चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोताओं का आपका पत्र मिला कार्यक्रम में स्वागत है। मैं हूँ चंद्रिमा।
विकासः और मैं हूँ विकास। नमस्कार। श्रोता दोस्तो, जैसा कि आपको याद होगा पिछले कार्यक्रम में चंद्रिमा जी ने मुझे एक उपहार देने का वादा किया था। और उन्होंने अपना वादा निभाया भी। तो चलिए आपको भी बता ही देते हैं कि मुझे उपहार में क्या मिला। जी हाँ, चंद्रिमा जी ने मुझे पाँच चुंग त्स दिया।
चंद्रिमाः विकास जी क्या आपको पता है कि चुंग त्स मैंने आपको क्यों दिया और इसका क्या महत्व है?
विकासः चंद्रिमा जी जैसा कि मुझे पता है इस हफ्ते के सोमवार को चीन का पारंपरिक त्योहार त्वान वू त्योहार था। लोग इस त्योहार पर चुंग त्स खाते हैं। मेरे ख्याल से इस त्योहार के पिछे एक ऐतिहासिक कहानी है। चंद्रिमा आप हमारे दोस्तों को इस कहानी के बारे में बताना चाहेंगी।
चंद्रिमाः क्यों नहीं। यह तो बहुत खुशी की बात है। त्वान वू त्योहार चीन का पारंपरिक त्योहार है। इसका इतिहास लगभग दो हजार साल से भी ज्यादा है। द्वेन वू त्योहार कब से शुरु हुआ, इस के बारे में भिन्न कथन प्रचलित हैं। कुछ लोग मानते हैं कि द्वेन वू त्योहार पुराने चीन के यांत्सी नदी के निकट रहने वाले लोगों द्वारा ड्रैगन की पूजी करने के साथ शुरु हुआ। लेकिन, सब से ज्यादा लोक प्रचलित कथा के अनुसार, यह त्योहार प्राचीन देशभक्त कवि छू य्वान की स्मृति में मनाया जाता है। छू य्वान ईसापूर्व तीन शताब्दी के छ्वू राज्य में रहते थे। उन की मातृभूमि पर जब दुश्मन ने कब्जा कर लिया, तो कवि छू य्वान को बहुत दुख हुआ और उन्होंने मीरो नामक नदी में छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली। वह दिन चीनी पंचांग के अनुसार पांच मई का दिन था, इसलिए, हर वर्ष पांच मई को, चीनी लोग छू य्वान की स्मृति में चावलों द्वारा बनाये गये ज्योंग ज नामक खाद्य पदार्थ को नदी में डाल कर छू य्वान की पूजा करते हैं।
विकासः इस त्योहार के अवसर पर चीन के दक्षिणी भाग में नौका प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है और इसमें सभी लोग बढचढ कर हिस्सा लेते हैं। इसलिए इस त्योहार का दूसरा नाम ड्रैगन-बोट फेस्टीवल भी है। इस त्योहार के अवसर लोग एक-दूसरे को चुंग त्स देते हैं। यह चावल का बना मिठा खाद्य पदार्थ है। इसे बनाने की विधि भी बहुत सरल है। केले के पत्ते में चावल को भिंगोकर लपेट दिया जाता है, फिर उसे पानी में पकाया जाता है। पककर तैयार होने के बाद यह बहुत स्वादिष्ट लगता है।
चंद्रिमाः चलिए इसी के साथ अब हम श्रोताओं के पत्रों का पढने का सिलसिला शुरू करते हैं। आज का पहला पत्र नारनौल हरियाणा से उमेश कुमार का है। इन्होंने लिखा है कि चीन के 60वीं वर्षगाँठ के भव्य अवसर पर लेख पढ़ा। पता चला कि चीन प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। चीनी सेना शक्तिशाली हो गई है और किसान प्रगति कर रहे हैं जिसकी प्रशंसा करना आवश्यक है। जहाँ चीन पिछड़ा कृषि प्रधान देश था वहीं आज चीनी किसानों ने अपने अतुलनीय मेहनत से कृषि और दूसरे क्षेत्रों में भी अनूठी प्रगति की है।
विकासः उमेश जी आपका कहना बिल्कुल सही है। चीनी लोगों ने अपने मेहनत के बल पर दुनिया से अपना लोहा मनवा लिया है। मेरे विचार में भारतीय लोगों को भी चीनी भाईयों की इस सफलता से सीखना चाहिए। अब मेरे हाथ में दूसरा पत्र है। यह पत्र रमना, मुजफ्फरपुर कोसमोस रेडियो क्लब से मुकेश कुमार का है। इन्होंने लिखा है कि हमारे कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितीन गडकरी के विचारों से अवगत होने का मौका मिला। उनका कहना है कि भविष्य में चीन और भारत संबंध में व्यापक सुधार होने की आशा है। दोनों देशों की गिनती अब विश्व के प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में होती है। मुकेश जी भी की कामना है कि भारत-चीन मैत्री विश्व के लिए एक उदाहरण बने तथा दोनों पड़ोसी देश आपसी सहयोग से अनवरत रूप से आगे बढ़ते रहें।
चंद्रिमाः मुकेश जी को बहुत-बहुत धन्यवाद। आशा है कि आप इसी तरह हमारे कार्यक्रम सुनते रहेंगे और हमें अपने विचारों से भी अवगत कराते रहेंगे। अब अगला पत्र जयपट्टी मधुबनी से सुरेन्द्र कुमार शास्त्री का है। इन्होंने अपने पत्र के साथ-साथ हमें नव वर्ष की बधाई पत्र भी भेजा है। इस पत्र पर हाथों से चित्रकारी की गई है। सुरेन्द्र जी आपको भी नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई। आप भी सफलता के पथ पर आगे बढ़ते रहें। विकास जी पत्र के साथ एक कविता भी है, क्या आप हमारे श्रोताओं को यह कविता पढ़ कर सुना सकते हैं।
विकासः जी क्यों नहीं। इनका कविता बहुत प्यारा है और इसका शीर्षक है- नया साल आया। कविता इस प्रकार है।
नया साल आया
नया उमंग लाया
नई आश लेकर आगे बढेंगे
नये उत्साह के साथ शिखर चढ़ेंगे
खुशियों का बादल छाया
नया साल आया।
पुराने दुख सब भूलेंगे
कमियों को खुद ढूंढेंगे
सफलता का द्वार खुला
नया साल आया।
वैर भाव सब भूलेंगे
एकता का पाठ पढेंगे
नया जन्म हमने पाया
नया साल आया।
चंद्रिमाः वाह क्या बात है। सुरेन्द्र जी आशा है आप इसी तरह नयी-नयी कविताओं का सृजन करते रहेंगे और हमें भी कविता के रस से सरोबार कराते रहेंगे। विकास जी इसी के साथ हम एक हिंदी गाना सुनते हैं।
विकासः इस गाने के साथ हम अपने कार्यक्रम में वापस लौटते हैं। अगला पत्र है अपोलो रेडियो लिसनर्स क्लब, ढोली सकरा, बिहार से दीपक कुमार दास का। इनका कहना है कि चीन-भारत मैत्री पर चर्चा सुनी। बहुत अच्छा लगा। उन्होंने लिखा है कि चीन-भारत संबंध को आगे बढ़ाने में चीनी विद्वान ची शिएन लिन का अभूतपूर्व योगदान है। दीपक जी कहते हैं कि हम सभी सी आर आई के श्रोताओं को गर्व है कि सन् 1942 में डाक्टर कोटनिस ने जापानी आक्रमण विरोधी चीनी जनता के युद्ध में बड़ा योगदान दिया था। इसी कारण चीन भारत की जनता के बीच महत्वपूर्ण मैत्री संबंध बढ़ा।
चंद्रिमाः दीपक जी का कहना बिल्कुल सही है। चीनी जनता डाक्टर कोटनिस के योगदान को कभी भी नहीं भूल पाएगी। हम आशा करते हैं कि दोनों देशों की जनता ऐसे ही और कोटनिस पैदा करें जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग और गहरा हो सके। दीपक जी को बहुत-बहुत धन्यवाद। अगला पत्र है पीस रेडियो लिसनर्स क्लब के कृष्ण कुमार जायसवाल का। उन्होंने लिखा है कि यह जानकर खुशी हुई कि यह पहला मौका है जब भारत और चीन के सहयोग से गोल्डस्ट्रक नाम की एक फिल्म का निर्माण हो रहा है, जो दोनों देशों के बीच पूर्वाग्रहों को दूर करने में सहायक साबित होगा। इस फिल्म में दोनों देशों के अभिनेता अभिनय करेंगे।
विकासः जायसवाल जी आपका कहना बिल्कुल सही है। पचास के दशक में चीन में भारतीय फिल्म काफी पसंद किए जाते थे। अभी भी कितने लोगों के स्मृतिपटल से आवारा फिल्म का गाना मिटा नहीं है। आज भी चीनी लोगों को भारतीय फिल्म देखना काफी पसंद है। अगर इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाया जाएगा तो दोनों देशों की जनता एक दूसरे को अच्छी तरह से समझ सकेंगे। साथ ही चीन-भारत मैत्री भी एक नयी उँचाई पर पहुँच सकेगी।
चंद्रिमाः जायसवाल जी इतनी अच्छी जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आशा है आप आगे भी नये-नये जानकारियों को हमारे साथ बाँटेंगे। अगला पत्र जोहरी कोठी समस्तीपुर से अंतरराष्ट्रीय आकाशवाणी श्रोता संघ का है। इन्होंने लिखा है कि इनके क्लब के सदस्य भी चाइना रेडियो इंटरनेशनल से जुड़ना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने पूछा है कि क्या वे सब संयुक्त रिशेप्शन रिपोर्ट भेज सकते हैं।
विकासः आपका सी आर आई में स्वागत है। हम आशा करते हैं कि जल्द ही आपके क्लब को हमारे रेडियो से रजिस्ट्रेशन मिल जाएगा। साथ ही आप हमारे कार्यक्रमों पर अपनी टिप्पणी भी लिख सकते हैं। हम आशा करते हैं कि आप अधिक से अधिक लोगों को हमारा कार्यक्रम सुनने के लिए उत्साहित करेंगे। लिजिए इसी के साथ हम अपने नये दोस्तों के स्वागत में एक गाना पेश करते हैं।
चंद्रिमाः अब हम फिर से कार्यक्रम में वापस आते हैं। अगला पत्र है फफून्द, औरैया, उत्तर प्रदेश से खान रेडियो लिसनर्स क्लब के अध्यक्ष अमानत उल्ला खान का। इन्होंने लिखा है कि कई पत्र प्रेषित किए हैं लेकिन शामिल नहीं किया जाता है। क्या नाराजगी है?
विकासः खान भाई हमें आपसे कोई नाराजगी नहीं है। बल्कि हम आपसे माफी चाहते हैं कि समय पर आपका पत्र शामिल नहीं कर सके। दरअसल हमारे पास पत्रों की इतनी लंबी लिस्ट होती है कि किसी भी श्रोता के पत्र को समय पर शामिल कर पाना बड़ा मुश्किल होता है। पत्र लिखने के लिए एक बार और आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आशा है आप इसी तरह हमारे कार्यक्रमों को सुनते रहेंगे और अपने विचार से अवगत कराते रहेंगे।
चंद्रिमाः अगला पत्र आशापुर, फैजाबाद से देशप्रेमी रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष रामकुमार रावत द्वारा भेजा गया है। उन्होंने लिखा है कि बहुत दिनों से उनके पत्रों को शामिल नहीं किया जा रहा है। इन्होंने कुछ गीतों की फरमाइश भी भेजी है। मैं कोशिश करूंगी कि आपकी फरमाईश आपकी पसंद कार्यक्रम में शामिल किया जाए। आशा है कि आप सपरिवार इसी तरह हमारा उत्साह बढ़ाते रहें।
विकासः अब हम आज का अंतिम पत्र पढ़ेंगे। पश्चिम बंगाल के हमारे प्यारे श्रोता रत्न कुमार पॉल ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि हमारे रेडियो लिस्नर्स क्लब के सभी सदस्य बहुत अच्छे हैं, और सी.आर.आई. के सभी कार्यक्रमों को सुनने का बड़ा शौक है। हमारे क्लब में कुल 45 सदस्य हैं। हर दिन हम नियमित रूप से आप लोगों के कार्यक्रम सुनते हैं। क्या आप हमारे क्लब को अपने डाक लिस्ट में शामिल कर सकेंगे?तो हम बहुत खुश होंगे।
चंद्रिमाः प्रिय रतन कुमार जी, आप का पत्र मिलकर हमें बहुत खुशी हुई। आप को हमारे कार्यक्रम के लिये समर्थन देने का बहुत बहुत धन्वयाद। हमने आप का पता व कल्ब का नाम हमारे डाक लिस्ट में शामिल किया था। और अप्रेल के शुरू में हमने इस पत्ते से आप लोगों को कुछ श्रोता वाटिका, मुफ़्त लिफ़ाफ़े व तिब्बत से जुड़ी ज्ञान-प्रतियोगिता के प्रश्नपत्र भेज दिये हैं। क्या आप लोगों को उन्हें मिला है?आशा है आप के कल्ब के सभी सदस्य सक्रिय रूप से इस में भाग ले सकते हैं।
विकासः चंद्रिमा जी, पिछले कार्यक्रम में हम ने हमारे श्रोता आसिफ़ खान की बातचीत का पहला भाग प्रस्तुत किया। तो आज हम इसे जारी रखें, ठीक है न?
चंद्रिमाः अच्छी राय है। तो अब हम एक साथ सुनें आप की आवाज़ ऑन लाइन कार्यक्रम।
विकासः श्रोता दोस्तो, आज का कार्यक्रम यहीं तक समाप्त होता है। अगले हफ्ते ठीक इसी समय हम यहां फिर मिलेंगे। अब मैं और चंद्रिमा को आज्ञा दें। नमस्कार।
चंद्रिमाः नमस्कार।