न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में वांग मि हूंग की प्रेरणादायी कहानी बहुत रोचक लगी।
विकासः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि मैं नक्सल प्रभावित जिला सरगुजा भारत में व्याख्याता पद पर कार्यरत हूं। यहां सी.आर.आई. रेडियो का सिग्नल बहुत कम पकड़ता है। सी.आर.आई. का कार्यक्रम सुनने शाम होते ही बेसब्री से इंतजार रहता है। अपने साथियों और बच्चों को सी.आर.आई. के बारे में जानकारी देता हूं। यह मेरे लिये एक अनूठा संग्रह रहा है। और पत्र के अंत में उन्होंने यह शुभकामनाएं भी दी कि आप के उज्जवल भविष्य और अनवरत विकास की कामना करता हूं। बहुत बहुत धन्यवाद साहू साहब। हालांकि आप की जिले में हमारा सिग्नल बहुत कम है, पर आप लगातार हमारे कार्यक्रम सुनने पर डटे रहते हैं। यह सुनकर हम बहुत प्रभावित हैं। आशा है आप हमेशा इस प्रकार से सी.आर.आई. का समर्थन देते रहेंगे।
चंद्रिमाः नवाबगंज, बंगलादेश के मो. अब्दुल मन्नान ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि नव वर्ष 2012 मुबारक हो। मुझे आशा है कि नये साल में सभी लोगों को शांति व समृद्धि मिल सकती है। हम पिछले साल की तरह हिन्दी सेवा को पत्र लिखेंगे, और आप लोगों का समर्थन देते रहेंगे। पिछले साल में हमने तिब्बत का कायापलट शीर्षक ज्ञान प्रतियोगिता में भाग लिया, और द्वितीय पुरस्कार भी प्राप्त किया। पुरस्कार के रूप में हमें एक सुन्दर टी.शर्ट मिल गया। हमें यह उपहार बहुत पसंद है। हमने यह नहीं सोचा था कि हिन्दी सेवा हमें पुरस्कार विजेता के रूप में चुन सकती है। क्योंकि हम तो भारतीय श्रोता नहीं हैं। इसलिये हम सी.आर.आई. हिन्दी सेवा को बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं।
विकासः इस के अलावा उन्होंने यह भी लिखा है कि हर दिन हम सी.आर.आई. के कार्यक्रम सुनते हैं। आप के कार्यक्रम से हम इस डावाडॉल विश्व में हुई घटनाओं को जान पाते हैं। और चीन में हुई महत्वपूर्ण बातों की जानकारी भी मिल पाती है। हमारे ख्याल से सी.आर.आई. के सभी कर्मचारी बहुत रचनात्मक हैं, और आप लोगों के कार्यक्रम सुनना एक बहुत आनंदमय बात है। ध्यानाकर्षक बात यह है कि आप लोगों द्वारा प्रसारित समाचार बहुत अच्छे और ज्ञानवर्द्धक हैं।
चंद्रिमाः अब्दुल भाई, आप की प्रशंसा के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। और हम यह सुनकर बहुत खुश हैं कि आप लोगों को हमारा पुरस्कार बहुत पसंद हैं। यहां हम सभी श्रोताओं को यह कहना चाहते हैं कि वर्ष 2012 में हम और कुछ ज्ञान प्रतियोगिताओं का आयोजन करेंगे। आशा है आप लोग पहले की तरह सक्रिय रूप से इस में भाग ले सकेंगे। चाहें आप भारतीय श्रोता हैं या नहीं, अगर आप हमारे सक्रिय श्रोता हैं, तो आप को भी पुरस्कार मिलने का मौका मिल सकेगा।
विकासः जी हां, जैसे पिछले वर्ष में आयोजित सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ से जुड़ी प्रतियोगिता में हमने भारत के अलावा कई देशों के श्रोताओं को चुना है। चंद्रिमा जी, मेरे पास और एक लंबा पत्र है, जो औरैया, उत्तर प्रदेश के वर्मा भाई रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष भरत कुमार वर्मा द्वारा भेजा गया।
चंद्रिमाः वर्मा भाई, हम जानते हैं, क्योंकि वे अक्सर हमें ई-मेल द्वारा फ़ोटो भेजते हैं। इस पत्र में उन्होंने क्या लिखा है?
विकासः सब से पहले उन्होंने कुछ सलाह दिये हैं कि यूं तो सी.आर.आई. से हर दिन हमें चीन के बारे में कुछ न कुछ जानने और सीखने को मिलता है, लेकिन ऐतिहासिक चीज़ें बहुत कम जानने को मिलती हैं, ज्यादातर वर्तमान स्थिति के बारे में ही जानकारियां मिलती रहती हैं। किसी भी राष्ट्र के इतिहास के बारे में जानना मुझे बहुत अच्छा लगता है। आप से प्रार्थना है कि आप चीन में चलने वाली बुलेट ट्रेन के बारे में बताएं। इस के साथ साथ आप 13वें पेइचिंग अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के बारे में भी बताएं। आप के द्वारा बताया गया किसी भी चीज़ का सजीव वर्णन ज्यादा ज्ञानवर्धक होता है।
चंद्रिमाः वर्मा भाई, आप का सुझाव हम ज़रूर चीन की झलक व चीन का भ्रमण कार्यक्रम के उदघोषक व उदघोषिका को बताएंगे। इस पत्र में वर्मा भाई ने अपने उस एहसास को भी शेयर करना चाहता हैं, जिससे उन्हें महसूस हुआ कि वे वाकई चाइना रेडियो इन्टरनेशनल से जुड़े हुए हैं। उन्होंने लिखा है कि ये एक टेलीफ़ोन कॉल थी, जो चाइना रेडियो इन्टरनेशनल से विकास जी ने की थी। मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ कि मुझे चाइना रेडियो इन्टरनेशनल से टेलीफ़ोन कॉल आयी है। फॉन पर विकास जी ने मुझ से एक इन्टरव्यू ली। क्योंकि इन्टरव्यू के नाम पर मैं बहुत नर्वस हो जाता हूं, और मैंने कभी भी किसी रेडियो पर इन्टरव्यू नहीं दिया था। इसलिये मैं ज्यादा बोल नहीं पाया और मैं नहीं जानता कि यह इन्टरव्यू प्रसारित है या नहीं। पर मैं भी सी.आर.आई. को धन्यवाद कहना चाहता हूं, क्योंकि मुझे सी.आर.आई. से इन्टरव्यू देने का एक मौका मिला। और विकास जी के साथ बातचीत करने से मुझे बहुत खुशी हुई। यह अनुभव मेरे लिये एक नया अनुभव था, आप यकीन मानिये उस वक्त मैं अपने बारे में भी भूल सा रहा था।
विकासः चंद्रिमा जी, वर्मा जी ने बिल्कुल ठीक कहा। उसी दिन जब हम उन्हें फ़ोन द्वारा इन्टरव्यू ले रहे थे, तो वे सचमुच बहुत नर्वस थे, और ज्यादा बातें नहीं कीं। इसलिये इन्टरव्यू का समय काफ़ी नहीं होने के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जा सका। पर मेरे ख्याल से अगर अब हम उन से फिर एक बार इन्टरव्यू लेंगे, तो वे ज़रूर पहले से ज्यादा अच्छी तरह से बात कर सकेंगे। वास्तव में श्रोता दोस्तो, हम आप लोगों से इन्टरव्यू लेने से केवल आप लोगों के साथ एक साधारण बातचीत करना चाहते हैं। और बातचीत से हम यह जानना चाहते हैं कि आप लोगों का हालचाल कैसा है? हमारे कार्यक्रम पर आप लोगों का क्या ख्याल है? और क्या आप लोग अपने अनुभव को अन्य श्रोताओं के साथ बांटना चाहते हैं? या क्या आप लोग हमारे कार्यक्रम में अपनी विशेषताएं दिखा सकते हैं, जैसे गीत गाना या कविता लिखना इत्यादि? तो बातचीत करने में नर्वस होने की ज़रूरत बिल्कुल नहीं है। आप यह मानिये कि आप केवल एक पुराने दोस्त के साथ फ़ोन पर बातचीत कर रहे हैं, तो आप बिल्कुल नर्वस नहीं होंगे, और सब ठीक हो जाएगा।
चंद्रिमाः जी हां, विकास जी ने बहुत अच्छी बात की है। वास्तव में हम तो श्रोताओं के दोस्त ही हैं। हमारी सभी कोशिश आप लोगों के लिये है। अब हम सी.आर.आई. व श्रोताओं के बीच की गहरी मित्रता के लिये एक मधुर गीत पेश करेंगे। गीत के बोल भी हैं दोस्त।
विकासः अच्छा, एक मधुर गीत के बाद हम पत्र की सिलसिला जारी रखें। औरैया, उत्तर प्रदेश के माओ त्से तुंग रेडियो लिस्नर्स अस्सोसिएशन के अध्यक्ष कालका प्रसाद किर्ती के पत्र में यह लिखा गया है कि दिनांक 27 अक्तूबर वर्ष 2011 को तिब्बत के मठों के बारे में रिपोर्ट सुनी, अच्छी लगी। लिली के साथ राकेश जी की आवाज़ समझ में आ रही थी, जो चीन में प्रचलित धर्मों के बारे में अच्छी जानकारी दी। हिन्दू धर्म की बंधन युक्त जानकारी भी अच्छी लगी। प्रसारण के लिये धन्यवाद।
चंद्रिमाः बरेली, उत्तर प्रदेश के वर्ल्ड वाईड लिसनर्स क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद अंसारी ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि वर्ष 2010 के 15 से 25 नवंबर के दौरान एक सौ चीनी युवाओं के साथ श्याओ थांग दीदी ने भारत की यात्रा की थी। यूं तो दीदी ने दिल्ली, आगरा, रांची और कोलकाता जैसे शहरों का दौरा किया, और भारत के विकास, भारतीय संस्कृति और भारतीय रीति रिवाज़ को जाना और महसूस किया। लेकिन यदि श्याओ थांग दीदी मेरे शहर बरेली आती, तो मुझे बहुत खुशी होगा। क्योंकि मेरा शहर बरेली कई मायनों में विश्व प्रसिद्ध है। सर्वप्रथम यह शहर हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाई-चारे के लिये जाना जाता है। क्योंकि बरेली शहर का चुन्ना मियां का भव्य मंदिर, चुन्ना मियां नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति ने निर्माण कराया था। मेरे शहर में आंखों का सुरमा विश्व प्रसिद्ध है। साथ ही भारतीय सिनेमा के सब से ऊपर पायदान पर बैठी। भारतीय सुन्दरी प्रियंका चौपड़ा मेरे शहर बरेली की है।
विकासः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि बरेली में ही प्रख्यात धर्म गुरू आला हज़रत इमाम अहमद रजा की पवित्र दरगाह है। जहां पूरी दुनिया से श्रद्धालु प्रति वर्ष आते हैं। मेरे बरेली शहर से एक भारतीय गाना भी बहुत मशहूर है। बरेली के बाजार में झुमका गिरा रे...इसलिये मेरे शहर बरेली को झुमका सिटी भी कहा जाता है। हिन्दी विभाग के दोस्तो, अगर आप लोग भारत की यात्रा करें, तो मैं अपने शहर बरेली आने का आप को निमंत्रण देता हूं। आशा है आप शकील अहमद अंसारी की मेज़बानी को कुबुल करेंगे। मेरा कल्ब सी.आर.आई. के उज्जवल भविष्य की कामना करता है।
चंद्रिमाः वाह, सुनने में शकील भाई अपने शहर बरेली को बहुत प्यार करते हैं। यह तो बहुत अच्छी भावना है। क्योंकि अगर आप अपने रहने वाले स्थान को प्यार नहीं करते, आप कैसे खुशी से यहां रह सकते हैं। वास्तव में हम सभी को अपने स्थान को प्यार करना चाहिए। और शकील भाई को बरेली के बारे में हमें इतनी जानकियां देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। अगर मौका मिला हम ज़रूर शकील भाई के शहर का दौरा करेंगे। क्योंकि इस वर्ष में हमारे हिन्दी विभाग के चार कर्मचारी भी पांच सौ चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल के साथ भारत की यात्रा करेंगे। लेकिन कहां कहां जाएंगे, अभी तक पक्का नहीं है। अगर हम बरेली की यात्रा कर सकें, तो हम ज़रूर शकील भाई से भेंट करेंगे।
विकासः अच्छा, समय के अभाव के कारण आज का कार्यक्रम यहीं तक समाप्त होता है। अब विकास व चंद्रिमा को आज्ञा दीजिये। नमस्ते।
चंद्रिमाः नमस्ते।