तिब्बती औषधि का संयुक्तराष्ट्र के गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल होने का आवेदन चीनी संस्कृति मंत्रालय को दिया गया है, जिसमें आवेदन की संदर्भ सामग्रियां और वीडियो तैयार किया गया है। तिब्बती स्वायत्त प्रदेश के संस्कृति विभाग ने 17 फ़रवरी को यह जानकारी दी।
तिब्बती औषधि का तिब्बती-छिंगहाई पठार पर 2000 से अधिक वर्ष पुराना इतिहास है। वह वर्तमान के चीन में सबसे संपूर्ण और प्रभावित जातीय औषधियों में से एक है। तिब्बती जनता ने चीनी औषधि. प्राचीन भारतीय औषधि और प्राचीन अरबी औषधि की खूबियों को लेकर परंपरागत तिब्बती औषधि का रूप विकसित किया है।
तिब्बती औषधि की तिब्बती संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। अब नेपाल और भारत जैसे क्षेत्रों में तिब्बती औषधि का व्यापक प्रयोग किया जा रहा है।
तिब्बती औषधि के आवेदन का काम वर्ष 2013 की शुरूआत में हुआ। इससे पहले वर्ष 2009 में राजा गैसर के महाकाव्य को गैर-भौतिक विरासत की सूची में शामिल होने के आवेदन में सफलता मिली थी। (लिली)