चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। रेडियो के पास बैठे हुए सभी बहनों व भाइयों को चंद्रिमा का प्यार भरा नमस्कार।
विकासः विकास का भी प्यार भरा नमस्कार। आप लोगों का आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुनने का हार्दिक स्वागत।
चंद्रिमाः श्रोताओ, कार्यक्रम के सब से पहले हम आप सभी लोगों को यह कहना चाहती हैं कि हैपी दिवाली।
विकासः जी हां, आशा है सभी लोग दिवाली के सुअवसर पर सौभाग्यशाली होंगे, और आन्नदमय होंगे। पटाखों की गूंज से आपके घर की सारी बुराईयां भाग जाएंगी और धूप की सुगंध से सभी अच्छी चीजें आपके घर में प्रवेश करें।
चंद्रिमाः विकास जी, हमारे बहुत श्रोताओं ने आजकल ई-मेल से हमें दिवाली की शुभकामनाएं दीं है। जैसे कोलकत्ता के खोकान नसकर, पश्चिम बंगाल के माधवचंद्र सैगोर, नेटीज़न अशोक बजाज, खान रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष अमानतउल्लाह खान व ऑल इंडिया सी आर आई लिसनर्स ऐसोशिएशन के अध्यक्ष विधानचंद्र सान्याल आदि लोगों ने ई-मेल द्वारा हमें भेजे पत्र में दिवाली की खूब शुभकामनाएं दीं।
विकासः यहां हम आप सभी लोगों को सच्चे दिल से धन्यवाद देना चाहते हैं। और आप लोगों को दिवाली के मुबारकबाद भी देते हैं।
चंद्रिमाः दिवाली की खुशी में आज हम सभी श्रोताओं को और एक जोशभरा खबर सुनाएंगे।
विकासः जोश भरा खबर है तो कोई अच्छी खबर ही होगी। क्या खबर है? चंद्रिमा जी।
चंद्रिमाः वह है तिब्बत का कायापलट शीर्षक ज्ञान प्रतियोगिता के विजेताओं के नामसूची आज हम प्रसारित करेंगे।
विकासः बहुत अच्छी बात है। क्योंकि बहुत श्रोता पुरस्कार मिलने की प्रतीक्षा में हैं। यहां तक कि कई लोगों ने लंबे समय तक वितेजाओं के नामसूची न सुनने की शिकायत भी की है।
चंद्रिमाः धैर्य रखिए, दोस्तो। क्योंकि इस बार हम सभी विजेताओं के लिये कुछ विशेष पुरस्कार तैयार करने की कोशिश कर रहे थे, इसलिये ज्यादा समय लगा। कई दिनों पहले हम ने पुरस्कार के सभी सामान प्राप्त किये हैं। इसलिये आज यानि दिवाली की खुशी में हम विजेताओं के नामसूची की घोषणा करेंगे।
विकासः इस बार की प्रतियोगिता में कुल 15 लोगों को पहला पुरस्कार मिला। वे क्रमशः हैं: पंजाब पाकिस्तान से अब्दुल करीम मलिक, हैदराबाद भारत से श्रीलक्ष्मी रेड्डी, लाहौर पाकिस्तान से मुहम्मद जुबैर, खान रेडियो लिसनर्स क्लब से अमानतउल्लाह खान, रामपुराफुल पंजाब से बलबीर सिंह, बांग्लादेश से ए के एम नुरूज्जमान, गुजरात भारत से मकवाना विशाल कुमार धीरूभाल, समस्तीपुर बिहार से पी सी गुप्ता, सीतामढ़ी बिहार से अख्तर हुसैन राजा, नेपानगर मध्यप्रदेश से जयप्रकाश श्रीवास्तव, विदिशा मध्यप्रदेश से युसुफ अली बोहुआ, पटना बिहार से आकांक्षा कुमारी, चांदनी चौक दिल्ली से जगदीश गुप्ता, कर्नाटक भारत से मेहताब अहमद शैक और कल्याण महाराष्ट्र से शबा खान। आप सभी विजेताओं को पुरस्कार के साथ-साथ दिवाली की भी शुभकामनाएं।
चंद्रिमाः अब मैं दूसरा पुरस्कार मिलने वालों के नाम बोलूंगी, जिस की कुल संख्या 20 है। उन सौभाग्यशाली लोगों के नाम हैं: भागलपुर बिहार से डाक्टर हेमंत कुमार, रोहतास बिहार से बेलाल बोमबाया, हैदराबाद पाकिस्तान से खत्री शकील अहमद ताज, नबाबगंज बांग्लादेश से मोहम्मद अब्दुल मन्नान, पटना बिहार से संदीप कुमार, रामपुराफुल पंजाब से मनीष कुमार गोयल, पंजाब पाकिस्तान से मोहम्मद खालिद, भागलपुर बिहार के मनोज कुमार आज़ाद, रतलाम मध्यप्रदेश से लक्ष्मण माल, धनबाद बिहार से नीलू देवी, मउ उत्तर प्रदेश से चन्द्रकेश यादव, रामपुराफुल पंजाब से अशोक गुप्ता, बलिया उत्तरप्रदेश से हफीज गुफरान, मध्य प्रदेश के चाटा लोडी, धनबाद बिहार से अन्नु कुमारी, रामपुर उत्तर प्रदेश से शीराज अहमद, बक्सर बिहार से सरफुद्दीन अंसारी, एटा उत्तर प्रदेश से अनुपम प्रभा जैन, फैजाबाद उत्तर प्रदेश से राम कुमार रावत और रतलाम मध्यप्रदेश से बलवंत कुमार वर्मा। आप सभी विजेताओं को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
विकासः अगर आप लोगों ने अपना नाम पहला व दूसरा पुरस्कार विजेताओं के नामसूची में नहीं सुन पाये हैं, तो आशा है आपका नाम तीसरा पुरस्कार मिलने वालों में शामिल है। कुल 30 श्रोताओं ने यह पुरस्कार प्राप्त किया है। वे हैं: पंजाब पाकिस्तान से मो युनुस, जहानाबाद बिहार से एम ए खान, फरीदपुर बांग्लादेश से इशरत जहान बीथी, रोहतास बिहार से मोहम्मद आसिम, मउनाथ भंजन से रेयाग अहमद कासिम, जमशेदपुर झारखंड से एस एस शर्मा, मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल से एस एम जाकिर हुसैन, मउनाथ भंजन उत्तर प्रदेश से मोहम्मद सलीम, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से दिलशाद हुसैन, आजमगढ़ से ही शमशुद्दीन साकी अदीबी, असम से श्री चंद्र दत्ता, दिल्ली से शमा अख्तर, मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल से करीम फुलवाला, बीजापुर कर्नाटक से प्रसाद चवन, दिल्ली से शौकत अली अंसारी, विराटनगर नेपाल से उमेश रेगमी, बस्ती उत्तर प्रदेश से कृष्ण कुमार जायसवाल, हिसार हरियाणा से सुनीता रानी, पूर्वी चम्पारण बिहार से नगीना कुमार, टाटानगर झारखण्ड से इन्द्रपाल सिंह भाटिया, जालंधर पंजाब से दीपीका, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से मोहम्मद असलम, सोनारपुर कोलकाता से खोकान नसकर, औरैया उत्तर प्रदेश से भरत कुमार वर्मा, पश्चिम बंगाल से विधानचंद्र सान्याल, पाकिस्तान से मजहर हुसैन चिश्ती, उनाव उत्तर प्रदेश से कुलदीप मोहन त्रिवेदी, रामपुराफुल पंजाब से प्रकाश वाती गर्ग, कर्नाटक भारत से मोहम्मद फैजान और मोतीहारी बिहार से बाबू कुमार। आप सभी विजेताओं को भी पुरस्कार मिलने की हार्दिक बधाई।
चंद्रिमाः विकास जी, मेरे ख्याल से इस नामसूची की घोषणा के बाद कुछ श्रोताओं में ज़रूर खुशी का ठिकाना न रहा होगा।
विकासः जी हां, ज़रूर। तो दिवाली की खुशी पर चार चांद लगाने के लिये अब हम एक मधुर भारतीय गीत पेश करेंगे।
चंद्रिमाः अच्छी राय है। तो हम साथ साथ सुनें धूम मचा ले।
विकासः मधुर गीत के बाद अब हम कुछ पत्र पढ़ें। फतेहपुर, राजस्थान के प्रमोद माहेश्वरी ने हमें भेजे पत्र में लिखा है कि कुछ दिनों से कंप्यूटर खराब होने के कारण कार्यक्रमों पर प्रतिक्रिया ई-मेल से नहीं भेज पाया हूं। पत्र लिख रहा हूं। वैसे तो मैं आप के रविवार से लेकर बुधवार तक के कार्यक्रम नियमित रुप से सुनता हूं, और नोट भी करता हूं। आप के समाचार बहुत ताजा होते हैं, और विश्वसनीय हैं। चीन का तिब्बत कार्यक्रम में राष्ट्रीय झंडे वाली दादी मां के माध्यम से आपने तिब्बत में आये परिवर्तन और खुशहाली को दिखाया है, और राष्ट्रीय प्रेम से ओतप्रोत दादी मां के कार्य को सराहना दी है।
चंद्रिमाः माहेश्वरी जी के इस पत्र में तिब्बत से जुड़े कार्यक्रम की खूब चर्चा की गयी। देखने में उन्हें तिब्बत का बड़ा शौक है। पर समय के अभाव से हम इस पत्र को पूरी तरह से नहीं पढ़ सकें। और पत्र के अंत में उन्होंने हमसे उन्हें पत्रिका श्रोता वाटिका को भेजने की इच्छा भी प्रकट की।
विकासः पर माहेश्वरी जी, इस पत्र में आप का पता साफ़ साफ़ नहीं दिखने के कारण इस बार हम आप को नहीं भेज सकते। जब आपका कंप्यूटर ठीक होगा, तो हमें ई-मेल द्वारा अपना पता साफ़ साफ़ लिखिये और भेजिये, उस समय हम ज़रूर आप को श्रोता वाटिका भेजेंगे।
चंद्रिमाः अगला पत्र मुबारकपुर आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के अमीर रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष अमीर अहमद ने भेजा है। इस में उन्होंने लिखा है कि चंद्रिमा जी एवं विकास भाई, मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि मैं 15 जुलाई से 5 दिन की यात्रा पर उत्तर प्रदेश के कई जिले गया, और आज मैं वापस दिल्ली लौट चुका हूं। यात्रा का विषय हमने सी.आर.आई. की 70वीं जयंती की गतिविधि आयोजित करने के मुहिम थी। यह योजना इस लिये महत्वपूर्ण है कि इस से श्रोता संघों में जागरुकता पैदा होगी और वो भी इस वर्ष सी.आर.आई. की खुशियों के साथ साथ प्रसन्नता मना सकेंगे। कई श्रोता संघों ने हम से वादा किया कि हम भी 3 दिसंबर 2011 को हैपी सी.आर.आई. के नाम से गतिविधि आयोजित करेंगे।
विकासः अमीर भाई, सब से पहले हम हिन्दी विभाग के सभी कर्मचारियों की ओर से आप को सी.आर.आई. के लिये की गयी सभी कोशिशों के लिये बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं। आप से हमने सी.आर.आई. के प्रति श्रोताओं का प्रेम अच्छी तरह से महसूस किया है।
चंद्रिमाः जी हां, मेरी याद में पिछली बार जब दीपक कुमार दास जी ने चीन की यात्रा की, तो सी.आर.आई. के दौरे में उन्होंने हमें कई चित्रें दीं। वे सभी बहुत ही सुन्दर हैं, जिन का विषय तो सी.आर.आई. और श्रोताओं के बीच प्रेम के बारे में है। जब हमने सुना है कि ये सभी चित्र अमीर भाई ने अपने हाथों से बनाया, तो हम बहुत प्रभावित हुए। आशा है आप हमेशा सी.आर.आई. का समर्थन दे सकेंगे।
विकासः अच्छा, अमीर भाई के पत्र के बाद अब हम एक कविता सुनाएंगे, जो बंगलादेश के एम.एम.गोलम सारोवार से है। नाम है सी.आर.आई. मेरे सी.आर.आई.।
चंद्रिमाः तुम मेरे जिंदगी के लिये, सी.आर.आई. मेरे सी.आर.आई.
तुम मेरे आनन्द के लिये, सी.आर.आई. मेरे सी.आर.आई.
तुम मेरे आशिर्वाद के लिये, सी.आर.आई. मेरे सी.आर.आई.
तुम मेरे शुभकामना के लिये, सी.आर.आई. मेरे सी.आर.आई
विकासः कविता के साथ उन्होंने यह भी लिखा है कि वे श्रोता वाटिका पत्रिका के लिये यह कविता भेज रहे हैं। आशा है उन की कविता श्रोता वाटिका के नये अंक में शामिल हो सकी।
चंद्रिमाः सारोवार साहब, हम ने आप द्वारा भेजी गयीं सभी कविताओं को श्रोता वाटिका की संपादक सौंप दिया है। हमें भी आशा है कि अगले अंक में श्रोताओं को आप की कविता मिल सकेगी।
विकासः मेरे पास और एक पत्र है, जो बंगलादेश के श्रोता से लिखा हुआ है। वे हैं मोहम्मद अब्दुल मन्नान। इस पत्र में उन्होंने यह लिखा है कि चाइना रेडियो इन्टरनेशनल का कार्यक्रम सुनना हमारे सामान्य जीवन में एक महत्वपूर्ण भाग बन गया। हम यह कह सकते हैं कि सी.आर.आई. विश्व के एक दर्पण की तरह है। रुम में बैठते हुए कार्यक्रम सुनने से हम विश्व के कोने कोने में पैदा हुई घटना जान सकते हैं। हर दिन सी.आर.आई. का कार्यक्रम सुनना हमारी एक आदत बन गयी। और कुछ दिनों से पहले मुझे सी.आर.आई. के हिन्दी विभाग से आयोजित एक प्रतियोगिता में तीसरा पुरस्कार मिला। इस पर मैं बहुत खुश हूं।
चंद्रिमाः मन्नान जी, आप की बातें सुनकर हम भी बहुत खुश हैं। आशा है अगली बार की प्रतियोगिता में आप को पहला पुरस्कार मिल सकेगा। इस के बाद मालवा रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष बलवन्त कुमार वर्मा जी का एक पत्र है। उन्होंने लिखा है कि सी.आर.आई. की सेवा में मालवा रेडियो श्रोता संघ की गतिविधियों के कुछ फोटोग्राफ्स प्रेषित है। सी.आर.आई. का भारत में श्रोता सम्मेलन प्रमिलागंज आलोट जिला रतलाम, मध्य प्रदेश में किया जाए, क्योंकि इस क्षेत्र में सी.आर.आई. के श्रोता अधिक हैं, और यह स्थान रेडियो की दुनिया में जाना माना नाम है। प्रेषित फोटोग्राफ्स श्रोता वाटिका अथवा स्टूडियो के लिये उपयुक्त समझें, तो स्थान दीजियेगा।
विकासः पर खेद की बात है कि वर्मा जी, आप द्वारा भेजे गये बहुत सारे शायद पानी पर जाने के कारण चिपक गये हैं, जो नहीं देखे जा सकते। पर हमने उन में से दो साफ़ फोटो चुनकर श्रोता वाटिका की संपादक को सौंप दिया है। आशा है वे इस का प्रयोग कर सकेंगी।
चंद्रिमाः जी हां। और हम अन्य श्रोताओं के अपने फोटो हमें भेजने की प्रतीक्षा में भी हैं।
विकासः कलेर बिहार के मो.आसिफ़ खान ने हमें भेजे पत्र में लिखा है कि सी.आर.आई. हिन्दी सेवा का मैं नियमित एवं पुराना श्रोता हूं। आप के यहां से प्रसारित सभी कार्यक्रम को सुनता हूं। आपके द्वारा प्रसारित रोज मर्रा की चीनी भाषा सीखें कार्यक्रम मैं नियमित सुनता हूं। यहीं नहीं हमारे श्रोता कल्ब के सदस्य आप के प्रोग्राम को रिकॉर्ड कर चीनी भाषा शब्दों का संग्रह करना भी शुरू कर दिया है। धीरे धीरे चीनी भाषा का ज्ञान बढ़ाने में हम सभी को आसानी होगी।
चंद्रिमाः आसिफ़ खान साहब, आप का पत्र पढ़कर हमें बहुत खुशी हुई। यहां हम आप को यह बताना चाहते हैं कि अगर आप के पास कंप्यूटर हो, और वेब भी पढ़ सकते हैं, तो हमारी वेबसाइट देखिये, इस पर चीनी भाषा सीखें के सभी पाठ होते हैं, आप लोग न सिर्फ वेब पर कार्यक्रम बारी बारी से सुन सकते हैं, बल्कि चीनी अक्षर कैसे लिखने को भी सीख सकते हैं।
विकासः चंद्रिमा जी, एक बहुत आश्चर्यजनक बात है कि नाइजीरिया में भी हमारे श्रोता मौजूद हैं।
चंद्रिमाः ओह, सच?
विकासः जी हां, नाइजीरिया में स्थित हमारे श्रोता मोहम्मद लावन जी न सिर्फ़ हमारे कार्यक्रम सुन सकते हैं, बल्कि वे हिन्दी में हमें पत्र भी लिख सकते हैं।
चंद्रिमाः वाह, उन्होंने क्या लिखा है?विकास जी।
विकासः उन्होंने लिखा है कि प्रिय चाइना रेडियो इंटरनेशनल, नमस्ते। आप कैसे हैं?कैसे तुम्हारा काम?आप का प्रोग्राम, आप की आवाज़ आन लाइन, आप का पत्र मिला, चीनी बोलना सीखें, उन कार्यक्रम मुझे बहुत पसंद है। हर रोज पांच बजे स्थानीय समय पर चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के हिन्दी सेवा मेरा साथ है। मैं हमेशा चाइना रेडियो इन्टरनेशनल सुनना चाहूंगा। सी.आर.आई. जिन्दाबाद। आशा है कि आप नया श्रोता वाटिका मुझे भेजेंगे। आप का बहुत बहुत धन्यवाद।
चंद्रिमाः मैंने कभी नहीं सोचा था कि नाइजीरिया में हमारे श्रोता भी हो सकते हैं। यह सचमुच एक बहुत ही अच्छी बात है। लावन साहब, हम ज़रूर आप के पते को डाक लिस्ट में शामिल करेंगे, और नियमित रूप से आप को श्रोता वाटिका भेजेंगे।
विकासः अच्छा दोस्तो, इस पत्र के साथ आज का आप का पत्र मिला कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। अगले हफ्ते हम ठीक इसी समय फिर मिलेंगे।
चंद्रिमाः जी हां। पर रेडियो को बंद न करें। क्योंकि आप की आवाज़ आन लाइन कार्यक्रम अभी आपका इंतजार कर रहा है।