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फुरुंग गांव का दौरा
2011-11-24 18:51:52

मध्य चीन के प्रांत हूनान में पहाड़ों के बीच एक खूबसूरत प्राचीन गाँव स्थित है। इस गाँव का इतिहास लगभग 2000साल पुराना है। गाँव में अभी भी पत्थरों से बनी सड़क, सड़क से थोड़ी उँचाई पर बने लकड़ी के मकान और इन मकानों से आती थु जाति की महिलाओं की गाने की धुन लोगों को आकर्षित किए बिना नहीं रहती। यह चीन का सदियों पुराना गाँव फुरुंग गाँव है। आज के इस कार्यक्रम में हम आपको इस गाँव की सुंदरता से रूबरू करायेंगे।

पिछली शताब्दी के 80 के दशक में चीन में एक बहुत प्रसिद्ध सिनेमा था जिसका नाम फुरूंग गाँव था। यह सिनेमा इसी गाँव से बनकर विश्व के कोने-कोने तक पहुँच गया। इस फिल्म के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति भी दुनिया के कोने-कोने में फैल गयी। उस समय इस फिल्म में जिस गाँव की चर्चा की गई थी उसका नाम वांग छुन है जिसे फुरूंग भी कहा जाता है। आज भी मानचित्र में यह गाँव वांग छुन के नाम से ही जाना जाता है। लेकिन इस फिल्म के साथ ही लोग इस गाँव को फुरूंग गाँव के नाम से पुकारने लगे और अब यही उनकी आदत भी बन गई है।

वांग छुन भी ठीक है और फुरूंग भी अच्छा है। हजारों साल से फुरूंग गाँव सौदा करने के लिए व्यपारियों का प्रमुख केंद्र बना रहा है।

अभी मैं जिस जगह खड़ा हूँ, वह फुरूंग गाँव की मुख्य सड़क है, जिसका नाम पाँच ली लम्बा पत्थर का रास्ता है ( चीनी नाप एक ली आधे किलोमीटर के बराबर होता है)। यह एक पुरानी विशेषता वाली सड़क है, जिसके दोनों तरफ लकड़ी के बने मकान खड़े हैं। इन मकानों के भीतर जाने पर मालूम होता है कि, प्रत्येक मकान में दुकान की तरह एक काउंटर बना हुआ है। यह काउंटर सड़क से लगभग एक मीटर उंचा होता है। इस तरह के निर्माण से न केवल जमीन की नमी से बचाव होता था बल्कि व्यापार के समय लोग बिना घोड़े से उतरे ही सामान की खरीद-फरोख्त कर सकते थे।

फुरूंग गाँव में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है जैसे आप अपने सपनों की नगरी में पहुँच गये हों। सुबह के समय, यह गाँव पास के ही बहती नदी से उठते कोहरों में खो जाता है। इस कोहरे में यहाँ के मकान, सड़कें, दीवारों पर उकेरी तस्वीरें सबकुछ ऐसा लगता है जैसे आप कोई सपना देख रहे हों। उसी तरह शाम को जब सूर्य की लाली इस गाँव में पड़ती है तो लकड़ी से बने सदियों पुराने मकानों का रहस्य और बढ़ जाता है। पिछली सदी के 80 के दशक में चीन के एक प्रसिद्ध फिल्म निदेशक शिए चिन ने फुरूंग गाँव नाम की फिल्म बनाने के लिए जगह जगह छान ली और अंत में इसी जगह आकर ठहर गए। जो कि आज का फुरूंग गाँव भी है। शिए चिन ने इस की याद करते हुए कहाः

यह जगह बहुत सुंदर है। यहाँ पर मैंने एक एक घर देखा है। सब बहुत ही सुंदर है। और जब मैं यहाँ की सड़कों पर गया तो बिल्कुल छुंगछिंग शहर की गलियों की तरह दिख रही थी। यहाँ पर बहुत सारे लकड़ियों के मकान भी हैं। सभी बहुत सुंदर हैं। खासकर लकड़ियों के मकानों की अपनी अलग विशेषता है। यह सब देखने के बाद ऐसा लगा जैसे मेरी आंखें किसी सपने में खो गई।

फुरूंग गाँव में भ्रमण करना फायदेमंद होता है। इस गाँव में एक पश्चिमी हूनान प्रांत का लोक संग्रहालय है जिसमें तांबे का एक अद्भुत स्तंभ है जो यहाँ की संस्कृति का प्रतीक है। इस स्तंभ की उँचाई लगभग तीन मीटर से ज्यादा है और इसका वजन 2500 किलोग्राम है। इस स्तंभ पर लगभग 2500 शब्द अंकित हैं, जो थु जाति की संस्कृति का वर्णन करती है। यहाँ के स्थानीय गाईड ने परिचय देते हुए कहाः

ऐसा तांबे का स्तंभ प्राचीन काल में विभिन्न राज्यों के बीच सीमा तय करने में किया जाता था। यह स्तंभ चीन के पाँच राजवंश काल में छु राज्य के राजा ने बनवाया था । इस स्तंभ पर छु राज्य के राजा द्वारा सैन्य व्यवस्था का उल्लेख किया गया है। इस स्तंभ के खड़ा होने के बाद ही इस जगह के लोगों को आगे लगभग 800 साल तक शांति का जीवन हासिल हुआ था।

फुरुंग गाँव में न केवल राष्ट्रीय स्तर के संरक्षित अवशेषों को देखने को मिलता है बल्कि यहाँ के स्थानीय चीनी थु जाति की संस्कृति का भी आनंद उठाया जा सकता है।

अभी जो आवाज आप सुन रहे हैं वह थु जाति के द्वारा प्रदर्शित नाटक है जिसका नाम माओकुस है। माओकुस थु जाति के द्वारा प्रदर्शित प्राचीन काल के नाटक का एक रूप है। इस नाटक में प्राचीन काल में थु जाति के जीवन-प्रथा, रिति-रिवाज और संस्कृति को दिखाया गया है।

माओकुस नाटक के अलावा, थु जाति में विवाह के समय विदाई समारोह में लोगों के द्वारा रोना भी यहाँ आने वाले पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किए बिना नही रहता है। थु जाति की लड़कियाँ बारह-तेरह साल की उम्र से विवाह के समय रोने की कला सीखती हैं। थु जाति की लड़कियाँ शादी होने के एक महिने से पहले रोना शुरू कर देती हैं। कुछ लोगों के घरों में शादी से दो तीन दिन पहले से रोने का भी रिवाज है। थु जाति की लड़कियाँ शादी के समय रो रो कर अपने माता-पिता के प्रति प्यार का इजहार करती हैं। रोने की प्रक्रिया में गीत भी शामिल होता है। गाने के बोल आम तौर पर पारंपरिक होते है। कुछ होशियार लड़कियां अपने मन के अनुसार भी बोल बना लेती हैं।

फुरुंग गाँव के मेहनती लोग पाक कला के बहुत शौकिन होते हैं। यहाँ के लोग बड़े आवभगत प्रिय होते हैं। यहां के व्यंजन में सबसे आकर्षक फुरुंग लाफिल्म में भी दिखाया गया तोउफु है। इस फिल्म की नायिका गांव में तोउफु बेचते हुए दिखायी देती है देश भर में इस फिल्म के दिखायी जाने के कारण यहाँ का तोउफु पूरे चीन में प्रसिद्ध हो गया है। यह तोउफु चावल के आटा से तैयार किया जाता है। तोउफु का मलाई तैयार कर इसे आग में पकाया जाता है फिर इसके कई टुकड़े किये जाते हैं। उसके बाद कटोरे में उबलाकर मिर्च, प्याज आदि मसाला मिलाकर लोगों को खिलाया जाता है। ऐसा कहा जा सकता है कि यह सबसे शुद्ध और स्वादिष्ट व्यंजन होता है। एक पर्यटक ने इसे खाने के बाद कहाः

वाह। क्या स्वाद है। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सुगंधित भी है। इससे पहले मैंने कभी ऐसा खाना नहीं खाया था। खाने के बाद बहुत ही स्वादिष्ट लग रहा है।

फुरूंग गाँव एक चीनी परंपरागत पेंटिंग की तरह है, जिसे देखने के बाद लोग उसमें खो जाते हैं। योजना के अनुसार, फुरूंग गाँव को केंद्र में रखकर यहाँ पर हरित पर्यटन क्षेत्र का विकास किया जा रहा है। सरकार के द्वारा लगभग दो अरब चीनी य्वान के निवेश से यहाँ पर स्थानीय पारिस्थितिकीगत संसाधन संरक्षण क्षेत्र का विकास भी शुरू किया गया है और इस में फुरूंग गाँव की विशेषता को सुरक्षित किया जाने के अलावा अन्य कई वन्य पार्क भी विकसित किए गए हैं। इसके फलस्वरूप फुरूंग गांव पश्चिम हुनान का और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है। पश्चिम हुनान प्रिफेक्चर की जन प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष ल्यू लु फिंग ने कहाः

इस पर्यटन क्षेत्र के अंदर स्थित हरेक पर्यटन संसाधन के विकास व संरक्षण के लिए हमने विशेषज्ञों को बुलाया और इसके विकास के लिए उनके द्वारा तैयार की गयी योजना को लागू किया। योजना बड़ी सोच विचार करके बारीकी बनायी गयी है, ताकि यहां पर पर्यटन के विकास के साथ-साथ इस स्थल की प्राकृतिक सुंदरता और पारंपरिक रिति-रिवाज को भी अच्छी तरह सुरक्षित रखा जाए।

श्रोता दोस्तो, अभी आप सुन रहे थे, हूनान प्रांत में स्थित प्राचीन कालीन गाँव फुरूंग के बारे में एक रिपोर्ट। यह कार्यक्रम आपको कैसा लगा, हमें जरूर लिखिएगा। आपके सुझाव का हमें इंतजार रहेगा। अब विकास को आज्ञा दीजिए। नमस्कार।

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