चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ह्वा छूनइंग ने 12 फरवरी को आयोजित नियमित संवाददाता सम्मेलन में श्रीलंकाई विदेशमंत्री एंटोनिस पेइरिस की चीन यात्रा से जुड़ी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चीन श्रीलंका सरकार को अपने देश की स्वतंत्रता, प्रभुसत्ता और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा करने का समर्थन करता है। चीन का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को श्रीलंका सरकार और वहां की जनता का अपनी इच्छा से विकास का रास्ता चुनने के अधिकार का सम्मान करना चाहिये।
सुश्री ह्वा ने कहा कि चीनी विदेशमंत्री वांग ई के निमंत्रण पर श्रीलंकाई राष्ट्रपति के विशेष दूत श्रीलंकाई विदेशमंत्री पेइरिस ने 10 फरवरी से चीन की यात्रा शुरू की है। 11 फरवरी को चीनी उप-राष्ट्राध्यक्ष ली य्वेनछाओ ने उनसे भेंट की और चीनी विदेशमंत्री वांग ई ने उनके साथ वार्ता की। दोनों पक्षों ने चीन-श्रीलंका संबंधों और समान रुचि वाले अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों पर विचार-विमर्श किया। वे दोनों देशों के संबंधों में होने वाले विकास से संतुष्ट हैं। विभिन्न क्षेत्रों में कारगर सहयोग के आधार पर समुद्रीय सहयोग को व्यापक रूप से विस्तृत करने और 21वीं शताब्दी में समुद्र पर रेशम मार्ग का निर्माण करने पर भी सहमति प्राप्त की गई है।
ह्वा छूनइंग के मुताबिक, श्रीलंका ने घरेलू युद्ध के बाद पुन:निर्माण और राष्ट्रीय सुलह की स्थिति के बारे में जानकारी दी,जबकि चीन ने श्रीलंका के आर्थिक व सामाजिक विकास, लोगों की आजीविका व मानव अधिकार आदि क्षेत्रों में किये गए अहम प्रयासों की सराहना की। चीन हमेशा समानता व पारस्परिक सम्मान के आधार पर बातचीत व संचार के जरिये मानव अधिकार के बारे मतभेदों को सुलझाने का पालन करता है। साथ ही मानव अधिकार के मुद्दे का राजनीतिकरण और दोहरे मापदंड का विरोध करता भी है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को श्रीलंका सरकार और वहां की जनता का अपनी इच्छा से विकास का रास्ता चुनने के अधिकार का सम्मान करना चाहिये, ताकि श्रीलंका में स्थिरता व समृद्धि हासिल करने के लिये एक अनुकूल बाहरी वातावरण बनाएँ।
(अंजली)