सब लोग जानते हैं कि शांगहाई शहर सुंदर समृद्धिशाली यांगत्सी नदी के डेल्टे में अवस्थित है , जहां की अर्थव्यवस्था विकसित ही नहीं , बल्कि भौगोलिक सथान बहुत श्रेष्ठ है , आसपास बहुत से दर्शनीय स्थल उपलब्ध हैं । शांगहाई शहर का निकट पड़ोसी होने के नाते छांग चओ शहर शांगहाई शहर से कोई 156 किलोमीटर दूर है , सामंजस्य नामक एक्सप्रेस पर सवार होकर एक घंटे में ही पहुंच सकता है , यातायात अत्यंत सुविधाजनक है ।
छांग चओ का उप नाम ड्रेगन शहर ही है , कहा जाता है कि 6 ड्रेगन देव इसी स्थल में जन्मे हुए । वसंत शरद काल में ऊ राज्य के राजकुमार ने इस स्थल में सत्ता कामय की , तब से लेकर आज तक यह स्थल कोई दो हजार पांच सौ वर्ष से अधिक पुराना हो गया है । छांग चओ शहर पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत के 13 प्रांत शासित शहरों में से एक है , वह सुंदर समृद्धिशाली यांगत्सी नदी डेल्टे के केंद्र में स्थित होने की वजह से शांगहाई व नानचिन इन दोनों बड़े शहरों का आमना सामना खड़ा हुआ है , जिस से वह दक्षिण च्चांगसू क्षेत्रीय राजनीतिक , आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक भी है , साथ ही वह ऊ संस्कृति का उद्गम स्थल भी है ।
शानदार इतिहास व संस्कृति ने छांग चओ शहर में अंगिनत प्रसिद्ध ऐतिहासिक अवशेष छोड़ दिये हैं । तीन सौ हैक्टर विशाल वसंत शरद य्येन शहर का खण्डहर आज से दो हजार पांच सौ वर्ष पुराना है , वह चीन में वसंत शरद काल से लेकर अब तक सब से संपूर्ण रूप से संरक्षित पुराना थलीय शहर का खण्डहर माना जाता है । पेइचिंग से हांगचओ पहुंचने वाली महा नहर भी इसी शहर को चीर कर बह जाती है । दक्षिण पूर्व में प्रथम जंगल के नाम से नामी थ्येननिंग मंदिर चीनी बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है और विख्यात धार्मिक पर्यटन स्थल भी है । छिंग राजवंश का राजा छ्येन लुंग तीन बार पूजा करने के लिये यहां आ पहुंचा ।
तीस अप्रैल 2007 को चीन का सब से ऊंचा धार्मिक टावर यानी त्य़ेन निंग स्तूप 6 वर्षों के निर्माण के जरिये खड़ा कर दिया गया । इस स्तूप के उद्घाटन समारोह में देश विदेश से आये 108 उच्च कोटि के आचार्य उपस्थित हुए । थ्येननिंग स्तूप प्रबंध लिमिटेड कम्पनी के वाइस जनरल मेनेजर श्री तंग च्य़ुन ने इस का परिचय देते हुए कहा इस 13 मंजिली स्तूप के निर्माण में कुल 20 करोड़ य्वान की पूंजी लगायी गयी है , इस स्तूप का क्षेत्रफल 27 हजार वर्गमीटर विशाल् है और उस की ऊंचाई 153.79 मीटर है , यह ऊंचाई समूचे चीन के कुल चार हजार से अधिक स्तूपों की शिखर पर है , इतना ही नहीं , यह स्तूप उत्तर चीन स्थित शानशी प्रांत की युंनकांग महा बुद्ध मूर्ति , स्छवान प्रांत की लह शान महा बुद्ध मूर्ति , पूर्वी चीन की लिंग शान महा बुद्ध मूर्ति और हांगकांग की थ्येनथान महा बुद्ध मूर्ति जितना महत्वपूर्ण भी माना जाता है । इस स्तूप की वास्तु शैली थांग व सुंग राजवंशों की मंडल शैलियों पर आधारित है , उस का आकार प्रकार आठ कोने का है , स्तूप का शरीर ढांचा लौहा इस्पात से तैयार हुआ है और उस पर सफेद संगमरमर लगाये जाने से अत्यंत शानदार दिखायी देता है । स्तूप के आधार की चारों ओर सफेद संगमरमर से तराशे एक हजार से अधिक छोटे स्तूप लगाये गये हैं , देखने में भव्यदार स्तूप जंगल मालूम पड़ता है ।
बेशुमार सांस्कृतिक व ऐतिहासिक अवशेषों को छोड़कर छांग चओ वासियों ने अपनी बुद्धिमत्ता से खरीददारी का स्वर्ग निर्मित किया । छांग चओ शहर में जितने भी ज्यादा पर्यटन स्थलों पर जो नाना प्रकार वाली प्रसिद्ध कला कृतियां बेची जाती हैं , उन के अधिकांश भाग पर ऐतिहासित छाप छोड़ा गया है । छांग चओ में कंघी , कसीदा और बांस नक्काशी कलात्मक कृतियों का इतिहास भी बहुत पुराना है । मसलन छांग चओ की प्रसिद्ध कलात्मक कृति कंघी का इतिहास आज से कोई 1600 साल पुराना हो गया है । छांग चओ कंघी लिमिटेड कम्पनी के अध्यक्ष चिन सुंग छुन ने बड़े गर्व के साथ हमारे संवाददाता को बताया क्योंकि छिंग राजवंश काल में शाही महल हर वर्ष छांग चओ निर्माण ब्यूरो से उच्च कोटि वाली कंधियां मंगाता था , इसलिये छांगचओ कंधी मशहूर शाही कंघी के नाम से नामी हो गयी है । तत्काल में महारानी त्स शी ने अपने बाल बनवाने में जिस हाथी दांत से बनी कंघी का प्रयोग किया था , वह कंघी अभी भी पेइचिंग के पुराने शाही राज प्रासाद म्युजियम में सुरक्षित है । छांगचओ कंघी ने 1915 में अमरीका के सन फ्रांसिसको में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मेले में चांदी पुरस्कार जीत लिया , फिर 1926 में अमरीका में हुए शांति मेले में स्वर्ण पदक बटोर लिया ।
2006 में छांग चओ कंघी शृंखलाबद्ध उत्पादनों को चीनी अंदरुनी पर्यटन व्यापार मेले में विशेषता युक्त यादगार कलात्मक कृतियों की उपाधि मिली , उसी साल के अगस्त में छांग चओ कंघी कारखाने को च्यांग सू प्रांतीय गैर भौतिक सांस्कृतिक संरक्षित इकाई का रुप दिया गया । सफेद हाथ ब्रांड 1925 में पंजीकृत हुआ , तब से लेकर अभी तक वह छांग चओ शहर का मशहूर मार्क रहा है , साथ ही वह छांग चओ शहर के दस बड़े प्रसिद्ध मार्कों की नामसूची में भी शामिल हो गया ।
छांग चओ शहर रहने वाली महिला यांग शाओ य्यू ने 20 वीं शताब्दी के बीस तीस वाले दशकों में कसीदा करने के अलग ढंग का आविष्कार कर लिया , गैर परम्परागत तौर तरीके से कसीदा करने की यह नयी कला पश्चिमी और चीनी कसीदा कलाओं का निचोड़ है , इस से कसीदा करने की यह गैर परम्परागत तौर तरीका नवोदित चीनी पश्चिमी कसादा कला के नाम से विख्यात हो गया है । छांग चओ शहर के सर्वोच्च कसादाकार ती चिंग ने क्रमशः अनेक देशी विदेशी शिष्याओं को सिखा दिया है । थाइलैंड की सुश्री छन य्यू ल्वान उन में से एक हैं । उन्हों ने इस की चर्चा करते हुए कहा हमारे थाइलैंड में कसीदा उपलब्ध है , पर कसीदा करने का यह तौर तरीका नहीं है , इसलिये मैं चीन के कसादा करने के इस गैर परम्परागत तरीके को थाइलैंड में लोकप्रिय बनाना चाहती हूं ।
मानव जाति का जीना खाद्य पदार्थों पर निर्भर रहता है । स्वादिष्ट खाना और सुविधापूर्ण सेवा छांग चओ शहर की बड़ी विशेषता है । छांग चओ शहर में समूचे चीन की व्यंजन बनाने की चार प्रसिद्ध प्रणालियां और आठ लोकप्रिय व्यंजन शैलियां उपलब्ध भी हुई हैं । इतना ही नहीं , हजारों प्रकार वाले व्यंजन और बेशुमार स्थानीय स्वादिष्ट पकवान बड़ी तादाद में देशी विदेशी पर्यटकों को मोह लेते हैं । साथ ही विविधतापूर्ण रेस्तारां छोटी बड़ी सड़कों के तटों पर देखने को मिलते हैं , किसी भी रेस्तारां में कदम रखते ही आप को लुभाने के लिये मालिक अपने विशेष व्यंजन को दिखाना कभी नहीं भूलते ।
एक मोहित आहार वाला शहर बड़ा प्यारा लगता है , यदि आप छांग चओ शहर के दौरे पर जाते हैं , तो अवश्य ही प्रसिद्ध आहार सड़क पर विशेष स्वादिष्ट स्थानीय व्यंजन चखना मत भूलियेगा । किसी भी सौ वर्षों से अधिक पुराने रेस्तारां में कोई भी विशेष स्वाद वाले व्यंजन चखने से इसी ड्रेगन शहर का मजा लेने में विशेष अनुभव होगा । छांग चओ शहर के पर्य़टन ब्यूरो के प्रधान सू वी ने आप को हार्दिक निमंत्रण देते हुए कहा छांग चओ शहर आप का हार्दिक स्वागत करता है , हमें आशा है कि शांगहाई विश्व मेले का फायदा उठाकर छांग चओ का नाम और रौशन होगा ।