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आपकी पसंद 2011-08-27
2011-10-12 15:35:40

अनिलः आपकी पसंद सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार। दोस्तो हम फिर आ गए हैं आपकी फरमाईश के गीत व कुछ मजेदार बातें लेकर। उम्मीद है कि आपको हमारा प्रोग्राम पसंद आ रहे होगा।

ललिताः श्रोताओं को ललिता का भी नमस्कार।

अनिलः आज के पोग्राम की शुरुआत हम कर रहे हैं दोस्ती फ़िल्म के इस गीत के साथ, बोल हैं राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है। इस गीत को सुनना चाहते हैं मस्जिद रोड कोआथ से सैयद अली सईद, शबाना सईद, सना फातमी, राज और प्रिंस।

अनिलः दोस्तो आप आस्ट्रेलिया के पूर्व स्पिनर व राजस्थान रायल्स टीम के कप्तान शेन वार्न के नाम से तो वाकिफ ही हैं। अक्सर अपनी रंगीन मिजाजी के लिए चर्चित वार्न ने ब्रिटिश ऐक्ट्रेस लिज हर्ली को शादी का प्रस्ताव दिया है। दोनों इस साल के अंत तक शादी रचा सकते हैं। 41 वर्षीय शेन वॉर्न और लिज हर्ली की लव स्टोरी दिसंबर में सबके सामने आई थी। दोनों को लंदन के एक होटेल के बाहर किस करते हुए देखा गया था। बताया जाता है कि वॉर्न ने एक घुटने पर बैठकर हर्ली के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। लिज हर्ली ने कहा कि मैंने कभी किसी के लिए इस तरह महसूस नहीं किया है। सूत्रों के मुताबिक वह काफी खुबसूरत पल था, जब वॉर्न ने शादी का यह प्रस्ताव दिया। हर्ली ने भी बेझिझक इसे स्वीकार कर लिया।

अनिलः वार्न के बाद अब बात करते हैं ब्रिटेन की। यहां से एक चौंकाने वाली खबर है, जिस उम्र में आम तौर पर युवक शादियां करते हैं, उस उम्र में एक ब्रिटिश युवा नाना बन गया है। 29 वर्षीय इस युवक की 14 साल की बेटी ने एक बच्ची को जन्म दिया है। न्यूज पेपर 'द सन' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, युवक का नाम शेम डेविस है और वह वेल्स के रहने वाले हैं। जब वह पिता बने, तब उनकी उम्र भी 14 साल थी। अब उनकी बेटी टिया ने भी एक बच्ची को जन्म दिया। टिया की मां से डेविस का अलगाव टिया के जन्म के 3 माह बाद ही हो गया था। नाना बनकर डेविस बेहद खुश हैं। वहीं, टिया की मां केली ने इस पर निराशा जताई है और कहा कि टिया ने भी मेरी गलती को दोहराया है। हां तो दोस्तो, आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी है तो हमें जरूर बताईएगा। लीजिए पहले सुनते हैं ये गीत।

ललिताः जिसे हमने लिया है हीरो फिल्म से। गीत के बोल हैं प्यार करने वाले कभी डरते नहीं। इस गीत को सुनने के ख्वाहिशमंद हैं, भिंड से अनामदर्शी मसीह, सिद्धार्थ, राजकुमारी व सविता कुमारी आदि श्रोता।

अनिलः भले ही लोगों का लाइफ स्टाइल व आर्थिक स्तर सुधर गया हो। इसके बावजूद खाने-पीने को लेकर भारतीयों की मानसिकता ज्यादा नहीं बदली है। भोजन के मामले में वे पसंद, क्वॉलिटी और रेट तीनों का ख्याल रखते हैं। यही कारण है कि आम भारतीयों को अब भी घर का खाना ही पसंद है। आम भारतीय रेस्टोरेंट में भोजन करने जाता है, मगर कभी-कभी। एक सर्वे के अनुसार, आम भारतीय 40 दिनों में एक बार रेस्टोरेंट में खाना खाने जाता है, वहीं पश्चिमी देशों में लोग औसतन एक सप्ताह में दो बार रेस्टोरेंट में जायका लेते हैं। दूसरा अंतर है, रेस्टोरेंट जाते समय भारतीय बन-ठन कर जाते हैं। वे बेहतरीन कपड़े पहनना पसंद करते हैं। उनके लिे रेस्टोरेंट जाना, किसी पार्टी में जाने जैसा होता है। लेकिन पश्चिमी देशों के लोग रेस्टोरेंट जाते समय कैजुअल कपड़े पहनना पसंद करते हैं। वे रेस्टोरेंट जाने को सामान्य अवसर मानते हैं।

ललिताः नैशनल रेस्टोरेंट असोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे खास बात यह कि भारतीय लोग रेस्टोरेंट में उन व्यंजनों को ज्यादा पसंद करते हैं, जो उस रेस्टोरेंट की खासियत हो या वे उन व्यंजनों का ऑर्डर करते हैं, जो वे घर पर नहीं खा पाते। दूसरी तरफ पश्चिमी देशों के लोग रेस्टोरेंट में सामान्य व्यंजन लेना ही पसंद करते हैं। वे रेस्टोरेंट में व्यंजन के लिए इतने चूजी नहीं होते, जितने भारतीय होते हैं। भारतीयों में रेस्टोरेंट जाने का क्रेज है। मगर वे कभी-कभार ही रेस्टोरेंट जाना पसंद करते हैं।

अनिलः दोस्तो, वैसे चीन में लोग अब घर पर खाना ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। वे भी रेस्तरां व दोस्तों के साथ पार्टियों में खाने को तरजीह देते हैं। वीकएंड पर तो रेस्तरां में लोगों की भीड़ देखने लायक होती है। वैसे हम भी पिछले दिनों एक रेस्तरां में गए थे, अपने सहयोगियों के साथ। पूरा इंडियन स्टायल का फूड। जी हां वह इंडियन किचन है। चलिए फू़ड के बाद अब गीत की बात करते हैं। चर्चा आगे भी जारी रहेगी। गीत के बोल हैं तू मेरी दोस्त है, फिल्म का नाम है युवराज। इस गीत को सुनना चाहा है कुलसेला तिनघरिया से ललन कुमार सिंह, प्रभा देवी, कुमार केतु, मनीष कुमार केतु, गौतम कुमार, स्नेहलता कुमारी व एल के सिंह आदि ने।

अनिलः वैसे हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का नाम आते ही इंडियन हॉकी के गोल्डन डेज़ की यादें ताज़ा हो जाती हैं। अब उनके नाम की गूंज एक बार फिर से सुनाई पड़ने लगी है। बताया जाता है कि लंदन में भारतीय जिमखाना क्लब में बिछाई गई एक नई एस्ट्रो टर्फ हॉकी पिच का नामकरण हाकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर किया गया है। दुनिया के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी माने जाने वाले महान सेंटर फॉरवर्ड मेजर ध्यानचंद को गोल करने की उनकी क्षमता के कारण जाना जाता है। वह तीन ओलिंपिक 1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस ऐंजिलिस और 1936 बर्लिन में गोल्ड मेडल विजेता टीम का हिस्सा रहे थे।

ललिताः कंपन के जरिए सामने आने वाली चीजों, अड़चनों या रुकावटों के बारे में जानकारी देने वाले दस्ताने बनाए गए हैं। इसकी मदद से नेत्रहीन अपने आसपास के माहौल को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। अमूमन पानी के भीतर चीजों की उपस्थिति पता लगाने के लिए सोनार तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। ये तरंगे पानी में छोड़ी जाती हैं, जो किसी वस्तु से टकराते ही उसकी उपस्थिति का पता बताती हैं। अब इसी तकनीक से एक ऐसा दस्ताना तैयार किया गया है, जो नेत्रहीनों को अपने आसपास के माहौल को समझने में मदद करेगा। इसे 'टेसिट' नाम दिया गया है। दोस्तो इस बारे में आगे बात करेंगे, पहले सुनते हैं अगला सांग, फिल्म का नाम है हां मैंने भी प्यार किया है। इस गीत को सुनने की फरमाईश की है आदर्श नगर परभणी से चंदु कुलकर्णी, हेमलता कुलकर्णी, तेजस, राजस कुलकर्णी व सीआर कुलकर्णी ने। वहीं इस गीत को मेहेरनगर से अभिजित, सरिता, सिद्धांत, सुमित कुमार व शैलेश आदि भी सुनना चाहते हैं।

अनिलः इस सांग से पहले हम बात कर रहे थे स्पेशल दस्तानों की। इन दस्तानों के जरिए एक इंच से लेकर दस फीट दूर की वस्तुओं की सही लोकेशन जानी जा सकेगी। इसकी मदद से वे अपनी जिंदगी में थोड़ी सी सुविधा महसूस कर सकेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि सेकंड से भी कम समय में उन्हें रास्ते में आने वाली रुकावटों या वस्तुओं की जानकारी मिल सकेगी। टेसिट के साथ सबसे बड़ी खूबी यह है कि अगर आपको इलेक्ट्रॉनिक्स की जरा भी जानकारी है, तो इसे आप भी बना सकते हैं। इसे इस्तेमाल में लाना भी बेहद सरल है। इसके जनक स्टीव होफर को उम्मीद है कि समय के साथ-साथ इस डिवाइस में और तकनीकी सुधार आते जाएंगे।

ललिताः दस्तानों के बारे में जानकारी यही तक, अब हम पेश कर रहे हैं, लगे रहो मुन्नाभाई फिल्म का सांग, बोल हैं पल-पल हर पल।

अनिलः दोस्तो इसी के साथ सुनते हैं कार्यक्रम का अंतिम गीत, जिसे हमने लिया है, फिल्म शूटआउट एट लोखंडवाला से। गीत के बोल हैं उनके नशे में।

अनिलः दोस्तो इसी गीत के साथ आपसे विदा लेने का समय आ गया है। उम्मीद है कि आपको हमारा प्रोग्राम पसंद आया होगा। हमें आपके पत्रों व ई-मेल का इंतजार रहेगा। आपसे फिर मुलाकात होगी अगले सप्ताह इसी समय इसी दिन। तब तक के लिए हमें आज्ञा दें। बाय-बाय, नमस्ते, शब्वा खैर, अलविदा।

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