मिंग शा पहाड़ के नजदीक ही एक चंद्राकार झरना है जिसका पानी बहुत स्वच्छ है। मरूस्थल के गर्म रेतों पर खुले पाँव चलने के बाद, इस झील के ठंढ़े पानी में खुले पैर बैठकर ठंढ़ी हवा का झोंका मन को रोमांचित कर देता है। एक ही क्षण में आपकी सारी थकान दूर हो जाती है और आप अपने आपको फिर से तरोताजा महसूस करने लगेंगे। यहाँ के आनंनमय वातावरण को कभी भूला नहीं जा सकता है।
कानसू में हमारे दल ने क्रमशः तुंग ह्वांग संग्रहालय, तुंग ह्वांग अनुसंधान संस्थान, कानसू संग्रहालय, कानसू सांस्कृतिक अवशेष अनुसंधान संस्थान, थिएन श्वी संग्रहालय आदि स्थलों का दौरा किया। यहाँ पर हम लोगों ने पश्चिमी हान राजवंश के कागजी पत्र, फांग माथान मानचित्र, थांग राजवंश में व्यापार में उपयोग किए जाने वाले बही खाता तथा सबसे महत्वपूर्ण चीनी लिपी, तिब्बती लिपी, पश्चिमी श्या राजवंश की लिपी में लिखित तुंग ह्वांग गुफा के बौध सूत्रों के साथ तुंग ह्वांग के विरासत खजाने का भी अवलोकन किया।
"तुंग ह्वांग विरासत खजाने"की खोज सन 1900 में कानसू प्रांत में स्थित मोकाओ गुफा की 17 नंबर बौद्ध सूत्र गुफा में प्राप्त हुई थी। इसमें लगभग पचास हजार से ज्यादा लेखन प्रतियां थीं। उन लेखों में राजनीति, अर्थव्यवस्था, सैन्य व्यवस्था, साहित्य, इतिहास, धर्म, विज्ञान आदि के बारे में चीनी लिपी, तिब्बती लिपी और वेवुर लिपी आदि कई लिपियों में वर्णन किया गया था। इन लेखों में चीन की चौथी शताब्दी से लेकर ग्यारहवीं शताब्दी तक उत्तरी-दक्षिणी राजवंश, श्वी राजवंश, थांग राजवंश आदि के बारे में वर्णन किया गया है। इसलिए इसे चीन के प्राचीन इतिहास का विश्वकोश भी कहा जाता है। कालांतर में चीन में युद्धों के कारण, इनमें से कुछ लेख इंग्लैंड, फ्रांस, रूस आदि दस से अधिक देशों के हाथ लग गये। तुंग ह्वांग लेखों पर आधारित शोध आज विश्व का प्रसिद्ध शोध संगठन बन गया है।
20वीं शताब्दी की शुरूआत से लेकर 90 के दशक तक, कानसू प्रांत में कई बार के खोज से पश्चिमी हान राजकाल के कागजी पत्र मिले हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार, पश्चिमी हान के थिएन श्वी नगर के फांग मा थान कागजी पत्र, चिएन श्वी नगर के चिन क्वान कागजी पत्र आदि सभी कागज के आविष्कार कर्ता छाय होउ से पहले के कागजी पत्र हैं। जिससे चीन में कागज के उत्पादन का ठोस प्रमाण मिलता है। यहाँ पर विशेष रूप से थिएन श्वी नगर के फांग माथान में प्राप्त पश्चिमी हान काल के कागज अवशेष ने चीन में कागज के प्रयोग के समय को पश्चिमी हान राजवंश से और 300 साल पहले बढ़ा दिया है। इसने चीन में कागज के प्रयोग के बारे में और भी ज्यादा बहुमूल्य सामग्री प्रदान किये हैं।
विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, कानसू में आजतक खोज किए गए कागज का उत्पादन स्थल शायद कानसू प्रांत में स्थित नहीं है। उदाहरण के लिए पश्चिमी हान राजवंश के शुरूआती दौर के फांग माथान कागजी पत्र का उत्पादन स्थल प्राचीन चीन की राजधानी छांग आन में होने की संभावना है। हजारों साल बाद, रेशम मार्ग पर स्थित तुंग ह्वांग, थिएन श्वी आदि स्थलों पर प्राप्त फांग मा थान कागजी पत्र, चिन क्वान कागजी पत्र के अवशेष हान, थांग राजवंशों के समय चीन की समृद्धि और शक्ति का परिचय देते है। इन लेखनों में ज्यादातार हान और थांग राजवंश की अर्थव्यवस्था, सैन्यव्यवस्था, राजनीति, संस्कृति आदी का परिचय मिलता है। उस समय शान शी प्रांत में स्थित शी आन जिससे थांग राजवंश में छांग आन के नाम से जाना जाता था, चीन की राजधानी शहर थी। इसलिए कहा जा सकता है कि कानसू प्रांत में मिले कागजी पत्र का उत्पादन स्थल कानसू से बाहर ही था। हालांकि कागज के आविष्कार से भोजपत्रों तथा जानवरों के छाल पर लिखने की परंपरा की जगह लेने में कई सदियां लग गयी थी, लेकिन कागज के आविष्कार और व्यापक तौर पर प्रयोग ने मानव के लिए एक नया इतिहास खोल दिया है। क्योंकि कागज के आविष्कार के बाद ही मानव जाति की जानकारियों का आदान-प्रदान तथा विभिन्न सभ्यताओं के बीच मेलजोल व्यापक तौर पर शुरू हो सका।
तुंग ह्वांग में प्राचीन काल के लगभग 50 हजार वर्ग मीटर से भी बड़े आकार के भीति चित्र उपल्बध हैं जो यहाँ पर 500 से ज्यादा गुफाओं में बने हुए हैं। यह आकार में न केवल चीन का बल्कि विश्व का सबसे बड़ा भीत्ति चित्र है।
तुंग ह्वांग भीति चित्रों में लोक कथाओं का अद्भुत स्थान है, विशेषतौर पर बुद्ध से जुड़ी जातक कहानियों का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ पर सिर्फ मोकाओ गुफा में 933 भीति चित्र हैं जिनमें बुद्ध की आकृतियों की संख्या 12208 है। इसके अलावा इन चित्रों में लोक कथाओं का भी वर्णन किया गया है जिसमें लोगों के बीच संबंध, लोक जीवन आदि का प्रदर्शन किया गया है। ये लोक कथाएं उस समय के कला, इतिहास, वेशभूषा, रीति-रिवाज आदि के बारे में अध्ययन का मुख्य श्रोत हैं। इसलिए मोकाओ गुफा के भीति चित्र को भीति चित्र कला का संग्रहालय भी कहा जाता है।
तुंग ह्वांग भीति चित्र तुंग ह्वांग सांस्कृतिक कला का महत्वपूर्ण भाग है। यह भीति चित्र अपने बहुमूल्य अवशेषों के लिए चीन में बहुमूल्य चीनी सांस्कृतिक कला अवशेष के रूप में भी जाना जाता है।
तुंग ह्वांग में कवरेज समाप्त करने के बाद हमारा दल कानसू प्रांत की राजधानी लान चोउ होते हुए पूर्व में स्थित थिएन श्वी आदि जगहों पर स्थित विभिन्न स्थलों का दौरा किया। वहाँ पर हमने ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक के कागजी पत्रों और किताबों का अवलोकन किया।
ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर कहा जाता है कि, कागज के आविष्कार से पहले छिन और हान राजवंश कालों में लकड़ियों के फलकों पर लिखाई की जाती थी जोकि एक-दूसरे को सूचना पहुँचाने का भी मुख्य माध्यम था। चीन की कुछ प्राचीन लोक कथाएं प्राचीन काल के चीनी लोगों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का माध्यम है। जानकारी के आधार पर कहा जाता है कि सम्राट छिन शि ह्वांग के द्वारा प्रतिदिन पढ़े जाने वाले काष्ठ फलकों का वजन 60 किलो होता था। कहा जा सकता है कि, उस जमाने में केवल संपन्न परिवारों के लोग पढ़ लिख सकते थे और शिक्षा प्राप्त कर सकते थे। कागज का आविष्कार होने के बाद, साधारण लोग भी पढ़ाई के जरिए बहुत सारी जानकारी प्राप्त कर सकते थे। उस समय से सभ्यता और संस्कृति के विकास में भी अभूतपूर्व परिवर्तन आया।
विशेषज्ञ के परिचय के आधार पर, थिएन श्वी और मा थान से प्राप्त कागज के लेख विश्व का सबसे प्राचीन कागज है। यहाँ पर छिन राजवंश से जुड़े बहुत सारे अवशेष हैं उदाहरण के लिए मा थान उनमें से एक है। यह थिएन श्वी शहर के माय ची पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। 1986 में वहां के एक वन फार्म में एक कर्मचारी ने वन रक्षा स्टेशन की मरम्मत करते समय एक प्राचीन कब्रगाह खोजा। पुरातत्ववेत्ताओं के सर्वेक्षण के बाद पता चला कि यह हान राजवंश का कब्र है जिसमें कुछ कागज के अवशेष भी मिले थे। कब्र से निकालने के समय यह कागज भींगा हुआ था और इसका रंग पीला था। बाद में इसे सुखाने के बाद इसका रंग हल्का पीला बना था जिसपर तरह-तरह की आकृतियां अंकित थी। पुरातत्वविदों के अनुसार यह कागज ईसा पूर्व 179 से 143 के बीच का है। इस कागज को वैज्ञानिकों के द्वारा मा थान कागज का नाम दिया गया।
थिएन श्वी का मा थान कागज विश्व का सबसे पुराना कागज है। मा थान कागज के समकालीन खोज किए गए भीति चित्रों, लकड़ी पर बने चित्रों की तुलना में मा थान कागज ज्यादा स्पष्ट और दूसरी चीजों की तुलना में कागज ज्यादा हल्का भी है जो लाने ले जाने में सुविधापूर्ण है। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में मा थान कागज की उत्पत्ति के बाद कई सौ साल बीत जाने के बाद कागज के व्यापक प्रयोग से प्राचीन काल में लिखने के लिए उपयोग किये जाने वाले ताम्रपत्र, सील्क का कपड़ा आदि का प्रयोग बंद हो गया और इसकी जगह पर कागज का प्रयोग होने लगा। 8वीं शताब्दी में फारसी लोगों के द्वारा कागज बनाने की तकनीक का पूरे विश्व में प्रचार-प्रसार हुआ। 12 वीं शताब्दी मंी युरोप में पहले कागज फैक्ट्री की स्थापना के बाद, युरोपिय लोगों ने लिखाई के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले बकरों के छाल का प्रयोग बंद कर दिया। उस समय से ही पूरे विश्व में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए कागज एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया।