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महाकवि रबिन्द्रनाथ टैगोर की 150 वीं जयंती पर चर्चा
2011-12-01 16:15:19

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। दोस्तो, आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त, चंद्रिमा।

अनिलः और मैं हूं आपका दोस्त अनिल।

चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि आज मैं अनिल जी के साथ प्रोग्राम क्यों पेश कर रही हूं। शायद आपके मन में सवाल होगा कि क्या विकास जी भी बीमार पड़ गए हैं?वैसे कुछ दिन पहले मैं भी बीमारी के कारण आप लोगों के साथ बात नहीं कर सकी थी।

अनिलः लेकिन दोस्तो इस बार ऐसा नहीं है। विकास जी सीआरआई की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित होने वाले समारोह में प्रोग्राम पेश करने की तैयारी में बिज़ी हैं। इसलिये वे आज के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते। लेकिन अगले हफ्ते वे फिर से प्रोग्राम पेश करने वापस आ जाएंगे।

चंद्रिमाः जी हां। तो अनिल जी, क्या हम आज का कार्यक्रम शुरू करें?

अनिलः बिल्कुल चंद्रिमा जी मुझे तो इसी बात का इंतजार है। तो हम प्रोग्राम शुरू करते हैं।

चंद्रिमाः ठीक है। अनिल जी, नवंबर की शुरुआत में आपने महाकवि रबिन्द्रनाथ टैगोर की 150 वीं जयंती पर एक रिपोर्ट पेश की थी। कई श्रोताओं ने इसकी चर्चा की है।

अनिलः जी हां। इस बारे में मेरे पास एक पत्र है, जो हमें भेजा है, इलाहाबाद यूपी के श्रोता रवि श्रीवास्तव ने। वे लिखते हैं कि अनिल जी द्वारा गुरू रबिन्द्रनाथ टैगोर की 150 वीं जयंती पर पेइचिंग विश्वविद्यालय में 2 से 5 नवंबर तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन संबंधी रिपोर्ट अच्छी लगी, धन्यवाद। राजदूत एस. जयशंकर ने टैगोर को आधुनिक भारत-चीन सांस्कृतिक रिश्तों में एक प्रतीक बताया, जो बिल्कुल सही बात है।

चंद्रिमाः वहीं छत्तीसगढ़ के ग्रीन पीस डी एक्स क्लब के अध्यक्ष चुन्नीलाल कैवर्त ने अपने पत्र में यह लिखा है कि रबिन्द्रनाथ टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के धनी तो थे ही, साथ ही आधुनिक चीन-भारत मैत्री पुल के महान रचयिता भी। यह साल महाकवि टैगोर की 150 वीं जयन्ती का साल है। बड़ी खुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर चीन के पेईचिंग विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित किया गया। निश्चित रूप से इस आयोजन से आधुनिक चीन-भारत सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के सभी आयोजकों को हमारे क्लब की ओर से बधाई व धन्यवाद।

अनिलः साथ ही नयी दिल्ली के श्रोता राम कुमार नीरज ने भी इस बारे में वेबसाइट पर लिखा कि महाकवि टैगोर की 150 वीं जयंती पर पेइचिंग विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन से मन बेहद प्रसन्न हुआ। निश्चित रूप से टैगोर एक अति प्रभावशाली व्यक्तित्व थे। यह कथन अक्षरसः सत्य है कि - टैगोर आधुनिक भारत-चीन सांस्कृतिक रिश्तों में एक प्रतीक के तौर पर जाने जाते हैं। वे न केवल एक कवि या लेखक थे, बल्कि कलाकार, संगीतज्ञ्, शिक्षाविद व दार्शनिक के रूप में भी उनकी अपनी एक अलग छवि है।

चंद्रिमाः ये सब देखकर हम बहुत खुश हैं कि आप सभी हमारी रिपोर्टों पर बड़ा ध्यान देते हैं। मेरे ख्याल से रविन्द्रनाथ टैगोर सचमुच एक बहुत महान कवि थे। न केवल उन्होंने बहुत प्रसिद्ध कविताएं व कहानियां रची हैं। बल्कि उन्होंने चीन-भारत की मित्रता को बढ़ाने में बड़ा योगदान भी दिया है। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि चीन व भारत की जनता को मिल-जुलकर सहयोग करना चाहिए। यह दोनों देशों के लिये लाभदायक होगा।

अनिलः जी हां, उम्मीद है कि हम सब लोग टैगोर की इच्छा पूरी करने के लिये पूरी कोशिश करेंगे। तो आज के कार्यक्रम में सबसे पहले हम टैगोर को याद करने के लिये एक बंगाली गीत पेश करेंगे। गीत के बोल हैं दिन गुली मूर। लीजिये सुनिये यह गीत।

चंद्रिमाः इस गीत के बाद हम अब अगले पत्र पर नज़र डालते हैं नौगांव बंगलादेश के फ़्रेंड्स रेडियो कल्ब के अध्यक्ष दिवान रफीकुल इस्लाम ने हमें भेजे ई-मेल में लिखा है कि मैं बड़ी रुचि से आप लोगों के कार्यक्रम सुनता हूं। सी.आर.आई. के कार्यक्रमों से मैं चीन की भाषा, संस्कृति, जीवन शैली व विकास आदि की जानकारियां हासिल करता रहता हूं। हाल के कई वर्षों में हिन्दी भाषा के कई रेडियो स्टेशन बंद हो गये। मुझे आशा है कि सी.आर.आई. के हिन्दी कार्यक्रम कभी बंद नहीं होंगे।

अनिलः इस्लाम जी, आपने सही कहा कि हाल ही में कई विदेशी रेडियो स्टेशनों ने अपने हिन्दी कार्यक्रमों को बंद करने का ऐलान किया, इसमें वॉयस ऑफ अमेरिका से लेकर बीबीसी तक शामिल हैं, लेकिन श्रोताओं की व्यापक डिमांड को देखते हुए बीबीसी प्रबंधन ने अपने प्रोग्राम जारी रखने का फैसला किया है। पर सीआरआई के बारे में आप चिंता मत कीजिये, अब तक हमारी ऐसी कोई योजना नहीं है।

चंद्रिमाः यह सही बात है कि विज्ञान व तकनीक के विकास के साथ साथ ज्यादा से ज्यादा लोग रेडियो या टीवी के बजाय अब इंटरनेट न्यूज या वेब जैसे नए मीडिया माध्यमों के प्रति आकर्षित होने लगे हैं, लेकिन भारत में हमारे कई श्रोता गांव में रहते हैं, और उनके लिये इंटरनेट का इस्तेमाल शायद ज़रा मुश्किल है। और रेडियो सुनना अब भी उनका पसंदीदा काम है, इसलिये कई वर्षों तक हम हिन्दी कार्यक्रम बंद करने की योजना नहीं बनाएंगे।

अनिलः दोस्तो शहर हो या गांव हमारे लिए सभी तरह के श्रोता महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हम सभी का ध्यान रखते हैं, जिन्हें वेब देखना बहुत पसंद हैं, उनके लिये हमने हिन्दी वेबसाइट तैयार की है। यहां मैं हमारी वेबसाइट का पता फिर बताउंगा, वह है https://hindi.cri.cn/। अगर आप हमारे नये श्रोता हैं, और वेबसाइट देखना चाहते हैं तो जल्द ही हमारा नोट कीजिए। आप लोगों को ज़रूर इसमें कुछ जानकारी मिलेगी। पता एक बार फिर। https://hindi.cri.cn/।

चंद्रिमाः अब मैं और एक पत्र पढ़ूंगी। बिलासपुर छत्तीसगढ़ के श्रोता बहोरिक राम साहू ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि आप के चारों सभाओं के कार्यक्रम बहुत ही साफ़ सुनाई देते हैं। आज का तिब्बत कार्यक्रम में चाय का इतिहास, उपयोग और महत्व पर चर्चा की गयी। चाय का असली आनन्द तो तिब्बती वाले लेते हैं। अर्थात तिब्बती लोग स्वर्ग से मिला अमृत पीते हैं। चीनी लोक गीत में"मैं युको जाति की लड़की हूं"नामक एक गीत सुनाया गया। यह गीत बहुत ही सुरीली एवं मधुर थी। सी.आर.आई. से प्रस्तुत समाचार का स्तर अब पहले से बढ़िया होने लगा है। किन्तु समाचार की प्रस्तुति बनावटी लगती है। यदि स्वर परिवर्तन करते हैं, तो दो तीन समाचारों के अंतराल में किया करें। संवाददाता द्वारा सीधे समाचार दिया जाये, तथा उदगार भी समाहित किया जाए, तो समाचार की प्रस्तुति से रंग आ जाएगा।

अनिलः बहोरिक राम साहू जी, हम ज़रूर आपकी राय पर ध्यान देंगे, और इस दिशा में कोशिश भी करेंगे। इस पत्र में साहू जी ने एक सवाल भी पूछा कि चीनी फिल्मों में किस प्रकार के गीत होते हैं?चंद्रिमा जी, कृपया आप इस सवाल का जवाब दीजिये, क्योंकि मैं चीनी फिल्म बहुत कम देखता हूं।

चंद्रिमाः अच्छा। चीनी फिल्मों में गीत संगीत के प्रकार भिन्न-भिन्न हैं। वह फिल्म के विषय के आधार पर पेश किया जाता है। अगर फ़िल्म की कहानी पुरातन राजवंश में बनी है, तो शास्त्रीय संगीत ज्यादा प्रयोग किया जाता है। अगर वह आधुनिक समाज की कहानी है, तो पॉप गीत का प्रयोग ज्यादा है। पर फ़िल्म में शामिल सभी गीत या संगीत ज़रूर फिल्म के विषय से जुड़े हुए हैं। और हर फिल्म को अपने अपने शीर्षक गीत होता है। यह शीर्षक गीत फिल्म के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। अगर यह गीत बहुत लोकप्रिय है, तो जब लोग इस गीत को सुनते हैं या गाते हैं, तो अचानक फिल्म की कहानी फिर दिमाग में आती है।

अनिलः साहू जी, आज हम विशेष तौर पर आपके लिये एक चीनी फिल्म गीत पेश करेंगे। गीत के बोल हैं क्रिसेन्थेमम प्लेटफ़ार्म। यह जो फिल्म कर्स ऑफ़ द गोल्डन फ्लॉवर का शीर्षक गीत है। इस फ़िल्म की कहानी तो महल में बादशाही के संघर्ष से जुड़ी है। लीजिए सुनिए ये गीत।

चंद्रिमाः हम पत्रों की सिलसिला जारी रखते हैं।

अनिलः नारनौल, हरियाणा के श्रोता उमेश कुमार ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि कार्यक्रम चीन की झलक में वनिता जी द्वारा हरित जीवन शैली पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की। इसने काफ़ी प्रभावित किया। हमें हरित विकास का पुरजोर समर्थन करना चाहिए। पवन ऊर्जा तथा सौर ऊर्जा के विकास के कार्य अवश्य होने चाहिये। राकेश जी से चीन में हिन्दी अध्ययन की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट सुनी, जोकि काफ़ी पसंद आई। चीनी छात्रा सूर्यमुखी से हिन्दी में साक्षात्कार सुनकर मन पसंद हो गया। उन से हिन्दी अध्ययन व भारत यात्रा के अनुभव जाने। जब चीनी बंधु के हिन्दी में उदगार सुनता हूं, तो प्रसन्ता होती है। हिन्दी काफ़ी समृद्ध व मीठी भाषा है। चीन व भारत के युवाओं को आपस में यात्राएं करनी चाहिये।

चंद्रिमाः जी हां, उमेश भाई, दोनों देशों के युवाओं के बीच आदान-प्रदान को मजबूत करने के लिये वर्ष 2006 से चीनी प्रधानमंत्री वन च्या पाओ और भारतीय प्रधानमंत्री मन मोहन सिंह ने हर वर्ष सौ युवाओं की एक दूसरे देश की यात्रा करने की योजना बनाई। खास तौर पर इस वर्ष में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की संख्या सौ से पांच सौ तक पहुंच गयी। इस चीन यात्रा ने हर भारतीय प्रतिनिधि पर गहरी छाप छोड़ी।

अनिलः उमेश जी, देखने में आपको भी चीन का बड़ा शौक है। क्योंकि आप के पत्र में हमेशा चीनी भाषा में कुछ शब्द लिखे जाते हैं, जैसे धन्यवाद और नमस्कार। हमें आशा है कि कोई न कोई दिन आप भी भारतीय प्रतिनिधि मंडल के एक सदस्य के रूप में चीन की यात्रा कर सकते हैं।

चंद्रिमाः अब बारी है बारगड़, ओड़िसा के राजंद्र बारिहा के पत्र की। उन्होंने लिखा है कि हिन्दी कार्यक्रम का मैं एक नियमित श्रोता हूं। रोजाना चारों सभाओं में कार्यक्रम जरूर सुनता हूं। चारों प्रसारणों में से सभी कार्यक्रम स्पष्ट और सटीक रूप से सुनाई देते हैं। विविधतापूर्ण कार्यक्रम बनाने में सी.आर.आई. का हिन्दी विभाग ने कामयाबी हासिल की है। संप्रति और अतीत के घटनाक्रमों को ध्यान में रखकर अर्थपूर्ण और व्यवहारिक कार्यक्रम प्रसारण करने के लिये हमेशा प्रयासरत हैं। आप सभी को इसलिये बहुत धन्यवाद।

अनिलः आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद। इसके अलावा राचंद्र ने कुछ कार्यक्रमों की चर्चा भी की। यहां समय के अभाव से हम एक एक कर नहीं पढ़ पाएंगे। लेकिन एक शिकायत ज़रूर पढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि कई दिन हो गये हैं। आपने मेरे पत्रों को कार्यक्रम में शामिल नहीं किया। और कुछ सामग्री भेजने का सिलसिला भी टूट गया है। मैं आप लोगों से बहुत ही नाराज़ हूं। कृप्या मेरे पत्र को शामिल करें, और नयी सामग्री जल्द से भेजें।

चंद्रिमाः गुस्सा न करें राचंद्र जी। शायद आपका पत्र लंबे समय से हमें न मिलने के चलते कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया हो। लेकिन आज हमने आपकी शिकायत दूर कर दी है, आप खुश हैं न?

अनिलः अच्छा, श्रोता दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। अब सुनते हैं आपकी आवाज़ ऑन लाइन।

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