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जुड़वा बच्चों का गांव
2012-01-30 10:39:31

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। बहुत खुशी के साथ आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में। मैं हूं आपकी दोस्त, चंद्रिमा।

विकासः और मैं हूं आपका दोस्त, विकास।

चंद्रिमाः विकास जी, आजकल हमें श्रोताओं से कुछ मूल्यवान् उपहार मिले हैं। क्या आप इसे देखना चाहते हैं?

विकासः वाह, उपहार!क्या चीज़ है?मुझे दिखाइये।

चंद्रिमाः अच्छा, पहला उपहार है एक पुस्तक।

विकासः ओह, चंद्रिमा जी। आपने कहा तो बहुत मूल्यवान् चीज़ है। मेरे ख्याल से वह ज़रूर कुछ सोने या आभूषण ही होगा। लेकिन वह केवल एक साधारण पुस्तक है।

चंद्रिमाः पर विकास जी, आप ध्यान से देखिये। वह पुस्तक सचमुच एक साधारण पुस्तक नहीं है। इसके लेखक हमारे प्यारे श्रोता कृष्ण मुरारी सिंह किसान हैं। और पुस्तक का शीर्षक है मेरी चीन यात्रा की झलक।

विकासः मुरारी सिंह जी, सुना है कि उन्हें लेख व कविता लिखने का बहुत शौक है। इस पुस्तक में उन्होंने क्या लिखा है?चंद्रिमा जी, हमारे श्रोताओं को बताइये।

चंद्रिमाः ठीक है। वर्ष 2006 में मुरारी सिंह जी ने सी.आर.आई. के निमंत्रण पर चीन की यात्रा की। यह यात्रा सी.आर.आई. की 65वीं वर्षगांठ को समर्पित आयोजित प्रतियोगिता का विशेष विजेता होने पर की गई थी। इस यात्रा की याद में उन्होंने यह पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में मुरारी जी की चीन यात्रा के अलावा चीन से जुड़ी खूब जानकारियां भी मौजूद हैं। इस के साथ यात्रा में खिंचे बहुत फोटो भी छपे हुए हैं। इसे देखकर उन दिनों की यादें तरोताजा हो जाती हैं। इस बार सी.आर.आई. की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर मुरारी जी ने यह पुस्तक एक उपहार के रूप में हमें भेजा है। इस पुस्तक को देखकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है।

विकासः वाह, मेरे ख्याल से यह सचमुच एक मूल्यवान् उपहार है। बहुत-बहुत धन्यवाद, मुरारी साहब। और क्या उपहार मिले हैं, चंद्रिमा जी?

चंद्रिमाः हमें एक सी.डी. भी मिला है, जो ऑल इंडिया सी.आर.आई. लिस्नर्स अस्सोसिएशन द्वारा भेजा गया।

विकासः तो इस सी.डी. में क्या रहस्य छिपा हुआ है?

चंद्रिमाः लिफ़ाफ़े में सी.डी. के साथ एक पत्र भी शामिल है। इसे पढ़कर आप ज़रूर जान जायेंगे।

विकासः अच्छा। इस पत्र में ऐसा लिखा है कि मैं बिधान चंद्र सान्याल भारत में ऑल इंडिया सी.आर.आई. लिस्नर्स अस्सोसिएशन स्थापित किया हूं। हमारे अस्सोसिएशन के लोकल क्षेत्र में 150 से अधिक सदस्य हैं। देश के अलग-अलग भागों में 31 शाखाएं हैं। कुल मिलाकर 500 से ज्यादा सदस्य हैं। हम सब सी.आर.आई. के प्रोग्राम एक साथ सुनते हैं। चीन की संस्कृति और सी.आर.आई. के प्रचार-प्रसार के लिये डी.एक्स. प्रदर्शनी करते हैं। इस के अलावा बहुत सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम कर रहे हैं। हम गरीब लड़कियों के विवाह भी कर रहे हैं। दोस्तों को चिकित्सा सेवा भी देते हैं। निःशुल्क कॉचिंग केंद्र भी शुरू कर दिया है, जिसमें विद्यार्थियों को निःशुल्क कॉचिंग मिल सकता है। हम एक वीडियो सी.डी. आपके लिये भेजते हैं। आप से अनुरोध है कि आप इस सी.डी. को हिन्दी वेबसाइट पर डालें।

चंद्रिमाः बिधान चंद्र जी, आप की इच्छा हम ज़रूर पूरा करेंगे। क्योंकि आप का अस्सोसिएशन इतनी सार्थक गतिविधियां आयोजित कर रहा है। हम सभी श्रोताओं व नेटेज़नों को इसे दिखाना चाहते हैं।

विकासः चंद्रिमा जी, क्या आपने यह वीडियो सी.डी. देखा है?इस में क्या विषय है?

चंद्रिमाः जी हां, मैंने संक्षेप में इसे देख लिया। इस में ऑल इंडिया सी.आर.आई. लिस्नर्स अस्सोसिएशन द्वारा आयोजित कई गतिविधियों का परिचय दिया गया। तस्वीर बहुत साफ़ है। गौरतलब है कि इस अस्सोसिएशन ने सदस्यों को बुलाकर वर्ष 2008 में आयोजित पेइचिंग आलंपिक का उदघाटन समारोह की वीडियो देखने की गतिविधि भी आयोजित की।

विकासः यह बहुत अच्छी बात है। मेरी याद में पेइचिंग आलंपिक के दौरान एक गीत बहुत लोकप्रिय था। जिस का नाम पेइचिंग आप का स्वागत है। लगभग सभी चीनी लोग इसे गा सकते हैं। मैं भी यह गीत बहुत पसंद करता हूं।

चंद्रिमाः आपने बिल्कुल ठीक कहा। यह गीत सचमुच बहुत मधुर है, और आसानी से गाया जा सकता है। तो अब हम पेइचिंग आलंपिक का स्मरण करने के लिये यह गीत सभी श्रोताओं को पेश करेंगे।

विकासः इस गीत के गायक व गायिका बहुत हैं, जो सभी चीन के प्रसिद्ध सितारे हैं। और इस गीत के बोल ऐसे हैं सुबह के स्वागत में एक नया दिन आया। वातावरण बदल गया, पर प्रेम व दोस्ती नहीं बदले। हमारे घर का द्वार हमेशा आपके लिये खुला है। परिचित होकर आप यहां से प्यार करेंगे। चाहें दूर या नज़दीक आप सभी तो मेहमान हैं। एक साथ आइये, हम आपका स्वागत करते हैं। पेइचिंग आप का स्वागत है। यहां सुन्दरता व उत्साह भरा हुआ है। पेइचिंग आप का स्वागत है। सूर्य किरण में हम एक साथ सांस लेते हैं, और पीली मिट्टी पर नयी उपलब्धियां प्राप्त करेंगे।

चंद्रिमाः अच्छा मधुर गीत सुनने के बाद अब हम पत्र पढ़ने को जारी रखें। जिला बस्ती, उत्तर प्रदेश के पीस रेडियो लिस्नर्स कल्ब के हमारे श्रोता कृष्ण कुमार जायसवाल ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि उन्होंने हमारे कार्यक्रम में तिब्बत में चाय पान के बारे में विस्तृत रिपोर्ट सुना। यह जानकर खुशी हुई कि तिब्बती लोग किसी भी पर्व त्योहार, किसी भी समय चाय को अपने प्रमुख पेय-पदार्थ मानते हैं। 15 सौ साल पहले चाय तिब्बत के लोग प्रयोग में लाते थे। और चीनी लोक गीत कार्यक्रम में चीन की अल्पसंख्यक जाति का एक गीत सुना, जो बहुत रोचक अच्छा लगा।

विकासः इस पत्र के साथ उन्होंने एक सवाल भी पूछा कि चीन में ऐसा कौन सा प्रांत है, जहां जुड़वा बच्चे अधिक पैदा होते हैं?और क्या कारण है कि उस क्षेत्र में जुड़वा बच्चे अधिक पैदा होते हैं?

चंद्रिमाः विकास जी, सुना है कि आपने इस के बारे में एक रिपोर्ट दी है, तो क्या आप इस सवाल का जवाब दे सकते हैं?

विकासः जी हां। चीन में विश्व का सबसे बड़ा जुड़वा बच्चों का गांव है। वह यूनान प्रांत के पूअर शहर के मोच्यांग काऊंटी में स्थित है। यहां न सिर्फ़ मानव बल्कि पौधा व फल में भी जुड़वा बच्चे की स्थिति मौजूद है। इसलिये मोच्यांग को जुड़वा बच्चों का गांव कहा जाता है। जुड़वा बच्चों का पैदा होना एक विशेष स्थिति पर निर्भर करता है, जो हजार लोगों में केवल एक व्यक्ति ऐसी स्थिति में है। पर मोच्यांग काऊंटी में 3 लाख 60 हजार की कुल जनसंख्या में हजार से ज्यादा जुड़वा बच्चे हैं। खास तौर पर इस काऊंटी के होशी गांव में जुड़वा बच्चों की अनुपात 4 प्रतिशत से अधिक है । वर्ष 2005 से हर मई की 1 तारीख से 3 तारीख तक मोच्यांग में अंतर्राष्ट्रीय जुड़वा बच्चा दिवस आयोजित किया जाता है। पर क्यों यहां इतने जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं, अभी तक कोई स्पष्ठ जवाब नहीं मिला। एक स्थानीय हानी जाति के बूढ़े के अनुसार होशी गांव में एक रहस्य कुआं है, जब पति-पत्नी इस कुआं से पानी लेकर पीते हैं, तो जुड़वा बच्चे पैदा हो सकते हैं। और कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि वह शायद यहां के भूगोल, मौसम व मानव के डी.एन.ए. से जुड़ा हुआ है। पर इसका ठोस कारण आज तक एक गुप्त बात है।

चंद्रिमाः यह जुड़वा बच्चों का गांव सचमुच बहुत दिलचस्प है। श्रोता दोस्तो, अगर आप को भी जुड़वा बच्चे चाहिए, तो होशी गांव में जाकर उस कुआं से पानी पीजिये। आप की इच्छा ज़रूर पूरी होगी।

विकासः अच्छा, कार्यक्रम समाप्त होने से पहले हम और एक पत्र पढ़ते हैं।

चंद्रिमाः विकास जी, क्या आप को याद है कि हमने बिहार रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष बिमलेन्दु जी से इन्टरव्यू लिया?

विकासः मैं कैसे भूल सकता हूँ। वे एक बहुत उत्साहपूर्ण श्रोता हैं, जिन्होंने हमें गहरी छाप छोड़ी।

चंद्रिमाः जी हां, और उन्हें गीत गाने को भी खूब आता है। इन्टरव्यू में उन्होंने हमें यह प्रतिभा भी दिखायी है।

विकासः पर चंद्रिमा जी, आपने क्यों बिमलेन्दु जी की चर्चा की।

चंद्रिमाः क्योंकि उन्होंने हमें भेजे पत्र में एक भोजपुरी गीत व एक छोटी कविता भी लिखा है।

विकासः ओह, उन्होंने क्या लिखा है।

चंद्रिमाः इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि प्रिय दोस्त विकास जी, आप से फोन पर बातचीत हुई, तो आपने कहा था कि आप कोई अपना भोजपुरी गीत भेजिये। हम उसे श्रोता वाटिका द्वारा अपने सभी श्रोता मित्रों तक पहुंचायेंगे। तो आपके कथनानुसार मैं अपना एक भोजपूरी गीत श्रोता वाटिका हेतु भेज रहा हूं। आप पहले इसे श्रोता वाटिका द्वारा श्रोता मित्रों तक पहुंचाये। और श्रोता वाटिका मेरे पास भी भेज दें। तत्तपश्चात मेरे द्वारा इस गीत को फोन पर गवाकर फिर प्रसारण कर दें। इस के लिये मैं आप का आभारी रहूंगा। आप यह जान चुके हैं कि मैं एक भोजपुरी फिल्मों का सफल गीतकार हूं।

विकासः बहुत बहुत धन्यवाद, बिमलेन्दु साहब। आपके हमारे कार्यक्रम का समर्थन के लिये हम बहुत प्रभावित हैं। मैं आपसे संपर्क रखकर इन्टरव्यू लूंगा।

चंद्रिमाः विकास जी, इस पत्र में बिमलेन्दु जी एक शेर भी अर्ज करते हैं। वह ऐसा है:हर चाहत के पीछे कोई कहानी नहीं होती, उमर भर के लिये जवानी नहीं होती। बगैर हम सफर जिन्दगानी नहीं होती, कुछ तो असर होता है मुहब्बत में, वरना!गोरी राधा सांवले श्याम की दिवानी नहीं होती। कैसा लगा यह छोटा सा शेर, विकास जी?

विकासः सुभानअल्लाह। हम तो आपके शायरी के कायल हो गये हैं। ऐसे तो मुझे शायरी नहीं आती है फिर भी एक शायरी पेश करने की गुस्ताखी कर रहा हूँ। अगर श्रोताओं को पसंद आए तो ताली जरूर बजाइएगा। शेर हैः मिला वो भी नहीं करते, मिला हम भी नहीं करते। गिला वो भी नहीं करते, शिकवा हम भी नहीं करते। किसी मोड़ पर टकराव हो जाता है अक्सर, रूका वो भी नहीं करते, ठहरा हम भी नहीं करते।

चंद्रिमाः क्या बात है। बहुत खूब विकास जी। अच्छा, श्रोता दोस्तो, समय के अभाव से आज का आपका पत्र मिला कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। पर इसके बाद और कुछ रंगारंग विषय शामिल हैं।

विकासः अब बारी है आप की आवाज़ ऑन लाइन की।

चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, आज का कार्यक्रम आप को कैसा लगा?अगर हमारे कार्यक्रम के बारे में आप लोगों का कोई सुझाव हो, तो जल्द ही पत्र या ई-मेल भेजकर हमें बताइये।

विकासः हम आप लोगों के पत्र पढ़ने की प्रतीक्षा में हैं।

चंद्रिमाः अब मैं और विकास को आज्ञा दें, नमस्कार।

विकासः नमस्कार।

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