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सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ की बधाई
2011-12-01 16:20:01

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में। चंद्रिमा का प्यार भरा नमस्कार।

विकासः आप सभी को विकास का भी नमस्कार। पिछले कार्यक्रम में सी आर आई की 70वीं वर्षगांठ समारोह की तैयारी में व्यस्त होने के कारण नहीं आ पाया। इसके लिए श्रोताओं से क्षमा भी मांगना चाहता हूँ।

चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, अब हम एक साथ ताली बजाएंगे, हमारे प्रसिद्ध गायक विकास जी का स्वागत करने के लिये।

विकासः ओह, चंद्रिमा जी, आप तो मजाक कर रही हैं। मैंने केवल सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में एक छोटा सा गीत गाया है, गायक बनने की बात तो बहुत दूर है।

चंद्रिमाः लेकिन विकास जी, आप नहीं जानते हैं, हमारे मन में तो आप एक पसंदीदा गायक बन गये हैं। तो बताइये मंच पर प्रोग्राम प्रस्तुत करने का अनुभव कैसा रहा?और हमारे श्रोताओं को इस समारोह का थोड़ा सा परिचय दीजिये।

विकासः सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि मैं एक गायक नहीं हू। इसके लिए मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे सी आर आई की 70 वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल होने का मौका मिला तथा सी आर आई को तहेदिल से धन्यवाद जो मुझे इस समारोह में शामिल होने का मौका दिया। यह समारोह विशेष रूप से सी आर आई की 70 वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए सी आर आई के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों द्वारा तैयार किया गया था। कुल मिलाकर लगभग 20 कार्यक्रम थे जिसमें देशी और विदेशी कर्मचारी शामिल थे। कार्यक्रम का मुख्य विषय इतिहास से सबक और भविष्य का आलिंगन था। इन कार्यक्रमों के द्वारा न केवल सी आर आई की विशेषताओं का उल्लेख किया गया है बल्कि दैनिक जीवन में हमारे कर्मचारी विभिन्न तरह की कठिनाइयों का सामना करते हुए भी कार्यक्रम की गारंटी को बरकरार रखते हैं। मैंने इस कार्यक्रम में एक अमरिकी गीत को चीनी भाषा में गाया है और एक हिंदी गीत भी गाया है जोकि चीनी और हिंदी का रिमिक्स है। यह पहला मौका है जब मैं चीन में किसी कार्यक्रम में लगभग हजारों की संख्या में दर्शकों के सामने स्टेज पर आया। अंत में, मैं उन लोगों को भी धन्यवाद देना चाहूंगा जिनके मार्गदर्शन में हम लोगों ने इतना अच्छा कार्यक्रम पेश किया।

चंद्रिमाः वाह, इतना शानदार समारोह है। विकास जी, आप शायद न जानते कि यह समारोह चीन के राष्ट्रीय टी.वी. स्टेशन सी.सी.टी.वी. के अंतर्राष्ट्रीय चैनल में भी प्रसारित किया गया है। हालांकि सभी लोग इस समारोह में शामिल नहीं हो सके, लेकिन हमारे सी.आर.आई. के सभी कर्मचारी और सारे चीनी लोग टी.वी. पर यह समारोह देख सकते हैं।

विकासः ओह, सच?क्या बात कर रहीं हैं!मुझे तो यह पता भी नहीं था।

चंद्रिमाः जी हां। बिल्कुल सही है। इसलिये विकास जी, ध्यान रखिये। शायद आज से जब आप रास्ते पर चलेंगे, तो सुन्दर लड़कियां आप के पिछे भागते हुए आप से हस्ताक्षर मांगेंगी । वे ज़रूर यह कहेंगी कि ओह, गायक विकास जी, मुझे एक हस्ताक्षर दीजिये। दीजिये है न?हाहाहा।

विकासः चंद्रिमा जी। आप तो मेरा मज़ाक बना रही हैं। लेकिन मेरी भी इच्छा है कि लड़कियां मेरे पिछे-पिछे मेरा ऑटोग्राफ लेने के लिए भागे। हा हा हा

चंद्रिमाः अच्छा, अच्छा, अच्छा। मेरे ख्याल से मैंने आप की इतनी तारीफ़ की है कि श्रोताओं को ज़रूर आप द्वारा गाया गया गीत सुनने का मन कर रहा होगा।

विकासः अरे, चंद्रिमा जी, आपने क्या किया और क्या करेंगी?

चंद्रिमाः कुछ भी नहीं, मैं केवल चुपके से आप लोगों के कार्यक्रम की आवाज़ रिकार्ड की, और अब मैं इसे प्रसारित करूंगी।

विकासः ओ, नो।

चंद्रिमाः श्रोताओ, कैसा लगा?मुझे तो ये गीत बहुत पसंद है। खास तौर पर दूसरा गीत, जो विकास जी और एक चीनी लड़की ने एक साथ गाया है। उन्होंने चीनी और हिन्दी दोनों भाषाओं में यह गीत पेश किया। और सभी लोगों के सामने इस गीत का एक नया रुपरंग दिखाया गया, जिसने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। और मेरे विचार में ऐसा करके हिन्दी चीनी भाई भाई का अर्थ भी इस में शामिल किया है।

विकासः बहुत बहुत धन्यवाद, चंद्रिमा जी। यह सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई।

चंद्रिमाः अच्छा, विकास जी, अब हम आप की मधुर आवाज़ से हमारे कार्यक्रम में वापस लौटें, ठीक है न?

विकासः जी हां। पर चर्चा का विषय अभी भी सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ ही है। क्योंकि हाल ही में बहुत नेटीज़नों ने इस विषय के बारे में हमें पत्र भेजा है। वास्तव में पूरे साल में यह एक ध्यानाकर्षक व गरमा गरम चर्चा का विषय रहा है।

चंद्रिमाः जी हां, आप ने बिल्कुल ठीक कहा। अब हम इस से जुड़े कुछ पत्र पढ़ेंगे। हमारे सक्रिय श्रोता अमीर अहमद ने यह लिखा है कि सबसे पहले मैं चीनी सरकार के पूर्वज नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ कि उन्होंने समुद्री पार श्रोताओं के लिए 70 वर्ष पहले रेडियो पेकिंग की स्थापना का फैसला किया और हम समुद्री पार श्रोताओं को चीन के बारे में घर बैठे ये सुविधा प्रदान की। मैं आभारी हूँ चाइना रेडियो के सभी पूर्व कर्मचारियों का, जिन्होंने खून पसीना एक करके हम समुद्री पार श्रोताओं के लिए अधिक जानकारी दी। मैं आज भी सच्चे दिल से उन्हें नमन करता हूँ।

विकासः उन्होंने यह भी लिखा है कि मुझे विश्वास है कि जो सपना चेयरमैन माओ ने देखा था वो पूरा हो चुका होगा। क्यों कि मैंने खुद बीजिंग जाकर सी आर आई के कर्मियों को देखा है सच में कितना मेहनत से हमारे लिए कार्यक्रम बनाते हैं सी आर आई के कर्मी अपने श्रोताओं से बहुत प्यार भी करते हैं। आज CRI अपनी स्थापना की 70वीं वर्षगांठ मना रहा है जितनी ख़ुशी cri को है उससे कहीं ज्यादा हमें है।

चंद्रिमाः मो. सज्ज़ाद होसैन ने अपने पत्र में यह लिखा है कि मुझे बहुत खुशी हुई कि मेरा सब से पसंदीदा रेडियो स्टेशन सी.आर.आई. अपनी 70वीं वर्षगांठ की खुशी मनाएगा। बचपन से ही मेरा चीन का बड़ा शौक है। जब मैं स्कूल के तीसरे साल में था, तो मैंने पाठ्यपुस्तक में चीनी बच्चों के बारे में एक कहानी पढ़ी थी। इस कहानी में उन के चरित्र, सभ्यता, विश्वास और स्कूली जीवन आदि विषय शामिल किये गये हैं। मेरे ख्याल से मेरी और चीनी बच्चों के बीच बहुत समानताएं हैं। उसी समय से ही मैं चीन को प्यार करने लगा। पाठ्यपुस्तक से मैंने चीन की लंबी दिवार भी जानी, लेकिन उस समय चीन से जुड़ी ज्यादा जानकारियां प्राप्त नहीं हो सकी। जब मैं स्कूल के 11वें साल में था, तो मैंने एक शॉट वेव रेडियो खरीद लिया। एक रात को जब मैं रेडियो को ट्यूनिंग कर रहा था, तो मौके पर मैंने सी.आर.आई. का कार्यक्रम सुन लिया। उसी समय से ही मैंने चीन को जानने के लिये एक खिड़की ढूंढ़ पाया।

विकासः उन्होंने आगे लिखा है कि उसी रात से मैं प्रति दिन सी.आर.आई. के कार्यक्रम सुनता हूं, और चीन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां प्राप्त करता हूं। अब मैं लंबी दिवार के अलावा चीन का प्रासाद महल, स्वर्ग मंदिर, समर पेलेस, फिंगयाओ पुरातन शहर, कंफ्युशियस मंदिर, व लीच्यांग पुरातन शहर आदि को भी जानता हूं। केवल सी.आर.आई. के एकमात्र माध्यम से मैं यह सब जानता हूं। सी.आर.आई. का एक श्रोता बनने से मैं बहुत गर्व महसूस करता हूं। चीन का आर्थिक विकास बहुत तेजी से हो रहा है। विश्व के लगभग हर कोने में आप लोगों को चीनी माल मिल सकता है। मेरे ख्याल से चीन विश्व अर्थतंत्र व्यवस्था को बढ़ाने में एक बड़ी शक्ति होगा। और मुझे आशा है कि चीन और सी.आर.आई. का भविष्य और उज्जवल होगा।

चंद्रिमाः बहुत बहुत धन्यवाद, मो. सज्ज़ाद होस्सेन साहब। और हमारी श्रोता पी श्रीलक्ष्मी रेड्डी ने अपने पत्र में यह लिखा है कि बधाई हो और चाइना रेडियो इंटरनेशनल की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुभकामनाएं। इस के बाद उन्होंने सी.आर.आई. के इतिहास के बारे में खूब लिखा है। जैसे रेडियो मूलतः 1920 के दशक और 1930 के दशक में चीन में विकसित हुआ है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने सब से पहले 1940 मार्च में एक ट्रांसमीटर के साथ येनआन में रेडियो से युक्त पार्टी मास्को से वापस लाया। और शिनह्वा नई चीनी रेडियो 3 दिसंबर, 1941 पर येनआन से प्रसारित किया गया। जब चीन लोक गणराज्य का 1949 में गठन किया गया था, इसका नाम 10 अप्रैल 1950 को रेडियो पेकिंग में बदल दिया गया था। 1 जनवरी, 1993 को इस स्टेशन का नाम फिर से बदल कर चाइना रेडियो इंटरनेशनल रख दिया गया।

विकासः श्रोता दोस्तो, विश्वास है कि मिस रेड्डी के परिचय से आप लोग सी.आर.आई. के बारे में कुछ नयी जानकारियां भी मिली होगी। अब हम मज़ा लें सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ के समारोह में पेश गीतों से।

चंद्रिमाः अच्छा, मधुर गीत की सिलसिले को ज़रा रोककर हम और कुछ पत्र पढ़ेंगे।

विकासः काठमांडु, नेपाल के हमारे श्रोता चेतनाथ आचार्य ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि चाइना रेडियो इन्टरनेशनल चीन का एकमात्र राष्ट्रीय रेडियो स्टेशन है, जो विदेश में कार्यक्रम प्रसारित करता है। सी.आर.आई. चीन की तीन केंद्रीय मीडिया संस्थाओं में से एक है। अन्य दो मीडिया संस्थाएं सी.एन.आर. और सी.सी.टी.वी. हैं। विश्व के श्रोताओं में सी.आर.आई. बहुत लोकप्रिय है। सी.आर.आई. का लक्ष्य है चीनी जनता और विश्व की जनता के बीच आपसी समझ व मित्रता को बढ़ावा देना। सी.आर.आई. के कार्यक्रम में न्यूज़, सामयिक चर्चा, राजनीति, अर्थव्यवस्था, संस्कृति, विज्ञान व तकनीक आदि भिन्न-भिन्न विषय शामिल हैं। अब वह विश्व में सब से बड़ा रेडियो स्टेशन बन गया है। सी.आर.आई. द्वारा एकता, मित्रता, शांति व विचारों का आदान-प्रदान विश्व के श्रोताओं में फैल रहे हैं। इस के अलावा सी.आर.आई. ने अपनी ध्यानाकर्षक ऑनलाइन सेवा भी शुरू की, जिससे विश्व के नेटेज़नों के लिये चीन को जानने का एक विश्वासनीय रास्ता तैयार हुआ है।

चंद्रिमाः कोआथ बेलाल बोमबाया के श्रोता सरफुद्दीन अंसारी, हेलाल खान, जीनत परवीन, सानिया और तानिया ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि सब से पहले आप लोगों को CRI की 70वीं वर्षगांठ की हार्दिक बधाई हो! काफी दिनों के बाद हम पत्र भेज रहे हैं ! आप लोगों द्वारा प्रस्तुत सभी प्रोग्राम बेहद अच्छा हो रहा है! CRI के तमाम लोगों को 70वीं वर्षगांठ की हार्दिक बधाई!!

विकासः उन के अलावा पश्चिम बंगाल के ऑल इंडियन सी.आर.आई. लिस्नर्स अस्सोसिएशन के अध्यक्ष बिधानचंद्र सान्याल और न्यू होरिज़ोन रेडियो लिस्नर्स कल्ब के सचिव रवि शंकर बसु ने भी सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ के आधार पर बनाए गये कुछ फोटो या सुन्दर चित्र आदि सामग्री भेजे हैं। हमने श्रोता वाटिका के संपादक को ये सभी सौंप दिया है। आशा है श्रोता वाटिका के अगले अंक में इसे शामिल किया जा सकेगा।

चंद्रिमाः विकास जी, उन लोगों के पत्रों को देखकर मैं बहुत प्रभावित हूं। खास तौर पर रवि शंकर बसु जी का पत्र। क्योंकि वे पश्चिम बंगाल में रहते हैं, और हिन्दी नहीं लिख सकते, और बोलने में भी बहुत मुश्किल है। लेकिन एक बार उन के साथ बातचीत में उन्होंने हमें यह वादा किया है कि वे हिन्दी सीखेंगे, और जल्द ही हमें हिन्दी भाषा में पत्र लिखेंगे। इस बार उन का सारा पत्र तो हिन्दी भाषा में लिखा गया है। मैंने नहीं सोचा था कि वे इतनी तेजी से हिन्दी सीख सकते हैं और लिख भी सकते हैं। उन्होंने ज़रूर बड़ी कोशिश की है।

विकासः जी हां, मैं आप की बातों से बिल्कुल सहमत हूं। और यहां हम रविशंकर बसु जी समेत हमारे सभी श्रोताओं, जो हमारा समर्थन देते हैं, को धन्यवाद देना चाहते हैं। हालांकि दिसंबर के बाद सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ भी समाप्त हो जाएगी। पर आशा है कि आप लोग पहले की ही तरह हमारा समर्थन दे सकेंगे।

चंद्रिमाः अच्छा, दोस्तो, आज का आप का पत्र मिला कार्यक्रम यहीं तक समाप्त होता है। अगले हफ्ते हम ठीक इसी समय यहां फिर मिलेंगे।

विकासः अब हम साथ साथ सुनें आप की आवाज़ ऑन लाइन।

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