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आपकी पसंद 2011-10-08
2011-10-24 16:14:57

 

अनिलः आपकी पसंद सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार। दोस्तो हम फिर आ गए हैं आपकी फरमाईश के गीत लेकर। हमें उम्मीद है कि आपको प्रोग्राम में पेश होने वाले गीत पसंद आ रहे होंगे।

ललिताः श्रोताओं को ललिता का भी नमस्कार।

अनिलः दोस्तो आज के इस प्रोग्राम में हम आपको कुछ चटपटी व रोचक बातों से रूबरू करावाएंगे। साथ ही बातें होंगी फिल्मी दुनिया की भी। इसके साथ-साथ आप सुनेंगे 6 सांग। चलिए अब इंतजार किस बात का, करते हैं प्रोग्राम का आगाज़, दिल को हज़ार बार रोका-टोका सांग के साथ, फिल्म का नाम है मर्डर।

अनिलः कहते हैं कि अगर दिन की शुरुआत अच्छी हो तो दिन भी बहुत अच्छा बीतता है। इसके लिए सबसे जरूरी होता है सुबह जल्दी उठाना। वैसे अक्सर बड़े-बुजुर्ग कहा करते हैं कि सुबह जल्दी उठना चाहिए। लेकिन आजकल की तनाव भरी ज़िंदगी में लोगों के लिए सुबह उठना काफी मुश्किल होता है, और जो उठ भी जाता है तो जल्दबाजी में तैयार होकर काम पर जाना पड़ता है। वैसे आपका अगर मूड खराब रहता है या अपने फिगर को लेकर परेशान हैं तो सुबह जल्दी उठिए, क्‍योंकि एक शोध में पता चला है कि देर से उठने वालों की अपेक्षा जल्दी जागने वाले खुश और स्वस्थ रहते हैं। साथ ही इनका वजन भी नियंत्रण में रहता है। 1100 लोगों पर अध्ययन कर शोधकर्ता इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं कि मात्र 13 प्रतिशत लोग ही सुबह उठ पाते हैं। शोधकर्ताओं ने देखा सुबह जल्‍दी जगने वालों में अवसाद का प्रतिशत कम पाया गया। साथ ही देर तक सोने वालों की तुलना में वे ज्‍यादा स्‍वस्‍थ पाए गए। सुबह जल्‍दी जागने वालों ने कहा कि पूरे दिन वे खुश रहते हैं साथ ही क्रियाशील महसूस करते हैं। वहीं देर से जागने वाले पूरे दिन आलस महसूस करते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि सुबह की हवा में ऑक्‍सीजन की मात्रा ज्‍यादा होती है, यह आपके शरीर की हर एक कोशिका को स्‍वस्‍थ बनाता है। वैसे मुझे भी बचपन में जबरदस्ती सुबह जल्दी उठाया जाता था, मेरा मूड नहीं करता था, लेकिन आजकल मैं कभी-कभी जल्दी उठ जाता हूं, वह भी तब जब मुझे सुबह ऑफिस जाना होता है, लेकिन दोस्तो सुबह जल्दी उठना वाकई में हेल्थ के लिए बेहतर होता है। वैसे मैं भी कोशिश कर रहा हूं जल्दी जागने की, आप लोगों का क्या खयाल है, हमें जरूर लिखिएगा।

ललिताः अब सुनते हैं अगला सांग, फिल्म का नाम है यस बॉस, सांग है मैं कोई ऐसा गीत गाऊं। इसकी फरमाईश की है इस्लामनगर आर्य बाज़ार से रत्नदीप आर्य, बिपिन बिहारी, राघव आर्य, कुलदीप, कपिल कुमार, संजय चौधरी, सुमित मित्तल व डां स्वास्तिक जैन आदि ने।

अनिलः वैसे आज की भागदौड़ भरी लाईफ में लोगों के पास टाइम नहीं होता। ऐसे में अगर तीन घंटे की फिल्म देखनी हो तो और मुश्किल, लेकिन अब इसका भी जवाब मिल गया है। यानी आपके लिए फिल्मों का शॉर्ट कट हाजिर है। इनके जरिए आप महज 15 मिनट में पूरी फिल्म का मजा ले सकते हैं। जाने-माने फिल्म निदेशक के. आसिफ की मेगा हिट फिल्म ' मुगल ए आजम ' की पूरी कहानी को अब आप सिर्फ 19 मिनट में देख सकते हैं। पिछले दिनों वीडियो और एनिमेशन फील्ड की एक जानी-मानी कंपनी ने ऐसी तकनीक बनाई है, जिसकी मदद से आप महज 15 से 20 मिनट में बॉलिवुड की कई क्लासिक फिल्मों को अपने मोबाइल पर भी देख पाएंगे। विडियो बिजनेस से जुड़ी यह कंपनी पिछले करीब सात महीनों से एडिटिंग फील्ड के 20 से ज्यादा कंपनियों के साथ काम कर रही है। पिछले दिनों कंपनी ने दिलीप कुमार व मधुबाला स्टारर ' मुगल ए आजम ' के अलावा धर्मेंद्र व अमिताभ बच्चन की ' चुपके चुपके ' को 14 मिनट में समेटा है। बताया जाता है कि अब तक करीब 12 फिल्मों को शॉर्ट करने का काम पूरा किया जा चुका है। वैसे इन फिल्मों का यूएसपी इनके गाने भी होते थे। इनको कंपनी ने पहले अंतरे तक फिल्म में समेटा है। दरअसल, यह पूरा कॉन्सेप्ट फास्ट लाइफस्टाइल में दर्शकों को पुरानी फिल्मों का पूरा मजा देने के लिए डिवेलप किया गया है, जिसे आसानी से फोन पर डाउनलोड भी किया जा सकेगा।

ललिताः हां तो दोस्तो है ना टाइम सेविंग फंडा। आप फिल्म भी देख सकते हैं और टाइम भी खर्च नहीं होगा। चलिए इस बारे में आगे बात करेंगे, पहले सुनते हैं प्रोग्राम का नेक्स्ट सांग, जिसे हमने लिया है फिल्म धड़कन से गीत के बोल हैं तुम दिल की धड़कन में रहते हो।

अनिलः वैसे हम बात कर रहे थे, फिल्मों के शार्टकट की। यह तकनीक अभी मार्केट में आई नहीं है, लेकिन इसे लेकर लोग काफी एक्साइटेड लग रहे हैं। उनका कहना है कि यह कॉन्सेप्ट वाकई अच्छा है। इस तरह आप पुरानी फिल्मों का बढ़िया मजा ले सकते हैं। और अगर फिल्म दिलचस्प लगे, तो बाद में डीवीडी लाकर पूरी फिल्म एंजॉय की जा सकती है। दोस्तो चर्चा आगे भी जारी रहेगी, पहले सुनते हैं प्रोग्राम का नेक्स्ट सांग, जिसे हमने लिया है फिल्म दिल चाहता है से, बोल हैं वह लड़की है कहां।

ललिताः इसे सुनने की फरमाइश की है जुगसलाई टाटानगर से इंद्रपाल सिंह भाटिया, इंद्रजीत कौर, साबो भाटिया, सिमरन, सोनक, मनजीत, बंटी भाटिया, जानी भाटिया, लाडो भाटिया, मोनी भाटिया, रश्मी व पाले भाटिया आदि श्रोताओं ने।

अनिलः क्या आपको पता है कि इंडिया आजकल दुनिया के फिल्म मेकरों के लिए एक फेवरेट जगह बना हुआ है। हॉलीवुड समेत तमाम फिल्म इंडस्ट्री वाले इंडिया में शूटिंग करने की कोशिश में लगे हैं। भले ही जवाहर लाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन के कथित प्रेम संबंधों पर आधारित ब्रिटेन की फिल्म ' इंडियन समर ' अब भले भारत में न फिल्माई जा सके। मगर सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास ऐसी कई विदेशी फिल्म कंपनियों के आवेदन आए हैं, जो भारतीय विषयों पर फिल्में बनाना चाह रही हैं। ये कंपनियां इनकी शूटिंग भी यहीं करना चाहती हैं। विदेशी फिल्म कंपनियां भारत की प्रेम कहानियों, बासमती चावल, भारतीय मानसून और बॉलीवुड जैसे विषयों पर फिल्में बनाने की योजना बना रही हैं। येल फिल्म्स की ' मानसून शूटआउट ' और अमेरिकी कंपनी फरदर फिल्म्स की ' रेसिंग द मानसून ' को भारत में फिल्माने की इजाजत भारत सरकार ने दे दी है। साथ ही रूस की एक प्रोडक्शन कंपनी ' द इंडियन ' और लंदन की एक कंपनी ' हलो इंडिया ' नाम से बनने वाली फिल्मों को भारत में शूट करेगी। इनके अलावा रोम की ' इंडियन रिंग ' और ' माय इंडिया ' को भी इंडिया में फिल्माने की अनुमति मिल चुकी है।

ललिताः पोग्राम का नेक्स्ट सांग हम पेश कर रहे हैं फिल्म उपकार से, बोल हैं दिवानों से ये मत पूछो। इस सांग को सुनना चाहते हैं जीशान रेडियो क्लब कोआथ बिहार से अब्दुल मोहिब खां, अज़मत खां, मोशारिब खां, ताबिश खां, फैसल खां, रेहान खां, जीशान, आकिब व आतिफ और मस्जिद रोड कोआथ से ही इस गीत को पसंद किया है सैयद अली सईद, शबाना सईद, सना फातमी, राज व प्रिंस आदि ने।

अनिलः इस सांग से पहले हम इंडिया में शूट की जाने वाली फिल्मों पर चर्चा कर रहे थे। बताया जाता है कि कई फिल्मों के विषय बड़े रोचक हैं। कुछ समय पहले अमेरिकी कंपनी रेड ब्रेरॉन को एक म्यूजिकल कॉमेडी ' बासमती ब्लूज ' की शूटिंग की अनुमति दी गई थी। भारत और अमेरिका के मैनहटन में फिल्माई जाने वाली इस फिल्म की थीम वैश्वीकरण है, जो यह बताती है कि जब कृषि आधारित एक मल्टीनेशनल कंपनी केवल फायदे और मुनाफे को अपने व्यापार का एकमात्र सिद्धांत बना लेती है तो क्या होता है। बॉलीवुड भी कई ऐसी फिल्मों का विषय है। आप सुन रहे हैं चायना रेडियो इंटरनेशनल, मैं हूं अनिल। लीजिए अब पेश है प्रोग्राम का अंतिम सांग काईट्स फिल्म से, बोल हैं दिल ये क्यू मेरा शोर करे।

अनिलः दोस्तो इसी गीत के साथ हमारे जाने का वक्त आ गया है। आपसे फिर मुलाकात होगी, कुछ नयी मज़ेदार बातों व सांग्स के साथ। नेक्स्ट वीक इसी टायम इसी डे, तब तक के लिए हमें इज़ाजत दें, बाय-बाय, नमस्ते, शब्वा खैर, अलविदा।

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