चीन के दक्षिण-पश्चिम में एक बहुत पुराना व्यापार मार्ग है जिस मार्ग से प्राचीन काल में चाय और घोड़े का व्यापार किया जाता था। प्राचीन काल में इस मार्ग से युन नान और सछ्वान के लोग तिब्बत में चाय का व्यापार करते थे बदले में तिब्ब्त के लोग इन्हें घोड़े बेचते थे। इसलिए हिन्दी में कहें तो इस मार्ग का नाम चाय और घोड़ा मार्ग कहा जाना चाहिए लेकिन चीनी भाषा में यह छामा मार्ग के नाम से प्रसिद्ध है। इस मार्ग की शुरूआत चीन के थांग और सुंग राजवंश में हुआ था जबकि मिंग और छिंग राजवंश में यह मार्ग व्यापार का प्रमुख मार्ग बन गया था। युननान प्रांत से निकलकर यह सछ्वान और तिब्बत दो भागों में बँट जाता है। यह मार्ग युननान से निकलकर पहले सछ्वान के चाय उत्पाद क्षेत्र में पहुँचती है फिर कई पहाड़ों को पार कर तिब्बत के लासा पहुंचती है। यह मार्ग यहीं नहीं बंद होती है। इस मार्ग से लासा होते हुए भूटान, नेपाल, भारत और पश्चिम एशिया तक पहुंचा जा सकता है। यह कठिन मार्ग पिछले शताब्दी के 40वें दशक में दूसरे विश्व युद्ध के बाद तक इस्तेमाल किया जा रहा था। आज यही मार्ग विश्व में सबसे लम्बा और बड़ा प्राकृतिक सुंदरता का केंद्र बन गया है। आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आपको इस रास्ते की सैर करायेंगे और इसी रास्ते पर स्थित प्राचीन शहर शांगली से भी रूबरू करायेंगे।
शांगली सछ्वान के या आन शहर के यु डिस्ट्रिक के उत्तर में स्थित है जोकि शहर से 27 किलोमीटर दूर है। शांगली सछ्वान के चार काउंटियों तुंग थुंग मिंग शान, सिताहु शान, यु छंग और शिया शान के चौराहे पर स्थित है। यहाँ की इमारतें मुख्यतौर पर आम लोगों के लिए निर्मित हैं जिसकी संरचना मिंग और छिंग राजवंश से मिलती-जुलती है।
शांगली के मुख्य द्वार पर खड़े होकर देखने पर ऐसा प्रतित होता है कि इसके एक तरफ पहाड़ हैं तो दूसरी तरफ पानी और चारों तरफ बाँस हैं। यहाँ की इमारतें ऊँची-नीची है और हरेक मकान की संरचना भिन्न-भिन्न है। सड़कें काली पत्थर वाली इंटो की बनी हैं तो मकान ज्यादातर लकड़ियों के बने हैं। सड़क के दोनों तरफ कुँआ है जिसके पानी का उपयोग आग से बचाव में किया जाता है। इस जगह ऐसा आभास होता है जैसे आप प्राचीन काल के शांगली में पहुँच गये हैं। यहाँ की सुंदरता आपको जन्नत का आभास देती है।
ऐतिहासिक रिकार्ड के अनुसार, शांगलि का पुराना नाम लुओशन था जोकि प्राचीन काल में सराय के रूप में विख्यात था। यह जगह दो स्थानों के बीच में था इसलिए इस जगह को दूसरी प्रांत की सीमा में प्रवेश करने का भी स्थल माना जाता है। प्राचीन काल में यह जगह चीन के दक्षिणी भाग के रेशम मार्ग का मुख्य सरायस्थल था। साथ ही चाय और घोड़े के व्यापार का मुख्य स्थल भी था।
अगर हम शांगलि की बात करते हैं तो यहाँ के पाँच परिवार की चर्चा करना अनावश्य नहीं होगा। मिंग और छिंग राजवंश के समय से ही यह स्थल पाँच परिवार हान, यांग, छन, श्वी और चांग का निवास स्थान रहा है। इसलिए यहां के पाँच परिवार भी बहुत लोकप्रिय है।
पाँचों परिवारों की अपनी विशेषता है और चारों तरफ उनकी प्रसिद्धि भी है। हान परिवार अपने धन-धान्य के लिए जाना जाता है इसलिए उसे दूसरे नाम चाँदी वाला परिवार के नाम से भी जाना जाता है। यांग परिवार के लोग सरकारी पदों पर आसीन होते थे। ज्यादातर सरकारी अधिकारी यांग परिवार के होते थे। वहीं श्वी परिवार की लड़कियाँ अपनी खूबसूरती के लिए लोकप्रिय थी। छन परिवार जमीन जायदाद के लिए लोकप्रिय थे जबकि चांग परिवार अपने वीरता के लिए प्रसिद्ध थे।
शांगलि के ही एक प्राचीन काल के मकान में सौभाग्य से यांग परिवार के 22वें पीढ़ी के 73 वर्षिय बुजुर्ग से हमारी मुलाकात हुई। उन्होनें हमे शांगलि और यांग परिवार के किस्से सुनाए। उन्होनें कहा
शांगलि में पांच मुख्य परिवार थे जिसमें यांग परिवार को सरकारी पदाधिकारियों का परिवार कहा जाता था। मेरे पूर्वज चाय का व्यापार करते थे। उनके दुकान का नाम युशिंग था। वे लोग मुख्य तौर पर चाय उगाते थे। चाय तैयार होने के बाद उसे सछ्वान प्रांत भेजा जाता था। आजकल उस स्थान का नाम थांग तिंग है। वे लोग उस समय चाय की बोरी लादे यहाँ से थांग तिंग जाते थे।
लेकिन अब वे पांच परिवार खत्म हो चुके हैं। हमलोग केवल बूढ़े लोगों के द्वारा उनके बारे में सिर्फ कहानी सुन सकते हैं। हमलोग उनकी कहानियों के द्वारा सिर्फ कल्पना कर सकते हैं कि उस समय के लोगों का जीवन कितना समृद्ध होगा।
पांच परिवारों में सिर्फ हान परिवार का ही प्रांगण अभी तक सुरक्षित है। इस प्रांगण में सामने से प्रवेश करने पर लकड़ी का बना हुआ इमारत दिखता है जिसकी संरचना ऊंची-निची है। इमारतों की छतों पर हरे रंग की खपरैल छत अपनी सुंदरता बिखेड़ती है। इमारतों की खिडकियाँ, द्वारों और उसके हरेक कोनों पर किए गए नक्काशी मन को मोह लेती हैं। समय बितने के साथ-साथ इसका रंग उतर गया है लेकिन इस पर की गई नक्काशी अभी भी उसी तरह जीवंत है।
इन पांच परिवारों के प्रांगणों के अलावा शांगलि में आम लोगों का मकान भी अभी तक सुरक्षित है। सभी मकान हरे रंग के खपड़ों से सुसज्जित हैं, रास्ते के बीचोंबीच एक रंगमंच है जिस पर ओपेरा गाया जाता था। पहले यह दोमंजिला रंगमंच था जोकि सछ्वान में नहीं देखा जा सकता है। शांगलि में जहाँ ऐतिहासिक विरासतों की कोई कमी नहीं है वहीं पारिस्थितिकी में भी परिपूर्ण है। यहाँ से दो नदियाँ निकलती है। यहाँ पर प्राचीन काल के नदियों के उपर पुल, पेड़, पैगोडा आदी के साथ साथ छिंग राजवंश के अंत में बना हुआ घर, थांग राजवंश का झरना आदी इस स्थल की शोभा बढा रही है।
छंगतु के श्रीमान् निए ने यहाँ पर स्थायी तौर पर बसने का फैसला किया। जब हमने पूछा कि शहर की आरामदेह जीवन को छोड़कर इस जगह बसने की क्या वजह है तो उन्होनें कहा
मुझे शहरी जीवन रास नहीं आया। शहर में शुद्ध हवा नहीं है ध्वनी प्रदूषण भी है। यहाँ पर पहाड़ है नदियाँ हैं। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति की गोद में हैं। यहाँ के पहाड़ सुंदर हैं, नदियाँ सुंदर है, लोग अच्छे हैं। ऐसा लगता है जैसे सबकुछ अच्छा है।
यह शहर पानी की तरह स्वच्छ और सुंदर है। यहाँ की सुंदरता ने बहुत सारे पर्यटकों का मन मोह लिया है। यहाँ के पुल, वर्षों से खड़े पेड़, हजारों साल पुरानी सड़कें, पुराने किले, नाना प्रकार के रीति रिवाज लोगों को बरबस अपनी तरफ आकर्षित करती है।
छंगतु की एक महिला पर्यटक ने हमें बताया कि
यह बहुत प्राचीन स्थल है। यहाँ कि विशेषताएं लोगों को प्राचीन समय का एहसास कराती हैं। मुझे सबसे ज्याद पसंद यहाँ की पुरानी वस्तुएं हैं जैसे पुल, पैगोडा, हान परिवार का प्रांगण आदी।
शांगलि में वह प्राचीन काल का सराय अभी भी मौजूद है जिसके द्वार पर छामा मार्ग सराय लिखा हुआ है। पास में एक प्रांगण भी है जिसका नाम है चीनी तिब्बती चाय संग्रहालय। इस संग्रहालय में चाय के व्यापार और उससे संबंधित सामग्री संग्रहीत की गई है। लेकिन इस जगह पर ज्यादा चहल-पहल नहीं होती है। नदी के किनारे चाय की दुकान, छ्वान होटल आदी में खूब चहल-पहल होती है।
यहाँ स्थायी तौर पर बसने वाले निए जी ने कहा कि यहाँ के पहाड़, नदी, मैदान मुझे गहरा प्यार है। मैं अपने पत्नी के साथ यहाँ रह रहा हूँ और बहुत खुश हूँ और यही मेरी ईच्छा भी है।
जब शुरू में मैं यहाँ आया था तो मुझे भी खेती वगैरह करने नहीं आता था। मैने भी यहाँ के स्थानीय लोगों से सीखा है। अब मुझे फसल काटना और सब्जी उगाना आता है। अगर कोई सब्जी खाने का मन होता है तो खेत से काट सकते हैं जो कि ताजा भी होता है और पौष्टिक भी। मुझे स्थानीय लोगों के साथ पहाड़ पर जाकर लकड़ियाँ जमा करना भी बहुत अच्छा लगता है।
शांगलि न केवल अपने अंदर इतिहास को समेटे हुए प्राचीन काउंटी है बल्कि यह वास्तव में एक ऐतिहासिक प्रामाणिक स्थल भी है। इस स्थल ने न केवल लोगों को प्यार दिया है बल्कि इतिहास में छुपे हुए कई चीजों को भी बताता है।