चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आप सभी श्रोताओं का स्वागत है। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।
विकासः और मैं हूं आप का दोस्त, विकास।
चंद्रिमाः विकास जी, आजकल हमें बहुत श्रोताओं के पत्र मिले हैं।
विकासः श्रोताओं का पत्र, यह तो बहुत अच्छी बात है।
चंद्रिमाः डाक द्वारा भेजे गये पत्रों के अलावा बहुत श्रोता ई-मेल से भी हमें पत्र लिखने में व्यस्त हैं।
विकासः जी हां, तो चंद्रिमा जी, आज का कार्यक्रम हम कई ई-मेल से शुरू करते हैं।
चंद्रिमाः बिल्कुल ठीक है। बिहार के आबिद हसन ने हमें भेजे ई-मेल में लिखा है कि मैं आप का रेडियो प्रोग्राम प्रति दिन सुन रहा हूं। आप के सारे प्रोग्राम हमें अच्छे लगते हैं। आप का न्यूज़ बहुत ही अच्छा होता है, चंद्रिमा और विकास की आवाज़ बहुत ही अच्छी लगती है। आजकल स्कूल का बहुत सारा काम है, इसलिये प्रति दिन ई-मेल नहीं कर पा रहा हूं। मैं आप लोगों को बहुत मिस करता हूं।
विकासः आबिद भाई को विकास का नमस्कार। आशा करते हैं कि आप हमारे कार्यक्रम को सुनने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी बहुत उत्साह के साथ कर रहे होंगे। लेकिन स्कूल के काम के साथ-साथ हमारे कार्यक्रम को सुनना न भूलिएगा क्योंकि हमारा कार्यक्रम भी चीन और भारत के बारे में कई तरह की जानकारियां उपलब्ध कराता रहता है।
चंद्रिमाः विकास जी, इस ई-मेल में उन्होंने अपने मोबाइल नंबर देने के साथ साथ हमसे इन्टरव्यू लेने की मांग भी की है। और कहा कि वे हमारी फ़ोन की बड़ी प्रतीक्षा में हैं।
विकासः आबिद भाई, हम ज़रूर आप को फ़ोन करेंगे, और आप से इन्टरव्यू भी लेंगे।
चंद्रिमाः विकास जी, हमारे कुछ श्रोता बहुत सक्रिय हैं, जैसे सुरेश अग्रवाल। उन्होंने लगभग हर दिन हमें ई-मेल से पत्र भेजते हैं।
विकासः जी हां। उन्होंने लिखा है कि सी आर आई का भारत में पहला प्रसारण प्रातः साढ़े आठ बजे शुरू होता है तत्पश्चात अगला प्रसारण सुनने हेतु पूरे दस घंटे इंतज़ार करना पड़ता है,जो कि बेहद कष्टदायक होता है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि टेलीविजन चैनलों की तरह सीआरआई हिंदी प्रसारण भी चौबीसों घंटे रेडियो पर उपलब्ध हो ? यदि ऐसा हो सके,तो सचमुच श्रोताओं के लिए यह किसी उपलब्धि से कम नहीं होगा।
चंद्रिमाः सुरेश जी, आप की इच्छा हमारी भी आशा है। लेकिन फिलहाल तकनीक व सुयोग्य व्यक्तियों के अभाव से हम इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन हम हमेशा इस दिशा में कोशिश कर रहे हैं। अगर आप लोग समय समय पर हमारे कार्यक्रम सुनना चाहते हैं, तो हमारे वेबसाइट को ज़रूर पढ़ें। क्योंकि आप वेबसाईट पर सभी लोकप्रिय कार्यक्रम सुन सकते हैं।
विकासः जी हां। हमारे वेबसाइट का पता है https://hindi.cri.cn/, हमारे वेब पर आप लोग न सिर्फ़ न्यूज़ व रिपोर्ट पढ़ सकते हैं, बल्कि बहुत ही सुन्दर फ़ोटो व वीडियो भी देख सकते हैं। यहां हम सभी नये या पुराने श्रोताओं व नेटीज़नों को हमारे वेब को पढ़ने का स्वागत करते हैं। हमारे बेवसाइट का पता एक बार फिर से सुनिए https://hindi.cri.cn/.
चंद्रिमाः हमारे और एक पुराने श्रोता यानि हमारे मोनिटर चुनिलाल कैवर्त जी ने ई-मेल में यह लिखा है कि आप का पत्र मिला कार्यक्रम की प्रस्तुति बहुत ही आकर्षक और लाजवाब होती है। लेकिन कभी कभी विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत करके आप लोग श्रोताओं के पत्रों के साथ अन्याय कर बैठते हैं। जैसे कि पिछले दोनों कार्यक्रमों के दौरान हुआ। इन विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण सप्ताह के किसी भी दिन हो सकता था। जबकि श्रोताओं को अपने पत्रों के उत्तर सुनने की बेताबी से प्रतीक्षा रहती है। कृपया इस कार्यक्रम को नियमित प्रसारित करते हुए कार्यक्रम में श्रोताओं के अधिक से अधिक पत्रों को शामिल करने का प्रयास करें।
विकासः आप की प्रशंसा के लिये बहुत बहुत धन्यवाद, चुनिलाल जी। और आप के सुझाव पर हम ज़रूर ध्यान देंगे। लेकिन कुछ विशेष कार्यक्रमों का समय लंबा होने के कारण इसे दूसरे कार्यक्रम में स्थान नहीं मिल पाता है। इसके लिए आप सभी श्रोताओं से क्षमा मांगता हूँ और आशा करता हूं कि आप लोग हमारी मजबूरी को समझ सकेंगे।
चंद्रिमाः जी हां, हम पूरी कोशिश करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा श्रोताओं के पत्रों को शामिल कर सकें। अब बारी है उत्तर प्रदेश के आलमी रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष मोहम्मद असलम की। वे भी हमारे एक बहुत सक्रिय श्रोता हैं। इस बार उन्होंने लिखा है कि उन के कल्ब के सदस्यों ने साप्ताहिक कार्यक्रम आप की पसंद सुना, बहुत अच्छा लगा। ललिता और अनिल से हिन्दी गीत के बीच बीच में जो समाचार गीत से जुड़ा होता है, वह सच में बहुत ज्ञानवर्धक है। और उन्हें चीनी भाषा सीखें का कार्यक्रम भी बहुत पसंद है।
विकासः चंद्रिमा जी, आप की पसंद कार्यक्रम सचमुच एक बहुत लोकप्रिय कार्यक्रम है। और इस कार्यक्रम ने शुरूआत से ही श्रोताओं को बाँधे रखी है।
चंद्रिमाः जी हां, क्योंकि इस कार्यक्रम में श्रोता न केवल अपने पसंदीदा गीत सुन सकते हैं, बल्कि अपने नाम व दूसरे दोस्तों से शुभकामनाएं भी सुन सकते हैं। इसलिये वे यह कार्यक्रम बहुत पसंद करते हैं।
विकासः चंद्रिमा जी, यहाँ पर श्रोताओं को एक सुझाव भी देना चाहूँगा। जब वे हमारे पास गीतों का फरमाईश भेजते हैं तो उसके साथ अपने दोस्तों या संबंधियों का जन्मतिथी भी भेंजे जिससे हम उनके फरमाइश के गीतों को पेश करने के समय जन्मदिन की शुभकामना भी दे सकें। चंद्रिमा जी क्या आपको पता है कि, और एक कार्यक्रम हमारे श्रोताओं को बहुत पसंद है।
चंद्रिमाः क्या है?
विकासः वह है ज्ञान प्रतियोगिता से जुड़े कार्यक्रम।
चंद्रिमाः जी हां, आप ने बिल्कुल ठीक कहा। और इस साल की अंतिम प्रतियोगिता, जो सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ से संबंधित प्रतियोगिता है।
विकासः हां, बहुत सारे श्रोताओं ने इस प्रतियोगिता के सही उत्तर देने के साथ- साथ सी.आर.आई. के लिए शुभकामनाएं भी भेजे हैं। बिहार के टी. कोसमोस कल्ब के श्रोता हरी भूषण सहाय ने लिखा है कि चाइना रेडियो इन्टरनेशनल विश्व में सब से बड़े मीडिया में से एक है। 70 वर्षों में सी.आर.आई. ने बहुत बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की हैं। मैं सी.आर.आई. का एक नियमित श्रोता हूं, और लंबे समय से आप लोगों का कार्यक्रम सुनता आ रहा हूं। मैं इतने अच्छे कार्यक्रम प्रसारित करने के लिये आप लोगों को सच्चे दिल से धन्यवाद देता हूं। सी.आर.आई. की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ के सुअवसर पर मैं ढेर सारी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। सी.आर.आई. ने एक पुल की तरह चीन को अन्य देशों के साथ जोड़ दिया है। सी.आर.आई. द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं द्वारा मैंने चीन से जुड़ी बहुत जानकारियां भी प्राप्त की है। मुझे आशा है कि सी.आर.आई. का भविष्य और उज्ज्वल होगा, और वह विश्व में नंबर एक मीडिया नेटवर्क भी बन सकेगा।
चंद्रिमाः बहुत बहुत धन्यवाद, सहाय जी। हम आप तथा टी. कोसमोस कल्ब के सभी श्रोताओं के सच्चे दिल को महसूस कर सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा श्रोताओं व नेटीज़नों को सेवा देने के लिये हमारी कोशिश बरकरार रहेगी।
विकासः चंद्रिमा जी, क्या आप जानती हैं कि आजकल भारत में त्योहारों का समय है।
चंद्रिमाः जी हां, मैं बिल्कुल जानती हूं। क्योंकि बहुत सारे श्रोताओं ने हमें त्योहारों की शुभकामनाएं भेजी हैं। मुजफ्फरपुर बिहार के मुकेश कुमार ने हमें भेजे पत्र में लिखा है कि दिवाली की मुबारक हो। दिवाली पवित्र कार्त्तिक में सबसे सुन्दर व महान त्योहार है। इस वर्ष यह त्योहार 26 अक्तूबर को मनाया जाएगा। सभी भारतीय लोग इस त्योहार पर बड़ा ध्यान देते हैं। दिवाली संस्कृत शब्द दीपावली से आया है। और यह त्योहार देवी लक्ष्मी का है, जो संपत्ति व समृद्धि का द्योतक है। भारत के अलावा थाइलैंड, श्रीलंका, मॉरिशस, नेपाल, जापान व म्यांमार में भी इस त्योहार की खुशी मनाई जाती है।
विकासः मुकेश के अलावा मुर्शिदाबाद, पश्चिम पंगाल के मिताली लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष शिवेंदू पॉल ने भी हमें त्योहारों की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि अब हम दिवसों के दौर में हैं, दुर्गा पूजा के बाद अगले हफ्ते में 25 से 28 अक्तूबर तक हम दिवाली और छठ मनाएंगे। क्या आप उन त्योहारों की खुशी मनाने के लिये अपने कार्यक्रम में एक गीत प्रस्तुत कर सकते हैं? हम सी.आर.आई. के नियमित श्रोता हैं। हमारे कल्ब में कुल 85 सदस्य हैं। हमें सी.आर.आई. के कार्यक्रम बहुत अच्छे लगते हैं।
चंद्रिमाः यह सुनकर हम बहुत खुश हैं। और अब हम केवल मिताली लिस्नर्स कल्ब के सदस्यों के लिये ही नहीं बल्कि सभी श्रोताओं के लिए एक मधुर गीत पेश करेंगे। गीत के बोल हैं हैपी दिवाली। आशा है आप लोगों को यह पसंद आएगा।
विकासः मधुर गीत के बाद अब हम पत्र पढ़ने को जारी रखते हैं। आजमगढ़, उत्तर प्रदेश के रेडियो लिस्नर्स यूनियन के श्रोता शमसुद्दीन साकी अदीबी ने हमें भेजे पत्र में कहा कि प्रिय भाई विकास एवं चंद्रिमा बहन, आदाब। तिब्बत का कायापलट सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता की घोषणा से हमें अत्यधिक प्रसन्नता हुई। इस प्रतियोगिता के सभी लेख अत्यधिक महत्वपूर्ण रहे। इन लेखों से हमें बहुत ही नयी नयी बातें जानने को मिली। इस प्रतियोगिता के फ़ार्म हमें मिल चुके हैं, और शीघ्र ही अपने तथा अपने कल्ब सदस्यों के फ़ार्म आप को सही उत्तर पर चिन्ह लगाकर भेज देंगे।
चंद्रिमाः ई-मेल की अपेक्षा डाक से भेजा गया पत्र हमेशा समय से देर आता है। पर कोई बात नहीं, कम से कम हमें मिल जाता है। अदीबी भाई, हम आप को यह बताना चाहते हैं, हमें न केवल आप लोगों का पत्र मिला है, बल्कि आप लोगों के उत्तर फ़ार्म भी मिल गये हैं। आप लोगों का हमारी प्रतियोगिता में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये हम बहुत आभारी हैं।
विकासः साथ ही भागलपुर, बिहार के प्रियदर्शिनी रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष हेमंत कुमार ने भी तिब्बत का कायापलट शीर्षक ज्ञान प्रतियोगिता के बारे में एक पत्र लिखा है। उनका कहना है कि परम सम्मान के साथ सहर्ष सूचित करना है कि हम लोग सी.आर.आई. हिन्दी, उर्दू, नेपाली और अंग्रेजी सेवा का नियमित, जागरुक और पुराने श्रोता हैं। सभी कार्यक्रम को नियमित सुनकर समीक्षात्मक पत्र लिखना हम लोगों का स्वभाव बन चुका है। समय समय पर उत्साहवर्धन के लिये ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं। यह हम लोगों के लिये खुशी की बात है। हमारे कल्ब को आपने श्रोता वाटिका का मार्च 2011 अंक, लिफाफा और तिब्बत का कायापलट का प्रश्न पत्र भेजा। इस के लिये आप को धन्यवाद देता हूं। इस पत्र के साथ प्रतियोगिता का उत्तर भेजा जा रहा हूं। निवेदन है कि सभी उत्तर पत्र को प्रतियोगिता में शामिल करेंगे। समस्त शुभकामनाओं के साथ कहना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान-चीन जिन्दाबाद।
चंद्रिमाः हेमंत जी, हम आप की बातों से बिल्कुल सहमत हैं कि हिन्दुस्तान-चीन जिन्दाबाद। क्योंकि चीन व भारत आज के विश्व में सब से बड़े विकासशील देश हैं, दोनों देशों की जनसंख्या भी बहुत बड़ी है, और दोनों का आर्थिक विकास भी तेजी से चल रहा है। अगर चीन व भारत मिल-जुलकर सहयोग कर सकेंगे, तो दोनों देशों को ज़रूर इससे लाभ मिलेगा।
विकासः चंद्रिमा जी, प्रतियोगिता से जुड़े पत्र में कुछ श्रोताओं ने अपने कल्ब के बारे में कुछ जानकारियां भी दीं हैं। जैसे मध्य प्रदेश के मालवा रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष बलवन्त कुमार वर्मा जी।
चंद्रिमाः जी हां। इस पत्र में वर्मा जी ने मालवा रेडियो श्रोता संघ के बारे में खूब जानकारियां दीं हैं। इस कल्ब का गठन 31 दिसंबर 1999 में हुआ। सदस्यों की संख्या 200 से 250 तक है। सी.आर.आई. से लगाव क्योंकि बचपन में चीनी-हिन्दी भाई भाई नारे से प्रभावित, सी.आर.आई. का स्पष्ट व बेहतर प्रसारण और ज्ञानवर्द्धक तथा मनोरंजक कार्यक्रमों को प्रभावपूर्ण आवाज़ में प्रस्तुत करना। और श्रोता संघ की गतिविधियों के बारे में उन्होंने हमें बताया कि वर्ष में 4-5 बैठकें आयोजित कर रेडियो के कार्यक्रमों विशेष कर सी.आर.आई. कार्यक्रमों पर चर्चा, विचार, समीक्षा, जानकारियों का आदान-प्रदान करना तथा सी.आर.आई. से प्राप्त सामग्री का वितरण। सी.आर.आई. कार्यक्रमों को मालवाअंचल के दूर दराज के गांवों में भी सुनना और पसंद करना। सी.आर.आई. के श्रोताओं की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होना। 14 मई 2000 एवं 4 मई 2008 को आलोट जिला रतलाम, मध्य प्रदेश में मालवा रेडियो श्रोता संघ द्वारा राष्ट्रीय स्तर के श्रोता सम्मेलन का आयोजन कर सी.आर.आई. कार्यक्रमों की जानकारी भारत के दूर दराज के नगरों व ग्रामों तक पहुंचाई।
विकासः मालवा रेडियो श्रोता संघ सचमुच एक बड़ा कल्ब है, और सी.आर.आई. का प्रसार-प्रचार करने के लिये बहुत योगदान दिये हैं कल्ब के सभी सदस्यों ने। यहां हम सच्चे दिल से आप सभी को धन्यवाद देते हैं।
चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, कार्यक्रम का समय अब बहुत ज्यादा नहीं है, पर हम समाप्ति से पहले और एक पत्र पढ़ने की कोशिश करें।
विकासः जी हां, मुबारकपुर आज़मगढ़ के पैगाम रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष दिलशाद हुसेन ने हमें भेजे पत्र में लिखा है कि श्रोता वाटिका का नया अंक जिस की तिथि जून 2011, है प्राप्त हुआ। देखकर हमारे कल्ब के श्रोताओं में एक खुशी की लहर दौर गई। इस में मु. असलम की नई दिल्ली से चीन की यात्रा शामिल हुई, उन्होंने नानछांग, लूशान, चिन डेचेन, वूच्वान, सान छिंग शान पर्वत, और लम्बी दीवार, थ्येन आन मन चौक, व शाही महल संग्रहालय आदि जगहों का दौरा किया। इस के अलावा प्रोफ़ेसर वांग शूईन और उन की रचना, भारत की दुनिया में आ जाओ, जैसे अनमोल जानकारी दी गयी। ये अपने आप में बेमिसाल है। इन दिनों आप का कार्यक्रम खासकर समाचार और समाचार के बाद प्रसारित रिपोर्टें बड़ी ही ठोस होती है। सी.आर.आई. के उद्धोषक एवं उद्घोषिका काफ़ी मेहनत और लगन से कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, हमारी तरफ से हार्दिक बधाई।
चंद्रिमाः दिलशाद हुसेन साहब, आप की बातें सुनकर हमें बहुत खुशी हुई। क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी कोशिश और मेहनत से कुछ उपलब्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। हमारे सभी श्रोता तो हमारे काम करने की शक्ति है। अगर आप लोग खुश हैं, तो हम भी खुश होंगे।
विकासः जी हां, तो आज का आप का पत्र मिला कार्यक्रम यहीं तक समाप्त होता है। पर रंगारंग कार्यक्रम खत्म नहीं होंगे।
चंद्रिमाः अब लीजिये सुनिये आप की आवाज़ ऑन लाइन।