भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने 18 फरवरी को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या करने वाले तीन अपराधियों के विरुद्ध मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
21 मई 1991 में राजीव गांधी तमिलनाडु में चुनाव अभियान के समय एक महिला के आत्मघाती बम विस्फोट द्वारा मारे गये थे। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने 1999 में अंतिम फैसला सुनाया कि लिट्टे के तीन सदस्यों ने यह घटना रची थी और उन्हें मौत की सजा सुनायी। इसके बाद उन तीनों अपराधियों ने भारतीय राष्ट्रपति से क्षमा याचिका की गुहार लगाई थी। वर्ष 2011 तक तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उनकी याचिका ठुकरा दी थी। इन तीनों अपराधियों ने उनकी याचिका के निपटारे में काफी देर होने का दावा कर अदालत से सजा को हल्का करने की मांग की थी। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि जेल की सज़ा काट रहे पिछले 11 वर्षों में इन अपराधियों के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ ,इसी कारण मौत की सजा को उम्रकैद में बदला गया है।
आपको बता दें कि भारत में अबतक सैकड़ों लोगों को मौत की सजा मिली है ,लेकिन पिछले 18 साल में सिर्फ चार अपराधियों पर मौत सजा लागू की गई है।